ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने श्रीराम जन्मभूमि मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अन्य जमातों के फैसले को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि देश के 95 फीसद से ज्यादा मुसलमान सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहते हैं। सिर्फ चंद लोग हैं जो मंदिर-मस्जिद का विवाद बनाए रखना चाहते हैं। इस मुद्दे पर चल रही चर्चाओं के बीच बुखारी ने कहा कि इस मामले में मुख्य तौर पर चार बिदुओं पर आपत्तियां थीं, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए हुए संविधान के अनुच्छेद 142 के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मुल्क के हालात के मद्देनजर सही फैसला सुनाया है। इसे दोनों धर्म के लोगों ने माना है। उन्होंने चेताया कि पुनर्विचार के फैसले से एक बार फिर समाज में तनाव दिखाई देने लगा है। माहौल में फिर तल्खी आई है। यह खामोश और शांतिप्रिय लोगों को उकसाने की कोशिश हो रही है। इन सबके लिए जिम्मेदार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और वे जमाते हैं।
शाही इमाम ने कहा कि मस्जिद का मुकदमा लड़ने के नाम पर देश-विदेश से 7.5 करोड़ रुपये चंदे वसूले गए थे। अब फिर आगे भी यही होगा। उन्होंने कहा कि यही जमातें फैसला आने से पहले कह रही थीं कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वे उसे मानेंगी। अब जबकि फैसले को हिदू-मुस्लिम सभी ने मान लिया है। देश में कहीं से भी तनाव या विवाद की खबरें नहीं आई हैं तो ये लोग एक बार फिर देश का माहौल खराब करने में लग गए हैं।
उन्होंने कहा कि 134 साल के बाद यह घड़ी आई जब यह सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। फैसला आने से पहले लोगों में खौफ का माहौल था कि देश की फिजा खराब हो जाएगी। इसलिए कई लोगों ने राशन आदि खरीद लिया था। कुछ तो अपने घर को छोड़कर रिश्तेदारों के यहां रहने चले गए थे। कुछ लोगों ने यात्राएं रद्द कर दी थी। आखिरकार फैसला आया जिसको सभी ने स्वीकार्य करते हुए राहत की सांस ली। न हिदू समाज में जोश दिखा, न ही मुस्लिम समाज ने प्रतिक्रिया दी।