ईश्वर दुबे
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Bhilai
लखनऊ,कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश में पार्टी को फिर से खड़ा करने का प्लान अपने ही पुराने नेताओं की वजह से चुनौतियों का सामना कर रहा है। ये चुनौतियां उस समय जाहिर हो गई, जब पार्टी के 350 पूर्व सांसद, विधायक, 2019 के लोकसभा उम्मीदवार और 2017 के विधानसभा उम्मीदवारों में से महज 40 को ही बैठक के लिए बुलाया गया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पुराने नेता इस अनदेखी को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने उठाने की तैयारी कर रहे हैं। इन नेताओं ने पिछले 15 दिनों में दो बैठकें की हैं और पार्टी के पुराने निष्ठावान काडर पर नए नेतृत्व को थोपे जाने की बात कही।
पहली मीटिंग नवंबर के पहले हफ्ते में पार्टी नेता सिराज मेहंदी के आवास पर हुई। मेहंदी ने अक्टूबर में सोनिया गांधी को यह कहकर अपना इस्तीफा दिया था कि नई टीम में एक भी शिया नहीं है।
दूसरी मीटिंग पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर आयोजित की गई। सूत्रों का कहना है कि इस मीटिंग में एक नेता ने प्रियंका वॉड्रा की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है।
तीसरी मीटिंग पूर्व विधायक रंजन सिंह सोलंकी के आवास पर होनी है, जहां पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल के सदस्य चुने जाएंगे। प्रियंका का नए चेहरों को पार्टी का कमान देने का प्लान विरोध का सामना कर रहा है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि प्रियंका को इन चीजों में संतुलन बनाने की जरूरत है।