ईश्वर दुबे
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Bhilai
पटना । बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपराध, बेरोजगारी, पलायन और आरक्षण जैसे मुद्दों को उठाकर फिर से सक्रियता दिखाई है। लेकिन पार्टी की ये गतिविधियां केवल चुनावी रणनीति तक सीमित नहीं रह गई हैं; इसके पीछे एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में वापस लाना है।
राजद नेताओं ने नीतीश को भाजपा की नीतियों से भयभीत कर उन्हें महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। सांसद मीसा भारती ने नीतीश के बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था कि वह भाजपा के साथ ही रहने वाले है। मीसा ने सवाल उठाया, नीतीश की गारंटी कौन लेगा? इस तरह के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि राजद के भीतर नीतीश की नीतियों पर संदेह कायम है। राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने नीतीश के प्रति सकारात्मकता दिखाकर कहा कि वे देशद्रोहियों के साथ नहीं रहने वाले हैं, और विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में लौट आने वाले है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नीतीश को भाजपा के साथ रहने के कारण रात में नींद नहीं आती और वह अपनी गलती पर विचार करते हैं।
राजद सुप्रीमो और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव भी बिहार के चुनावी गणित को अच्छी तरह समझते हैं। उनका मानना है कि वर्तमान में जीत उसी दिशा में होगी जहां नीतीश कुमार रहने वाले है। नीतीश के पास कुर्मी, कुशवाहा, धानुक मतों के साथ-साथ अतिपिछड़ों का एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। इसकारण लालू का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नीतीश महागठबंधन में शामिल हों। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने यह तय किया है कि यदि नीतीश आते हैं, तब उनकी शर्तों पर चर्चा की जाएगी। इससे भाजपा की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। आने वाले चुनावों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहते हैं, या फिर महागठबंधन में लौटते है। राजद की सक्रियता और नीतीश के प्रति उनकी उम्मीदें इस बात का संकेत देती हैं कि बिहार की राजनीति में आगामी दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं।