ईश्वर दुबे
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Bhilai
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। ममता ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने निवेश के लिए प्रतिकूल माहौल बना दिया है। ममता ने कहा कि भारतीय उद्योगपति नियमित टैक्स के साथ-साथ सीबीआई टैक्स चुकाने को लेकर भी चिंता में रहते हैं। यहां सीबीआई टैक्स से सीएम ममता का आशय केंद्रीय जांच एजेंसी से क्लीयरेंस पाना था। ममता ने यह बात 'बंगाल बिजनेस कॉन्क्लेव' के आखिरी सत्र में कही। सीएम ने कहा कि मेरी उद्योगपतियों से अपील है कि वह पश्चिम बंगाल में निवेश करें। ममता उद्योगपतियों को आश्वासन देते हुए कहा कि यहां आपको किसी तरह का कोई मानसिक दबाव नहीं झेलना पड़ेगा।
टैक्स के कारण हर व्यापारी डरा हुआ है: ममता
ममता ने कॉन्क्लेव में कहा कि उद्योग जगत के कुछ दोस्तों ने उन्हें बताया है कि उन्हें व्यापार करने के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई तरह के टैक्स चुकाने पड़ते हैं। इनकम टैक्स, कस्टम, सीबीआई टैक्स। उन्होंने बताया कि ऐसे में हर कोई व्यापार करने से डरा हुआ है। कई मानसिक परेशानियां हैं। यदि यह सब ऐसे ही चलता रहा तो फिर वे व्यापार कैसे करेंगे।
ममता ने कहा कि आप बंगाल में बिना किसी चिंता के आराम से व्यापार कर सकते हैं। बंगाल में किसी भी बात को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। बंगाल की सरकार पूरी तरह से आपका सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि बंगला में हम आपको सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारी सुविधाएं, हमारा व्यवहार और मानवता आपको हर कदम पर सहयोग करेगी।
बंगाल की सीएम ने कहा कि यदि हर कोई आपके दरवाजे पर आकर कहेगा कि आप अपना व्यापार बंद कीजिए तो फिर कोई कैसे व्यापार कर पाएगा? उन्होंने कहा कि बंगाल में ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। मैं चाहती हूं कि किसान, उद्योगपति और स्थानीय लोग शांतिपूर्ण ढंग से रहें।
20 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के पूर्वी मिदनापुर जिले के दीघा में दो दिवसीय 'बंगाल बिजनेस कॉन्क्लेव' का आयोजन किया। राज्य सरकार इसके माध्यम से पश्चिम बंगाल में निवेश को आकर्षित करना चाहती है। बंगाल बिजनेस कॉन्क्लेव में 20 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की थी।
हालांकि, राज्य सरकार ने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि कंपनियों ने कितने निवेश की घोषणा की है। समिट में शामिल होने वाले देशों में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, रूस, जर्मनी, जापान, एस्टोनिया, चीन, अर्जेंटीना, अमेरिका और पौलेंड के प्रतिनिधि शामिल थे।