ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव में मतदान के बाद अब एक ही सवाल उठा रहा है कि आखिर मतदाताओं ने इस बार क्या खेला कर दिया है? वह भी इसलिए क्योंकि दिल्ली के मतदाताओं ने 2025 के इस चुनाव में जमकर मतदान किया है।
बता दें कि 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ने पर सरकार बदल जाती है वहीं दिल्ली में 2003, 2008, 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों में वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई थी। 2003 में 4.43 फीसदी, 2008 में 4.1 फीसदी, 2013 में 8 फीसदी और 2015 में करीब 1.45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
2013 छोड़ दिया जाए तो वोट प्रतिशत बढ़ने की वजह से कभी सरकार का उलटफेर नहीं हुआ। हालांकि सीटों की संख्या में जरूर कमी और बढ़ोतरी देखी गई। 2003 में 4.4 फीसदी वोट बढ़े तो सत्ताधारी कांग्रेस की सीटें 5 कम हो गई थी। 2008 में 4.1 फीसदी वोट बढ़े तो कांग्रेस की सीटों में 4 की कमी आई थी। 2013 में कांग्रेस 8 सीटों पर सिमट गई। वोट बढ़ने का सीधा फायदा बीजेपी और नई-नवेली आम आदमी पार्टी को हुआ था। 2015 में 1.45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई तो आप की सीटें बढ़कर 67 पर पहुंच गई थी।
इस बार यानी 2025 में जिस तरीके से वोट पड़े हैं, उससे आम आदमी पार्टी की सीटों की संख्या में कमी के संकेत मिल रहे हैं। दो दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने खुद 55 सीटों पर जीत का दावा किया था। 2020 में आप को दिल्ली की 62 सीटों पर जीत मिली थी।
अगर झारखंड और महाराष्ट्र पर नजर डाले तो यहां अलग ही गेम हुआ। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इन दोनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव के वोट फीसदी में बढ़ोतरी देखी गई। दिलचस्प बात है कि दोनों ही राज्यों में सत्ताधारी दल की वापसी हुई है। झारखंड में 2024 के चुनाव में 2019 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ। यहां पर हेमंत सोरेन गठबंधन को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई। 2024 में हेमंत गठबंधन के पास 47 सीटें थी।
इसी तरह महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में करीब 4 फीसदी ज्यादा वोट पड़े। 2019 में महाराष्ट्र में 62 फीसदी वोट पड़े थे। महाराष्ट्र में ज्यादा वोट का सीधा फायदा महायुति गठबंधन को हुआ। महायुति गठबंधन को विधानसभा चुनाव में 236 सीटों पर जीत हासिल हुई। महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। दोनों ही राज्यों में सत्ताधारी सरकार की वापसी की वजह महिला वोटर्स को माना गया। दिल्ली में भी महिलाओं के लिए कई लोक-लुभावन वादे किए गए हैं। माना जा रहा है अगर इन वादों का असर होता है तो इसका सीधा फायदा सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को होगा।
मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटरों का क्रेज सीलमपुर और मुस्तफाबाद में सबसे ज्यादा वोट डाले गए हैं। दोनों ही सीटों पर सुबह से मतदाताओं में वोट डालने का क्रेज दिखा। सीलमपुर और मुस्तफाबाद सीट पर पिछली बार आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी इस बार दोनों ही जगहों पर आप को तगड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। मुस्तफाबाद सीट पर असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवार ताहिर हुसैन मैदान में हैं। बीजेपी की तरफ से मोहन सिंह विष्ट चुनाव लड़ रहे हैं। आप ने यहां से पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे आदिल को मैदान में उतारा है। सीलमपुर में चौधरी मतीन अहमद के बेटे चौधरी जुबेर उम्मीदवार हैं। यहां से बीजेपी ने अनिल गौर और कांग्रेस ने अब्दुल रहमान को टिकट देकर मैदान में उतारा है।