ईश्वर दुबे
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नई दिल्ली,पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी एक साल का समय बचा है और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। दरअसल बीजेपी 'मिशन 250' के तहत पश्चिम बंगाल में प्रचार करने वाली है। चुनावी रणनीति बनाने में कहीं कोई चूक न रहे और इस मामले में भाषा आड़े न आए, इसके लिए बीजेपी अध्यक्ष बांग्ला भाषा सीख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एक शिक्षक रख लिया है। वास्तव में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘मां, माटी और मानुष’ का नारा बुलंद करती रहती हैं और हाल के दिनों में उन्होंने बंगाली अस्मिता को खूब हवा देने की कोशिश की है। ऐसे में ममता को चुनौती देने के लिए यह बीजेपी चीफ की बड़ी कोशिश है।
गौर करने वाली बात यह है कि ममता के बांग्ला भाषा में लोगों से संवाद करने के मुकाबले में बीजेपी के पास कोई तगड़ा नेतृत्व नहीं है। इसे देखते हुए शाह बांग्ला सीख रहे हैं। बीजेपी की कोशिश है कि पार्टी चीफ कम से कम बांग्ला भाषा को समझने लगें और पश्चिम बंगाल की सभाओं में अपने भाषणों की शुरुआत बांग्ला में करें, जिससे भाषण प्रभावी लगे।
भाषा न बने बाधा
अपनी सभाओं में ममता बीजेपी अध्यक्ष को बाहरी कह कर संबोधित करती हैं। अमित शाह को चुनावी रणनीति का माहिर माना जाता है और हर चुनाव के लिए शाह अलग-अलग रणनीति बनाते हैं। लेकिन पहले महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में चूकने और झारखंड में पार्टी की हार के बाद अब अमित शाह बंगाल में चुनावी कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं। इसके लिए जरूरी है कायकर्ताओं से संवाद और समन्वय। लिहाजा भाषा कहीं इस रणनीति में आड़े न आए, इसके लिए शाह बांग्ला सीख रहे हैं।
गुजरात में प्रवेश पर लगी रोक तो सीख ली हिंदी!
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के एक बड़े नेता के मुताबिक, इसमें कुछ भी नया नहीं है। नेता ने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष बांग्ला और तमिल सहित देश के अलग-अलग प्रदेशों में बोली जाने वाली चार भाषाएं सीख रहे हैं। गौरतलब है कि कई लोग आश्चर्य करते हैं कि वर्षों गुजरात में बिताने के बावजूद अमित शाह कैसे अच्छी हिंदी बोल लेते हैं। इस पर सूत्रों का कहना है कि जेल में रहने के दौरान और कोर्ट द्वारा गुजरात में प्रवेश पर दो साल का प्रतिबंध लगाए जाने के दौरान अमित शाह ने हिंदी पर पकड़ बनाई थी।