ईश्वर दुबे
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नई दिल्ली । दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार भले ही जनता को नि:शुल्क बिजली-पानी दे रही हो, लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत में उसके खजाने में फिर भी 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा शेष बच सकते हैं। यानी वह चाहती तो जनता को 5000 करोड़ की सुविधाएं और मुहैया करा सकती थी। दिल्ली सरकार अगस्त 2019 से हर परिवार को 200 यूनिट बिजली नि:शुल्क दे रही है। साथ ही 201 से 401 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले परिवार को बिजली बिल पर 50 फीसदी सब्सिडी मिल रही है। एक जनवरी 2014 से ही हर महीने 20 हजार लीटर पेयजल नि:शुल्क दिया जा रहा है। अगस्त 2019 से पानी के बकाये बिल को भी माफ करने की योजना लायी गई थी, जिससे 13 लाख निवासियों के लाभान्वित होने का दावा किया जा रहा है। दिल्ली सरकार दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) और क्लस्टर स्कीम की बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा दे रही है। मोहल्ला क्लीनिक के माध्यम से लोगों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं। वहीं, सरकारी स्कूलों में लगभग मुफ्त शिक्षा सुविधाएं भी दी जा रही हैं। आश्चर्यजनक बात है इतनी चीजें मुफ्त देने के बाद भी वित्त वर्ष 2019-20 के दिल्ली सरकार के बजट के मुताबिक इस वर्ष उसका राजस्व अधिशेष 5236 करोड़ रुपये का रहने वाला है। यह एक वर्ष पहले के 4931 करोड़ रुपये के राजस्व अधिशेष के मुकाबले 6.2 फीसदी ज्यादा है। ऐसा भी नहीं है कि इस दौरान सरकार ने जरूरी खर्च में कटौती की है। सरकार ने इस वर्ष परिवहन क्षेत्र के लिए आवंटन में सबसे ज्यादा 38 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसके बाद शिक्षा का स्थान है, जिसमें 35 फीसदी ज्यादा की बढ़ोतरी की गई। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी इस वर्ष आवंटन में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि सामाजिक कार्य एवं पोषण मद में तीन फीसदी की बढ़ोतरी की है। ऊर्जा के क्षेत्र में यूं तो महज दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन तब भी राज्य सरकार हर ग्राहक को हर महीने 200 यूनिट तक बिजली नि:शुल्क दे रही है। पैसे बचाने के बजाय इससे और सुविधाएं जुटायी जा सकती हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में और बेहतर कार्य किया जा सकता है। अंशकालिक शिक्षकों के स्थान पर पूर्णकालिक शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है। ढांचागत सुविधाएं बढ़ायी जा सकती हैं। इस समय नई दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली को छोड़ दें तो अन्य इलाकों में ढांचागत सुविधाएं उतनी अच्छी नहीं हैं। अविकसित इलाकों में साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकता है। नि:शुल्क बिजली और पानी की योजना का दायरा बढ़ाया जा सकता है।