अगस्ता मामले में मोदी के हाथ लगा बड़ा हथियार, गाँधी परिवार की बढ़ेगी मुश्किल Featured

अगस्ता-वेस्टलैंड हेलिकॉप्टरों के सौदे में बिचौलिए का धंधा करने वाले क्रिश्चियन मिशेल को आखिरकार हमारी सरकार ने धर दबोचा है। वह बधाई की पात्र है। 3000 करोड़ के इस सौदे में लगभग 300 करोड़ रु. की रिश्वत बांटने वाले इस दलाल को दुबई से पकड़ कर अब दिल्ली ले आया गया है। जांच ब्यूरो के अधिकारी इससे अब सारी सच्चाई उगलवाएंगे। फौज के लिए खरीदे गए हेलिकॉप्टरों के सौदे में किस नेता और किस अफसर को कितने रु. खिलाए गए हैं, ये तथ्य अब इस ब्रिटिश नागरिक मिशेल से उगलवाए जाएंगे।
 इसके पहले उक्त कंपनी के जो अफसर पकड़े गए थे, उनकी डायरियों से कुछ नाम उजागर हुए हैं। उन नामों को सोनिया गांधी के परिवार से जोड़ा गया था। हमारी फौज के एक बड़े अफसर पर भी रिश्वतखोरी के आरोप हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में यह जबर्दस्त हथियार आ गया है। सोनिया गांधी परिवार के विरुद्ध पहले ही ‘नेशनल हेरल्ड’ के मामले में आयकर विभाग जांच कर रहा है। अब मोदी ने सोनिया परिवार की तरफ अपनी चुनाव-सभा में नाम लेकर भी इशारा किया है। हो सकता है कि मिशेल जो भी सच उगले, वह कांग्रेस के गले की फांस बन जाए। यदि वह बोफोर्स की तरह सोनिया परिवार को अदालत में अपराधी सिद्ध न कर पाए तो भी चुनाव के अगले छह सात माह में भाजपा के लिए वह रामबाण सिद्ध हो सकता है। हमारे प्रचारमंत्री इतने तीर चलाएंगे कि कांग्रेस का महागठबंधन चूर-चूर हो सकता है। कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने में हर पार्टी सकुचाएगी।
 
 भाजपा यह दावा भी कर सकती है कि जब उसने मिशेल-जैसे ब्रिटिश नागरिक को अपने पंजे में फसा लिया तो विजय माल्या, नीरव मोदी और चोकसे वगैरह तो अपने ही खेत की मूली हैं। उसका भ्रष्टाचार-विरोधी चेहरा देश के मतदाताओं को उसके प्रति उत्साह से भर सकता है। उसने देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए बहुत-सी पहल की हैं। उसमें से कइयों ने तो शीर्षासन कर दिए और कइयों के सुपरिणाम पर्याप्त ठोस और सगुण नहीं हैं। ऐसे में इस तरह की निषेधात्मक नौटंकियां ही अपनी डगमगाती नाव का सहारा बन सकती हैं। इनमें अयोध्या में राममंदिर का निर्माण भी एक जबर्दस्त पैंतरा है। अगस्ता-वेस्टलैंड का मामला राफेल-सौदे को भी मंच के नीचे ढकेल देगा। लेकिन यह न भूलें कि दिल्ली में यदि दूसरी कोई सरकार आ गई तो उसके हाथ में राफेल का ब्रह्मास्त्र होगा। भ्रष्टाचार तो लोकतांत्रिक सरकारों की प्राणवायु है। उसके बिना वे जिंदा रह ही नहीं सकतीं।
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