ईश्वर दुबे
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Bhilai
मायावती ने रविवार को किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कांग्रेस, भाजपा और अन्य पार्टियां यहां उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार होने पर सन्त गुरु रविदास जी को कभी मान-सम्मान नहीं देती लेकिन सत्ता से बाहर होने पर ये अपने स्वार्थ में उनके मन्दिरों/स्थलों आदि में जाकर कई प्रकार की नाटकबाजी जरूर करती है।
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस, भाजपा और अन्य पार्टियों पर संत रविदास के मंदिरों में जाकर निजी स्वार्थ के लिए ‘‘नाटकबाजी करने’’ का आरोप लगाया। मायावती ने रविवार को किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कांग्रेस, भाजपा और अन्य पार्टियां यहां उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार होने पर सन्त गुरु रविदास जी को कभी मान-सम्मान नहीं देती लेकिन सत्ता से बाहर होने पर ये अपने स्वार्थ में उनके मन्दिरों/स्थलों आदि में जाकर कई प्रकार की नाटकबाजी जरूर करती है। इनसे सतर्क रहें। उन्होंने एक अन्य ट्वीट किया, ‘‘जबकि यहां बसपा ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसने अपनी सरकार के समय में संत रविदास को विभिन्न स्तरों पर पूरा-पूरा मान-सम्मान दिया है। उन्हें भी अब विरोधी पार्टियां एक-एक करके खत्म करने में लगी हैं जो अति निन्दनीय है।’’ मायावती का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब कांग्रेस महासचिव और पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा संत रविदास जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए वाराणसी पहुंची हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी संत रविदास को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ‘‘महान संत गुरु रविदास को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए उन्होंने सौहार्द और भाईचारे की भावना पर बल दिया था, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संत कवि रविदास की जयंती पर रविवार को उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए काम किया। नायडू ने ट्वीट किया, ‘‘शांति एवं सद्भाव के मजबूत समर्थक गुरु रविदास ने अपनी शिक्षाओं से प्रेम और एकता का संदेश दिया।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने भी संत रविदास को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ‘‘महान संत गुरु रविदास को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए उन्होंने सौहार्द और भाईचारे की भावना पर बल दिया था, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। न्याय, समानता और सेवा पर आधारित उनकी शिक्षा हर युग में लोगों को प्रेरित करती रहेगी।’’
आप नेता संजय सिंह ने ईवीएम की सुरक्षा पर उठाए सवाल हैं और चुनाव आयोग इस घटना का संज्ञान लेने की अपील करते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया है। संजय सिंह ने लिखा कि ये किस जगह ईवीएम उतारी जा रही है आस पास तो कोई सेंटर है नही।
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव संपन्न हो गया। वोटों की गिनती 11 फरवरी को होगी। लेकिन मतगणना से पहले ईवीएम को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी ने ट्वीट करके ईवीएम की सुरक्षा पर चिंता जताई है। आप नेता संजय सिंह ने ईवीएम की सुरक्षा पर उठाए सवाल हैं और चुनाव आयोग इस घटना का संज्ञान लेने की अपील करते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया है। संजय सिंह ने लिखा कि ये किस जगह ईवीएम उतारी जा रही है आस पास तो कोई सेंटर है नही। बता दें कि इससे पहले बीती रात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ और बैठक की बाद में आप नेता संजय सिंह ने बताया कि पार्टी के कार्यकर्ता पूरी राष्ट्रीय राजधानी में स्ट्रांग रूम के बाहर ही मौजूद रहेंगे और नजर रखेंगे।
ठाकरे इस रैली के जरिए पार्टी का दायरा मराठा अस्मिता से आगे हिंदुत्व की तरफ ले जा रहे हैं। रैली से ठाकरे बांग्लादेशी घुसपैठियों का विरोध कर रहे हैं। इस रैली के लिए पूरे महाराष्ट्र से लोग आ रहे हैं। रैली में लोगों के लिए भगवा रंग की टी-शर्ट, टोपी और दूसरे पहनने वाले आइटम बनवाए गए हैं।
राज ठाकरे और उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मुंबई में आज महारैली कर रहे हैं। इसमें लाखों कार्यकर्ताओं के जुटने की संभावना जताई जा रही है। ठाकरे इस रैली के जरिए पार्टी का दायरा मराठा अस्मिता से आगे हिंदुत्व की तरफ ले जा रहे हैं। रैली से ठाकरे बांग्लादेशी घुसपैठियों का विरोध कर रहे हैं। इस रैली के लिए पूरे महाराष्ट्र से लोग आ रहे हैं। रैली में लोगों के लिए भगवा रंग की टी-शर्ट, टोपी और दूसरे पहनने वाले आइटम बनवाए गए हैं।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने अवैध प्रवासियों को नसीहत देते हुए कहा है कि चले जाओ, ये हिंदुस्तान है, पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं। बता दें कि अपने पार्टी के झंडे का रंग भगवा करने के बाद राज ठाकरे की यह पहली रैली है। जिसका मुद्दा देश में रह रहे अवैध रूप से बांग्लादेशियों और पाकिस्तानियों का विरोध है।
नई दिल्ली । एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी फिर भारी बहुमत से सरकार बनाती दिख रही है। एग्जिट पोल को लेकर ‘आप' में उत्साहित है। पार्टी नेताओं का कहना है कि उम्मीद है कि 11 तारीख को नतीजे और बेहतर होंगे। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के लोगों को बधाई भी दी। आप के दिल्ली चुनाव प्रभारी व सांसद संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली की जनता ने काम पर वोट दिया है। ‘आप' शुरू से शिक्षा, बिजली, पानी, मुफ्त सफर, विकास की बात कर ही थी। भाजपा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आतंकवादी कहा। रावण कहा। उनकी बीमारी को लेकर मजाक बनाया गया। दिल्ली की जनता ने उसका जवाब दिया है।
विशेष पुलिस आयुक्त (आसूचना) प्रवीर रंजन ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 190 कंपनियों को सुरक्षा कारणों से तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि जहां तक संवेदनशील मतदान केंद्रों की बात है तो 516 जगहों पर 3704 बूथ इस श्रेणी में आते हैं।
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए शनिवार सुबह आठ बजे मतदान जारी है। दिल्ली में 1.47 करोड़ लोग मताधिकार का प्रयोग करने के योग्य हैं जो 672 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। एक अधिकारी ने बताया कि मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ और शाम छह बजे तक चलेगा। सुरक्षाबल 70 विधानसभा क्षेत्रों में पैनी नजर रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के साथ सिविल लाइंस के एक मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विद्यालय में अपना वोट डाला।
भारतीय जनता पार्टी की सांसद मीनाक्षी लेखी ने साउथ एक्सटेंशन पार्ट- II के एक मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला।
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने अपना वोट डाला।
उपराज्यपाल अनिल बैजल और उनकी पत्नी माला बैजल ने ग्रेटर कैलाश के एक मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला।
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और आरएसएस के वरिष्ठ नेता राम लाल नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के निर्माण भवन में।
चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार, अलका लांबा ने टैगोर गार्डन एक्सटेंशन में मतदान केंद्र संख्या 161 पर अपना वोट डाला।
पुलिस और अर्द्धसैन्य बल के कर्मी शाहीन बाग, जामिया नगर और सीलमपुर जैसे संवेदनशील इलाकों में ‘‘अतिरिक्त सतर्कता’’ बरत रहे हैं। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) रणबीर सिंह ने बताया कि 81 लाख से अधिक पुरुष मतदाता, 66.80 लाख महिला मतदाता और 869 तीसरे लिंग के मतदाता हैं।
अधिकारियों के अनुसार, करीब 2.33 लाख मतदाता 18 से 19 साल की आयुवर्ग के हैं, 2.04 लाख मतदाता 80 साल के वरिष्ठ नागरिक हैं जबकि 11,608 सेवा मतदाता हैं। इस बार जो दिग्गज उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं उनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी की आतिशी और राघव चड्ढा, चार पूर्व महापौर भाजपा के आजाद सिंह, योगेंद्र चंदोलिया, रवींदर गुप्ता और खुशी राम तथा दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा शामिल हैं। दिल्ली में 2,689 स्थानों पर कुल 13,750 मतदान केंद्र हैं। सिंह ने कहा, ‘‘जहां तक संवेदनशील मतदान केंद्रों की बात है तो 516 जगहों पर 3704 बूथ इस श्रेणी में आते हैं।’’ अधिकारियों ने बताया कि ‘‘संवेदनशील श्रेणी’’ के मतदान केंद्रों पर पुलिस सुरक्षा के अलावा अर्द्धसैन्य बल भी सुरक्षा में तैनात है। ऐसे केंद्रों पर गतिविधियों पर वेबकास्टिंग के जरिए नजर रखी जा रही है।
संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के मद्देनजर शाहीन बाग में सभी पांच मतदान केंद्रों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। आम आदमी पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में हासिल की गई अद्भुत जीत को दोहराने का विश्वास है जहां उसने 70 में से 67 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में सभी सातों सीटों पर जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी को आप को हराने की उम्मीद है जबकि कांग्रेस पिछली बार के मुकाबले अपने प्रदर्शन में सुधार लाने की कवायद में है। गत विधानसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी। आप को 2015 के चुनावों में 54.3 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि भाजपा को 32 प्रतिशत और कांग्रेस को महज 9.6 प्रतिशत वोट मिले थे। मतगणना मंगलवार को होगी।
दिल्ली के डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया ने पांडव नगर के एमसीडी स्कूल में अपना वोट डाला। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान चल रहा है। मतगणना मंगलवार को होगी।
नयी दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में तीसरी बार सरकार बनाएगी। केजरीवाल ने सिविल लाइंस इलाके में एक मतदान केंद्र पर पत्नी सुनीता तथा बेटे पुलकित के साथ मतदान करने के बाद कहा कि दिल्ली के लोग आप सरकार के कामों के आधार पर वोट करेंगे।
दिल्ली के डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया ने पांडव नगर के एमसीडी स्कूल में अपना वोट डाला। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान चल रहा है। मतगणना मंगलवार को होगी।
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राम लाल मतदान के पहले घंटे में निर्माण भवन मतदान केंद्र के बाहर कतार में खड़े रहे। मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सिविल लाइंस इलाके के राजपुरा परिवहन प्राधिकरण मतदान केंद्र में वोट दिया।
नयी दिल्ली। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान चल रहा है और लोग ठंड की परवाह किए बगैर शनिवार को सुबह-सुबह मतदान केंद्रों के बाहर कतारों में खड़े रहे। दिल्ली में 1.47 करोड़ लोग मताधिकार करने योग्य हैं जो 672 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में सुबह 11:00 बजे तक 14.75 प्रतिशत मतदान हुआ। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राम लाल मतदान के पहले घंटे में निर्माण भवन मतदान केंद्र के बाहर कतार में खड़े रहे। मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सिविल लाइंस इलाके के राजपुरा परिवहन प्राधिकरण मतदान केंद्र में वोट दिया।
नयी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे केजरीवाल के साथ पत्नी सुनीता और बेटा पुलकित भी थे। मतदान के लिए जाने से पहले उन्होंने अपने माता-पिता का आशीर्वाद लिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पश्चिम दिल्ली के सांसद परवेश वर्मा और दिल्ली भाजपा के प्रमुख मनोज तिवारी ने भी वोट दिया। मतदान शुरू होने से कुछ मिनट पहले केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘वोट डालने जरूर जाइये। सभी महिलाओं से खास अपील- जैसे आप घर की जिम्मेदारी उठाती हैं, वैसे ही मुल्क और दिल्ली की जिम्मेदारी भी आपके कंधों पर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी महिलायें वोट डालने जरूर जायें और अपने घर के पुरुषों को भी ले जायें। पुरुषों से चर्चा जरूर करें कि किसे वोट देना सही रहेगा।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मतदाताओं से राष्ट्रीय राजधानी को झूठ और वोटबैंक की राजनीति से ‘‘मुक्त’’ कराने की अपील की।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली को स्वच्छ हवा, पीने का स्वच्छ पानी और हर गरीब को अपना घर देकर इसे विश्व की सबसे अच्छी राजधानी सिर्फ एक दूरदर्शी सोच व मजबूत इरादों वाली सरकार ही बना सकती है।’’ शाह ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली की जनता से अपील करता हूं कि झूठ और वोट बैंक की राजनीति से दिल्ली को मुक्त करने के लिए मतदान अवश्य करें।’’ भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने भी सभी मतदाताओं से बड़ी संख्या में वोट डालने की अपील की। नड्डा ने ट्वीट किया, ‘‘देश की एकता, अखंडता और दिल्ली के सम्पूर्ण विकास के लिए आपका एक-एक वोट महत्वपूर्ण है। आपका वोट ही आपकी दिल्ली का सुनहरा भविष्य लिखेगा। ‘पहले मतदान, फिर जलपान’। जय हिंद।’’ एक अधिकारी ने बताया कि मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ और शाम छह बजे खत्म होगा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 45 सीट जीतने का दावा किया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली के सभी सातों सांसदों से अपने-अपने क्षेत्र में 6 से 7 विधानसभा सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश पर विचार करने के बाद बीजेपी 45 सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रही है.
70 सदस्यीय विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटे हैं. बीजेपी को लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश के आधार पर 45 सीटों पर जीत दर्ज करने का अनुमान लगा रही है. हालांकि बीजेपी के इस दावे में सच्चाई का पता 11 फरवरी को चुनाव के नतीजे आने के बाद ही चलेगा. हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की बजाय स्थानीय नेतृत्व का ही प्रभाव ज्यादा देखने को मिलेगा.
दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर शनिवार यानी 8 फरवरी को वोट डाले जाने हैं. इसके बाद 11 फरवरी को वोटों की गिनती होगी और चुनाव के परिणाम जारी किए जाएंगे. बीजेपी ने दिल्ली के अपने सभी सातों सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा सीट जिताने की जिम्मेदारी दी है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद दिल्ली के सभी बीजेपी सांसदों की जिम्मेदारी तय की है और उनसे दिल्ली की सत्ता से आम आदमी पार्टी को बाहर करने को कहा है.
बीजेपी आलाकलमान का मानना है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी 7 सीटों पर जीत सुनिश्चित किया था, जिसके जनादेश के आधार पर बीजेपी को दिल्ली विधानसभा की 70 में से 65 सीटों पर जीत मिलती. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि दिल्ली में लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अपना दबदबा कायम रख सकती है.
सूत्रों का यह भी कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का फायदा मिला था. हालांकि बीजेपी विधानसभा चुनाव में भी इसी प्रदर्शन को दोहराने की आस लगा रही है. बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने विधानसभा चुनाव में कड़ी मेहनत की है. बीजेपी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि इस विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने में कामयाब होगी.
इसके अलावा बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों और दिग्गज नेताओं को भी चुनाव मैदान प्रचार में उतारा था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में चुनाव प्रचार किया था और कहा था कि दिल्ली में चुनावी हवा का रुख बीजेपी की तरफ हो चुका है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए आज मतदान हो रहा है. चुनाव के नतीजे 11 फरवरी को घोषित किए जाएंगे. दिल्ली की मुख्य पार्टियां अपनी जीत का दावा कर रही हैं. ज्योतिर्विद सचिन शिरोमणि का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की हार या जीत उसके कर्मों पर निर्भर होती है. लेकिन उसकी जीत में ग्रहों की भी अहम भूमिका होती है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल और मनोज तिवारी की कुंडली से जानते हैं कि आखिर चुनाव में किस राजनेता की ग्रहों के हिसाब से स्थिति ज्यादा मजबूत नजर आ रही है.
सबसे पहले बात करते हैं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की कुंडली की. अरविंद केजरीवाल की कुंडली वृषभ लग्न की है. यहां सिंह राशि के चौथे घर में गुरु, शुक्र और बुध की युति बन रही है, जो कि जनता का भाव होता है.
केजरीवाल की कुंडली में कर्क राशि के तीसरे घर में सूर्य और मंगल बैठा हुआ है. पंचम भाव में केतु और एकादश भाव में राहु बैठा हुआ है.
इसके अलावा 12वीं यानी मेष राशि में शनि और चंद्रमा का विषयोग बन रहा है. ज्योतिषि के अनुसार चुनाव के दौरान केजरीवाल के ग्रह काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं.
11 फरवरी को जब चुनाव के नतीजे घोषित होंगे तब चंद्रमा कुंडली के चौथे घर यानी सिंह राशि में प्रवेश कर रहे होंगे. जबकि कुंडली 9वें भाव में प्रवेश कर रहा होगा जो कि भाग्य का स्थान माना जाता है.
कुल मिलाकर देखा जाए तो केजरीवाल की कुंडली में 11 फरवरी को लग्नेश की स्थिति ज्यादा मजबूत नजर आ रही है. ऐसे में चुनाव के दौरान ग्रहों का ऐसा योग उनके लिए लाभ की स्थिति बना सकता है.
अब बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी की कुंडली की. मनोज तिवारी की कुंडली मेष लग्न की है. इस लग्न की कुंडली में शनि चंद्रमा का विषयोग बन रहा है.
मनोज तिवारी की कुंडली के अष्टम भाव यानी वृश्चिक राशि में गुरु और मंगल की युति है. 11 फरवरी 2020 को चंद्रमा इनकी कुंडली के पंचम भाव में राहु-केतु के साथ होगा.
11 फरवरी को ही शनि इनके दशम भाव में प्रवेश कर रहे होंगे. यहां सूर्य और शनि का योग बनने और चंद्रमा का पंचम भाव में राहु-केतु के साथ फंस जाने से परेशानियां हो सकती हैं.
ग्रहों की स्थिति के लिहाज से अरविंद केजरीवाल की कुंडली मनोज तिवारी की कुंडली से ग्रहों के हिसाब से ज्यादा मजबूत नजर आ रही है.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सरकार पर ध्रुवीकरण के जरिए देश को बांटने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि सीएए और एनआरसी की उसकी ‘साजिश’ को विफल करने और संविधान को बचाने के लिये लोग सड़कों पर निकल आए हैं।
नयी दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि संसद एवं विधानसभा के निर्णयों का सड़कों पर विरोध एवं आगजनी तथा लोगों द्वारा कानूनों को स्वीकार नहीं करने से अराजकता की स्थिति पैदा होगी।संसद के दोनों सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का दोनों सदनों में अलग अलग जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि विधायिका के फैसलों के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों और आगजनी से ‘अराजकता’ उत्पन्न हो सकती है, सभी को इससे चिंतित होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में अलोकतांत्रिक गतिविधियों को छिपाने के प्रयास हो रहे हैं, इससे किसी को राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल सीएए एवं एनपीआर के खिलाफ एक काल्पनिक भय पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं जो देश के लिए नुकसानदेह है। प्रधानमंत्री के जवाब के बाद दोनों सदनों ने इस धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यसभा में कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर हो रहे प्रदर्शनों से देश ने देख लिया कि ‘‘दल के लिए कौन है और देश के लिए कौन है।’’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीएए से हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।
मोदी ने सीएए को लेकर विपक्ष पर ‘‘काल्पनिक भय’’ पैदा करने का आरोप लगाया और उनके रूख को पाकिस्तान के रूख से जोड़ते हुए कहा कि ऐसी ही भाषा पाकिस्तान बोलता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इसमें सफल नहीं हो सका, और यह आश्चर्यजनक है कि जिन लोगों को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया, वे ऐसी चीजें कर रहे हैं । संशोधित नागरिकता कानून के संदर्भ में मोदी ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा‘इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि जो प्रभावित लोग भारत में बसने के लिए आये हैं, ये नागरिकता मिलने के अधिकारी हैं और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं हैं तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जो लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं, उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या पंडित नेहरू हिन्दू-मुस्लिम भेद करते थे ? क्या पंडित नेहरू हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते थे?’’ लोकसभा में करीब 100 मिनट के अपने जवाब में मोदी ने कश्मीर, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों की समस्या के समाधान सहित विविध मुद्दों को रेखांकित किया। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने संबंधी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बयानों के लिए उन्हें आड़े हाथ लेते हुए मोदी ने कहा ‘‘ कश्मीर भारत का मुकुटमणि है। कश्मीर की पहचान सूफी परंपरा और सर्व धर्म समभाव की है। कश्मीर की पहचान बम, बंदूक और अलगाववाद की बना दी गई थी।’’उन्होंने कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘19 जनवरी 1990 की उस काली रात में कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था।’’
सीएए को लेकर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संविधान बचाने के नाम पर दिल्ली और देश में क्या हो रहा है, वह पूरा देश देख रहा है और देश की चुप्पी कभी न कभी रंग लायेगी।’’ गौरतलब है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सरकार पर ध्रुवीकरण के जरिए देश को बांटने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि सीएए और एनआरसी की उसकी ‘साजिश’ को विफल करने और संविधान को बचाने के लिये लोग सड़कों पर निकल आए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी से देश की 130 करोड़ जनता को कहना चाहता हूं कि सीएए का हिन्दुस्तान के किसी नागरिक पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई हो, चाहे कोई और हो।’’ मोदी ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले जो कुछ भी हुआ, ‘‘राजनीति के तराजू से तौलकर और आधे-अधूरे मन से किया गया’’ जबकि उनकी सरकार ने चुनौतियों को चुनौती देते हुए समस्याओं का समाधान निकालने के लिये दीर्घकालिक नीति के तहत काम किया जिससें अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी तथा वित्तीय घाटा एवं महंगाई स्थिर रही। उन्होंने कहा, ‘‘कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि देश चुनौतियों से लोहा लेने के लिए हर पल कोशिश करता रहा है। कभी कभी चुनौतियों की तरफ न देखने की आदतें भी देश ने देखी हैं। चुनौतियों को चुनने का सामर्थ्य नहीं हो, ऐसे लोगों को भी देखा है।’’
मोदी ने कहा कि एनपीआर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार लेकर आयी थी। किंतु आज वह इसे लेकर विरोध कर रही है और इसके नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।मोदी ने एनपीआर को उचित ठहराते हुये कहा कि इससे सही लाभार्थियों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। उन्होंने इसका विरोध कर रहे विपक्ष को आगाह किया कि वे संकुचित और भ्रामक विमर्श के कारण (एनपीआर का) विरोध कर रहे हैं। उन्होंने किसी विपक्षी दल का नाम लिये बिना कहा, ‘‘तुष्टीकरण का सवाल हो तो आप डंके की चोट पर विभाजन का रास्ता पकड़ते हैं। ऐसे अवसरवादी विरोध से किसी भी दल को लाभ या हानि तो हो सकती है लेकिन इससे देश को निश्चित रूप से हानि होती है। देश में अविश्वास की स्थिति बनती है।’’मोदी ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा, ‘‘मेरा आग्रह रहेगा कि हम सच्चाई और सही तथ्य को जनता के बीच ले जाएं। इस दशक में दुनिया की भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं। इन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए हम सभी के प्रयास 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अनुरूप होने चाहिए।’’अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हुए विकास की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वहां बीडीसी के चुनाव हुए और रेरा (रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण अधिनियम) कानून भी लागू हुआ। पहली बार जम्मू कश्मीर को समग्र स्टार्ट अप, व्यापार और लॉजिस्टिक नीति मिली। पहली बार वहां भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्थापना की गई।’’मोदी ने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर में 18 महीनों में 3.30 लाख घरों को बिजली के कनेक्शन मिले, 3.5 लाख से ज्यादा लोगों को आयुष्मान योजना के तहत गोल्ड कार्ड मिले और 1.5 लाख बुजुर्गों, दिव्यांगों को पेंशन मिली।’’ उन्होंने चर्चा में एमडीएमके के वाइको की एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा ‘‘जम्मू कश्मीर के लिये पांच अगस्त 2019 का दिन काला दिन नहीं था बल्कि आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वालों के लिये यह दिन काला दिन साबित हुआ है।’’
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की छह महीने की एहतियातन हिरासत पूरी होने से महज कुछ घंटे पहले बृहस्पतिवार (छह फरवरी) को उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया।
नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किए जाने की आलोचना करते हुए शुक्रवार को कहा कि बिना किसी आरोप के कार्रवाई करना लोकतंत्र में एक घटिया कदम है। उन्होंने ट्वीट किया, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य के खिलाफ पीएसए की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं। आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र में सबसे घटिया कदम है।
चिदंबरम ने सवाल किया, जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है? दरअसल, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की छह महीने की एहतियातन हिरासत पूरी होने से महज कुछ घंटे पहले बृहस्पतिवार (छह फरवरी) को उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया। इससे पहले दिन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव और पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के वरिष्ठ नेता सरताज मदनी पर भी पीएसए लगाया गया।
कांग्रेस के लिए एक बुरी खबर यह भी रही कि स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली दर्शन को नही आये। कुछ प्रत्याशी यह भी कह रहे कि वह आलाकमान को नेताओं की रैली या फिर रोड शो के लिए पत्र या मेल करते तो थे पर उसका कोई जवाब नहीं आता था।
दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी और लगभग 15 वर्षों तक दिल्ली में शासन में रहने वाली कांग्रेस मुकाबले से बाहर नजर आ रही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। कांग्रेस ने दिल्ली में पार्टी के दिग्गजों को भी चुनावी टिकट दिया है तो नए उम्मीदवारों पर भी भरोसा जताया है। कांग्रेस प्रत्याशी भी चुनाव जीतने के लिए दमखम लगा रहे हैं। लेकिन फिर भी बाजी उनके पक्ष में जाती दिखाई नहीं दे रही है। इसका सबसे बड़ा कारण पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का निराशाजनक रवैया है। पार्टी के कुछ नए उम्मीदवारों की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की इस लचर हालात का जिम्मेदार वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को मान रहे हैं। उन्हें लगता है कि पार्टी ने दिल्ली में उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया है। कुछ उम्मीदवारों ने तो यहां तक कह दिया है कि जो बड़े नेता या फिर पैसे वाले प्रत्याशी हैं, वह तो जैसे तैसे चुनाव में अपना दमखम दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जो नए और कम पैसे वाले प्रत्याशी हैं उन्हें भयंकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस के इस हालात का एक बड़ा कारण यह भी है कि पार्टी ने शीला दीक्षित के निधन के बाद चुनाव को देखते हुए भी प्रदेश अध्यक्ष के चयन में देरी की। इसके अलावा पार्टी ने सबसे आखिरी समय में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। कुछ कार्यकर्ताओं का यह भी मानना है कि पार्टी ने उनकी अनदेखी कर किसी अन्य दल से आए या फिर किसी पैसे वाले को टिकट दे दिया है। पैसे से कमजोर प्रत्याशियों ने यह भी कहा कि पार्टी ने चुनाव लड़ने में उनकी कोई आर्थिक मदद नहीं की है। लेकिन यह भी बात सही है कि दिल्ली में प्रदेश के पार्टी दिग्गज भी अपने पक्ष में फिलहाल अभी तक चुनावी माहौल नहीं बना सके हैं। चाहे हारून यूसुफ हो, राजेश लिलोठिया या फिर अमरिंदर सिंह लवली या मतीन अहमद हो, यह सभी शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री रहे हैं। इनके भी इस हालात का सबसे बड़ा कारण प्रचार-प्रसार ही माना जा रहा है। कहने के लिए कांग्रेस ने 40 से ज्यादा स्टार प्रचारकों की एक सूची जारी की थी लेकिन इस विधानसभा चुनाव में बहुत सारे ऐसे स्टार प्रचारक नदारद रहे जो पार्टी की नैया को पार लगाने की क्षमता रखते हैं। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व आखिरी सप्ताह में दिल्ली के चुनावी समर में नजर आया।
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वर्तमान में पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने दो दिनों में चार रैलियां कीं। जबकि प्रियंका गांधी ने दो रैली की थी। पूर्व PM मनमोहन सिंह ने भी एक जगह प्रचार किया है। दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में यह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है। इतना ही नहीं, पार्टी के 4 राज्यों के मुख्यमंत्री भी कहीं ना कहीं चुनावी प्रचार से दूर रहें। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2 से 4 जनसभाओं को संबोधित किया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रोग्राम तय होने के बावजूद भी तबीयत खराब होने की बात कहकर चुनावी रैलियों को रद्द कर दिया। वहीं मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने भी दिल्ली में कोई जनसभा नहीं की है। सोनिया गांधी तबीयत खराब होने की वजह से पहले से ही सर गंगा राम हॉस्पिटल में भर्ती हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, शत्रुघ्न सिन्हा, भूपेंद्र सिंह हुडा, गुलाम नबी आजाद, विजेंद्र सिंह, राज बब्बर, अमीषा पटेल जैसे कुछ नेता चुनावी मैदान में जरूर नजर आए। कांग्रेस के लिए एक बुरी खबर यह भी रही कि स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली दर्शन को नहीं आये। कुछ प्रत्याशी तो यह भी कह रहे हैं कि वह आलाकमान को नेताओं की रैली या फिर रोड शो के लिए पत्र या मेल करते तो थे पर उसका कोई जवाब नहीं आता था। यानी कि प्रत्याशी सीधे-सीधे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर आरोप लगा रहे हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस के इस हाल के लिए सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व ही जिम्मेदार नहीं है। दिल्ली में पार्टी कई गुटों में बंटी हुई है और यह गुटबाजी इस चुनाव में भी साफ नजर आई। पूर्व सांसद और प्रदेश अध्यक्ष जेपी अग्रवाल बेटे को टिकट ना दिए जाने से नाराज हैं इसलिए वह चुनाव प्रचार से दूर रहे। पूर्व सांसद और पूर्वांचल के बड़े चेहरे कहे जाने वाले महाबल मिश्रा के बेटे ने चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। पार्टी ने महाबल मिश्रा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निलंबित कर दिया है। पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी चुनावी प्रचार में नहीं दिखे। वहीं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय माकन चुनाव से ठीक पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर विदेश चले गए हैं। वहीं, संगम विहार से कांग्रेस प्रत्याशी पूनम आजाद के पोस्टर और बैनरों पर नजर डाले तो प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की फोटों गायब है। पूनम आजाद भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व सांसद कीर्ति आजाद की पत्नी हैं। कीर्ति आजाद दिल्ली में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी हैं।
इन सारे सवालों का जवाब पार्टी ने आधिकारिक तौर पर देते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। हम पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी के बड़े नेताओं ने 20 से ज्यादा रैलियां की हैं। लेकिन साथ ही कांग्रेस यह बात भी कह रही है कि हम शीला दीक्षित के 15 सालों के काम के आधार पर ही वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस यह भी कह रही है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव को सांप्रदायिक बना दिया है। इसी चुनावी समर के बीच कांग्रेस के मणि शंकर अय्यर और दिग्विजय सिंह ने भी शाहीन बाग का दौरा कर लिया। हालांकि कांग्रेस के कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि दिल्ली में पार्टी हरियाणा की ही तरह कुछ आश्चर्यजनक प्रदर्शन की कर सकती है। तभी तो पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी मीडिया में यह बात कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। भले ही कांग्रेस कई दावे करे पर सच तो यही है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला ना होकर अब बस भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच का मुकाबला रह गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार पूर्वोत्तर के दौरे पर असम के कोकराझार में होंगे। पीएम मोदी गुवाहाटी पहुंच गए हैं।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देशभर में प्रदर्शनों का दौर जारी है। सीएए के खिलाफ भारी पैमाने पर प्रदर्शनों से असम भी बीते दिनों रूबरू हुआ था। इन सब के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज असम के बोडो बहुल कोकराझार कस्बे में एक रैली को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी गुवाहाटी पहुंच गए हैं और यहां से कोकराझार के लिए रवाना होंगे। सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बाद पीएम मोदी की यह पहली पूर्वोत्तर यात्रा है।
बता दें कि कई बोडो उग्रवादी समूहों और एक छात्र इकाई के साथ केंद्र सरकार द्वारा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के एक सप्ताह बाद पीएम मोदी का यह दौरा हो रहा है। बोडो समझौते के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के तीन गुटों एनडीएफबी (प्रोग्रेसिव), एनडीएफबी (रंजन दायमरी) और एनडीएफबी (सोंगबिजीत) के कुल 1,615 कैडर्स ने एक साथ 30 जनवरी को आत्मसमर्पण किया था। गौरतलब है कि पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच गुवाहाटी में दिसंबर में होने वाला शिखर सम्मेलन सीएए विरोधी प्रदर्शनों के चलते नहीं हो पाया था। इसके बाद ऐसी भी खबरें आईं थीं कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन की वजह से पीएम मोदी को असम का दौरा रद्द करना पड़ा।