ईश्वर दुबे
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Bhilai
उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि बड़ी संख्या में बहुजन समाज पार्टी कैडर के वोट भाजपा को मिले हैं जोकि जीत का एक बड़ा कारक बना है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी वोट बड़ी संख्या में भाजपा से छिटके हैं
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भले भाजपा ने दोबारा जीत लिया हो लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले उसकी सीटों की संख्या काफी कम हो गयी है। इस बात को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चिंता में है क्योंकि चाहे साल 2014 का लोकसभा चुनाव रहा हो या साल 2019 का लोकसभा चुनाव, दोनों ही बार केंद्र में भाजपा की सत्ता उत्तर प्रदेश की बदौलत ही बन पाई है। अब साल 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी भाजपा ने इस बात पर मंथन शुरू कर दिया है कि क्यों उत्तर प्रदेश विधानसभा में उसकी सीटें पहले के मुकाबले कम हो गयीं? इस बारे में भाजपा आलाकमान की ओर से पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई से जवाब मांगा गया था जिसने चुनाव परिणामों का विस्तृत विश्लेषण कर एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को भेजी है।
उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि बड़ी संख्या में बहुजन समाज पार्टी कैडर के वोट भाजपा को मिले हैं जोकि जीत का एक बड़ा कारक बना है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी वोट बड़ी संख्या में भाजपा से छिटके हैं और सहयोगी दल चुनावों में भाजपा की खास मदद नहीं कर पाये। हर चरण के चुनाव के हिसाब से तैयार की गयी 80 पन्नों की इस रिपोर्ट में विस्तार से उन कारणों को बताया गया है जिनकी वजह से भाजपा अपने सहयोगी दलों अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ 273 सीटें जीत पाई और उन कारणों का भी रिपोर्ट में वर्णन किया गया है जिनकी वजह से बाकी सीटों पर हार मिली है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अपना दल से कुर्मी और निषाद पार्टी से निषाद वोटर छिटक गये जिसकी वजह से चुनावों में इन समुदायों का भाजपा को वोट नहीं मिल सका। इन दोनों समुदायों के बहुत कम वोट मिलने का ही प्रभाव रहा कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अपनी सिराथु विधानसभा सीट से ही चुनाव हार गये। ओबीसी समुदाय के कुशवाहा, मौर्य, सैनी, कुर्मी, निषाद, पाल, शाक्य और राजभर समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ चले गये और भाजपा के हिस्से में इनका बहुत कम वोट प्रतिशत आया। जबकि 2017 के विधानसभा चुनावों में यह सभी समुदाय भाजपा के साथ खड़े रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम वोटरों का एकजुट होकर समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ जाना भी कई सीटों पर एनडीए की हार का कारण बना है।
बताया जा रहा है कि भाजपा आलाकमान को इस बात की भी चिंता थी कि जब हाल ही में चलाये गये पार्टी के सदस्यता अभियान के दौरान 80 लाख नये सदस्य जुड़े थे और उत्तर प्रदेश में भाजपा के कुल सदस्यों की संख्या दो करोड़ दस लाख के आसपास हो गयी थी तब भी ऐसे परिणाम क्यों आये। भाजपा ने इस बात का भी बारीकी से अध्ययन किया है कि उत्तर प्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं के 9 करोड़ लाभार्थियों का चुनावों के दौरान क्या रुख रहा। अध्ययन में पाया गया कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने और उसके प्रशंसक होने के बावजूद बड़ी संख्या में लाभार्थियों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों का समर्थन करने की बजाय समाजवादी पार्टी गठबंधन को समर्थन दिया।
इस रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा का सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन गाजीपुर, अंबेडकर नगर और आजमगढ़ जिलों में रहा। इन तीनों जिलों की कुल 22 सीटों में से भाजपा एक पर भी चुनाव नहीं जीत पाई। जबकि समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ और अंबेडकर नगर की सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की और गाजीपुर की सात में से पांच सीटों पर जीत हासिल की। बाकी दो सीटों पर सपा गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने जीत हासिल की।
भाजपा ने इस बात पर भी गौर किया कि क्यों पोस्टल बैलेट में समाजवादी पार्टी गठबंधन को ज्यादा वोट मिले? गौरतलब है कि सपा गठबंधन को 311 सीटों पर पोस्टल बैलेट ज्यादा मिले थे। पोस्टल बैलेट वोट उन सरकारी कर्मचारियों के होते हैं जो मतदान के समय अलग-अलग जगह तैनात होते हैं। भाजपा ने निष्कर्ष निकाला है कि सपा गठबंधन का पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा सरकारी कर्मचारियों को भाया। साथ ही भाजपा का निष्कर्ष यह भी कहता है कि पहले दो-तीन चरणों के दौरान सरकारी कर्मचारियों में ज्यादा नाराजगी देखने को मिली। हम आपको बता दें कि सपा गठबंधन को 4.42 लाख पोस्टल वोट मिले जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को मात्र 1.48 लाख पोस्टल वोट मिले।
बसपा कैडर भाजपा की ओर जा रहा है, यह विधानसभा चुनावों के दौरान साफ दिख रहा था। इस कैडर में जो मुस्लिम थे वह समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ गये। हम आपको याद दिला दें कि प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की ग्राउण्ड कवरेज के दौरान भी इस बात का उल्लेख अपनी रिपोर्टों में किया था कि कई क्षेत्रों में यह अफवाह हावी रही कि मायावती ने अपने वोटरों से भाजपा के पक्ष में मतदान के लिए कहा है। यह अफवाह तेजी से फैलना जहां चौंका रहा था वहीं इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा था कि बसपा की ओर से जमीनी स्तर पर इसका खंडन नहीं किया जा रहा था। जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिला। बहरहाल, अब माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश भाजपा की ओर से तैयार की गयी यह रिपोर्ट साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा को अपनी रणनीति बनाने में मददगार साबित होगी।
- नीरज कुमार दुबे