ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
जो लोग भारत में मंदी की अफवाहें फैलाते हैं उन्हें राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी जीडीपी के आंकड़ों पर गौर कर लेना चाहिए। विपक्ष के जो लोग सरकार पर आरोप लगाते हैं कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है और बेरोजगारी बढ़ रही है उन्हें तो सबसे पहले एनएसओ के आंकड़ें देखने चाहिए। हम आपको बता दें कि यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। यही नहीं देश में बेरोजगारी भी कम हो रही है क्योंकि सरकार की नीतियों की बदौलत रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके अलावा जीएसटी कलेक्शन का भी देश नया रिकॉर्ड बनाने वाला है यानि विकास परियोजनाओं के लिए पैसा ही पैसा रहेगा। यह भी माना जा रहा है कि आरबीआई ने जो कदम पिछले दिनों उठाये हैं उसके चलते महंगाई भी जल्द ही कम होगी। बहुत-सी वस्तुओं के दामों में तो कमी आने की शुरुआत हो भी चुकी है। जरूरी खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगाने के अलावा जिस तरह दलहनों और चना का आवंटन राज्यों को बढ़ाया गया है उससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। यही नहीं खाद्य तेलों के दामों में कमी के सरकारी प्रयास पहले ही रंग ला चुके हैं।
हालांकि इन अच्छी खबरों के बीच चिंता इस बात की है कि हम तो तेज तरक्की कर रहे हैं लेकिन दुनिया पिछड़ रही है। अगर दुनिया ऐसे ही पिछड़ती रही तो हमारे लिये मुश्किल हो सकती है। यह बात इस आंकड़े से समझिये। चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही वहीं इसी तिमाही में चीन की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है। ऐसा ही हाल दुनिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का है। यदि हमारे और अन्यों के बीच यह अंतर इसी तरह बरकरार रहा तो मुश्किल हो सकती है।
हम आपको यह भी बता दें कि भारत की जीडीपी अब महामारी यानि कोरोना काल से पहले के स्तर से करीब चार प्रतिशत अधिक है। इसके अलावा जिस तरह से वृद्धि को खपत से गति मिली है उससे संकेत मिलता है कि खासकर सेवा क्षेत्र में घरेलू मांग पटरी पर आ रही है। महामारी के असर के कारण दो साल तक विभिन्न पाबंदियों के बाद अब खपत बढ़ती दिख रही है। लोग खर्च के लिये बाहर आ रहे हैं। सेवा क्षेत्र में तेजी देखी जा रही है और आने वाले महीनों में त्योहारों के दौरान इसे और गति मिलने की उम्मीद है। अब जीडीपी आंकड़ा बेहतर होने से रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने पर ध्यान दे सकेगा। उल्लेखनीय है कि खुदरा महंगाई दर अभी आरबीआई के संतोषजनक स्तर यानि छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी निवेश सालाना आधार पर 20.1 प्रतिशत बढ़ा। सरकारी खर्च इस दौरान 1.3 प्रतिशत जबकि निजी खपत 25.9 प्रतिशत बढ़ी है। एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, सकल मूल्यवर्धन इस साल अप्रैल-जून तिमाही में 12.7 प्रतिशत रहा। इसमें सेवा क्षेत्र में 17.6 प्रतिशत, उद्योग में 8.6 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
जहां तक बेरोजगारी के आंकड़ों की बात है तो आपको बता दें कि शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर अप्रैल-जून, 2022 के दौरान सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत से घटकर 7.6 प्रतिशत रह गई है। हम आपको बता दें कि देश में अप्रैल-जून, 2021 में कोविड-19 महामारी से संबंधित प्रतिबंधों के कारण बेरोजगारी दर अधिक थी। लेकिन अब नवीनतम आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि महामारी की छाया से निकलकर अर्थव्यवस्था सुधार की ओर बढ़ रही है। आंकड़े दर्शाते हैं कि शहरी क्षेत्रों में महिलाओं (15 वर्ष और उससे अधिक आयु की) में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून, 2022 में घटकर 9.5 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 14.3 प्रतिशत थी। वहीं शहरी क्षेत्रों में पुरुषों में बेरोजगारी दर एक साल पहले के 12.2 प्रतिशत की तुलना में अप्रैल-जून, 2022 में घटकर 7.1 प्रतिशत रह गई है।
अर्थव्यवस्था के दूसरे मोर्चों की बात करें तो विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि धीमी पड़कर 4.8 प्रतिशत रही जो चिंता का कारण है। इसके अलावा निर्यात के मुकाबले आयात का अधिक होना भी चिंताजनक है। साथ ही विकसित देशों में मंदी की आशंका से आने वाली तिमाहियों में वृद्धि दर की गति धीमी पड़ने की आशंका है।
बहरहाल, इन आंकड़ों पर गौर करें तो माना जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल करने की ओर बढ़ रही है। सरकार को बस चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर बनाए रखना होगा। यह आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में नरमी के संकेतों के बीच भारत की वृद्धि दर बेहतर होने से वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और देश में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
-नीरज कुमार दुबे