ईश्वर दुबे
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Bhilai
लखनऊ में हजरतगंज के चार सितारा होटल लेवाना सुइट्स में बीते सोमवार सुबह भीषण आग के बाद प्रशासन जाग गया। इसकी जांच शुरू हुई तो गड़बड़ियों की परतें खुलने लगीं। घटना न होती तो शायद सब कुछ ऐसे ही चलता रहता। इस होटल में लगी आग में दम घुटने से चार लोगों की मौत हो गई। 16 लोग घायल हो गए। होटल के निर्माण और अवैध रूप से संचालन के लएि कार्रवाई शुरू तो हो गई। मंडलायुक्त ने बिना नक्शा पास कराए चल रहे इस होटल के भवन को गिराने के आदेश भी दे दिए। किंतु क्या अनियमितता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर होटल में चार मरने वालों की हत्या का मुकदमा भी चलेगा। ये अनुमति देने वाले अधिकारी तो इन चारों की मौत के लिए सीधे−सीधे जिम्मेदार हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने जांच के लिए मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब और पुलिस आयुक्त एसबी शिरडकर की कमेटी बनाई है। अब तक इतना ही पता चला कि होटल लेवाना सुइट्स एलडीए के इंजीनियरों और अफसरों की सांठगांठ से बिना नक्शे के ही अवैध तरीके से खड़ा हो गया। मंडलायुक्त ने एलडीए को होटल का अवैध निर्माण तोड़ने का आदेश दिया है। साथ ही होटल संचालन में जिम्मेदार एलडीए के अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई कर रिपोर्ट तलब की है। यही नहीं, यह भी आदेश दिए कि एलडीए ने जिन होटलों के अवैध निर्माण तोड़ने का पूर्व में आदेश किया है, उसे सील किया जाएगा।
एलडीए के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 1996 में बंसल कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम से गुलमोहर अपार्टमेंट बनाने के लिए ग्रुप हाउसिंग का नक्शा पास कराया गया था। कंपनी ने अपार्टमेंट के पास खाली जमीन छोड़ी थी। इस पर ऑफिस बनना था। ग्रुप हाउसिंग सोसायटी बनने के बाद इसका इस्तेमाल वापस आवासीय उपयोग के लिए करना था, लेकिन एलडीए की कृपा से वर्ष 2017 में इसकी जगह होटल लेवाना शुरू हो गया। इसे बनवाने में एलडीए के इलाकाई तत्कालीन अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता एवं अवर अभियंता की सरपरस्ती रही। यही नहीं, इससे पहले गोमतीनगर के होटल सेवीग्रैंड में आग लगने के बाद सात मई को जोन छह के जोनल अधिकारी राजीव कुमार ने होटल लेवाना को नोटिस जारी किया था। इसके जवाब में होटल ने फायर की साल 2021 की एनओसी दिखाई, लेकिन होटल प्रबंधन नक्शा नहीं दिखा पाया। इस पर भी एलडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की।
घटनाएं होती रहती हैं। घटना होने पर शोर मचता है। बाद में धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाता है। पैसे के बल पर सब काम पुराने ढर्रे पर चलता रहता है। चार साल पहले भी राजधानी लखनऊ के एक प्रसिद्ध विराट होटल में भी इसी तरह आग लगी थी। उस वक्त आग में छह लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। तीन लोग गंभीर रूप घायल हुए थे। कुछ दिन शोर मचा फिर सब सामान्य हो गया। दरअसल योगी आदित्यनाथ सख्त हैं। ईमानदार हैं किंतु उनके नीचे का प्रशासनिक अमला तो वही है। नीचे तो अधिकतर बेईमान और रिश्वतखोर बैठे हैं। उन्हें धन चाहिए। कुछ भी करा लीजिए। इस होटल को बिना नक्शा पास हुए फायर की एनओसी मिल गई। कैसे मिल गई? क्या मुफ्त में मिल गई होगी? अब हादसा हो गया तो पता चला।
दरअसल फायर बुझाने वाला ये विभाग एनओसी के नाम पर मोटी कमाई करता है। इसकी रुचि आग बुझाने में नहीं, एनओसी देने में है। नियम से बने नर्सिंग होम, होटल, मॉल और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से भी एनओसी के लिए लाखों रुपये लिए जाते हैं। अग्निशमन यंत्र इनका व्यक्ति आपूर्ति करता है। बिजनौर जनपद के तो फायर आफिसर पर व्यापारी आरोप लगाते रहे हैं कि वे एनओसी देने के लिए मोटी रकम तो लेते ही हैं, यह भी शर्त रहती है कि मांगी गई राशि देने के बावजूद निर्माण उसका ही ठेकेदार करेगा। आप शिकायत किए जाइए।
बिना नक्शा पास कराए ये चार सितारा होटल लेवाना सुइट्स उस लखनऊ में चल रहा था, जहां खुद मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव बैठते हैं। सारे वीवीआईपी के जहां निवास हैं। इससे इतर पूरे प्रदेश में यह सब कैसे चल रहा होगा, इसका आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। वहां किस तरह अनुमति होती होगी, सोचा जा सकता है। अभी सोशल मीडिया पर एक जनपद के एआरटीओ कार्यालय में काम कराने की रेट लिस्ट घूम रही है, तो एक अन्य जनपद के थाने में काम कराने की रेट लिस्ट भी प्रचार में है। अधिकारी किसी की सुनने को तैयार नहीं। उसे तो धन से मतलब है। अभी उत्तर प्रदेश में कृषि, स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग के तबादलों में कथित भ्रष्टाचार सामने आ ही चुका है। खुद उपमुख्यमंत्री को स्वास्थ्य विभाग के तबादलों में गड़बड़ को प्रकाश में लाना पड़ा। पंचायत राज विभाग में तो घोटाले ही घोटाले हैं। पंचायत सचिव की करोड़ों की संपत्ति और पेट्रोल पंप तक चल रहे हैं। अधिकारियों के तो क्या कहने।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों आदेश दिया था कि प्रदेश सरकार के मंत्री और अधिकारी अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करेंगे। किंतु आदेश के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। होना यह चाहिए कि मंत्री, विधायक सांसद और अधिकारियों की संपत्ति की घोषणा के लिए सरकारी साइट हो। जिस पर ये डाटा डाला जाए, वह साइट सबकी नजर में हों, सब देख सकें। योगी जी ने जिस तरह अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई की, उसी तरह भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में अवैध रूप से होटल संचालन के जिम्मेदार अधिकारियों की संपत्ति जब्त करके उन पर होटल में लगी आग में मरने वालों की हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अपराधियों की तरह जब तक भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होगी, भ्रष्टाचार और होटल की आग में जल कर मरने का सिलसिला रुकेगा नहीं।
-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)