ईश्वर दुबे
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Bhilai
हॉरमोन्स को बैलेंस करके पीसीओएस के लक्षणों को भी कंट्रोल करते हैं। बीजों में हेल्दी ओमेगा 3 फैटी एसिड्स होते हैं। हमारा शरीर इन्हें खुद से नहीं बना पाता लेकिन बॉडी फंक्शन के लिए ये काफी जरूरी होते हैं। बीते दिनों एक रिसर्च में नतीजा आया था कि ओमेगा 3 फैटी एसिड्स, विटामिन डी और एक्सरसाइज ये तीन चीजें कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचाने के लिए बेहद जरूरी हैं।
ब्यूटी : बीजों में कॉपर, जिंक, विटामिन ई पाए जाते हैं, इस वजह से लोग इन्हें ब्यूटी बेनेफिट्स के लिए भी खाते हैं। वहीं इनका सबसे बड़े फायदों में से एक है हॉरमोन्स को बैलेंस करना। महिलाओं में खासतौर पर हॉरमोन की गड़बड़ी कई बड़ी समस्याओं की वजह बन जाती है। ऐसे में सीड साइकलिंग काफी पॉप्युलर हो रही है। हॉरमोनल : यह बात विज्ञान भी मान चुका है कि पीरियड्स के फर्स्ट फेज कुछ खास बीज और दूसरे फेज कुछ खास तरह के बीज खाने से हॉरमोन्स रेग्युलेट होते हैं। इनके अलावा हॉरमोन से जुड़ी कई और समस्याएं जैसे ऐक्ने, बाल झड़ना, पीरियड पेन, मूड स्विंग वगैर में भी राहत मिलती है।वैसे तो कटहल से लेकर खरबूजे और तरबूज तक के बीज सेहत के लिए अच्छे होते हैं। सीड साइकल में आते हैं, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, तिल के बीज, अलसी के बीज या फ्लैक्स सीड और चिया सीड्स। सीड साइकलिंग से जुड़ी कोई साइंटिफिक रिसर्च नहीं है। हालांकि लंबे वक्त से लोग इन्हें ले रहे हैं और फायदे भी बता रहे हैं। इन सीड्स को खाने में कोई खास नुकसान भी नहीं तो ट्राई किया जा सकता है।फेज 1 : सीड साइकल के फेज वन में आपको एक चम्मच कच्चे पिसे हुए कद्दू के बीच, और एक चम्मच पिसे अलसी के बीज लेने हैं। ज्यातार लोगों का फेज वन 2 हफ्ते यानी 14 दिन तक चलता है।
फेज 2 : फेज 2 में रोजाना 1 चम्मच कच्चे पिसे सूरजमुखी के बीज और एक चम्मच कच्चे पिसे तिल के बीज लेने हैं। ये फेज 2 के पहले दिन से अगले पीरियड के पहले दिन तक लेने हैं।
चिया सीड्स भले सीड साइकल का हिस्सा नहीं है लेकिन इनकी न्यूट्रीशनल वैल्यू काफी ज्यादा होती है। ये फाइबर रिच होते हैं साथ ही ओमेगा 3 फैटी एसिड काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। ये वेट कंट्रोल करने में मदद करते हैं। वजन कम करना हॉरमोनल बैलेंस का अहम हिस्सा है। अगर आप किसी तरह की दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर से कंसल्ट करके ही बीज लेना शुरू करें।