ईश्वर दुबे
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Bhilai

पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत इस ट्रेन को विशेष रूप से बुलेट ट्रेन के मॉडल पर तैयार किया गया है।

ट्रेन को शताब्दी ट्रेनों के रूट पर चलाने की कोशिश है। साथ ही इनके संचालन के बाद यात्रा के समय को 10-15 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

रेल अधिकारियों के मुताबिक, इस खास ट्रेन को 140 से 220 किमी की रफ्तार से चलाया जा सकेगा।

ट्रेन 18 की सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको दूसरी अन्य ट्रेनों की तरह इंजन नहीं दिखेगा। जिस पहले कोच में ड्राइविंग सिस्टम लगा है, उसमें 44 सीटें भी हैं।

ट्रेन के निर्माण पर करीब 100 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जिसे 18 महीने के समय में तैयार कराया गया है।

इस अत्याधुनिक और सेमी हाई स्पीड ट्रेन को महज 18 महीनों में पूरी तरह तैयार कर लिया गया।

इस ट्रेन को अगर विदेश से इंपोर्ट किया जाता तो इसकी लागत करीब 170 करोड़ रुपये तक होती, लेकिन मेक इन इंडिया के तहत ट्रेन को करीब 100 करोड़ में ही तैयार कर लिया गया।

ट्रेन के कोच में स्पेन से मंगाई विशेष सीट भी लगाई गई है, जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर 360 डिग्री तक मूव किया जा सकता है।

इससे पहले ट्रायल के लिए इसे मुरादाबाद-बरेली और कोटा-सवाई माधोपुर रूट पर ट्रायल होना है। आनेवाले वक्त में इस ट्रेन को देश के प्रमुख रेलखंडों पर चलाया जाएगा।