ईश्वर दुबे
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Bhilai
रामायण की कहानी के बारे में हम सभी जानते हैं। शायद ही ऐसा कोई हो जिसे इस बारे में न पता नहीं। असत्य पर सत्य की विजय की ये कहानी आज भी हमें बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देती है। भगवान राम ने रावण का वध कर उसे उसकी पापों की सजा दी। इतना तो हम सभी ने टेलीविजन के पर्दे पर देखा है और पढ़ा भी है, लेकिन क्या आपको पता है कि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी यानि कि रावण की पत्नी का क्या हुआ था? आज हम इस बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
मंदोदरी हमेशा रावण को गलत काम करने से रोकती थी। यहां तक कि जब रावण माता सीता को हरण कर लंका लेकर आया था तब भी मंदोदरी ने उसे समझाया था कि वो उन्हें वापस लौटाकर आए, लेकिन रावण ने किसी की एक न सुनी और बाद में उसे इसका फल भी भुगतना पड़ा।
रावण के वध के बाद मंदोदरी युद्ध भूमि पहुंचती है। वहां अपने पति-पुत्र के शवों को देखकर उसे बहुत दुख होता है। मंदोदरी शोक में पूरी तरह से डूब जाती है। इस स्थिति में प्रभू श्रीराम मंदोदरी को याद दिलाते हुए कहते हैं कि, वो अभी भी बलशाली रावण की विधवा और लंका की महारानी है।
मंदोदरी वापस लंका तो लौट आती है, लेकिन उसके लिए इस गम को भूला पाना आसान नहीं होता है। वो खुद को महल में कैद कर बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह से समाप्त कर देती है। इस दौरान विभीषण लंका का राजपाट संभालते हैं।
सालों बाद मंदोदरी अपने महल से बाहर निकलती है। तब तक वो काफी काफी हद तक संभल चुकी होती है। राजनीतिज्ञ मंदोदरी को विभीषण से विवाह कर लेने की सलाह देते हैं जिसे वो मान लेती है और विभीषण से शादी कर लेती है। इसके बाद मंदोदरी विभीषण के साथ मिलकर अपने साम्राज्य को आगे बढ़ाने के काम में जुट जाती है। यह थी वो कहानी जिसके बारे में हम में से अधिकतर लोगों को नहीं पता था क्योंकि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी के अध्याय को जैसे समाप्त ही कर दिया गया था। उनका मुश्किल से ही कहीं जिक्र मिलता है।