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इतिहास में दर्ज हुआ: हिम्मत का दूसरा नाम बनी ‘हिमा दास’ - 19 दिन और 5 गोल्ड मेडल हिमा के लिए जुलाई पूरी तरीके से गोल्डन रहा Featured

आइये जानते हैं हिमा के 5 गोल्ड मेडल का सफरनामा Read

  1. पोजनान एथलेटिक्स 2019 : 2 जुलाई को हिमा नें पोजनान एथेलीक्स ग्रैंड पिक्स में 200 मीटर रेस में हिस्सा लिया, जिसमें 23.65 सेकंड्स में रेस पूरा किया और गोल्ड जीता.
  2. पुटोनो एथलेटिक्स मीट 2019 : इसके 5 दिन के बाद पोलैंड में 7 जुलाई को हिमा नें पुटोनो एथलेटिक्स मीट पोलैंड में हिस्सा लिया. जिसमें इन्होनें 23.97 सेकंड्स में रेस पूरा किया, और फिर से एक गोल्ड मेडल जीता.
  3. 13 जुलाई को चेक रिपब्लिक में हुई मेमोरियल अथेलिक्स में फिर से 200 मीटर रेस में गोल्ड जीता.
  4. 17 जुलाई को एक बार फिर गोल्ड जीतते हुए अपना चौथा गोल्डमेडल जीता.
  5. सिर्फ तीन दिन के बाद यानि 20 जुलाई को एक और प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता.

कैसे शुरू हुआ हिमा का कैरियर

  • सबसे पहले सन 2014 में एक अन्तर स्कूल प्रतियोगिता में नवोदय विद्यालय के ट्रेनर संस उल हक नें हिमा की प्रतिभा को समझा. उन्होनें हिमा को ट्रेनर गौरी शंकर रॉय से मिलवाया. जिन्होनें हिमा को बाद में खेल एवं युवा कल्याण निदेशालय के कोच निपुण दास और नाबोजित कौर से मिलवाया. हिमा पर इन दोनों कोच का भरोसा बहुत ज्यादा था. हिम को इन्होनें नैरोबी में 2017 के यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा दिलानें के लिए उन्होनें क़र्ज़ ले लिया, और हिमा को नैरोबी में रेस में हिस्सा दिलानें के लिए भेजा. हिमा नें जीत के बाद अपनें घर में फ़ोन किया, उनके घर वालों को कुछ समझ भी नहीं आया कि उनकी बेटी नें क्या कर दिया है. उस समय उनके घर वालों के सोने का समय हो गया था, इसपर हिमा नें कहा था, कि ठीक है सो जाओ मैनें दुनिया में हंगामा मचा दिया है और तुम ओग सोते रहो. ये पूछनें पर कि क्या हुआ तो हिमा नें कहा की सुबह पता चलेगा. सुबह जब उनके पिता अपनी ककड़ी बेचनें बाज़ार की ओर जा रहे थे तो अलग अलग समाचार चैनलों की गाड़ियों का काफिला अपनें घर की तरफ बढ़ते देखा, और ख़ुशी से चिल्ला उठे. हिमा नें अपनी एक इंटरव्यू में बाते था कि वो पल उनके लिए बहुत ही गौरवशाली था.
  • हिमा के परिवार में 17 लोग हैं. उनका परिवार 60 बीघा ज़मीन पर खेती करता है, मछली पालन का कार्य करता है. हिमा को चावल और मछली खाना पसंद है.
  • हिमा हमेशा से ही समाज और अपनें देश के लिए कुछ करना चाहती थी, 2013 में हिमा नें एक ग्रुप बनाया था, जिसके तहत वे असम में बढ़ रहे अपराध, बाढ़ पीड़ितों के बदतर हालात और नशे की अवैध दुकानों की खिलाफत के लिए मुहीम, ‘मेरी चाहत’ ग्रुप के माध्यम से लोगों को जागरूक करनें की कोशिश की थी.
  • इसी वर्ष हिम नें कक्षा 12 की परीक्षा में फर्स्ट डिवीज़न हासिल किया था.

 

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Last modified on Monday, 22 July 2019 12:14

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