ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
मेलबर्न । पिछले पांच सालों में भारतीय क्रिकेट ने बेहतर खिलाड़ियों से ज्यादा कप्तानों को जन्म दिया है, जिससे टीम में नेतृत्व को लेकर असमंजस बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम को एक सेनापति के बजाय कई सेनापति अपनी-अपनी दिशा में सेना को चलाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस संकट का असर अब आगामी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में देखने को मिल सकता है, जहां भारतीय टीम संभावित रूप से सात कप्तानों के साथ मैदान में उतरेगी। टीम इंडिया के नियमित कप्तान रोहित शर्मा के साथ विराट कोहली, हार्दिक पांड्या, जसप्रीत बुमराह, सूर्यकुमार यादव, ऋषभ पंत और संभावित तौर पर केएल राहुल जैसे खिलाड़ी भी दुबई जाने वाली टीम में शामिल होंगे। ये सभी खिलाड़ी किसी न किसी समय भारतीय टीम की कप्तानी कर चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब एक टीम में इतने कप्तान हों, तो क्या सभी एक पेज पर आ पाएंगे? भारतीय क्रिकेट में कप्तानी को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम में चार कप्तान थे, जिनमें से दो ने अलग-अलग मौकों पर टीम का नेतृत्व किया। खबरें यहां तक थीं कि एक और खिलाड़ी कप्तानी की महत्वाकांक्षा रखता था। अब चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट में सात कप्तानों की मौजूदगी टीम के लिए रणनीतिक और सामंजस्य का बड़ा चैलेंज बन सकती है। 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी। उस वक्त टीम में सिर्फ एक ही लीडर था, जिसने खिलाड़ियों को एक दिशा में संगठित रखा। इसके बाद से खिलाड़ियों की फिटनेस और क्रिकेट कैलेंडर की व्यस्तता के कारण कप्तानों में बदलाव बढ़ा, जिससे टीम में नेतृत्व की स्थिरता कम हो गई।