जन्मजात नागरिकता के अधिकार को समाप्त कर सकता है अमेरिका Featured

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि गैर अमेरिकी नागरिकों के बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने के साथ ही मिलने वाली नागरिकता के अधिकार को खत्म करने के लिये किसी संविधान संशोधन की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे शासकीय आदेश के जरिये भी किया जा सकता है। आप्रवासन के मुद्दे पर कठोर रुख अपनाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को गैर अमेरिकी माता-पिता से अमेरिका में जन्मे बच्चों को स्वत: मिलने वाली नागरिकता के अधिकार को खत्म करने के लिये शासकीय आदेश का रास्ता अपनाने की अपनी मंशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि जन्मजात नागरिकता ‘‘समाप्त करनी होगी।’’
 
ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जन्मजात नागरिकता बहुत महत्वपूर्ण विषय है। मेरी राय में जैसा लोग सोचते हैं उससे कम जटिल है। मेरा मानना है कि संविधान में यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वे जिस प्रक्रिया के बारे में बात कर रहे हैं उससे गुजरने की जरूरत नहीं है।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आपको जन्मजात नागरिकता के लिये संविधान संशोधन की जरूरत नहीं है। मेरा मानना है कि इसे कांग्रेस में साधारण मतदान के जरिये भी किया जा सकता है। कुछ बेहद प्रतिभाशाली विधि के जानकारों से मुलाकात करने के बाद मेरी राय में इसे शासकीय आदेश के जरिये भी किया जा सकता है।’’
 
साथ ही ट्रंप ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता कांग्रेस (संसद) के जरिये बदलाव करने की होगी क्योंकि यह स्थायी होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस के जरिये इसे करूंगा क्योंकि यह स्थायी होगा। लेकिन मेरा वाकई मानना है कि हम इसे शासकीय आदेश के जरिये भी कर सकते हैं।’’ट्रंप ने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला उच्चतम न्यायालय करेगा। इस बीच, जन्मजात नागरिकता के मुद्दे पर अमेरिकी सांसदों की तरफ से ट्रंप की आलोचना जारी है।
 
सीनेटर पैट्रिक लीही ने कहा, ‘‘इस तरह की नागरिकता 14 वें संशोधन में स्पष्ट रूप से शामिल है और राष्ट्रपति के फरमान के जरिये इसे समाप्त नहीं किया जा सकता। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप उसे नहीं समझते या उसका खयाल नहीं रखते क्योंकि उन्होंने जाहिर तौर पर निर्णय कर लिया है कि आप्रवासी विरोधी भावनाओं का फायदा उठाने के लिए संविधान को पलटने की धमकी देना अच्छी राजनीति है।’’कांग्रेस सदस्य शीला जैक्सन ली ने कहा कि यह मतदाताओं को डराने का एक और प्रयास है क्योंकि इसके लिये संविधान में कोई आधार नहीं है।
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