पहले गोडसे को लेकर मचाया बवाल, अब पूरी कांग्रेस को आपस में लड़वाया, आखिर हैं कौन ये बाबूलाल चौरसिया Featured

ग्वालियर. पहले महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) का मंदिर बनाकर और जलाभिषेक कर बवाल मचा चुके बाबूलाल चौरसिया ने फिर हंगामा मचवा दिया है. इस बार ऐसा हंगामा मचवाया है कि मध्य प्रदेश की पूरी की पूरी विपक्ष पार्टी खुद ही नहीं समझ पा रही कि करें तो क्या करें? क्योंकि बाबूलाल ने दोबारा कांग्रेस में एंट्री की है, और वह भी राजधानी आकर पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमलनाथ के सामने.

मजेदार बात यह है कि कांग्रेस के एक धड़ा बाबूलाल की खिलाफत कर रहा है, तो एक धड़ा चुप है. चुप्पी इसलिए क्योंकि बाबूलाल को कोई और नहीं बल्कि ग्वालियर दक्षिण सीट से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ही लेकर आए हैं. इसलिए शायद कमलनाथ भी चुप हैं. बाबूलाल वार्ड 44 से पार्षद हैं. और ये वार्ड विधायक के विधानसभा क्षेत्र में ही आता है. कमाल की बात ये भी है कि वार्ड 44 हिंदू महासभा का गढ़ है.

बाबूलाल का माजरा आखिर है क्या

गौरतलब है कि पुराने कांग्रेसी बाबूलाल को पार्टी ने 2015 में पार्षद का टिकट नहीं दिया था. इससे नाराज होकर उन्होंने हिंदू महासभा ज्वॉइन की और जीते. दो साल बाद बाबूलाल अचानक चर्चा में आ गए. चर्चा इसलिए क्योंकि 15 नवंबर 2017 को इन्होंने ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया. केवल मंदिर ही नहीं बनाया, बल्कि जलाभिषेक भी किया. हालांकि, प्रशासन ने एक हफ्ते बाद ही मूर्ति जब्त कर ली थी.

मुझे नहीं पता था मूर्ति गोडसे की है : चौरसिया

बाबूलाल ने कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद इसे घर वापसी बताया. उन्होंने कहा- वह पहले भी कांग्रेस के थे. अपनी विचारधारा में वापस लौटे हैं. उन्हें टिकट का लालच नहीं है. अगर कांग्रेस नगर निकाय में जिम्मेदारी देगी तो पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा ने उन्हें गोडसे को लेकर धोखे में रखा. उन्हें नहीं पता था कि जिस मूर्ति की वो पूजा कर रहे हैं, वो गोडसे की थी.

आपस में इस तरह लड़ी कांग्रेस

बाबूलाल के कांग्रेस में आते ही कांग्रेस आपस में लड़ बैठी है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने तो महात्मा गांधी ‘बापू’ से क्षमा मांग ली. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘बापू हम शर्मिंदा हैं...’ कमाल की बात यह है कि उन्होंने सोशल मीडिया के इस संदेश पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को तो टैग किया, लेकिन कमलनाथ को टैग नहीं किया. बता दें कि इस मसले पर कमलनाथ की अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है. उन्होंने एक लेटर भी लिखा, जिसमें उन्होंने कमलनाथ को खरी-खरी सुनाई है. हालांकि, कमलनाथ इस मामले पर अभी तक चुप हैं.

कमलनाथ को अंधेरे में रखा- अग्रवाल

दूसरी ओर कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने कहा कि पीसीसी चीफ कमलनाथ को धोखे में रख बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई. इस बारे में पार्टी को सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए. गांधी के हत्यारे की पूजा करने वालों की पार्टी में कोई जगह नहीं होनी चाहिए.

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