ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर मोदी कैबिनेट की बैठक संसद भवन के एनक्सी बिल्डिंग में शुरू हो चुकी है। आज ही इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट मंजूरी दे सकती है। सरकार शीतकालीन सत्र में ही इस बिल को पारित करवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। हालांकि एनआरसी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक के कई प्रावधानों को लेकर विपक्ष पुरजोर विरोध करने की तैयारी में लगा हुआ है।
इस बिल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संसद में पेश करेंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बिल का विरोध करेंगे। इससे संसद के दोनों सदनों में हंगामे के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं।
दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने का विधेयक राज्यसभा में आज होगा पेश
आवासन एवं शहरी विकास राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी दिल्ली की 1700 से अधिक अनधिकृत कालोनियों को नियमित कर इनमें स्थानीय निवासियों को संपत्ति का मालिकाना हक़ देने वाला विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पेश करेंगे।
राज्यसभा की संशोधित कार्यसूची के अनुसार पुरी ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र दिल्ली (अप्राधिकृत कालोनी निवासी संपत्ति अधिकार मान्यता) विधेयक 2019’ को उच्च सदन में चर्चा और पारित कराने के लिये पेश करेंगे।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली की 1731 अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने वाले इस विधेयक को लोकसभा पिछले सप्ताह मंज़ूरी दे चुकी है।
क्या है नागरिकता कानून जिसे बदलना चाहती है सरकार
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च (PRS Legislative Research) के अनुसार, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में पहली बार पेश किया गया था। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने इस साल जनवरी में इस पर अपनी रिपोर्ट दी है।
अगर यह विधेयक पास हो जाता है, तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे। इसके अलावा इन तीन देशों के सभी छह धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के नियम में भी छूट दी जाएगी। ऐसे सभी प्रवासी जो छह साल से भारत में रह रहे होंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिल सकेगी। पहले यह समय सीमा 11 साल थी।
विधेयक पर क्यों है विवाद?
इस विधेयक में गैरकानूनी प्रवासियों के लिए नागरिकता पाने का आधार उनके धर्म को बनाया गया है। इसी प्रस्ताव पर विवाद छिड़ा है। क्योंकि अगर ऐसा होता है तो यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, जिसमें समानता के अधिकार की बात कही गई है।