newscreation

newscreation

नयी दिल्ली। मोदी सरकार पर इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास करने के कांग्रेस के आरोप पर पलटवार करते हुए भाजपा ने सोमवार को कहा कि नेताजी, सरदार पटेल, बाबा साहब आंबेडकर जैसे महापुरूषों के सम्मान पर विपक्षी दल को ऐतराज क्यों हो रहा है? भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने यहां कहा, ‘‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जैसे महापुरूषों का सम्मान किये जाने का तो कांग्रेस को स्वागत करना चाहिए। लेकिन उसे इस पर ऐतराज है, क्यों?’’

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास नहीं कर रही है, बल्कि इन महापुरुषों के साथ जो नाइंसाफी हुई, जिस प्रकार इन्हें कांग्रेस ने भुलाने का काम किया, उसे दूर करते हुए उन्हें सम्मान देने का प्रयास किया जा रहा है। हुसैन ने कहा कि 75 साल में पहली बार, अखंड भारत की पहली सरकार को सम्मानपूर्वक, समारोह में याद किया गया। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि नेताजी की तरह ही सरदार पटेल और बाबा साहब आंबेडकर का योगदान भुलाने की कोशिश की गई। 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की याद में ‘‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’’ का अनावरण किया जा रहा है।
 
आरएसएस का योगदान 
स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस के योगदान पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाने के विषय पर हुसैन ने कहा कि कांग्रेस के लिये एक ही परिवार का योगदान मायने रखता है जबकि आजादी की लड़ाई में नागरिक होने के नाते अनेकानेक लोगों ने योगदान दिया और देश से मोहब्बत रखने वाला संगठन होने के नाते संघ ने भी योगदान दिया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धरोहर हथियाने के लिए 'षडयंत्रपूर्ण प्रयास' करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा था कि भाजपा इतिहास फिर से लिखने के लिए व्याकुल है।

कांग्रेस का सवाल
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि 'व्याकुल भाजपा इतिहास फिर से लिखने की कोशिश कर रही है और सरदार पटेल एवं जवाहरलाल नेहरू के बीच तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं नेहरू के बीच एक काल्पनिक प्रतिद्वंद्विता पैदा कर रही है। इसने शुभ अवसरों का इस्तेमाल ओछे राजनीतिक हथकंडों के लिए किया है।’
 

इंदौर। मध्यप्रदेश में लगातार चौथी बार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही सत्तारूढ़ भाजपा की चुनावी यात्रा रविवार को सूबे की आर्थिक राजधानी इंदौर पहुंची। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रोडशो करते हुए मतदाताओं से समर्थन मांगा। चश्मदीद लोगों ने बताया कि भाजपा की "जन आशीर्वाद यात्रा" के तहत शिवराज शहर के वैशाली नगर से अपने चुनावी रथ (विशेष वाहन) में सवार हुए। यह रथ शहर के अलग-अलग इलाकों से गुजरा। चुनावी मुहिम पर निकले मुख्यमंत्री रोडशो के दौरान अधिकांश समय रथ की लिफ्ट पर दिखायी दिये। उन्होंने हाथ हिलाकर और हाथ जोड़कर जनता का अभिवादन किया। भाजपा ने 28 नवम्बर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिये फिलहाल अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किये हैं। लिहाजा चुनावी टिकट के कई स्थानीय दावेदारों ने शिवराज के रोड शो के रास्ते में जगह-जगह अपने स्वागत मंच लगाकर मुख्यमंत्री के सामने शक्ति प्रदर्शन किया। 

इंदौर, भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आसन्न विधानसभा चुनावों के मद्देनजर छह अक्टूबर को पार्टी के "महा जन सम्पर्क अभियान" की शुरूआत इंदौर से ही की थी। इंदौर की शहरी सीमा में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं। वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पांचों सीटें जीती थीं। 

 

जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का रिमोट गाँधी परिवार के चार लोगों के हाथ में है जबकि भाजपा का रिमोट उसके कार्यकर्ताओं के हाथ में है। भाजपा जो भी कार्य करती है, वह कार्यकर्ताओं की सहमति से ही करती है। राजे ने कहा कि कांग्रेस घबराई हुई है, इसलिए राहुल गांधी को विधानसभा स्तर की बैठकें करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 

राहुल पर वार
वसुंधरा ने कहा कि अच्छा है राहुल विधानसभा स्तर की ज्यादा से ज्यादा बैठकें करें क्योंकि वे जहां-जहां जाएंगे, वहां भाजपा और अधिक मजबूत होगी। जयपुर में रायशुमारी के दूसरे चरण के दूसरे दिन कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए राजे ने राहुल गाँधी का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गाँधी ने जहाँ-जहाँ भी सभाएं की हैं, वहाँ ‘‘कमल’’ ही खिलेगा।
कांग्रेस के 50 साल और भाजपा के वर्तमान पांच साल के कार्यों में जमीन और आसमान का अन्तर देखने को मिलेगा। राजे ने कहा कि भाजपा ने कम से कम राहुल गांधी को मंदिरों में जाना तो सीखा दिया। आज वो लोग मंदिर जाने लगे हैं जो हमारे मंदिर जाने पर सवाल उठाते थे। कहते थे, इनकी सरकार तो भगवान भरोसे चलती है। हां मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मेरी सरकार भगवान के आशीर्वाद से ही चलती है।
 
गिनाए विकास कार्य
उन्होंने कहा कि भाजपा ने वर्तमान 5 वर्षों में जितने विकास कार्य किए हैं, कांग्रेस ने अपने 50 साल में अब तक नहीं किये। भाजपा के विकास कार्यों का आज के दौर में चहुँ ओर गुणगान हो रहा है। यही बात लेकर कार्यकर्ता जनता के मध्य जाएं। निम्न से लेकर उच्च वर्ग भी भाजपा की लोककल्याणकारी योजनाओं से बेहद खुश हैं। एक बार कांग्रेस-एक बार भाजपा की बात को नकारते हुए राजे ने कहा कि ‘‘मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करती हूँ।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में जिस तरह विकास हुआ है, ठीक उसी तरह राजस्थान में भी विकास हुआ है एवं इन विकास कार्यों के दम पर राजस्थान में भी लगातार भाजपा अपनी जीत का परचम फिर से लहराएगी।’’ 
 
 
रायशुमारी कार्यक्रम में दूसरे दिन आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर 35 विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से एक सील बंद बाक्स में सुझाव लिए गए। भीलवाड़ा की 7, नागौर शहर की 5, नागौर देहात की 5, झुन्झुनूं की 7 एवं अलवर शहर की 11 विधानसभाओं से बुलाए गए अपेक्षित पदाधिकारियों से रायशुमारी की गई। 
 
औरों ने क्या कहा
इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार ने जो विकास कार्य किये हैं, इनके चलते हम पुनः सरकार बनायेंगे। हमारा सक्षम नेतृत्व और सक्रिय कार्यकर्ताओं के दम पर हम प्रदेश में पूरे 5 वर्ष जनता में सक्रिय रहे हैं। भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो कि कार्यकर्ताओं की रायशुमारी के साथ ही अपने उम्मीदवारों का चयन करती है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने कार्यकर्ताओं को चुनावी मूल मंत्र देते हुए कहा कि कार्यकर्ता अपनी ताकत पहचानें और आत्मविश्वास के साथ अपने-अपने क्षेत्रों में जायें एवं एक नया इतिहास बनायें। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार में जो प्रधानमंत्री थे, उन्हें ढूंढना पड़ता था। आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं और देश के लिए हर मोर्चे पर डटे रहते हैं। 
 
भाजपा के राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री वी. सतीश ने कहा कि आज ही के दिन वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी। तब से लेकर अब तक पहले जनसंघ व अब भाजपा की ऐतिहासिक व गौरवमयी यात्रा जारी है। इस अवसर पर केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री एवं प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, सी.आर. चौधरी, अर्जुनराम मेघवाल, सहित राजे मंत्रिमंडल के कई सदस्य उपस्थित थे।
  • दो पहिया में एक लगेगा और चार पहिया वाहनों में बिना अनुमति झंडे नहीं लगेंगे 
  • शासकीय संपत्ति पर पोस्टर, बैनर तो मिलेगा नोटिस, निजी पर अनुमति जरूरी

दुर्ग. किसी एक जगह पर वाहन खड़े कर लाउडस्पीकर से चुनाव प्रचार करने पर वाहन और साउंड सिस्टम को जब्त किया जाएगा। प्रत्याशियों को घूमते वाहनों में लाउड स्पीकर से चुनाव प्रचार करना होगा। कलेक्टर ने चुनाव आयोग के निर्देशों की जानकारी देते हुए सेक्टर अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देशों का पालन करने कहा। 

निर्देश जारी : अफसर देंगे एरिया रिपोर्ट, शिकायत सेल का किया गया गठन

  1.  

    कलेक्टर उमेश अग्रवाल और एसपी संजीव शुक्ला ने संयुक्त बैठक में कहा कि सेक्टर अधिकारी और क्षेत्र के पुलिस अधिकारी को इलाके की पूरी जानकारी होना चाहिए। दोनों अफसर संयुक्त रूप से भ्रमण कर अपने क्षेत्र की रिपोर्ट दें। क्षेत्र में संपत्ति विरूपण की कार्रवाई के साथ चुनाव के दौरान आचार संहिता के सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करने कहा गया।

     

  2.  

    कलेक्टर ने कहा कि निजी संपत्ति पर चुनाव प्रचार करने संपत्ति मालिक की अनुमति जरूरी है। शासकीय भवन पर संपत्ति विरूपण होने पर संबंधित विभाग को नोटिस दिया जाएगा। राजनीतिक दलों को सभा, रैली, वाहन आदि के लिए निर्वाचन कार्यालय से अनुमति लेना जरूरी है। आयोग के निर्देश पर दोपहिया वाहन में एक झंडा लगाया जा सकता है। चार पहिया वाहन में बिना अनुमति के झंडे नहीं लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि शिकायतों का निराकरण करने शिकायत सेल का गठन किया गया है। 

     

  3. 11 नवंबर को ईवीएम की होगी कमीशनिंग 

     

    मतदान के 5 दिन पहले बीएलओ के माध्यम से क्षेत्र के मतदाताओं को मतदाता पर्ची का वितरण किया जाएगा। मतदान केन्द्रों में दिव्यांगों के लिए व्हील चेयर, दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों के लिए मतदाता सूची ब्रेल लिपि में देने की व्यवस्था करने कहा। कलेक्टर ने बताया उम्मीदवार तय होने के बाद आगामी 11 नवम्बर को ईवीएम, वीवीपेट की कमीशनिंग की जाएगी। 

     

  4. राजनीतिक दलों को बूथ 200 मीटर दूर रहेगा 

     

    कलेक्टर ने कहा, सेक्टर अधिकारी मतदान केंद्र से 2 सौ मीटर की दूरी का चिन्हांकन अभी से कर लें। राजनैतिक दलों का बूथ 2 सौ मीटर से बाहर होना चाहिए। बूथ में एक टेबल, दो कुर्सी और छतरी होना चाहिए। मतदान के दिन 100 मीटर एरिया में मतदाता के अलावा दूसरे व्यक्ति नहीं रहेंगे। 

     

  5. इधर, निर्वाचन के लिए कंट्रोल रूम स्थापित 

     

    विधानसभा चुनाव के लिए 2018 के तहत कलेक्टोरेट परिसर स्थित शासकीय अभिभाषक कक्ष में निर्वाचन कंट्रोल रूम एवं शिकायत सेल स्थापित किया गया है। कंट्रोल रूम का टेलीफोन नंबर 0788-2323655 है। कंट्रोल रूम का प्रभारी अधिकारी डिप्टी कलेक्टर अरूण वर्मा को बनाया गया है। वर्मा का मोबाइल नंबर 8085652929 है। 


    सेक्टर और पुलिस के अफसर संकट मोचक 
    पुलिस अधीक्षक डाॅ. संजीव शुक्ला ने कहा कि शांतिपूर्ण मतदान प्रक्रिया में सेक्टर और पुलिस अधिकारियों को संकट मोचक की तरह काम करना है। अधिकारी सतर्क होकर काम करें। नामांकन तिथि के पहले थाना प्रभारी और सेक्टर मजिस्ट्रेट संबंधित क्षेत्र का भ्रमण कर लें। उन्होंने बताया कि जिले में 854 मतदान केंद्रों को संवेदनशील माना गया है। संयुक्त भ्रमण में के दौरान अधिकारी ऐसे मतदान केन्द्रों को चिन्हांकित करें। मतदान केन्द्र में बाउंड्रीवाल नहीं होने पर बेरिकेडिंग कराने प्रस्ताव देने कहा गया। 


    शहर के 15 स्थानों पर लगेगी चेक पाइंट 
    रैली सभा, वाहन की अनुमति देने डिप्टी कलेक्टर हेमलता चंदेल को अधिकृत किया गया है। अनुमति प्राप्त वाहनों में ओरिजनल अनुमति पत्रक चस्पा होना जरूरी है। एसपी ने बताया िक पुलिस ने 15 स्थानों पर चेकिंग पाइंट बनाया है। मतदान के 48 घंटे पहले प्रचार के लिए दूसरे प्रांतों या क्षेत्रों से आए बाहरी लोगों को शहर छोड़ना होगा। पुलिस विभाग के सभी अधिकारी, कर्मचारियों को शत प्रतिशत मतदान करने पोस्टल बैलेट के आवेदन अभी से करने के निर्देश दिए। बैठक में सी विजिल एप के संबंध में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। 

  • पाटन और महासमुंद से रायपुर के एकात्म परिसर पहुंचे कार्यकर्ता, बाहर धरने पर बैठे
  • बाहरी प्रत्याशी को हटाने की मांग, सामूहिक इस्तीफे की दी धमकी, पुलिस फोर्स तैनात

 भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। एक ओर जहां कई विधायकों के टिकट कटने से उनके समर्थकों में नाराजगी है, वहीं हारे हुए नेताओं को फिर टिकट देने पर गुस्सा भी है। ऐसे में बाहरी व्यक्तियों को टिकट देने के पार्टी के फैसले के खिलाफ भड़के पाटन क्षेत्र के तमाम कार्यकर्ताओं ने रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंच जमकर हंगामा कर रहे है।

कार्यकर्ताओं ने मोती लाल वापस जाओ के लगाए नारे

  1.  

    पाटन से तमाम कार्यकर्ता रविवार शाम राजधानी स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय एकात्म परिसर पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया। नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे सैंकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मोतीलाल वापस जाओ का नारा लगा रहे हैं। उनके इस प्रदर्शन में महासमुंद से आए कार्यकर्ता भी शामिल हो गए और बाहर धरना पर बैठ गए हैं। 

     

  2.  

    दरअसल, पाटन से भाजपा ने मोतीलाल साहू को टिकट दिया है। मोतीलाल को टिकट देने से नाराज स्थानीय भाजपा नेताओं ने उनका विरोध शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारी भूपेश बघेल के खिलाफ स्थानीय उम्मीदवार उतारने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमें बाहरी प्रत्याशी नहीं चाहिए। 

     

  3.  

    प्रदर्शन कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाटन कांग्रेस का गढ़ रहा है। ऐसे में यहां किसी मजबूत उम्मीदवार को टिकट दिया जाना चाहिए था। बाहरी व्यक्ति होने से उसे पूरा सहयोग नहीं मिलेगा। स्थानीय को टिकट मिले, जिससे हमें जीत मिल सके। 

     

  4.  

    कार्यकर्ताओं ने मोतीलाल की जगह स्थानीय प्रत्याशी को टिकट ने मिलने पर सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी पार्टी को दी है। इससे पहले कार्यकर्ता कुशाभाऊ ठाकरे परिसर भी पहुंचे और वहां मौजूद नेता नंद कुमार साय से बात करने का भी प्रयास किया। जब साय कार से जाने लगे तो कार्यकर्ताओं ने वहां भी उनका घेराव कर दिया। वहीं हंगामे के बाद भाजपा कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। 

     

 

नयी दिल्ली। साल 1943 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा ‘आजाद हिंद सरकार’ के गठन की घोषणा करने के 75 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत कभी किसी दूसरे के भू-भाग पर नजर नहीं डालता, लेकिन यदि उसकी संप्रभुता को चुनौती दी गई तो वह ‘‘दुगुनी ताकत’’ से पलटवार करेगा। प्रधानामंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार सशस्त्र बलों को बेहतर प्रौद्योगिकी और नवीनतम हथियारों से लैस करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बेहतर सुविधाएं मुहैया कराकर जवानों की जिंदगी आसान बनाने की कोशिशें चल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसी फौज बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं जिसका सपना नेताजी (बोस) ने देखा था।’’ 

 
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करने और पूर्व सैनिकों के लिए ‘वन रैंक, वन पेंशन’ योजना लागू करने जैसे फैसले किए। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर लाल किला में राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया। बोस के करीबी सहयोगी लालती राम की ओर से भेंट की गई ‘आजाद हिंद फौज’ की टोपी पहनकर मोदी ने कहा कि किसी दूसरे के भू-भाग पर नजर डालना भारतीय परंपरा नहीं रही है, ‘‘लेकिन जब हमारी संप्रभुता को चुनौती दी जाएगी तो हम दुगुनी ताकत से पलटवार करेंगे।’’ 
 
लालती राम ‘आजाद हिंद फौज’ के जीवित बचे गिने-चुने सदस्यों में से एक हैं। प्रधानमंत्री ने लोगों को भारत के भीतर और बाहर की ऐसी ताकतों के खिलाफ आगाह किया जो देश और इसके संवैधानिक मूल्यों को निशाना बनाकर इसके खिलाफ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी ताकतों से लड़ना और उन्हें मात देना हर भारतीय का कर्तव्य है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों से लड़ने के लिए राष्ट्रवाद और भारतीयता की भावना होना जरूरी है।
 
रानी झांसी रेजिमेंट की स्थापना के फैसले के वक्त बोस का विरोध होने की घटना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह रेजिमेंट सोमवार को अपनी स्थापना के 75 साल पूरे कर लेगा। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बोस के सपनों को साकार करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि अब एक पारदर्शी प्रक्रिया के बाद थलसेना में महिलाओं को ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ से स्थायी कमीशन में प्रवेश की अनुमति दी गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वायुसेना को जल्द ही महिला लड़ाकू पायलटों का पहला बैच मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण का काम अंतिम चरण में है।
 
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न दलों की ओर से उम्मीदवारों के नामों की घोषणा का सिलसिला तेज हो गया है। आज समाजवादी पार्टी ने 9 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया। पार्टी ने पहले चरण के लिए 3 उम्मीदवारों और दूसरे चरण के लिए 6 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। शनिवार को भाजपा ने 77 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी। 
 

राज्य में पहले चरण के चुनाव के लिए सपा ने संतोष सुमन को बीजापुर, बिमलेश दुबे को जगदलपुर और छबिंद्र वर्मा को दंतेवाड़ा से टिकट दिया है।  

इसी तरह दूसरे चरण के लिए नवीन गुप्ता को रायपुर वेस्ट, योगेंद्र भोई को बासना, जिबन सिंह यादव को अकलतारा, मुकेश लहारे को पामगढ़, अमरनाथ अग्रवाल को कोरबा और सुबेंद्र सिंह यादव को वैशालीनगर से टिकट दिया गया है। 

12 नवंबर को पहले चरण का मतदान 

इन पांचों राज्यों में सबसे पहले मतदान छत्तीसगढ़ में होगा। यहां दो दौर में मतदान होगा। पहले फेज में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12 नवंबर को जबकि दूसरे फेज में 20 नवंबर को चुनाव होगा। छत्तीसगढ़ की सत्ता पर भाजपा 15 साल से काबिज है। डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री पद की कमान संभाले हुए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती और पूर्व कांग्रेस नेता अजीत जोगी के बीच गठबंधन के एलान के बाद मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।  

chandra shekhar sharma

कवर्धा --- पंद्रह बरस सत्ता सुख भोगने के बाद चौथी पारी के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही भाजपा और प्रदेश के मुखिया डाक्टर रमण सिंह इस बार सत्ता की चाबी पाने कोई रिस्क लेने के फ़िराक में नहीं है | फूंक फूंक कर कदम रख रहे है चाहे वो गृह जिले की ही विधानसभा सीट क्यों ना हो | इसका प्रत्यक्ष उदहारण जिले की कवर्धा व पंडरिया विधानसभा सीट के वर्तमान विधायको पर पुनः दांव खेल कर जातिवाद की राजनीति को पुनः हवा दी है । हाँलाकि इसके पीछे भाजपा की सोची समझी  रणनीति बताई जा रही है | जिसके लिए काफी तर्क वितर्क दिए जा रहे है , परन्तु एक चर्चा यह भी है कि भाजपा शातिर व चतुर राजनीतिज्ञ कांग्रेसी अकबर के माइंडगेम  में उलझ कर रह गई है । भाजपा के लिए पिछले चुनाव में जातिवाद के बोये गए वृक्ष अब जहरीला पोधा बन गया है जिससे ऊबरना भाजपा के लिए आसान नहीं रहा साथ ही टिकट का सपना संजोए डॉ सियाराम साहू , संतोष पांडेय , अम्बिका चंद्रवंशी, रघुराज सिंह , नंदलाल चंद्राकर , लालजी चंद्रवंशी को सक्रिय राजनीति में अब अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा है । राजनैतिक गलियारो के सूत्रों की माने तो भाजपा को भी अब भीतराघात का सामना करना पड़ेगा साथ ही साथ एन्टी इनकंबेंसी वोट का खतरा अलग से है । बहरहाल डॉ रमन के चक्रव्यूह में उलझी कांग्रेस जिले में अब तक अधिकृत प्रत्याक्षियों की घोषणा नही कर पाई है हांलाकि कवर्धा सीट से चिर परिचित पुराने प्रतिद्वंदी अशोक और अकबर फिर आमने सामने होंगे अकबर भी अपने सक्रिय राजनीतिक कैरियर के अंतिम प्रयास कर रहे है । अबकी हार उन्हें सक्रिय राजनीति से किनारा कर सकती है । अपने राजनैतिक भविष्य को बचाने जी जान से जुटे अकबर सारे दाव पेंच आजमा रहे है । पांच साल तक न्यायालय के चक्कर काटने के बाद पुनः जनता के दरबार मे किस्मत आजमा रहे है ।इन्हें भी भितराघात का पूरा खतरा रहेगा यहाँ भी कम विभिषन नहीं है जो पार्टिया अपनो कि नाराजगी को साध लेगी वो बाजी भी मार लेजायेगी | पंडरिया विधान विधानसभा सीट से कुर्मी जाती के वर्तमान विधायक को पुनःटिकट दिए जाने से बाहरी भगाओ का नारा देने वालो के मुंह टिकट वितरण के बाद से बंद है । भाजपा के साहू कुर्मी कार्ड से हतप्रद कांग्रेस पंडरिया से लालाजी चंद्रवंशी को पुनः टिकट दे कर भाजपा के जातिवाद के खेल को गड़बड़ा सकती पर पैराशूट लैंडिंग के लिए आये योगेश्वर राज की टिकट काटना कांग्रेस को गत चुनाव की तरह कही भारी ना पड़ जाए और कांग्रेस की नाव किनारे पहुंचते पहुंचते डूब न जाय। बहरहाल दोनों ही पार्टियों में उहापोह कि स्थिति है | मतदाता कि ख़ामोशी से भी उम्मीदवारों के माथे में चिंता कि लकीरे खीच आई है । 

 

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का क्रिकेट स्टेडियम अब तक दो मेगा शो का गवाह बन चुका है। पहला आयोजन वर्ष 2016 के फरवरी महीने में हुआ था। 'द ग्रेट खली रिटर्नस मेगा शो' के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम का तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ऐसे प्रचार किया, मानो यह प्रदेश की तकदीर बदल देगा। मेगा शो को सफल बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। कांग्रेस सरकार के मुखिया हरीश रावत व उनके सिपहसालारों के पांव धरती पर नहीं पड़ रहे थे। आखिर पड़ते भी कैसे?

 
कांग्रेसी बिग्रेड जनता को झांसा देकर एक नकली लड़ाई को असली लड़ाई के रूप में प्रस्तुत कर रही थी। शो के टिकट दस-दस हजार रूपए तक में बेच कर लोगों की जेब काटी गई। सरकारी तामझाम व इंतजामात के साथ हुए इस शो के टिकटों की बिक्री के लाखों रुपये एक निजी संस्था की जेब में गए।
 
मगर विगत 7-8 अक्टूबर को इसी क्रिकेट स्टेडियम में एक दूसरा मेगा शो आयोजित हुआ तो पहले शो के कर्ताधर्ता हरीश रावत व अन्य कई कांग्रेसी नकारात्मक सोच के साथ भाजपा सरकार पर हमलावर हो उठे। यह सोच-समझ व समय का अंतर है। आखिर खली का शो कराने वाले इनवेस्टर्स समिट का मतलब क्या समझेंगे? 

 
राज्य गठन के 18 वर्षों के इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने इतने व्यापक स्तर पर निवेशक सम्मेलन आयोजित करने की पहल की। सरकार की पहल पर देश-विदेश के निवेशकों ने सकारात्मक रुझान दिखाया और लगभग सवा लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंपे।
 
प्रस्तावों का धरातल पर उतारना और उनका परिणाम अभी भविष्य के गर्भ में है। मगर राज्य के हितों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर विपक्ष द्वारा की गई राजनीति कतई शोभनीय नहीं कही जा सकती है। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री से लेकर विदेश तक के निवेशक राजधानी देहरादून में राज्य में निवेश की बुनियाद को आधार देने में जुटे हुए थे, तो दूसरी ओर उसी वक्त राज्य का मुख्य विपक्षी दल 'खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे' वाले अंदाज में धरना-प्रदर्शन में लगा हुआ था।

 
इसका अर्थ क्या लगाया जाएगा? क्या मात्र विरोध करने के लिए विरोध करना विपक्षी दल कांग्रेस का राजनीतिक धर्म है? क्या राज्य के हितों से उसे कोई लेना-देना नहीं है? राजनीतिक विरोध और लोकतांत्रिक तरीके से उसका विरोध अपनी जगह उचित है। मगर राज्य के भविष्य से जुड़े गंभीर मुद्दे पर ओछी राजनीति की इजाजत किसी को भी नहीं होनी चाहिए। कितना अच्छा होता कि कांग्रेस नेता धरना-प्रदर्शन करने के बजाय इन्वेस्टर समिट में शामिल होते। निवेशकों का मनोबल तोड़ने वाली बयानबाजी करने से बेहतर होता कांग्रेस उनके उत्साह को बढ़ाती और राज्य में औद्योगिकीकरण के एक नए युग के आगाज के लिए सार्थक पहल करती।
 
दरअसल, विकासवादी सकारात्मक राजनीति कांग्रेस के डीएनए में नहीं है। कांग्रेस ने हमेशा से झूठ व भ्रम को अपनी राजनीति का केंद्र बिंदु बनाए रखा। यही कारण है कि वर्षों तक केंद्र व राज्यों में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस दो राज्यों पंजाब व मिजोरम और एक केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी तक सिमट कर रह गई है। कर्नाटक में वह गठबंधन में साझीदार है।

 
बहरहाल, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी चुनावी सभाओं में एक नारा दिया था। शाह ने कहा था 'राज्य अटल जी ने बनाया है- मोदी जी संवारेंगे'। भाजपा सरकार आज इसको चरितार्थ करते दिख रही है। यह तथ्य गौरतलब है कि केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सरकार के गठन के फलस्वरूप भाजपा ने न केवल उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा दिया, अपितु इस नवोदित राज्य को विशेष राज्य की श्रेणी में शामिल किया। 
 
वर्ष 2002 में प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार गठित होने के बावजूद वाजपेई सरकार ने बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के उत्तराखंड को विशेष पैकेज दिया। वाजपेई सरकार द्वारा दिए गए औद्योगिक पैकेज का ही परिणाम था कि वर्ष 2004 के बाद राज्य में औद्योगिक विकास में तेजी आई। 
 
यह सुखद संयोग है कि आज जब केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकारें काबिज हैं, तो उन्होंने उत्तराखंड को संवारने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। इनवेस्टर्स समिट के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने लगभग चालीस हजार करोड़ के निवेश प्रस्तावों का लक्ष्य तय किया था। मगर राज्य सरकार के चतुर्दिक प्रयासों व केंद्र सरकार के सकारात्मक रूप के परिणामस्वरूप लगभग सवा लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निवेशक सम्मेलन की बागडोर अपने हाथों में रखी और लगातार तीन माह तक सम्मेलन को सफल बनाने के लिए रात-दिन एक किए रखा। 
 
प्रदेश सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया। निवेश के लिए 12 कोर सेक्टर चिन्हित किए गए। पर्यटन, सोलर, ऊर्जा, हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल, हर्बल, एरोमेटिक जैसे क्षेत्रों पर फोकस कर मुख्यमंत्री खुद तमाम स्थानों पर निवेशकों से मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्र सरकार के तमाम वरिष्ठ मंत्रियों की उपस्थिति ने इनवेस्टर्स समिट को उड़ान भरने के लिए पंख लगा दिए। 
 
समिट में निवेशकों के उत्साह को लेकर स्पष्ट है कि राज्य सरकार उनका भरोसा जीतने में सफल रही है। निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारना स्वाभाविक रूप से चुनौती भरा कार्य है। लिहाजा, सम्मेलन के तुरंत बाद से प्रदेश सरकार ने निवेश को अमली-जामा पहनाने के लिए कसरत शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में निवेश प्रस्तावों के फॉलोअप के लिए अलग से सेल का गठन करने का निर्णय लिया गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इनवेस्टर्स समिट उत्तराखंड के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा और राज्य को औद्योगिक विकास की एक बहु प्रतीक्षित दिशा देगा।
 
-अजेंद्र अजय
(लेखक उत्तराखंड सरकार में मीडिया सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष रहे हैं।)
19 महिला पत्रकारों के यौन शोषण का आरोप आखिरकार केन्द्र की मोदी सरकार पर भारी पड़ गया। आरोपों की शुरुआत में जो भारतीय जनता पार्टी 10 दिन से गुड़ खाए बैठी थी वो आखिर आरोप लगाने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या से तनाव में आती चली गई। आखिर अकबर का वतन लौटकर मानहानि का दावा ठोंकने और इसे राजनैतिक षड़यंत्र बताने का दावा फुस्स पटाखा साबित हो गया और दो दिन में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने अकबर से अपना पीछा छुड़ा लिया। आनन फानन में केन्द्रीय मंत्रीमंडल में विदेश राज्य मंत्री के पद से एमजे अकबर को इस्तीफा देना पड़ा।

 
मोदी मंत्रिमंडल से अकबर का इस्तीफा होने के फौरन बाद ही बताना शुरु हो गया है कि पीएम नरेन्द्र मोदी महिला वोटरों को नाराज नहीं करना चाहते थे और मीटू कैम्पेन के जरिए सामने आ रहीं महिलाओं को न्याय दिलाने का समर्थन करते हैं। इस सरकारी और सत्ताधारी दल के राग के बावजूद इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इस लेटलतीफी में काफी हद तक फजीती करा ली है। मीटू कैम्पेन के जरिए जब भारत में यौन शोषण के खुलासे होने शुरु हुए तो दो चार फिल्मी हस्तियों के बाद मोदी सरकार भी इससे बच नहीं सकी थी। सरकार के विदेश राज्य मंत्री और देश के नामी संपादकों में शुमार रहे एमजे अकबर पर उनकी पुरानी अधीनस्थ पत्रकार प्रिया रमानी, गजाला बहाव, मजली डै आदि ने यौन शोषण के आरोप लगा दिए।
 
महिला पत्रकारों ने अकबर पर जिस तरह के आरोप लगाए थे वो बहुत ही गंभीर किस्म के थे, साथ ही कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ किन तरीकों से शोषण हो रहे हैं, इस बात को उजागर करते थे। मोदी सरकार ने इन गंभीर आरोपों के बावजूद भी शुरुआत में मंत्री एमजे अकबर के प्रति उतना कड़ा रवैया नहीं दिखाया जिसका आरोप लगाने वाली महिलाएं और उनसे सहानुभूति रखने वाला जनसमुदाय उम्मीद कर रहा था। 

 
अकबर के विदेश दौरे पर होने की बात कहकर मामले में अकबर को तलब करने को लटकाया गया। अकबर गंभीर यौन शोषण के अनेक आरोप लगे होने के बावजूद विदेश में भारतीय लोकतंत्र के प्रतिनिधि बने रहे और भारत सरकार की हैसीयत से सम्मान पाते रहे। यौन शोषण से जुड़े इस अहम मसले पर बीजेपी का लेटलतीफ रवैया कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता। अकबर पर बीजेपी की कई दिनों तक चुप्पी सवाल खड़े करती है साथ ही इससे महिलाओं के साथ खड़े आम जनमानस में सरकार की पिछले कुछ दिनों में कुछ हद तक विपरीत छवि बनी भी है।
 
बेशक ये केवल अभी आरोप ही हैं और आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों ने न तो एफआईआर दर्ज करवाई हैं और अकबर के खिलाफ किसी तरह के सबूतों पर भी अब तक खुलासा नहीं हुआ है मगर फिर भी इन आरोपों को हलके में नहीं लिया जा सकता। अगर ऐसा संभव होता तो मोदी कैबीनेट से अमित शाह के करीबी और हाईप्रोफाइल मंत्री एमजे अकबर को आखिरकार इस्तीफा नहीं देना पड़ता।
 
सरकार ने इस्तीफा लेकर या अकबर ने इस्तीफा देकर देश भर में चर्चा में छाए इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल की कोशिश जरूर की है मगर आरोपों से इस्तीफे के बीच जितने दिन गुजरे हैं उनसे महिलाओं के साथ वाली मोदी सरकार की छवि को धक्का जरूर लगा है। 
 
मौके पर अकबर के बहाने कांग्रेस ने मोदी सरकार और पूरी भाजपा को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। इस मामले में देश के विभिन्न बुद्धिजीवियों ने भी पीड़ित महिलाओं के पक्ष में बयान दिए हैं तो नामी संपादकों और अखबारों ने एमजे अकबर पर लगे आरोपों को समर्थन देतीं कई विस्तृत घटनाओं को सोशल मीडिया पर उजागर किया है। नामी पत्रकारों और संपादकों के इन कई खुलासों को देश के लोग कैसे नकार सकते हैं।
 
इस मामले में सरकार पिछले कुछ दिनों में हर मोर्चे पर घिरी है। मोदी मंत्रिमंडल की महिला मंत्रियों को मीडिया के सवालों से बचकर निकलने वाले दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे तो भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा तक को भी उपलब्धियों पर बोलने के बीच अकबर पर सवाल किए जाने पर मौन रहकर निकलना पड़ा। सरकार को चौतरफा फंसते देख केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने जरूर मीटू कैम्पेन का समर्थन किया था मगर स्मृति ईरानी सरीखीं मोदी की करीबी मंत्री अकबर को लेकर सरकार को हमलों से बचाने में लगभग नाकामयाब ही रहीं थीं।
 
इस बीच भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया राहटकर ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती कार्यक्रम के दौरान पीड़ित महिलाओं पर ही सवालिया निशान लगा दिया था। आखिरकार महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के मुद्दे पर पैबंद से लग रहे मंत्री एमजे अकबर से इस्तीफा लेने में ही पार्टी ने भलाई और अगले चुनाव में सुरक्षित भविष्य समझा।
 
-विवेक कुमार पाठक
  • R.O.NO.13286/69 "
  • R.O.NO. 13259/63 " A

Ads

R.O.NO. 13286/69

MP info RSS Feed

फेसबुक