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लखनऊ: पिछले 3 दिनों में उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भारी बारिश और आंधी के कारण कम से कम 15 लोग मारे गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 15 लोग मारे गए, 23 जानवर मारे गए। जबकि पिछले 4 दिनों में बारिश से संबंधित घटनाओं के कारण 133 इमारतें गिर गईं। भारी बारिश प्रभावित हुए जिलों में उन्नाव, अंबेडकर नगर, प्रयागराज, बाराबंकी, हरदोई, खीरी, गोरखपुर, कानपुर नगर, पीलीभीत, सोनभद्र,

इंग्लैंड : इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला रविवार को लंदन के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर होगा. केट का जनक इंग्लैंड और हमेशा 'अंडरडॉग' कही जाने वाली टीम न्यूजीलैंड आमने-सामने होंगे और दुनिया को नया वर्ल्ड चैंपियन मिलेगा. इयोन मॉर्गन की कप्तानी वाली टीम इंग्लैंड ने 5 बार के चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को सेमीफाइनल में हराकर वर्ल्ड कप-2019 के फाइनल में जगह बनाई. जो भी टीम फाइनल में जीतेगी, वह इस चमचमाती ट्रोफी को पहली बार उठाएगी.

HeadToHeadCWC2019

इंग्लैंड इस वैश्विक टूर्नमेंट की मेजबानी पांचवीं बार कर रहा है और चौथी बार फाइनल में पहुंचा है. साल 1979, 1987 और 1992 के बाद अब इंग्लैंड टीम खिताब से नहीं चूकना चाहेगी. सबसे पहले 1979 में इंग्लैंड ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ फाइनल मैच खेला लेकिन ट्रोफी उठाने से चूक गई, इसके बाद 1987 में ईडन गार्डन पर फाइनल में ऐलन बॉर्डर की अगुआई वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उन्हें हराया. आखिरी बार 1992 में इमरान खान की कप्तानी वाली पाकिस्तानी टीम ने इंग्लैंड को हराया. अब 27 साल बाद उसके पास मौका है कि वह वर्ल्ड कप चैंपियन बनने का गौरव हासिल करे.

 IndiaVsNZ

भारत को सेमी-फाइनल में हरानें के बाद न्यूज़ीलैंड के पूर्व कप्तान ब्रैंडम मक्कुलम नें सोशल मीडिया में कुछ इस तरह अपनें भावुक पोस्ट से प्रसंशकों का दिल जीता.

इज्जत मुश्किल से कमाई जाती है. खेल में एक टीम जीतती है, तो एक को हार का सामना करना पड़ता है. यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप जीत और हार के इमोशन को कैसे बयान करते हैं. हार के बाद भावनाएं उमड़ पड़ती हैं और उसके बाद आप कैसे खुद को काबू करते हैं यह मायने रखता है. दोनों कप्तानों पर मुझे गर्व है. सफलता में विनम्रता और हार में शालीनता. हमारे इस खेल के यह दोनों सबसे बढ़िया संरक्षक हैं.

 

 

आइये जानतें है फिल्म के बारे में 

जब चीन के सम्राट एक फरमान जारी करते हैं कि प्रति परिवार एक व्यक्ति को उत्तरी आक्रमणकारियों से देश की रक्षा के लिए शाही सेना में सेवा करनी होगी, तब Mulan, जो कि एक सम्मानित योद्धा की सबसे बड़ी बेटी, अपने बीमार पिता की जगह लेने के लिए, एक आदमी के भेष में सेना में कदम रखती है.

जगदलपुर : तेलंगाना राष्ट्र समिति के 45 वर्षीय नेता एन. श्रीनिवास राव का सोमवार आधी रात को कोथुर गांव से अपहरण कर लिया गया था.Read

दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (Indian Space Research Organisation, ISRO) के मिशन चंद्रयान-2 की उल्‍टी गिनती रविवार से शुरू हो जाएगी. इसरो प्रमुख (ISRO chairperson) डॉ. के. सिवन (Dr. K. Sivan) नें शनिवार को बताया कि इस मिशन के 20 घंटे के काउंटडाउन की 14 जुलाई को सुबह 6.51 बजे से शुरू होने की उम्मीद है. यह 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से लॉन्च होगा. विदेशी मीडिया ने इस मिशन को बेहद चुनौतीपूर्ण बताया है. आइये जानते हैं इस मिशन से जुड़ी खास बातें...

15 मंजिल ऊंचा है चंद्रयान-2 
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) भारत के सबसे ताकतवर जी.एस.एल.वी. मार्क-III (GSLV MK-III) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा, जिसे बाहुबली नाम दिया गया है. शिवन ने बताया कि इस मिशन की सारी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से जारी हैं, रॉकेट बाहुबली का वजन 640 टन है जो कि अब तक का सबसे ऊंचाई वाला लॉन्चर है. इसकी ऊंचाई 44 मीटर है जो कि 15 मंजिली इमारत के बराबर है. यह रॉकेट चार टन वजनी सेटेलाइट को आसमान में ले जाने में सक्षम है. इसमें तीन चरण वाले इंजन लगे हैं.

चंद्रयान-2

अछूता है अब तक चंद्रमा का यह क्षेत्र
जी.एस.एल.वी. मार्क-III अपने साथ 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 स्‍पेसक्रॉफ्ट ले जाएगा. बाहुबली के निर्माण में 375 करोड़ रुपये की लागत आई है. यह लगभग 16 मिनट की अपनी उड़ान में चंद्रयान-2 को पृथ्‍वी की 170x40400 मिलोमीटर कक्षा में फेंकेगा. चंद्रयान-2 के 6 या 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने का अनुमान है. चंद्रयान-2 भारत का अति महत्‍वाकांक्षी मिशन है. चंद्रयान-2 अपनी तरह का पहला मिशन है जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के उस क्षेत्र के बारे में जानकारी जुटाएगा जो अब तक अछूता है.

चंद्रयान-2

चंद्रयान-2 के तीन हिस्से 
इस मिशन में चंद्रयान-2 के तीन हिस्‍से हैं जो महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पहले भाग लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। इसका वजन 1400 किलो और लंबाई 3.5 मीटर है। इसमें 3 पेलोड (वजन) होंगे। यह चंद्रमा पर उतरकर रोवर स्थापित करेगा। दूसरा भाग ऑर्बिटर होगा जिसका वजन 3500 किलो और लंबाई 2.5 मीटर है। यह अपने साथ 8 पेलोड लेकर जाएगा। यह अपने पेलोड के साथ चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। तीसरा भाग रोवर है जिसका वजन 27 किलो होगा। यह सोलर एनर्जी से चलेगा और अपने 6 पहियों की मदद से चांद की सतह पर घूम-घूम कर नमूने जमा करेगा।

विदेशी मीडिया ने बेहद जटिल मिशन बताया 
'द वाशिंगटन पोस्‍ट' ने इस मिशन को बेहद जटिल बताया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि यह मिशन चांद की सतह का नक्शा तैयार करने में मददगार होगा। इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक चांद पर मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम, आयरन और सोडियम जैसे तत्‍वों की मौजूदगी का पता लगाएंगे। सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इसके जरिए चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र के गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी का भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम पर भारत का जोर अपनी युवा आबादी की आकांक्षाओं को दर्शाता है।

चुनौतियां भी कम नहीं 
धरती से चांद करीब 3,844 लाख किमी दूर है इसलिए कोई भी संदेश पृथ्‍वी से चांद पर पहुंचने में कुछ मिनट लगेंगे। यही नहीं सोलर रेडिएशन का भी असर चंद्रयान-2 पर पड़ सकता है। वहां सिग्नल कमजोर हो सकते हैं। करीब 10 साल पहले अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च हुआ था। इसमें एक ऑर्बिटर और इम्पैक्टर था लेकिन रोवर नहीं था। चंद्रयान-1 चंद्रमा की कक्षा में गया जरूर था लेकिन वह चंद्रमा पर उतरा नहीं था। यह चंद्रमा की कक्षा में 312 दिन रहा। इसने चंद्रमा के कुछ आंकड़े भेजे थे। बता दें कि चंद्रयान-1 के डेटा में ही चंद्रमा पर बर्फ होने के सबूत पाए गए थे।

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पेशी में राहुल अहमदाबाद पहुंचे कहा- ‘डराने की हो रही कोशिश’

Entertainment News Creation : 'सुपर 30' फ़िल्म की टैगलाइन में ही इस फ़िल्म का पूरा सारांश है, जो कुछ इस प्रकार है, ‘अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, राजा वो बनेगा जो हकदार होगा.’ शिक्षा पर सभी का समान अधिकार हो फिर चाहे वह बड़े बाप का बेटा हो या फिर गरीब का. फ़िल्म से जुड़ा यही  संदेश इस फ़िल्म को खास बना देता है.

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यह कहानी है बिहार के चर्चित आनंद कुमार की जो आई.आई.टी. का सपना देखने वाले गरीब तबके के होनहार बच्चों के सपनों को पूरा करने में उनकी मदद कर रहे हैं.

फिल्म की कहानी

फ़िल्म की कहानी की शुरुआत फ्लैशबैक में आनंद कुमार (रितिक रोशन) के संघर्ष से शुरू होती थी.

आनंद गणित में गोल्ड मेडलिस्ट है. बड़े से बड़े गणित के प्रश्नों का वह हल निकाल सकता है. अभावों में रहने के बावजूद उसकी इसी काबिलियत की वजह से  उसे  केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से दाखिले के लिए बुलावा आ जाता है लेकिन एक बार फिर उसके आगे गरीबी रोड़ा बनकर आ जाती है. पिता का साया भी छिन जाता है.

काबिल आनंद कुमार परिवार और अपना पेट पालने के लिए  पापड़ बेचने के लिए मजबूर हो जाता है. इसी बीच लल्लन कुमार (आदित्य) की मुलाकात आनंद से होती है. वो आनंद की प्रतिभा से वाकिफ है. अपनी कोचिंग सेन्टर से जोड़ लेता है. कुछ समय में ही आनंद वहां का प्रीमियम टीचर बन जाता है. हर स्टूडेंट आनंद सर से पढ़ना चाहता है.

आनंद की ज़िंदगी भी पटरी पर आ जाती है. सभी तरफ से पैसों की बारिश हो रही है लेकिन इसी बीच आनंद कुमार को महसूस होता है कि वह सम्पन्न परिवार के लड़कों को और आगे बढ़ा रहा है और गुरु द्रोणाचार्य की तरह गरीब बच्चों का  एकलव्य की तरह अंगूठा काट रहा है. उसकी सोच बदल जाती है और उन बच्चों को आईआइटियन्स बनाने में जुट जाता है जो अभावग्रस्त है. जिनके पास पैसे नहीं है महंगे कोचिंग के लिए.

आनंद कुमार के लिए यह सफर आसान नहीं होगा. भ्रष्ट शिक्षा मंत्री और उसके पावर से उसका मुकाबला है जिसे आनंद कुमार और गरीब बच्चों की जान लेने से भी गुरेज़ नहीं है. भ्रष्‍ट मंत्री के साथ-साथ गरीबी और भूख से भी उसकी जंग है. यह फ़िल्म की आगे की कहानी है. कुलमिलाकर हाथ आगे बढ़ाकर सूरज को हथेली में पकड़ लेने की प्रेरणादायी कहानी है. फ़िल्म की कहानी रियल है लेकिन उसका ट्रीटमेंट थोड़ा फिल्मी हो गया है. 

बावजूद इसके अंडरडॉग्स के जिद और संघर्ष के जुनून की वजह से यह फ़िल्म बांधे रखती है. फ़िल्म शिक्षा माफिया के अलावा सरसरी तौर पर ही सही लेकिन दृश्य और संवाद के ज़रिये दूसरे अहम मुद्दों को भी छूती है.कोटा डॉक्टर यह संवाद हमने अब तक रील और रियल लाइफ दोनों में बहुत सुना है लेकिन इस फ़िल्म में डोनेशन वाला डॉक्टर कहकर उच्च तबके पर भी सवालिया निशान लगाया गया है.हमारे पुराण भी जातीय और सामाजिक भेद के हिमायती है. फ़िल्म का एक संवाद ये भी है.

अभिनय, संगीत और किरदारों की अदायगी

अभिनय की बात करें तो रितिक की मेहनत किरदार को लेकर दिखती है. परदे पर पहली पर वह इस अंदाज में दिखे हैं.ऐसे में शुरुआती दृश्य में उनका लहजा और ज़रूरत से ज़्यादा लुक थोड़ा अखरता है, लेकिन फ़िल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है. सबकुछ सहज हो जाता है. पंकज त्रिपाठी एक बार फिर उम्दा रहे हैं. उनका और आदित्य श्रीवास्तव का दृश्य बेहतरीन बन पड़ा है. पिता के रूप में वीरेंद्र सक्सेना का अभिनय दिल छूता है. मृणाल ठाकुर और अमित साध को कम ही स्पेस मिला है, लेकिन वह उपस्थिति दर्शाने में कामयाब होते हैं.बच्चों का काम भी सराहनीय है. फ़िल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं.

संगीत में मामला औसत वाला रह गया है.  कुलमिलाकर असल नायक की यह प्रेरणादायी कहानी पर्दे पर देखी जानी चाहिए.

 

 

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News Creation : कर्नाटक में आये राजनैतिक संकट के के लिए  हमारा संविधान क्या कहता है, कर्नाटक में अगर बिना इस्तीफा स्वीकार किए बहुमत साबित करने की स्थिति बनती है, तो उन बागी विधायकों को पार्टी व्हिप की अवहेलना करने पर विधानसभा में उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.

ConstitutionOfIndia

भारत का संविधान 

आइये आज जानते हैं कि किन परिस्थितियों में एक विधायक या सांसद अपने पद से इस्तीफा दे सकता है, और उसे किन स्थितियों में स्वीकार किया जा सकता है.

संविधान के आर्टिकल 190 में विधायकों या सांसदों के इस्तीफे पर दिशानिर्देश दिए गए हैं. इसी आर्टिकल में स्पीकर या किसी दूसरे प्रिजाइडिंग ऑफिसर को ये अधिकार दिया गया है, आइये जानतें हैं कि विधायकों और सांसदों के इस्तीफों के लिए हमारे संविधान में क्या कहा गया है-

  • स्पीकर चाहें तो इस्तीफा अस्वीकार कर सकते हैं. स्पीकर इस्तीफे की बाबत जांच करवा सकते हैं. इस्तीफा देने के पीछे वाजिब कारण होने चाहिए. अगर स्पीकर को लगता है कि इस्तीफा सही वजहों से नहीं दिया जा रहा है. अगर वो स्वैच्छिक या वास्तविक नहीं है तो स्पीकर इस्तीफे का नामंजूर कर सकते हैं.
  • विधायकों या सांसदों के अपने पद छोड़ने के कुछ और तरीके भी हैं. मसलन वो बिना अनुमति के हाउस की कार्यवाही से लगातार 60 दिन तक गैरहाजिर हो सकता है. ऐसी स्थिति में भी हाउस को ही ये फैसला लेना होता है कि ऐसे सदस्य की सदस्यता रद्द की जाए या नहीं.
  • इस बारे में एक व्यवस्था दल-बदल कानून की भी है. इस कानून के मुताबिक एक विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द की जा सकती है, अगर वो स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ना चाहता हो या फिर उसने हाउस में वोटिंग की परिस्थिति में पार्टी लीडरशिप के निर्देशों की अवहेलना करता हो.
  • दलबदल कानून 1985 में बना है. इसका मकसद विधायकों या सांसदों का बार-बार पार्टी बदलने से रोकना है. 1985 के पहले ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें विधायकों या सांसदों ने विधानसभा या लोकसभा का सदस्य रहते हुए अपनी पार्टी बदल ली. हरियाणा के एक विधायक गया राम ने 9 घंटे के भीतर 3 बार पार्टी बदली थी.

KarnatakaSpeakerRameshKumar

इसकारण कर्नाटक में जिन विधायकों नें इस्तिफें दियें हैं, उनपर स्पीकर कड़ी कार्यवाही भी कर सकतें हैं.

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पेशी में राहुल अहमदाबाद पहुंचे कहा- डराने की हो रही कोशिश

नई दिल्ली : देश में हुई नोटबंदी के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला ने ए.डी.सी.बी. पर 745 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी को व्हाइट करने का आरोप लगाया था. इसके खिलाफ बैंक के चेयरमैन अजय पटेल ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था.

अहमदाबाद में समर्थकों के साथ राहुल गाँधी 

अहमदाबाद में समर्थकों के साथ राहुल गाँधी 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लगातार कोर्ट के चक्कर लगा रहे राहुल गांधी शुक्रवार को अहमदाबाद कोर्ट पहुंचे थे. नोटबंदी के वक्त उन्होंने अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक पर करीब 745 करोड़ ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में बदलने का आरोप लगाया था. राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था. उसी की पेशी में राहुल अहमदाबाद पहुंचे थे.

अहमदाबाद कोर्ट में पेश होने के बाद राहुल गांधी ने नाम लिए बिना भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला.

राहुल ने आरोप लगाया कि “उन्हें दबाने और डराने की कोशिश हो रही है.” उन्होंने कहा कि “मैं इससे नहीं डरता हूँ.” राहुल ने कहा कि “यह संविधान की लड़ाई है. देश के भविष्य की लड़ार्ई है, भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई है.” उन्होंने कहा कि मैं खड़ा रहूंगा, लड़ता रहूंगा.

इसी मामले की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी शुक्रवार को कोर्ट में पेश हुए. राहुल गांधी ने कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की. इसे स्वीकार करते हुए अदालत ने उन्हें 15 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी. मामले की अगली सुनवाई सात सितंबर को होनी है.

 

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अन्य खबरें :

देश-

N.T.A., U.G.C. NET Result 2019 : परीक्षा परिणाम की घोषणा हुई, खबर विस्तार से पढ़ें 

दुनिया-

भारतीय सेना नें पाकिस्तानी बच्चे की लाश को लौटाया वापिस,

छत्तीसगढ़-

छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के अलावा इन नेताओं को मिलेगी लालबत्ती

News Desk News Creation : नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (यू.जी.सी. नेट 2019) परीक्षा के परिणाम की घोषणा कर दी है. परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवार  आधिकारिक वेबसाइट ntanet.nic.in पर जाकर अपने स्कोर देख सकते हैं. परीक्षा के लिए उपस्थित हुए 9.42 लाख में से, कुल 4756 उम्मीदवारों ने JRF के लिए क्लियर किया है, जबकि 55701 ने असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए परीक्षा पास की है.

बता दें, पहले बताया जा रहा था परिणाम 12 जुलाई को जारी किए जाएंगे. यू.जी.सी.नेट का आयोजन कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए  किया जाता है.

पास होने के लिए मार्क्स की जरूरत

नेट परीक्षा पास करने के लिए, उम्मीदवारों को कम से कम 40 प्रतिशत अंक (आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 35 प्रतिशत) स्कोर करने की आवश्यकता होती है. योग्य उम्मीदवारों में से, केवल शीर्ष 6 प्रतिशत उम्मीदवार ही योग्य घोषित किए जाते हैं. आपको बता दें, ये परीक्षा भारत में 81 विषयों में 237 शहरों में 615 केंद्रों आयोजित की गई थी. पहले नेट परीक्षा का आयोजन सी.बी.एस.ई. की ओर से किया जाता था, लेकिन 2018 से एनटीए इस परीक्षा का आयोजन कर रही है.

CollegeStudents

कब हुआ था परीक्षा का आयोजन 

कश्मीर : गुलाम कश्मीर से बहकर भारतीय क्षेत्र में आए सात वर्षीय बालक का शव लेने से इन्कार करने वाले पाकिस्तान को आखिर परिवार की करुण पुकार के आगे झुकना पड़ा. भारतीय सेना और पुलिस के प्रयास के बाद बच्चे का शव पूरे सम्मान के साथ उत्तरी कश्मीर के गुरेज सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना के हवाले कर दिया. ऐसा कर जहां भारतीय सेना ने मानवता की मिसाल कायम की. वहीं बच्चे को भी अपने गांव की मिट्टी नसीब हो सकी.

नजीर अहमद शेख

जिला बांडीपोर में नियंत्रण रेखा के साथ सटे गुरेज सेक्टर के अग्रिम सीमावर्ती गांव अछूरा सिंदयाल के स्थानीय लोगों ने किशनगंगा दरिया में एक बालक का शव देखा. इसके बाद उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी, पुलिस ने शव दरिया से निकालकर अपने कब्जे में ले लिया. छानबीन के दौरान पता चला कि यह शव गुलाम कश्मीर में गिलगित बाल्टीस्तान के मिनीमर्ग अस्तूर के रहने वाले नजीर अहमद शेख के सात वर्षीय बेटे आबिद अहमद शेख का है. वह स्कूल से लौटते हुए एक नाले में गिर गया था, जो किशनगंगा दरिया में आकर मिलता है. नाले के पानी के साथ आबिद का शव भी गुरेज पहुंच गया था.

एस.एस.पी. बांडीपोर राहुल मलिक ने बताया कि बालक के शव का पोस्टमार्टम गत रोज कर लिया गया था. हमने उसी समय पाकिस्तानी सेना व संबंधित प्रशासन को उचित माध्यम से सूचित किया था कि वह बच्चे का शव ले जा सकते हैं, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने सकारात्मक जवाब नहीं दिया और शव लेने से इन्कार कर दिया.

आबिद का शव भारतीय इलाके में पहुंचने की खबर मिलने पर गिलगित बाल्टीस्तान में रहने वाले आबिद के परिजनों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया. उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से उसका शव वापस लाने की अपील की. उन्होंने भारतीय प्रशासन से भी आग्रह किया कि वह आबिद का शव लौटाएं, ताकि उसे सुपुर्दे खाक किया जा सके.

मुंबई में छुट्टी पर, दफ्तरों में लंच बॉक्स पहुंचानें वाले सभी कर्मचारी

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