ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
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Bhilai
कोरोना संकट महामारी से बचने अब मजदूर और उनके परिजन शहरों से अपने अपने गांव पलायन कर रहे है सरकार ने परिवहन सेवाओं को मजदूरों के नाम कर दिया है ऐसे में सड़क मार्ग से वाहनों में लदे मजदूरों को भोजन पानी की व्यवस्था के लिये समाज सेवी बढचढ कर हिस्सा ले रहे है जिसमें स्कूली बच्चे भी शामिल है दमोह में सागर वाईपास पर सुबह से देर रात तक बच्चे और उनके परिजन वाहनों को रोक-रोक कर उन्हें भोजन और पानी देने का काम कर रहे है। खास बात यह है कि यह बच्चे मीडिया से भागते है उनका कहना है कि उनकी सेवा मीडिया की सुर्खियों के लिये नहीं बल्कि अपनी अर्न्तआत्मा की प्रेरणा से कर रहे है। नंदनी दुबे ने का कहना है कि हम तो बच्चे है लेकिन जब मै अपने घर के सामने से मजदूरों को आते जाते देखते थी तो ऐसा लगता था कि इन्होंने कुछ खाया पिया की नहीं पता नहीं कितनी दूर से पैदल चलते चले आ रहे है तो उन पर दया आती थी इसीलिये मेरे परिवार ने यह निर्णय किया किया कि जो भी मजदूर और परिजन दूसरे प्रदेशों से दमोह आ रहे है या दमोह होते हुए दूसरे प्रदेश में वाहनों से जा रहे है उन्हें रोक रोककर भोजन पानी देंगे। मेरे पापा और पूरे परिवार और पापा के दोस्तों ने आपस में पैसा इकट्ठा कर मजदूरों और उनके परिजनों को भोजन पानी देने का यह कार्य कर रहे है। दीपक दुबे ने बताया कि हम लोग पिछले एक माह से सेवा में लगे हुए है। सागर वाईपास सहित हर मार्ग पर सुबह दोपहर और देर शाम तक वाहनों को रोक रोक कर उन्हें खाने की सामग्री और पानी पाउच देते है। शिक्षक लेखन पटेल ने बताया कि यही एक वक्त है जब हम दिल खोलकर और पूरी भावना के साथ असहाय मजदूरों की मदद कर सकते है। इसके लिये हम शिक्षक साथी मिल-जुलकर यह काम कर रहे है। जब तक लॉक डाउन नहीं हटेगा यह कार्य करते रहेंगे।