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विवादित बयान के लिए नहीं, इस बार इस मामले में गिरफ्तार हो सकते हैं स.पा. संसद आज़म खान Featured

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सियासी गर्माहट बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. हमेशा से अपनें विवादस्पद बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहनें वाले समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर के सांसद, आज़म खान किसी भी वक्त गिरफ्तार किये जा सकतें हैं. आज़म खान पर रामपुर के अजीमनगर था

नें में आपराधिक मुक़दमा दर्ज किया गया है. सूत्रों से मिली खबर के अनुसार आज़म खान पर फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर ज़मीन को जबरन हथियानें का इल्ज़ाम है. दरअसल मामला ये है कि उन्होनें अपनें इलाके में पदस्त पूर्व क्षेत्राध्यक्ष (सी.ओ.) अली हसन खान के सहयोग से मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के करीब सौ करोड़ रुपये कीमत की ज़मीनें हड़प लीं हैं. क्षेत्राध्यक्ष अली हसन खान, आज़म खान के करीबी बताये जाते हैं.

मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी

ये था मामला -

इसके अलावा आज़म खान पर लगभग 25 कृषकों को गैरकानूनी ढंग से गिरफ्तार करवाकर प्रताड़ित करनें का इलजाम लगा है, रामपुर के पुलिस अधीक्षक अजय पाल शर्मा नें कहा है कि “26 किसानों नें आरोप लगाया है कि आज़म खान और अली हसन खान नें अवैध रूप से उन्हें हिरासत में लिया और उनकी हज़ारों हेक्टेयर ज़मीनों को हथियानें के लिए, उनसे नकली कागजातों पर हस्ताक्षर करानें के लिए ज़ोर डाला.”जब किसानों ने कागजात पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, तो उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया गया. रामपुर के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी (सीओ) आले हासन ने गरीबों की जमीन हड़पने में अपनी आधिकारिक हैसियत का दुरुपयोग किया. राजस्व विभाग ने सभी प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच की और किसानों के बयान दर्ज किए गए, जो मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के हैं. जांच में तथ्यों की पुष्टि होने के बाद आजम खान के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया.

रामपुर के पुलिस अधीक्षक नें आगे जानकारी दी कि "आज़म खान पर अलग अलग 26 मामले दर्ज किये जायेंगे, क्योकि 26 अलग - अलग किसानों नें मामले में रिपोर्ट लिखी है."

वहीँ रामपुर में पदस्त एक राजस्व अधिकारी ने जानकारी दी कि "धोखाधड़ी कर जमीन पर कब्जा करने के मामलों में आजम के खिलाफ पुख्ता सबूत है."

ये भी बता दें कि आजम ने 2004 में जौहर विश्वविद्यालय की परिकल्पना की थी. उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट को 2012 में प्रदेश स.पा. सरकार बनने के बाद कार्य में तेज़ी आई थी और परिसर का निर्माण तेजी से हुआ. अखिलेश सरकार ने 2012 में आजम खान को विश्वविद्यालय का आजीवन कुलाधिपति बनाए जाने को मंजूरी दी थी, जिसका राज्यपाल ने विरोध भी किया था.

वहीँ दूसरी ओर लोकसभा चुनाव में आज़म खान के विरुद्ध कड़ी हुई, भाजपा नेत्री जयाप्रदा नें चुनाव में विश्वविद्यालय में कुलाधिपति वाले मामले को जोर- शोर से उछाला था. और आज़म के मौलाना अली जौहर विश्वविद्यालय में लाभ का पर लेने के के मामले को चुनाव में आधार बना कर, आज़म की सदस्यता सदन से ख़त्म करनें की मांग की थी.

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Last modified on Sunday, 14 July 2019 12:22

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