ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के इस माह ब्रिटेन जा सकते हैं। उनके 23-24 जुलाई को यूके जाने की संभावना है। पीएम मोदी की इस यात्रा में भारत और यूके के बीच व्यापार समझौता हो सकता है। दोनों देश सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करने पर भी बात कर सकते हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब टैरिफ को लेकर अमेरिका और खासकर ट्रंप लगातार धमकाने में लगे हैं, तो पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा की अहमियत और बढ़ जाती है।
मई में भारत और यूके आपस में एक व्यापार समझौते पर सहमत हुए थे। इससे भारत के 99 फीसदी निर्यात पर लगने वाले टैक्स कम हो जाएंगे। वहीं यूके की कंपनियां आसानी से व्हिसकी, कारें और अन्य सामान भारत में बेच सकेंगी। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस समझौते को लागू होने में करीब एक साल लग सकता है। पीएम मोदी ने इन समझौतों को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया था।
पीएम मोदी का यह ब्रिटेन दौरा उस समय होने वाला है, जब ट्रंप और नाटो चीफ मार्क रुटे ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत को धमकाने और 100 फीसदी द्वितीय प्रतिबंधों की चेतावनी दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने नाटो प्रमुख से कहा है कि भारत को अपनी प्राथमिकता पता है और वह पहले अपनी जरुरतों पर ही ध्यान देगा। इस वजह से अगर ऐसे समय में पीएम मोदी ब्रिटेन जा रहे हैं तो यह और भी अहम है, क्योंकि वह अमेरिका का भी पुराना सहयोगी है और नाटो का भी एक अहम किरदार है।
ब्रिटेन से पीएम मोदी 25-26 जुलाई को मालदीव जाएंगे। वहां वह राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि होंगे। मालदीव में उनका दौरा दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा। भारत और मालदीव के बीच दोस्ती हमेशा से मजबूत रही है। यह दौरा इस दोस्ती को और भी गहरा करेगा। पीएम मोदी का मालदीव जाना चीन की वजह से बहुत खास है। पिछले कुछ समय में चीन ने भारत के इस सबसे करीबी पड़ोसी पर संदिग्ध नजर डालने की कोशिश की थी। ऐसे में पीएम मोदी का खुद वहां के राष्ट्रीय दिवस पर मौजूद रहना, ड्रैगन को भी सीधा संदेश हो सकता है।