ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली। भारत को असेंबली लाइन से आगे निकलकर एक सच्ची विनिर्माण शक्ति बनाने के लिए ज़मीनी स्तर पर बदलाव की ज़रूरत पर ज़ोर देकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि मेक इन इंडिया के नाम पर भारत सिर्फ उत्पादों की असेंबली कर रहा है, उनका सही मायने में निर्माण नहीं किया जा रहा है। राहुल गांधी ने पोस्ट में कहा कि भारत में बनने वाले ज़्यादातर टीवी के 80 प्रतिशत कलपुर्जे चीन से आते हैं। उन्होंने बताया कि नीति और समर्थन की कमी, भारी कर और निगमों का एकाधिकार, उन छोटे उद्यमियों को रोक रहे हैं जो विनिर्माण करना चाहते हैं। राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाकर कहा कि मेक इन इंडिया’ के नाम पर हम सिर्फ असेंबली कर रहे हैं, असली मैन्युफैक्चरिंग नहीं। आईफोन से लेकर टीवी तक के पुर्ज़े विदेश से आते हैं, हम बस जोड़ते हैं। छोटे उद्यमी निर्माण करना चाहते हैं, लेकिन न नीति है, न सपोर्ट। उल्टा, भारी टैक्स और चुने हुए कॉरपोरेट्स का एकाधिकार, जो कि देश के उद्योग को जकड़ रखा है। जब तक भारत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बनता, रोज़गार, विकास और मेक इन इंडिया की बातें सिर्फ भाषण रहेंगी। ज़मीनी बदलाव चाहिए ताकि भारत असेंबली लाइन से निकलकर असली मैन्युफैक्चरिंग पावर बने और चीन को बराबरी की टक्कर दे सके। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार की मेक इन इंडिया पहल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को पुनर्जीवित करने में विफल रही है, जो 2014 में सकल घरेलू उत्पाद के 15.3 प्रतिशत से घटकर 12.6 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले 60 वर्षों में सबसे कम है। उन्होंने कहा था कि चीन बीते 10 वर्षों से बैटरी, रोबोट, मोटर और ऑप्टिक्स पर काम कर रहा है और इस क्षेत्र में वह भारत से कम से कम दस वर्षों की बढ़त बनाए हुए है।