ईश्वर दुबे
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Bhilai
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा करती है। नगर परिषद चुनावों में महायुति (बीजेपी, शिंदे सेना, और अजीत पवार एनसीपी) की बड़ी जीत के बाद, विपक्षी दल अब बीएमसी (बीएमसी) चुनावों के लिए अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर हैं।
दरअसल नगर परिषद चुनाव में महायुति ने स्पष्ट बढ़त हासिल की हैं, जबकि महा विकास आघाड़ी काफी पीछे रह गई है। इस हार ने कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण और नए सहयोगियों की तलाश के लिए प्रेरित किया है। वहीं शिवसेना-यूबीटी और मनसे (मनसे) के बीच संभावित गठबंधन की चर्चाओं ने कांग्रेस को असहज किया है, जिससे वह अब वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) की ओर हाथ बढ़ा रही है। पिछले 10 दिनों में 4 बैठकें हो चुकी हैं। रविवार की बैठक में मुंबई प्रभारी यूबी वेंकटेश, वर्षा गायकवाड़, असलम शेख और सचिन सावंत जैसे बड़े नेता शामिल थे। वहीं प्रकाश अंबेडकर की वीबीए का मुंबई के दलित और हाशिए पर रहने वाले समुदायों में मजबूत जनाधार है। कांग्रेस को उम्मीद है कि यह साथ मिलकर बीएमसी में सत्ताधारी गठबंधन को चुनौती दे पाएंगे। प्रतिनिधिमंडल में सावंत और शेख भी शामिल थे। पुरानी पार्टी ने इसके लिए एक 3 सदस्यीय समिति भी बनाई है, जिसमें अमीन पटेल, मधु चव्हाण और सचिन सावंत शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच अब तक सकारात्मक बातचीत हुई है और जल्द ही गठबंधन की घोषणा की जा सकती है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा ने कहा, इस बातचीत ने आने वाले दिनों में रचनात्मक बातचीत और लोकतांत्रिक जुड़ाव के महत्व को रेखांकित किया।
बीएमसी और अन्य 28 नगर निगमों के लिए 15 जनवरी को मतदान होना है, जिसका अर्थ है कि गठबंधन पर अंतिम मुहर बहुत जल्द लगनी होगी। मुंबई की 227 सीटों पर कांग्रेस और वीबीए के बीच सम्मानजनक समझौता करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। यदि कांग्रेस और उद्धव ठाकरे अलग-अलग सहयोगियों के साथ चुनाव लड़ते हैं, तब इसका सीधा फायदा महायुति को मिल सकता है।