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News Creation - न्यूज क्रिएशन

न्यूयॉर्क । कोरोना संक्रमण के दौरान न्यूयॉर्क मैं रहने वाले अमीर परिवार न्यूयॉर्क छोड़कर छोटे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर में 1 फ़ीसदी अमीरों की आय 16 करोड़ से अधिक है यह अमीर अब छोटे शहरों और आईलैंड में शिफ्ट हो रहे हैं। दक्षिणी फ्लोरिडा, पेंसिलवेनिया, न्यूजर्सी, मार्था विनयार्ड, हैंपटन हसन वैली, जगहों में यह रहने के लिए पहुंच रहे हैं। जहां पर इनके लिए कोरोनावायरस शरणार्थी का नया शब्द इजाद हुआ है।
न्यूयॉर्क में 28000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 3 लाख के आसपास संक्रमित मरीजों की संख्या पहुंच गई है। जिसके कारण कोरोनावायरस से डरकर अमीरों ने न्यूयॉर्क से पलायन करना शुरू कर दिया है।
1 मार्च से 1 मई के 2 माह के अंतराल में लगभग 4 लाख 20000 लोग न्यूयार्क छोड़ चुके हैं । न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर किम फिलिप्स का कहना है कि  कोरोनावायरस संक्रमण के बाद हर समुदाय अलग तरीके से व्यवहार कर रहा है। यहां से जाने वाले अधिकांश लोग श्वेत और ज्यादा कमाई वाले हैं। सर्वेक्षण में जो जानकारी सामने आई है। उसमें संपन्न माने जाने वाले 4 इलाकों में सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। यहां रहने वाले 40 फ़ीसदी लोग न्यूयॉर्क छोड़कर चले गए हैं।

श्रीनगर । केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नया डोमिसाइल ऐक्ट लागू हो गया है। सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 में सेक्शन 3ए जोड़ा गया है। इसके तहत राज्य/यूटी के निवासी होने की परिभाषा तय की गई है।  नए डोमिसाइल नियमों के अनुसार, कोई व्यक्ति जो जम्मू-कश्मीर में कम से कम 15 साल रहा है और 10वीं या 12वीं की परीक्षा यहां के किसी संस्थान से पास कर चुका है, तो वह जम्मू-कश्मीर का निवासी कहलाने का हकदार होगा।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने नए डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसीजर) रूल्स 2020 को लागू कर दिया है। इसी के साथ प्रदेश में स्थानीय नागरिक प्रमाण पत्र (पीआरसी) की जगह डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 15 दिन का समय निर्धारित किया गया है। पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी, सफाई कर्मचारी और दूसरे राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के बच्चे भी अब डोमिसाइल के हकदार होंगे। इन सभी के लिए 15 वर्ष तक प्रदेश में रहने समेत अन्य श्रेणी की अनिवार्यता के नियम लागू होंगे।
भाजपा  ने जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल के नए नियमों को अधिसूचित किए जाने का स्वागत किया है। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा है कि ये नए नियम सभी शरणार्थियों के साथ राज्य से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों को भी उनके अधिकार दिलाएगा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से सोमवार को जारी नए नियमों के तहत पश्चिम पाकिस्तान के लोगों, बाल्मीकियों, समुदाय के बाहर शादी करने वाली महिलाओं, गैर-पंजीकृत कश्मीरी प्रवासियों और विस्थापित लोगों को जल्द ही आवास अधिकार मिल जाएंगे।
नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा कि नए डोमिसाइल नियमों को जिस जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन ऐक्ट 2019 के तहत लागू किया गया है, उसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं में चुनौती दी गई है। पार्टी ने कहा कि इस विभाजनकारी नियम को स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसका मकसद ही घाटी में आबादी के संतुलन को बिगाड़ना है। पीडीपी भी राज्य  इस ऐक्ट का विरोध कर रही है। अब पाकिस्तान से भी इस ऐक्ट के खिलाफ विरोध के सुर उभरने लगे हैं।

नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने 1 जून से 200 ट्रेन रोजाना चलाने का फैसला किया है। रेलवे ने ट्वीट कर कहा कि, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के अतिरिक्त भारतीय रेल 1 जून से प्रतिदिन 200 अतिरिक्त टाइम टेबल ट्रेनें चलाने जा रहा है जो कि गैर वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी की होंगी एवं इन ट्रेनों की बुकिंग ऑनलाइन ही उपलब्ध होगी। ट्रेनों की सूचना जल्द ही उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके पहले भी रेलवे ने एक ट्वीट किया  था, 'भारतीय रेल द्वारा निरंतर श्रमिक ट्रेनों का परिचालन जारी है: अब तक कुल 1600 ट्रेनों के माध्यम  से लगभग 21.5 लाख श्रमिकों को उनके स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है।' ज्ञात रहे कि कोरोना प्रकोप के कारण देश में 30 जून तक रेलों का नियमित परिचालन बंद है।

नई दिल्ली. महाचक्रवाती तूफान अम्फान (Super Cyclone Amphan) के आज दोपहर तक पश्चिम बंगाल (West Bengal) पहुंचने की उम्मीद है. राहत की बात ये हैं कि ओडिशा (Odisha) में तेज बारिश और हवा के चलते चक्रवाती तूफान (Cyclone) पहले से काफी कमजोर पड़ गया है. ओडिशा के पारादीप में सुबह से ही तेज हवाएं चल रही हैं. बताया जाता है कि यहां पर 82 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल रही है.180 किमी/प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहे महाचक्रवाती तूफान अम्फान को देखते हुए पश्चिम बंगाल और ओडिशा के जोखिम वाले इलाकों को खाली करा दिया गया है. मौसम विभाग के मुताबिक आज दोपहर या फिर शाम तक सुपर साइक्लोन 'अम्फान' पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के तट पर पहुंचेगा. अभी सुपर साइक्लोन अम्फान 180 KM/hr की रफ्तार से पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ रहा है.चक्रवाती तूफान 'अम्फान' के चलते कोलकाता एयरपोर्ट पर कल शाम 5 बजे तक के लिए बंद कर दिया गया है. बता दें कि कोरोना महामारी और चक्रवाती तूफान के लिए विशेष विमान यहां पर उतर रहे थे.ओडिशा के स्पेशल रिलीफ कमिश्नर पीके जेना ने बताया कि चक्रवाती तूफान 'अम्फान' पारादीप से 110 किलोमीटर दूर है और 18-19 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. एक घंटे पहले पारादीप में 102 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली थी. आज देर शाम तक पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के पास इसके लैंडफॉल होने की संभावना है. अगले 6-8 घंटे काफी महत्वपूर्ण है.पारादीप में हवा की गति 102 किमी प्रति घंटा, चांदबली में 74 किमी प्रति घंटा, भुवनेश्वर में 37 किमी प्रति घंटा और पुरी में 41 किमी प्रति घंटा है. पश्चिम बंगाल के ईस्ट मेदिनीपुर के दीघा में तेज हवाएं चल रही हैं और समुद्र में ज्वार उठ रहे हैं.दोनों राज्य हाई अलर्ट पर हैं.किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए ओडिशा और पश्चिम बंगाल में एनडीआरएफ की 40 टीमें तैनात की गई हैं. मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल के लिए 'ऑरेंज' अलर्ट जारी किया है और आगाह किया है कि कोलकाता, हुगली, हावड़ा, दक्षिण और उत्तर 24 परगना और पूर्वी मिदनापुर जिलों में बड़े  पैमाने पर नुकसान हो सकता है.


ओडिशा के चांदीपुर के समुद्र में हाई टाइड उठ रहे हैं
ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर में तेज हवाएं चल रही हैं और समुद्र में हाई टाइड उठ रहे हैं. चक्रवाती तूफान के चलते मछुआरों को समुद्र में जाने से रोक दिया गया है और आसपास के इलाकों को पूरी तरह से खाली कर दिया गया है.

रेल एवं सड़क मार्ग बाधित हो सकते हैं
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि कई स्थानों पर रेल एवं सड़क मार्ग बाधित हो सकते हैं, बिजली एवं संचार के खंभे उखड़ सकते हैं और सभी प्रकार के ‘कच्चे’ घरों को अत्यंत नुकसान होगा. मौसम विभाग ने तैयार फसलों, बाग-बगीचों को भारी नुकसान होने की आशंका जताई है. सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि महाचक्रवात से उत्पन्न किसी भी घटना से निपटने के लिए सभी एहतियाती उपाय किए गए हैं. मैंने गृह मंत्री अमित शाह के साथ बातचीत की है. कम से कम तीन लाख लोगों को राज्य के तीन तटीय जिलों से निकाला गया है और राहत शिविरों में भेज दिया गया है.


180 किमी/प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी हवाएं
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि अम्फान 20 मई को दोपहर बाद बेहद भीषण चक्रवाती तूफान के रूप में पश्चिम बंगाल में दीघा और बांग्लादेश के हटिया द्वीप के बीच पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश तटों से गुजर सकता है. तटों से टकराने से पहले इसकी प्रचंडता कुछ कम होगी और हवाओं की गति निरंतर 155 से 165 किलोमीटर प्रति घंटे बनी रहेगी जो बीच-बीच में प्रति घंटे 180 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ सकती है.भारत मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि चूंकि चक्रवात धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है इसलिए ओडिशा में इसका असर बहुत ज्यादा होने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक और बालासोर जैसे तटीय जिलों में मंगलवार शाम से भारी बारिश होने और तेज हवाएं चलने की आशंका है.

नई दिल्ली. कोरोना संकट के दौर में देशभर में स्वास्थ्य इंतजामों का जिम्मा संभाल रहे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयरमैन होंगे। अधिकारियों ने बताया कि हर्षवर्धन 22 मई को पदभार संभालेंगे। वे जापान के डॉ. हिरोकी नकतानी की जगह लेंगे। 194 देशों की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में मंगलवार को भारत की ओर से दाखिल हर्षवर्धन के नाम पर का निर्विरोध चयन किया गया। इससे पहले डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया ग्रुप ने तीन साल के लिए भारत को बोर्ड मेंबर्स में शामिल करने पर सहमति जताई थी।

भारत के पास चेयरमैन पद एक साल तक रहेगा
अधिकारियों के मुताबिक, 22 मई को एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक होनी है। इसमें हर्षवर्धन का चुना जाना तय है। बोर्ड के चेयरमैन का पद कई देशों के अलग-अलग ग्रुप में एक-एक साल के हिसाब से दिया जाता है। पिछले साल तय हुआ था कि अगले एक साल के लिए यह पद भारत के पास रहेगा। हर्षवर्धन एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे। यह मीटिंग साल में दो बार होती है। पहली जनवरी और दूसरी मई के आखिर में।

वर्ल्ड हेल्थ असेंबली से चुने जाते हैं बोर्ड के मेंबर
डब्ल्यूएचओ के एग्जीक्यूटिव बोर्ड में शामिल 34 सदस्य स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुशल जानकार होते हैं। जिन्हें 194 देशों की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली से 3 साल के लिए बोर्ड में चुना जाता है। फिर इन्हीं सदस्यों में से एक-एक साल के लिए चेयरमैन बनता है। इस बोर्ड का काम हेल्थ असेंबली में तय होने वाले फैसले और नीतियों को सभी देशों में ठीक तरह से लागू करना होता है।

भोपाल। प्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले की परासिया तहसील में नई कोयला खदानें खुलेंगी। इसके लिये भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने इन्टेंशन टु प्रास्पेक्ट यानि पूर्वेक्षण करने का आशय जारी कर दिया है।
कमलनाथ के प्रयासों से हुआ यह :
छिन्दवाड़ा जिले की परासिया में वेस्टर्न कोल फील्ड की 15 कोयला खदानें एमसीआर यानि मिनरल कन्सेशन रुल्स के तहत पहले से संचालित हैं।  पिछले तीन-चार साल से ये घाटे में चलने के कारण बंद होती जा रही हैं। इससे क्षेत्र के लोगों को रोजगार से भी वंचित होना पड़ रहा है। पिछले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रयास कर यहां पुन: कोयला खदानें प्रारंभ करने की कवायद की जिस पर अब भारत सरकार ने सीबीए यानि कोल बियरिंग एरिया एक्ट के तहत नई खदानों के लिये लिये प्रारंभिक सहमति दे दी है।
अभी यह जारी हुआ इन्टेंशन टु प्रास्पेक्ट :
भारत सरकार ने अभी जो इन्टेंशन टु प्रास्पेक्ट जारी किया है उसके तहत छिन्दवाड़ा जिले की परासिया तहसील के पटवारी हल्का क्रमांक 7 में ग्राम बरकुही, पटवारी हल्का क्रमांक 8 में इकलहरा तथा पटवारी हल्का क्रमांक 8 में ही ग्राम भाजीपानी में कुल 183.608 हैक्टेयर में जमीन में कोयला ढूंढा जायेगा। इस कुल भूमि में 152.84 हैक्टेयर भूमि निजी तथा 30.768 हैक्टेयर सरकारी भूमि है। वेस्टर्न कोल्ड फील्ड को 90 दिनों के अंदर उक्त भूमि पर कोयले की उपलब्धता ढूंढ कर अपनी रिपोर्ट देनी है। इसके बाद भूमि के अर्जन की कार्यवाही प्रारंभ होगी।
वर्ष 2021 के अंत खदान प्रारंभ करने की योजना है :
उक्त पूर्वेक्षण वाली भूमि अलग से है तथा इनमें कोयला खदान वर्ष 2021 के अंत तक पुन: प्रारंभ करने की योजना है। इससे करीब चार सौ व्यक्तियों को रोजगार मिल सकेगा तथा आसपास अन्य इकोनामिक एक्टीविटीज भी प्रारंभ होने से बहुत से क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा। पूर्वेक्षण में कोयला खदानें पाई जाने पर जब उक्त भूमियों का अर्जन किया जायेगा तब उस पर काबिज लोगों का पुनर्वास भी किया जायेगा। विभागीय अधिकारी ने बताया कि सीबीए के तहत कोयला खदानों के पूर्वक्षण में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। हमें सिर्फ रायल्टी मिलती है। एमसीआर में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जबकि सीबीए में बिना परेशानी के सीधे भूमि का अधिग्रहण हो जाता है।

भोपाल। राज्य सरकार ने राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राजवर्धन सिंह को डेली कालेज इंदौर के बोर्ड आफ गवर्नर्स में राज्य शासन के नामिनी के रुप में सदस्य नियुक्त किया है। पहले पिछली कमलनाथ सरकार ने अपने नामिनी नियुक्त किये हुये थे जिनका मनोनयन अब निरस्त कर दिया गया है। विधायक राजवर्धन सिंह सत्तर के दशक में डेली कालेज में अध्ययन कर चुके हैं। इस संबंध में राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर दिये हैं।

भोपाल। ज्योतिरादित्य के अरमान पर पानी फिरता दिख रहा है, उनके समर्थकों को शर्तिया लाभ नहीं मिल पा रहा है।संघ के साथ उनकी खटपट से शिव राज कुनबे के  विस्तार में भी कांटे निकल रहे है।अपमान का विष पी पीकर थकने  बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस सम्मान और पद की चाहत में कांग्रेस की सरकार गिराई और भाजपा में शामिल हो गए अब वही सिंधिया राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को कदाचित खटकने लगे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कहते हैं सिंधिया मप्र सरकार में 10 बर्खास्त चहेते विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनवाने पर अड़े हुए हैं। खबरें मिली हैं कि सिंधिया की इस मांग पर भाजपा की मातृसंस्था आरएसएस को कड़ी आपत्ति है। एक संघ पदाधिकारी की माने तो संघ सिंधिया खेमे के 10 बागी बर्खास्त विधायकों को मंत्री बनाये जाने का पक्षधर नहीं है। और उसने अपनी इस मंशा से प्रधानमंत्री को अवगत भी करा दिया है। संघ के पदाधिकारी ने यहां तक बताया कि ज्योतिरादित्य को राज्यसभा भेजे जाने के लिए भी संघ सहमत नहीं हो रहा था लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उसने ना नुकुर करते हामी भर दी परंतु अब सिंधिया की मांग को संघ अनैतिक दवाब मान रहा है। संघ पदाधिकारी की बात अगर सच है तो इसका मतलब तो यह हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति आसमान से गिरे और खजूर में अटके वाली हो सकती है। शिवराज मंत्रिमंडल के कुल पांच सदस्यों में फिलहाल दो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट हैं। सिंधिया समर्थक वे निवर्तमान विधायक हैं जिन्हें कांग्रेस सरकार गिराने के दोष में विधानसभा सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया था। ऐसे कुल 22 विधायक हैं,जिन्होंने सिंधिया के साथ जाने का निर्णय लिया था। अब इन 22 सीटों पर उपचुनाव होने हैं साथ ही विधायकों के निधन के कारण पूर्व से रिक्त दो अन्य सीटें पर भी उपचुनाव होना है। कोरोना संक्रमण के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विशेष आग्रह पर संघ एवं भाजपा हाईकमान ने पांच सदस्यीय मंत्रिमंडल बनाने की स्वीकृति दे दी। और मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना आजकल में कही जा रही है। 232 विधायकों की संख्यानुसार मप्र मंत्रिमंडल में अधिकतम 34 सदस्य संख्या हो सकती है। जिसके मुताबिक अभी 29 पद रिक्त हैं। सिंधिया के समर्थक इन 22 बर्खास्त विधायको को उपचुनाव लड़ना है। जिसमे वर्तमान में दो मंत्री भी शामिल है। खबर तो यहां तक मिली है कि यशोधरा राजे सिंधिया और गोपाल भार्गव को पहले गठन में मंत्री न बनाए जाने पर भी  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खुश नहीं है। कोरोना संकट में मंत्रिमंडल विस्तार का दबाव सिंधिया की ओर से है क्योंकि पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में सिंधिया कोटे के 6 कैबिनेट मंत्री थे। सिंधिया की मंशा शिवराज मंत्रिमंडल में 10 लोगों को कैबिनेट मंत्री पद पर देखने की है। हालांकि आरएसएस के अड़ंगे की खबरें जिस प्रकार मिल रहीं हैं उसे देखकर तो नहीं लग रहा है कि ज्योतिरादित्य की मंशा पूरी हो पाएगी। सिंधिया चाहेंगे कि मंत्रिमंडल विस्तार में देर न हो ताकि उनके लोग मंत्री बनकर अपने विधानसभा क्षेत्रों में कुछ कार्य कर लें। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सिंधिया को राज्यसभा भेजने तथा केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देने पहले से राजी हैं लेकिन संघ के तेवरों को देखते हुए 10 मंत्रिपद दे पाना उनके लिए जरा मुश्किल हो गया है।

सिंधिया से संघ अलग क्यों ?
जिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण मप्र में भाजपा की महज 15 महीनों में सत्ता पुनर्स्थापित हो पाई और शिवराज चौथी बार मुख्यमंत्री बन पाए, संघ उन्हें लेकर ज्यादा खुश नहीं बताया जा रहा है।  इसका प्रमुख कारण संघ के कार्यकर्ताओं से मिल रहे फीडबैक को बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य के भाजपा में आने से भाजपा के भीतर अंतर्कलह बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं को अपनी ही सरकार में उतना महत्व नहीं मिल पायेगा जितना सिंधिया समर्थकों को। इससे आपसी टकराव भी बढ़ेगा। भाजपा को इससे नुकसान होगा। सिंधिया के भाजपा में आने की शर्तों में एक यह भी है कि जिन 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी उन्हें ही भाजपा से उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया जाएगा। यानी भाजपा के उम्मीदवार रहे भाजपा नेताओं को कांग्रेस के आयातित उम्मीदवारों को जिताने के लिए काम करना पड़ेगा। संघ को मिले फीडबैक में यह बात भी आई है कि जिस महल के खिलाफ दशकों से भाजपा लड़ती आई है, उनके कई नेताओं का राजनीतिक भविष्य मिट जाएगा। इतना ही नहीं उन्हें  महल के आगे नाक रगड़नी पड़ सकती है। ग्वालियर चम्बल क्षेत्र के भाजपा नेता, संघ के स्वयंसेवक दुविधा में हैं। सिंधिया की शैली जगजाहिर है इससे चिंता बढ़ गई है।

इन्हें मंत्री पद की आस-
राज्यवर्धन दत्तीगांव, इंदल कंसाना, महेंद्र सिसोदिया, इमरती देवी, प्रदुम्न सिंह तोमर,प्रभुराम चौधरी, बिसाहूलाल सिंह,हरदीप डंग आदि।

भाजपा से भाजपा द्वंद ...!
2018 के चुनाव में कांग्रेस के 22 बागी विधायक जिन सीटों से जीते थे, उनमें से 20 पर भाजपा दूसरे नंबर पर थी। 11 सीटों पर जीत-हार का अंतर 10% से भी कम आया था।22 बागी में से 15 तो अकेले सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल से हैं। इन्हें दोबारा जीतना चुनौती होगी।  इनमें मुरैना से 4, ग्वालियर से 3, अशोकनगर, शिवपुरी और भिंड से 2-2 हैं। इनके अलावा दतिया, देवास, रायसेन, इंदौर, गुना, सागर, मंदसौर, अनूपपुर और धार जिले से 1-1 हैं।

भोपाल।प्रदेश की शिवराज सरकार ने वैश्विक महामारी कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में अधिकाधिक आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार के अवसर पैदा करने के लिये एक हजार दिन की नई कार्ययोजना बनाई है जिसके तहत व्यापक श्रम सुधार किये जा रहे हैं। इसी के तहत प्रदेश के सभी पंजीकृत कारखानों को तीन माह तक निरीक्षण आदि विभिन्न प्रावधानों से छूट प्रदान की गई है।
इस संबंध में राज्य के श्रम विभाग ने कारखाना अधिनियम 1948 के तहत नया प्रावधान जारी किया है। नये प्रावधान के तहत आगामी तीन माह के लिये राज्य में पंजीकृत सभी कारखानों को कारखाना अधिनियम 1948 तथा मप्र कारखाना नियम 1962 के सभी प्रावधानों सें छूट प्रदान कर दी गई है। परन्तु कारखाना अधिनियम के सुरक्षा संबंधी प्रावधानों और मप्र कारखाना नियमावली 1962 से छूट नहीं प्रदान की गई है।
अब विवरणी एक ही बार ऑनलाईन जमा होगी :
इधर राज्य सरकार ने एक नया उपबंध और कर दिया है। इसके तहत अब राज्य के सभी कारखानों को साल में दो बार अपनी विवरणी श्रम विभाग के पास जमा नहीं करना होगी बल्कि हर साल 1 फरवरी के पूर्व संयुक्त विवरणी भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की वेबसाईट पर ऑनलाईन इलेक्ट्रानिक रुप में प्रस्तुत करना होगी।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने कोविड-19 के सन्दर्भ में एक हजार दिनों की कार्ययोजना बनाई है। इसके तहत प्रदेश के सभी पंजीकृत कारखानों को संबंधित अधिनियम के सुरक्षा संबंधी प्रावधानों को छोडक़र शेष सभी उपबंधों से छूट प्रदान की गई है। इनमें निरीक्षण आदि प्रावधान हैं जिनसे छूट दी जायेगी जिससे आर्थिक गतिविधियां एवं रोजगार बढ़े।

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के बागियों के मदद से कमलनाथ की कांग्रेस सरकार की सत्तापलट के वाद अब इसके साइड इफेक्ट भारतीय जनता पार्टी में साफ साफ दिखने लगे हैं। लेकिन इस राजनैतिक कशमकश के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की राजनीतिक कुशलता मंत्रिमंडल पार्ट 0.2  में देखने को मिलेगी। हालांकि भाजपा के कुछ नेताओं की अंदरूनी नाराजगी के चलते मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल 0.2 का विस्तार में देरी हो रही है। क्योंकि बदले राजनैतिक घटनाक्रम के चलते मध्यप्रदेश के कई दिग्गजों के मंत्री बनने की राह कठिन हो गई है। उदाहरण के तौर पर मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में भाजपा के दिग्गज नेता रामपाल सिंह और सुरेंद्र पटवा जो भाजपा सरकार में मंत्री थे। अब इनको मंत्री बनाये जाने को लेकर संशय बना हुआ है। क्योंकि रायसेन जिले से अब कांग्रेस से भाजपा में आये डॉ प्रभुराम चौधरी का मंत्री बनना तय है। यही स्थिति उन सभी क्षेत्रों में बनी हुई हैं जहां जहां सिंधिया समर्थक मंत्री बनाये जाना तय है।  बहीं जिन 24 विधानसभाओं में विधानसभा के उप चुनाव होने हैं उनमें से भारतीय जनता पार्टी का दामन संभालने बाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 निलंवित विधायकों को टिकिट दिया जाना भी तय है। ऐसे में इन विधानसभाओं के भारतीय जनता पार्टी के उन दिग्गज नेताओं को भी अपने पोलिटिकल केरियर पर  राजनीतिक संकट नजर आ रहा है। जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी में जिंदगी भर मेहनत की और भारतीय जनता पार्टी के टिकिट पर चुनाव लड़ते आ रहे हैं। उनमें से अधिकांश भाजपा नेता दबी जुबान से विरोध करते नजर आ रहे हैं। लेकिन चूंकि भाजपा के जिस शीर्ष स्तर से  शिवराज सरकार बनाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया से कमिटमेंट हुआ है। उसके चलते इन नेताओं का विरोध भारतीय जनता  पार्टी कितना सहन कर पायेगी यह देखने बाली बात होगी। यदि हम रायसेन जिले की साँची विधानसभा की बात करें तो यहाँ भारतीय जनता पार्टी में डॉ गौरी शंकर शेजवार और मुदित शेजवार का एक छत्र वर्चस्व रहा है। इस बार मुदित शेजवार ने चुनाव भी लड़ा और बे डॉ प्रभुराम चौधरी से पराजित हुए थे। मध्यप्रदेश के बदले हुए राजनैतिक परिदृश्य में शिवराज को मंत्रिमंडल गठन में खासी मसक्कत करनी पड़ रही है। क्योंकि भाजपा के कई सीनियर नेता कांग्रेस से भाजपा में आये इन नए नबेले नेताओं को हजम नहीं कर पा रहे हैं।और अंदरूनी असंतोष पनप रहा है। इसी के चलते इन नेताओं के समर्थक अब अंदरूनी विरोध करते नजर आ रहे हैं। और हो सकता है आने बाले उप चुनाबों में अपने नेताओं की हरी झंडी मिलते ही यह नेता खुलकर विरोध के स्वर मुखर कर दें।हालांकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में आये निलंवित विधायकों ने सबसे पहले उन भारतीय जनता पार्टी के उन क्षेत्रीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को साधना शुरू कर दिया है जो वर्तमान में भाजपा के स्थापित नेताओं के विरोधी कहे जाते हैं। अब देखने बाली बात यह होगी कि आने बाले उप चुनाबों को क्या इनके बल पर जीता जा सकता है ?क्या बर्तमान के हारे हुए भाजपा के विधायक इन नए नेताओं के पक्ष में कितनी ईमानदारी से कार्य करके इन्हें जिताने में भूमिका निभाएंगे ? हालांकि कांग्रेस ने कई जिलों में कांग्रेस विरोधी कार्य करने का आरोप लगाते हुए अनेक कांग्रेसी पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया है बहीं कांग्रेस के कुछ मतदाता भी सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र वाली सीट पर उनके इस कदम का साथ देंगे। तो कुछ उनके विरोध में खड़े दिखाई देंगे। साथ ही भाजपा के कार्यकर्ता भी समर्थन एवं विरोध के खेमे में बंट जाएंगे और इन सीटों पर परिणाम मिश्रित दिखाई देने की संभावना है।

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