ईश्वर दुबे
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अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए साधु-संत सहित आरएसएस सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। इसी बीच दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अखिल भारतीय संत समिति दो दिनों की बैठक कर रही है। इस बैठक को धर्मदेश नाम दिया गया है। यहां विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। समिति धर्म से जुड़े हुए अन्य ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने के बाद एक प्रस्ताव पारित करेगी। इसके अलावा 30 अक्तूबर 1990 और 2 नवंबर 1990 को अयोध्या में पुलिस फायरिंग में मारे गए कार सेवकों की मौत पर शोक प्रकट किया जाएगा।
संत समिति की यह बैठक आरएसएस के बयान के एक दिन बाद हो रही है। मंदिर निर्माण को लेकर संघ के सर कार्यवाह भैय्याजी जोशी ने शुक्रवार को कहा था कि जरूरत पड़ने पर 1992 जैसा आंदोलन किया जा सकता है। इस संत समिति की बैठक में 127 हिंदू संगठनों के संत, शंकराचार्य और उच्च हिंदू संगठनों के साधु हिस्सा लेंगे। जिसमें साध्वी ऋतंभरा भी शामिल हैं। 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान वह अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा में रही थीं।
मंदिर निर्माण के लिए भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने संघ प्रमुख अमित शाह के साथ गुरुवार देर रात मुंबई में मुलाकात की थी। दोनों ने एक घंटे से ज्यादा समय तक मुलाकात की। बुधवार को आरएसएस ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शीघ्र निर्माण के लिए अध्यादेश लाने या फिर कानून बनाने की अपनी मांग को दोबारा दोहराया था। एक महीने पहले शाह ने राम मंदिर को लेकर कहा था कि वह चाहते हैं कि मंदिर का निर्माण 2019 से शुरू हो जाए।
वहीं शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए संघ के सरकार्यवाह जोशी ने कहा था, 'राम सभी के हृदय में रहते हैं पर वो प्रकट होते हैं मंदिरों के द्वारा। हम चाहते हैं कि मंदिर बने। काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम अपेक्षा कर रहे हैं कि न्यायालय हिंदू भावनाओं को समझ कर निर्णय देगा।' उन्होंने कहा था कि अदालत को हिंदू भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब देर न करें और मैं अदालत से निवेदन करुंगा कि वह अपने आदेश पर पुनर्विचार करते हुए इसपर जल्दी सुनवाई करें।