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छत्तीसगढ़ में पहले चरण के चुनाव के लिए आज प्रचार अभियान थम जाएगा। यहां 12 नवंबर को नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव होने हैं। इसके लिए सभी पार्टियां अपना ताकत झोंक रही हैं। इसी बीच आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी राजनंदगांव स्थित एक गुरुद्वारे पहुंचे हैं। यहां उन्होंने मत्था टेका और प्रार्थना की। राजनंदगांव राज्य के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह का निर्वाचन क्षेत्र है।

 

चुनाव से 48 घंटे पहले प्रचार अभियान थम जाता है। इसी वजह से सत्तापक्ष और विपक्ष लोगों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। आज जहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रैलियां करेंगे। वहीं विपक्षी पार्टी की तरफ से राहुल गांधी भी कई रैलियों को संबोधित करेंगे। सत्ता पर दोबारा काबिज होने के लिए भाजपा ने प्रचार के आखिरी दिन अपनी स्टार प्रचारकों की फौज को उतार दिया है।

वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी ने राफेल सौदे को लेकर एक बार फिर शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस लड़ाकू विमान की कीमत सब जानते हैं लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय गोपनीयता का विषय कह रही है और इस बारे में उच्चतम न्यायालय को भी नहीं बता रही है। गांधी ने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया।

राहुल ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'प्रधानमंत्री जानते हैं, अनिल अंबानी जानते हैं, फ्रांस्वा ओलांद जानते हैं और एमैनुएल मैक्रों भी जानते हैं। हर पत्रकार जनता है। रक्षा मंत्रालय के बाबू जानते हैं। पूरा दसॉल्ट जानता है। दसॉल्ट के सभी प्रतिस्पर्धी जानते हैं।' उन्होंने कहा, 'लेकिन राफेल की कीमत राष्ट्रीय गोपनीयता है जिसका खुलासा उच्चतम न्यायालय में भी नहीं हो सकता।' गांधी ने जो खबर शेयर की है उसके मुताबिक वायुसेना को मिल रहे 36 राफेल विमानों की कीमत पहले की प्रस्तावित कीमत से 40 फीसद अधिक है।

बता दें कि गांधी ने शुक्रवार को कांकेर जिले के पखांजुर में चुनावी सभा को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़ में पैसों की कमी नहीं है। प्रदेश में सालों से भाजपा की सरकार है। यहां चिटफंड कंपनियां लोगों का पैसा लेकर भाग गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कुछ उद्योगपति मित्रों का 3 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज माफ कर दिया। लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं किया। 

भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा था कि नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चोकसी देश का पैसा लेकर भाग गए। विजय माल्या देश छोड़ने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलकर गया था। नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से फेल योजना साबित हुई। सरकार ने लोगों को लाइन में लगा दिया। हर गरीब व्यक्ति, आदिवासी, महिलाएं बैंक के बाहर लाइन में लगी थीं। इससे क्या हासिल हुआ।

कर्नाटक सरकार शनिवार को 18वीं सदी में मैसूर साम्राज्य के शासक रहे टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है। भाजपा और कई हिंदू संगठनों द्वारा दी गई विरोध प्रदर्शन की धमकी के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा के बीच टीपू जयंती मनाई गई। टीपू को ‘‘धार्मिक रूप से कट्टर’’ करार देते हुए भाजपा की प्रदेश इकाई ने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार से टीपू जयंती नहीं मनाने को कहा था। एहतियात के तौर पर कर्नाटक के कई जिलों में निषेधाज्ञा लागू की गई है। 

 अधिकारियों ने बताया कि न तो टीपू जयंती के समर्थन और न ही इसके विरोध में जुलूस निकालने की अनुमति दी जा रही है। कोडागू और चित्रदुर्ग जिलों, तटीय जिलों सहित अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं। इन इलाकों में स्थानीय लोग टीपू जयंती के विरोध में बताए जा रहे हैं। साल 2015 में जब पहली बार आधिकारिक तौर पर टीपू जयंती मनाई गई थी तो कोडागू जिले में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई थी। इस बार भी यहां टीपू जयंती होराटा समिति ने शनिवार को बंद बुलाया है।


कोडागू की पुलिस अधीक्षक सुमना डी पणेक्करा ने पत्रकारों को बताया कि अब तक हालात शांतिपूर्ण हैं और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि कोई अनहोनी न होने पाए। उन्होंने कहा कि किसी को भी दुकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कराने की इजाजत नहीं दी जाएगी। बेंगलूर के पुलिस आयुक्त टी. सुनील कुमार ने कहा, ‘‘(बेंगलूर में) विधान सौध के आसपास करीब 500 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को तैनात किया गया है। शहर के अलग-अलग जोन के पुलिस उपायुक्त अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में सुरक्षा के प्रभार में रहेंगे। करीब 15,000 पुलिसकर्मी शहर की निगरानी करेंगे।’’ 

विधान सौध में टीपू जयंती उप-मुख्यमंत्री जी. परमेश्वर की मौजूदगी में मनाई जाएगी। मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी स्वास्थ्य कारणों से इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहेंगे। टीपू जयंती समारोह की सफलता की शुभकामनाएं देते हुए कुमारस्वामी ने शनिवार को एक बयान में कहा, ‘‘प्रशासन में टीपू द्वारा किए गए प्रगतिशील उपाय, नवोन्मेष को लेकर उनकी कोशिशें सराहनीय हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह डॉक्टर की सलाह पर आराम कर रहे हैं। वह कार्यक्रम में हिस्सा लेने में अक्षम हैं। बयान में कहा गया, ‘‘इसका खास मतलब निकालना गैर-जरूरी है। यह भी सच्चाई से कोसों दूर है कि वह (मुख्यमंत्री) सत्ता गंवाने के डर से इसमें हिस्सा नहीं ले रहे।’’ कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार टीपू जयंती मनाई जा रही है।

कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। इसे वचनपत्र का नाम दिया गया है। घोषणापत्र में किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता और महिला सुरक्षा को लेकर बड़े वादे किए गए हैं। 112 पन्ने के वचनपत्र में 973 घोषणाएं शामिल की गई हैं। लेकिन पार्टी का मुख्य फोकस 75 घोषणाओं पर है। 

ये हैं कुछ बड़े वादे:

1. किसानों के 75 हजार 800 करोड़ का कर्ज माफी का वादा

 

2. डीजल-पेट्रोल पर छूट मिलेगी
3. किसानों का बिजली बिल आधा करेंगे
4. रसोई गैस पर छूट की घोषणा
5. जन आयोग का गठन कर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ेंगे
6. सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 300 से बढ़ाकर 1000 करने का वादा
7. महिलाओं के स्व सहायता समूह के कर्ज माफ होंगे
8. लड़कियों के विवाह के लिये ₹51000 का अनुदान
9. विधान परिषद का गठन
10. ₹10000 प्रतिमाह हर परिवार के एक बेरोजगार युवा को दिया जाएगा
11. वकीलों, पत्रकारों के लिए सुरक्षा अधिनियम
12. पुलिस फोर्स में महिलाओं को प्राथमिकता
13. सभी टॉपर्स को फ्री लैपटॉप

इस मौके पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और चुनाव अभियान समिति के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद हैं। कमलनाथ ने कहा, "भाजपा ने घोषणापत्र के नाम पर अब तक जुमलापत्र पेश किये हैं। कांग्रेस विकास का एक नया नक्शा बनाएगी। ये वचनपत्र पीसीसी में नहीं सड़क और खेतों में जाकर बना है।" 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमारी सोच सकारात्मक, प्रगतिशील और एक नये सवेरे की सोच है, पहली बार घोषणापत्र नही वचनपत्र और संकल्प पत्र रखा जा रहा है।

मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होना है। 

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने आज अपना घोषणापत्र जारी किया। भाजपा ने इसे संकल्प पत्र का नाम दिया है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, सीएम डॉ. रमन सिंह और अन्य नेताओं ने रायपुर में संकल्प पत्र जारी किया। इस दौरान अमित शाह ने छत्तीसगढ़ सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए रमन सरकार की जमकर तारीफ की। शाह ने नक्सलवाद पर नकेल को रमन सरकार की बड़ी उपलब्धि करार दिया। 

क्या-क्या कहा अमित शाह ने पढ़ें- 

-15 साल के अंदर रमन सिंह सरकार ने छत्तीसगढ़ को बदलने का प्रयास किया है।
-छत्तीसगढ़ बनने के बाद जनता ने भाजपा को जनमत दिया। रमन सिंह सीएम बने और 15 साल से राज्य विकास के पथ पर अग्रसर है।
-रमन सिंह सरकार की उपलब्धि है कि यहां नक्सलवाद पर काबू पाया गया।
-छत्तीसगढ़ की पहचान एक वक्त पिछड़े राज्य के तौर पर होती थी। आज छत्तीसगढ़ पावर हब, इस्पात हब, अल्युमिनियम हब और शिक्षा हब बना है। रमन सिंह आज इसे डिजिटल हब बनाने में जुटे हैं।
-बाकी दलों के लिए जीतने-हारने का चुनाव हो सकता है लेकिन भाजपा के लिए नव छत्तीसगढ़ के निर्माण का चुनाव है।
-अंत्योदय को हमने प्राथमिकता दी, 1 रुपये किलो चावल, नि:शुल्क नमक, नि:शुल्क चरणपादुका, नि:शुल्क साइकिल, भ्रष्टाचारविहीन व्यवस्था के जरिए लोगों तक पहुंचाने की कोशिश इस सरकार ने की। 
-रमन सरकार ने फसल के दाम बढ़ाकर किसानों के घर समृद्धि बढ़ाने का काम किया। प्रमुख फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदा।
-गरीबों, आदिवासियों को रोजगार देने का काम राज्य सरकार ने बखूबी किया।
-कौशल विकास को अधिकार के रूप में देने का काम सबसे पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है।
-असंगठित मजदूरों के 15 लाख परिवारों को कल्याणकारी योजनाओं में शामिल किया। 
-अमीर-गरीब का भेद मिटाकर 50 हजार रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया।  
  -सरकार ने मनरेगा के तहत 50 दिन का अतिरिक्त रोजगार दिया।
-संकल्प पत्र के लिए हमने बुद्धिजीवियों से संपर्क किया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने मजदूरों, आदिवासियों, महिलाओं से संपर्क किया।  
-रमन सिंह जी का रिकॉर्ड है कि इन्होंने जो भी कहा वो पूरा किया है। भाजपा ने जो कहा है उसका एक-एक शब्द रमन सिंह जी की अगुवाई में पूरा करेंगे।

वहीं, सीएम रमन सिंह ने संकल्प पत्र की मुख्य बातें सामने रखीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसे आगे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी। क्या क्या कहा पढ़ें- 

-हमारी सरकार ने किसानों की फसल समर्थन मूल्य पर खरीदी, फसलों के दाम और बढ़ाएंगे। 
-छात्रों को मुफ्त किताबें, साइकिल देंगे। 
-2022 तक सभी को आवास देंगे। 
-60 साल से ज्यादा उम्र के मजदूरों को 1 हजार रुपये पेंशन
-छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करेंगे।
-महिलाओं को 2 लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त कर्ज।
-छत्तीसगढ़ में होगा फिल्म सिटी का निर्माण। 

कांग्रेस ने शुक्रवार को जारी किया था घोषणापत्र 

बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी किया था। इसमें किसानों की कर्जमाफी सहित कई वादे किए गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को डोंगरगढ़ में घोषणापत्र जारी कर दिया जिसे 'जन घोषणा पत्र' नाम दिया गया है। घोषणापत्र में किसानों और बेरोजगारों पर जोर साफ दिखाई दिया। पार्टी ने कई बड़े वादे किए हैं।

चंद्र शेखर शर्मा (पत्रकार )
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राजनीति एक ऐसी चीज है जहां हर कोई खुद को दूसरों से बेहतर बताकर हित साधना चाहता है । इस हित में और कुछ नहीं ‘सत्ता का हित’ होता है । चुनावी समर में रोज नए नए समीकरण बन बिगड़ रहे है, कोई साथ छोड़ रहा तो कोई दामन थाम रहा है । ऐसा किसी एक पार्टी में नहीं वरन भाजपा , कांग्रेस व जोगी कांग्रेस सभी पार्टियों में हो रहा है ,कार्यकर्ताओ व पदाधिकारियो का आना -जाना ,रूठना- मनना लगा है । कबीरधाम जिले की पंडरिया विधानसभा में भाजपा में वर्तामान विधायक को बाहरी प्रत्यासी बताने के नाम पर चिल्ल -पों और खलबली मची हुई है तो कांग्रेस में पैराशूट लैंडिंग से बेमेतरा से प्रत्यासी आयातित करने पर स्थानीय कांग्रेसी अपने भविष्य को ले कर चिंतित । जिले की राजनीति में प्रभावशाली महल को टिकट नहीं मिलने से कांग्रेस के एक धड़े में असंतोष फैला है , जो रानी के निर्दलीय प्रत्यासी के रूप में सामने आ रहा है । बदले घटना क्रम में राज परिवार के महराज एवं पूर्व विधायक योगेश्वर राज सिंह ने भले ही टी एस सिंह देव के अनुरोध पर पंडरिया सीट से अपना नामांकन वापस ले कांग्रेस के प्रति समर्पण भाव दिखाने का प्रयास किया है, पर रानी कृति देवी के बगावती तेवर ने राजनैतिक दलों की चूलें हिला कर रख दी है । वे अब कवर्धा सीट से चुनावी समर में उतर चुकी है । अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर अब तक कवर्धा राज परिवार का दबदबा क्षेत्र के साथ साथ प्रदेश की राजनीती में हमेशा बरक़रार रहा । राजा धर्मराज सिंह की गौरवशाली परम्परा का निर्वहन करते राज परिवार आदिवासी परिवार से है और कवर्धा आदिवासी बाहुल्य जिला होने के कारण इनका प्रभाव भी आदिवासी समाज पर है । रामराज्य परिषद के बैनर तले प्रथम निर्वाचन में भागीदारी निभाने के बाद राज परिवार ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया तब से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पित रही । राज परिवार ने विगत चुनाव में कांग्रेस का दामन छोड़ने और महल की राजनीती का अंत करने से नाराज  महल समर्थकों ने मो. अकबर को हाशिये पे लाकर खड़ा कर दिया जिसका परिणाम विगत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के रूप में सामने आया था ।  5 साल कांग्रेस से महल की दूरी के बाद टिकट की आस में राजा का पुनः कांग्रेस प्रवेश और पुनः कांग्रेस की दगाबाजी से नाराज महल के राजा भले ही शांत हो गए हो पर रानी की नाराजगी आज भी बरकरार है ।यहाँ बताना लाज़मी होगा कि योगिराज के पिता स्व. महाराज विश्व राज सिंह ,माता रानी शशि प्रभा सिंह एवं स्वयं योगिराज सिंह विधायक रह चुके है । क्षेत्र में राज परिवार की गरिमा और महल से जुड़े कर्मठ कार्यकर्ताओ की लम्बी फेहरिस्त है जो कई पीढ़ियों से महल के लिए निष्ठावान सदस्य के रूप में कार्य करते रहे है परंतु बदले परिवेश और समय के चलते युवा पीढ़ी का झुकाव अन्य राजनैतिक दलों की ओर होता जा रहा है । हांलाकि पुरानी पीढ़ी और कर्मठ कार्यकर्ता आज भी महल के साथ खड़े नजर आते है ।बहरहाल रानी के मैदान में उतरने से इसका प्रभाव तो आने वाले समय में दिखेगा कि "बंद मुट्ठी लाख की खुली मुट्ठी खाक की है या खुली मुट्ठी भी लाख की है ", खैर चुनावी नतीजे जो हों लेकिन इतना तय है कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि थी, है और रहेगी | इसे राजनीतिक पार्टी और प्रत्याशी समझकर चलें इसी में जन-कल्याण और तंत्र कल्याण भी है ।
 
और अंत मे 
 
लकीरें खींच रक्खी है चंद सियासत दानों ने थाली में , 
वरना फ़र्क़ ही क्या है तेरी ईद और मेरी दिवाली में ।
 
जय हो 
 
  • लोरमी स्थित भवन से निर्वाचन विभाग की टीम ने एसडीएम के नेतृत्व में मारा छापा 
  • कर्मचारियों से पूछताछ जारी, अभी तक शराब रखने वालों का नहीं चला पता  

मुंगेली.  निर्वाचन विभाग की टीम ने गुरुवार देर रात लोरमी स्थित शासकीय राजीव गांधी भवन में छापा मारकर अवैध शराब की 27 पेटी जब्त की है। हालांकि अभी तक यह नहीं पता चल सका है कि भवन में शराब किसने रखवाई थी। टीम ने शराब की पेटियां जब्त कर ली हैं और भवन के कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। 

 जानकारी के मुताबिक निर्वाचन विभाग की टीम को सूचना मिली कि लोरमी के लालपुर थाना क्षेत्र के मनोहरपुर स्थित शासकीय राजीव गांधी भवन में अवैध शराब रखी गई है। इस पर टीम ने भवन में छापा मारकर वहां से शराब की 27 पेटियां बरामद की। आशंका जताई जा रही है कि यह शराब चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में बांटने के लिए लाई गई थी। 

 जब्त शराब की कार्रवाई में अबकारी विभाग भी जांच में जुट गया है। ग्राम मनोहरपुर के सरकारी भवन में जब्त की शराब को लेकर ग्रामीणों ने कहा कि इस शराब को मतदाताओं को बांटने के लिए रखा गया। जिससे राजनैतिक पार्टियां मतदाता को लुभा सकें। 

  • कांग्रेस के स्टार प्रचारक सांसद राज बब्बर 3 दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे रायपुर 

  • महासमुंद की सभा से करेंगे आगाज, राजधानी में करेंगे नेताओं और कार्यकर्ताओं से बात 

रायपुर. कांग्रेस के स्टार प्रचारक सांसद अौर फिल्म अभिनेता राज बब्बर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 15 सालाें तक डॉक्टर ने शासन किया। इसके बावजूद न तो वह नब्ज पकड़ सके और न ही इलाज ही हुआ। उन्होंने कहा कि अब छत्तीसगढ़ से भाजपा सरकार का जाना तय है। सांसद राज बब्बर अपने तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर शुक्रवार को रायपुर पहुंचे थे।

  सांसद राज बब्बर ने नक्सलियों को लेकर कहा कि क्रांति विचारों, व्यवहार और बोली से होती है, गोलियों से सिर्फ आतंकवाद पनपता है। दीपावली की छुटि्टयों के ठीक बाद कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने प्रदेश में दस्तक देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही अब शुक्रवार को फिल्म अभिनेता और सांसद राजब्बर भी प्रत्याशियों के समर्थन में मैदान में उतरेंगे। 

 कांग्रेस के स्टार प्रचारक राज बब्बर महासमुंद की सभा से प्रचार का आगाज करेंगे। कांग्रेस के हाथों से पिछले चुनाव में छिन गई सीटों को वापस पाने के लिए भाजपा नेताओं के क्षेत्र में उनकी हुंकार सुनाई देगी। वहीं राजधानी में भी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर सकते हैं। 

 प्रदेश कांग्रेस की ओर से उनका मिनट टू मिनट कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। सांसद राज बब्बर 9 नवंबर को सुबह 11:25 बजे मुंबई से रायपुर आएंगे। फिर दोपहर 1 बजे महासमुंद में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसके बाद 2 बजे मोपका में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। दोपहर 3.30 बजे तखतपुर और शाम  6 बजे रायपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में सभा करेंगे। रात्रि विश्राम रायपुर में करेंगे। 

 अगले दिन 10 नवंबर को सुबह 11 बजे रायपुर से पैलीमेटा से खैरागढ़ विधानसभा के लिए प्रस्थान करेंगे। जहां 12 बजे पैलीमेटा में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसके बाद 1.30 बजे खैरागढ़ और दोपहर  3 बजे मोहला के स्थानीय कार्यक्रम भाग लेंगे। शाम  6 बजे उत्तर विधानसभा में जनसंपर्क कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। 

 11 नवंबर को सुबह 11:30 बजे रायपुर से कुनकुरी विधानसभा के लिए प्रस्थान करेंगे। दोपहर 12:15 बजे कुनकुरी में, फिर 1:45 बजे चंद्रपुर में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। वहां से दोपहर 3:30 बजे धमतरी में सभा और रोड शो करेंगे। इसके बाद  12 नवंबर सुबह 10:50 बजे रायपुर से दिल्ली प्रस्थान करेंगे। 

  • एम-777 होवित्जर तोप रासायनिक हमले को भांपने में सक्षम
  • पाकिस्तान और चीन की सीमा जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में होवित्जर बेहद कारगर
  • सेना में के-9 वज्र तोप भी शामिल, इसे भारतीय निजी क्षेत्र ने बनाया

मुंबई. भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। महाराष्ट्र के दवलाली में शुक्रवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में सेना को एम-777 होवित्जर तोप और के-9 वज्र तोप सौंपी गईं। इस मौके पर सेना प्रमुख विपिन रावत भी मौजूद रहे। होवित्जर तोप की मारक क्षमता 40-50 किलोमीटर है। इसी तरह के-9 28 से 38 किलोमीटर तक की रेंज में सटीक निशाना साध सकती है।

 होवित्जर की 7 रेजीमेंट बनेंगी

थल सेना 145 एम 777 होवित्जर की सात रेजीमेंट भी बनाने जा रही है। इन तोपों की आपूर्ति अगस्त 2019 से शुरू हो जाएगी और यह पूरी प्रक्रिया 24 महीने में पूरी होगी। इसे हेलीकॉप्टर या विमान के जरिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। होवित्जर अमेरिका में बनी बेहद हल्की तोप है। इसे अफगानिस्तान और इराक युद्ध में इस्तेमाल किया जा चुका है। अभी इसका इस्तेमाल अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया कर रहे हैं।

 2020 तक सौंपी जाएंगी 100 के-9

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने संवाददाताओं से कहा कि के-9 वज्र के प्रोजेक्ट पर 4,366 करोड़ रुपए और एम-777 होवित्जर के प्रोजेक्ट पर 5070 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। यह काम नवंबर 2020 तक पूरा होगा। सेना को के-9 श्रेणी की 100 तोपें सौंपी जानी है। इस महीने 10 तोपें सौंपी जाएंगी। अगली 40 तोपें नवंबर 2019 में और बाकी 50 तोपें नवंबर 2020 तक सौंपी जाएंगी।

 जुलाई तक पूरी हो जाएगी रेजीमेंट

के-9 वज्र 30 सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है। इसकी पहली रेजीमेंट जुलाई 2019 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसे भारतीय निजी क्षेत्र ने तैयार किया है।

जगदलपुर (छत्तीसगढ़)।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में पिछले महीने नक्सली हमले में मारे गये दूरदर्शन के कैमरामैन अच्युतानंद साहू को शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी और विपक्षी कांग्रेस पर ‘‘शहरी माओवादियों’’ को बचाने का आरोप लगाया।
दंतेवाड़ा जिले में 30 अक्टूबर को नक्सलियों के हमले में साहू और दो सुरक्षाकर्मी मारे गये थे। यह जिला राज्य की राजधानी रायपुर से करीब 450 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मोदी ने कहा, ‘‘दूरदर्शन के एक निर्दोष कैमरामैन अच्युतानंद साहू की माओवादियों ने हत्या कर दी, जो अपनी ड्यूटी कर रहे थे। वह बस्तर के लोगों के सपनों को समूचे देश के लोगों के साथ साझा कर रहे थे। इसमें उनकी क्या गलती थी?’’ प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ में यहां अपनी पहली चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। छत्तीसगढ़ में 12 नवंबर को विधानसभा के लिये पहले चरण का मतदान होगा।
 
उन्होंने कांग्रेस पर शहरी माओवादियों के समर्थन का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने गरीब आदिवासी युवाओं का जीवन बर्बाद किया। मोदी ने कहा, ‘‘हाल में हमारे बहादुर जवान भी माओवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए और कांग्रेस पार्टी के लिये ये माओवादी क्रांतिकारी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब बस्तर की जनता को कांग्रेस के इन नेताओं को हार का स्वाद चखाकर मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए, जो शहरी माओवादियों को तो बचाने की कोशिश करते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ को माओवादियों से मुक्त कराने की बात करते हैं।’’ नक्सलियों को ‘‘बुरी मानसिकता वाला दैत्य’’ बताते हुए मोदी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने बस्तर क्षेत्र के विकास के लिये कुछ खास नहीं किया। नक्सलियों ने मतदाताओं को आगामी चुनाव का बहिष्कार करने को कहा है। 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिये 12 और 20 नवंबर को दो चरण में चुनाव होंगे। पहले चरण का चुनाव बस्तर क्षेत्र के 18 नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्रों में होगा। शेष 72 विधानसभा क्षेत्रों के लिये चुनाव 20 नवंबर को होंगे और मतगणना 11 दिसंबर को होगी।
नोटबंदी के दो वर्ष पूरे हो गये हैं। अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित बनाने की दिशा में सरकार द्वारा जो भी कदम उठाए गए उनमें नोटबंदी एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है। सबसे पहले सरकार ने देश के बाहर काले धन पर निशाना साधा। संपत्ति धारकों को दंड कर के भुगतान पर उस पैसे को वापस लाने के लिए कहा गया। जो लोग ऐसा करने में असफल रहे हैं उन पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। दूसरे देशों में मौजूद सभी बैंक अकाउंट्स और संपत्तियों का विवरण सरकार तक पहुंचा है, जिसके परिणामस्वरूप नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
 
तकनीकी का इस्तेमाल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों पर रिटर्न दाखिल करने और टैक्स बेस का विस्तार करने के लिए किया गया है। कमजोर वर्ग भी देश की औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा हों, यह सुनिश्चित करने की दिशा में वित्तीय समावेशन एक और महत्वपूर्ण कदम था। जन धन खातों के जरिए अधिक से अधिक लोग बैंकिंग प्रणाली से जुड़ चुके हैं। आधार के जरिए सरकारी सहायता का प्रत्यक्ष और पूरा लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंच रहा है। जीएसटी के जरिए अप्रत्यक्ष करों के भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाना सुनिश्चित किया गया।
 
नकद की भूमिका
 
भारत नकदी के वर्चस्व वाली अर्थव्यवस्था थी। नकद लेन-देन में, लेने वाले और देने वाले का पता नहीं लगाया जा सकता। इसमें बैंकिंग प्रणाली की भूमिका पीछे छूट जाती है और साथ ही टैक्स सिस्टम भी बिगड़ता है। नोटबंदी ने नकद धारकों को सारा कैश बैंकों में जमा करने पर मजबूर किया। बैंकों में नकद जमा होने और किसने जमा किए, ये पता चलने के परिणामस्वरूप 17.42 लाख संदिग्ध खाता धारकों की पहचान हो सकी। नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंड कार्रवाई का सामना करना पड़ा। बैंकों में ज्यादा धन जमा होने से बैंकों की ऋण देने की क्षमता में भी सुधार हुआ। आगे निवेश के लिए इस धन को म्यूचुअल फंड में बदल दिया गया। ये कैश भी औपचारिक प्रणाली का हिस्सा बन गया।
 
गलत तर्क
 
नोटबंदी की एक बे-तर्क आलोचना यह है कि लगभग पूरा नकद बैंकों में जमा हो गया है। नोटबंदी का उद्देश्य नकदी की जब्ती नहीं था। नोटबंदी का उद्देश्य था कैश को औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल कराना और कैशधारकों को टैक्स सिस्टम में लाना। भारत को नकद से डिजिटल लेनदेन में स्थानांतरित करने के लिए सिस्टम में बदलाव की ज़रूरत है। इसका स्पष्ट रूप से उच्च कर राजस्व और उच्च कर आधार पर असर होगा।
 
डिजिटलीकरण पर प्रभाव
 
‘द यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस’ यानि एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) 2016 में लॉन्च किया गया था जिसके जरिए दो मोबाइल धारकों के बीच वास्तविक समय में भुगतान संभव है। इसके जरिए हुआ लेन-देन अक्टूबर 2016 के 0.5 अरब रुपयों से बढ़कर सितंबर 2018 में 598 अरब रुपये पहुंच गया। भारत इंटरफेस फॉर मनी यानि भीम (बीएचआईएम) एनपीसीई द्वारा विकसित किया गया एक ऐप है, जिसमें यूपीआई का उपयोग कर त्वरित भुगतान किया जाता है। इस समय करीब 1.25 करोड़ लोग लेनदेन के लिए भीम ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। भीम ऐप के जरिए लेनदेन सितंबर 2016 के 0.02 अरब रुपये से बढ़कर सितंबर 2018 में 70.6 अरब रुपये हो गया। जून 2017 में यूपीआई के जरिए हुए कुल लेनदेन में भीम ऐप की हिस्सेदारी लगभग 48% है।
 
रुपे कार्ड का उपयोग प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) और ई-कॉमर्स दोनों में किया जाता है। इसके जरिए प्वाइंट ऑफ सेल में नोटबंदी से पहले 8 अरब रुपयों का लेनदेन हुआ था वहीं सितंबर 2018 में यह बढ़कर 57.3 अरब रुपये हो गया और ई-कॉमर्स में ये आंकड़ा 3 अरब रुपयों से बढ़कर 27 अरब रुपये हो गया।
 
आज यूपीआई और रुपे कार्ड की स्वदेशी भुगतान प्रणाली के आगे वीजा और मास्टरकार्ड भारतीय बाजारों में अपनी हिस्सेदारी खो रहे हैं। डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से होने वाले भुगतान में यूपीआई और रूपे की हिस्सेदारी अब 65% तक पहुंच चुकी है।
 
प्रत्यक्ष करों पर प्रभाव
 
नोटबंदी का प्रभाव व्यक्तिगत इनकम टैक्स कलेक्शन पर भी देखा गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष 2018-19 (31-10-2018 तक) इनकम टैक्स कलेक्शन में 20.2% बढ़ोतरी देखी गई है। कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन भी 19.5% अधिक रहा। नोटबंदी से दो साल पहले जहां प्रत्यक्ष कर कलेक्शन में क्रमशः 6.6% और 9% की वृद्धि हुई, वहीं नोटबंदी के बाद के दो वर्षों- 2016-17 में 14.6% और 2017-18 में 18% की वृद्धि दर्ज हुई।
 
इसी तरह वर्ष 2017-18 में इनकम टैक्स रिटर्न 6.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक है। इस साल, 31-10-2018 तक 5.99 करोड़ रुपये का रिटर्न दाखिल किया जा चुका है जो पिछले वर्ष की इस तारीख तक की तुलना में 54.33% अधिक है। इस साल 86.35 लाख नये करदाता भी जुड़े हैं।
 
मई 2014 में जब वर्तमान सरकार चुनी गई, तब इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की कुल संख्या 3.8 करोड़ थी। इस सरकार के पहले चार वर्षों में यह संख्या बढ़कर 6.86 करोड़ हो गई है। इस सरकार के पहले पांच वर्ष पूरे होने तक हम निर्धारिती आधार को दोगुना करने के करीब होंगे।
 
अप्रत्यक्ष कर पर प्रभाव
 
नोटबंटी और जीएसटी के लागू होने से नकद लेनदेन बड़े पैमाने पर खत्म हुआ है। डिजिटल लेनदेन में बढ़ावा साफ देखा जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचा है, करदाताओं की संख्या बढ़ी है। जीएसटी लागू होने के बाद करदाताओं का आंकड़ा पहसे के 60 लाख 40 हजार से बढ़कर 1 करोड़ 20 लाख हो गया। नेट टैक्स के हिस्से के रूप में दर्ज वस्तुओं और सेवाओं की वास्तविक खपत अब बढ़ी है। इसने अर्थव्यवस्था में अप्रत्यक्ष कर वृद्धि को बढ़ावा दिया है। इससे केंद्र और राज्य दोनों को फायदा हुआ है। जीएसटी के बाद प्रत्येक राज्य को हर साल कराधान में अनिवार्य 14% की वृद्धि हो रही है। तथ्य यह है कि निर्धारकों को अपने कारोबार की घोषणा अब न केवल अप्रत्यक्ष कर के प्रभावित आंकड़े के साथ करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि कर निर्धारण में उनसे उत्पन्न आयकर का खुलासा किया गया है। 2014-15 में जीडीपी अनुपात पर अप्रत्यक्ष कर 4.4% था। जीएसटी के बाद यह कम से कम 1 प्रतिशत अंक बढ़कर 5.4% तक चढ़ गया है।
 
छोटे करदाताओं को 97,000 करोड़ रुपये, जीएसटी निर्धारकों को 80,000 करोड़ रुपये की वार्षिक आयकर राहत देने के बावजूद टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों की दरें कम कर दी गई हैं, लेकिन टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है। टैक्स बेस का विस्तार किया गया है। प्री-जीएसटी 31% कर दायरे में आने वाली 334 वस्तुओं पर कर कटौती देखी गई है।
 
सरकार ने इन संसाधनों का इस्तेमाल बेहतर बुनियादी ढांचा निर्माण, सामाजिक क्षेत्र और ग्रामीण भारत के विकास के लिए किया है। इससे बेहतर क्या हो सकता है कि आज गांव सड़कों से जुड़ें हैं, हर घर बिजली पहुंच रही है, ग्रामीण स्वच्छता दायरा 92% पहुंच चुका है, आवास योजना सफल हो रही है, 8 करोड़ गरीब घरों तक गैस कनेक्शन पहुंचा है। दस करोड़ परिवारों को आयुष्मान भारत का लाभ मिल रहा है। सब्सिडी वाले भोजन पर 1,62,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, किसानों के लिए एमएसपी में 50% की वृद्धि और सफल फसल बीमा योजना। यह अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण है जिससे 13 करोड़ उद्यमियों को मुद्रा लोन मिला है। सातवां वेतन आयोग चंद हफ्तों के भीतर लागू किया गया था और वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा किया गया। अधिक व्यवस्थित अर्थव्यवस्था यानि अधिक राजस्व, गरीबों के लिए अधिक संसाधन, बेहतर बुनियादी ढांचा, और हमारे नागरिकों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन।
 
-अरुण जेटली
(लेखक केंद्रीय वित्त मंत्री हैं)

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