ईश्वर दुबे
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Bhilai
दीवाली के चलते बैंक में लंबी छुट्टी रह सकती है. आरबीआई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, 7 नवंबर को दिवाली, 8 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 9 नवंबर को भाईदूज के कारण उत्तर प्रदेश के बैंक बंद रहेंगे. 10 नवंबर को दूसरा शनिवार होने के कारण कई बैंक बंद रहेंगे और 11 नवंबर को रविवार की छुट्टी रहेगी. ऐसे में उत्तर प्रदेश में लगातार 5 दिन बैंक बंद रहेंगे.

आपको बता दें कि सरकार इतनी लंबी छुट्टी पर अक्सर रोक लगा देती है, लेकिन आपको इसकी तैयारी पहले से ही कर लेनी चाहिए. अगर आपका कोई जरूरी काम छूट रहा है तो इसे जल्दी से जल्दी निपाटा लें.
विधायक बनते ही अक्सर नेताओं के पास गाड़ी बंगला, सुख-सुविधाएं मिलने लगती हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में एक विधायक ऐसी भी हैं जो देश में सबसे कम कमाई करने वाले विधायकों की सूची में आती हैं। केराबाई मनहर को पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार उतारा था और उन्होंने कांग्रेस की दिग्गज नेता पद्मा मनहर को 15 हजार से भी ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी।
केराबाई सारंगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उनका परिवार बेहद सामान्य है, विधायक के रूप में मिलने वाली तनख्वाह ही उनकी आय का साधन है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार, केराबाई की वार्षिक तनख्वाह पांच लाख 40 हजार रुपये हैं। केराबाई की वार्षिक आय राष्ट्रीय स्तर के औसत आय से भी कम है।
केराबाई के पिता शिक्षक थे, उनकी गांव में थोड़ी सी खेती है, जिससे आय नाममात्र की होती है, इसके अलावा कुछ मवेशी हैं। सारंगढ़ के ग्राम टेंगनापाली में परिवार के सदस्य रहते हैं। इस विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने केराबाई मनहर पर ही विश्वास जताया है वहीं दूसरी ओर पिछली शिकस्त को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने उनके खिलाफ उत्तरी जांगड़े को उतारा है।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में 62 नक्सलियों ने 51 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है। सभी नक्सलियों ने बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा और नारायणपुर के एसपी जीतेंद्र शुक्ला के सामने आत्मसमर्पण किया।
जानकारी के मुताबिक आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों ने कहा कि हमने अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय खो दिया है, अब मुख्यधारा से जुड़कर काम करना चाहते हैं। बता दें राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों का नक्सलियों ने बहिष्कार किया है। विरोध करते हुए उन्होंने पर्चे फाड़े और बैनर लगाए।
वहीं ये भी कहा जा रहा है कि जिन दो ग्रामीणों को नक्सलियों ने बीजापुर के गंगालुर से अगवा किया था उनमें से एक की हत्या कर दी है। जबकि दूसरे ग्रामीण को मारपीट कर छोड़ दिया है। फिलहाल नक्सलियों ने ग्रामीणों के साथ ये सब किया है या नहीं, इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।
विरोध कर भाजपा को हटाने की बात कही
नक्सलियों ने विधानसभा चुनावों का विरोध करते हुए बीजापुर के भोपालपटनम ब्लॉक में पोस्टर लगाए। पोस्टरों में उन्होंने भाजपा को हटाने की बात कही है। इसके साथ ही नक्सलियों ने राजनीतिक प्रत्याशियों के पोस्टर पर क्रॉस का निशान भी लगाया है और कहा है कि जो भी वोट मांगने आए उसे मार भगाओ।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नामांकन के दौरान दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक उनकी संपत्ति में करीब सवा चार करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। शिवराज द्वारा नाम निर्देशन पत्र में दिए गए आय-व्यय के ब्यौरा के अनुसार उनके पास 10 करोड़ 45 लाख 82 हजार 140 रुपए हैं।
नामांकन पत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक उनकी पत्नी साधना सिंह की संपत्ति शिवराज से दोगुनी है। साल 2013 में दिए गए चुनावी शपथपत्र के मुताबिक शिवराज के पास छह करोड़ 27 लाख 54 हजार 114 रुपए की संपत्ति थी। जिसमें इस बार सवा चार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
शिवराज की संपत्ति का ब्यौरा
नगद राशि
शिवराज सिंह चौहान : 45 हजार
साधना सिंह : 40 हजार
बैंक एकाउंट का ब्यौरा
शिवराज सिंह चौहान
एसबीआई बैंक विदिशा- आठ लाख 36 हजार 819
एसबीआई बैंक भोपाल- पांच लाख 79 हजार 423
जिला सहकारी बैंक भोपाल- छ: लाख 10 हजार 532
साधना सिंह
एसबीआई विदिशा- नौ लाख 47 हजार 374
पीएनबी भोपाल- एक लाख 72 हजार 392
आवासीय
शिवराज सिंह चौहान : विदिशा में मकान है।
साधना सिंह : अरोरा कॉलोनी में फ्लैट है।
जमीन का ब्यौरा
शिवराज सिंह चौहान : 77 लाख रुपए
उनके पास जैत में 20 एकड़, बैस में साढ़े तीन लाख और डोलखेड़ी में ढाई एकड़ भूमि है।
साधना सिंह : तीन करोड़ 32 लाख रुपए
साधना सिंह के नाम से विदिशा में 32 एकड़ जमीन है।
वाहन
शिवराज सिंह चौहान के पास वाहन नहीं है।
साधना सिंह के नाम से डेढ़ लाख की एक एंबेसडर है।
अन्य
शिवराज सिंह चौहान
एक रिवाल्वर- 5500 रुपए
घरेलू सामान- दो लाख 50 हजार
कुल संपत्ति का ब्यौरा
शिवराज सिंह चौहान : तीन करोड़ 15 लाख 70 हजार 274 रुपए।
साधना सिंह : सात करोड़ 30 लाख 11 हजार 866 रुपए।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा के अंदर मचा संग्राम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम बाबूलाल गौर हर हाल में चुनाव लड़ने पर अड़े नजर आ रहे हैं। भाजपा ने अभी तक उनकी दावेदारी का एलान नहीं किया है, लेकिन आज उन्होंने नामांकन फॉर्म खरीद लिया।
दरअसर, भाजपा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। वह अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद चुनाव लड़ना चाहते हैं। वह अपनी बहू कृष्णा गौर को गोविंदपुरा सीट पर लड़ाना चाहते हैं। गोविंदपुरा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां से 88 साल के बाबूलाल गौर दशकों तक चुने जाते रहे हैं।
इस सीट पर कई दावेदार हैं। हालांकि भाजपा ने अभी इसके लिए किसी का नाम फाइनल नहीं किया है। गौर ने अपना पहला चुनाव निर्दलीय के तौर पर लड़ा था और वह इसी सीट से 10 बार विधायक बन चुके हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था, अगर हमें टिकट नहीं मिला तो मैं और कृष्णा जी अलग-अलग सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।