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पटना। केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के समर्थकों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान के विरोध में शनिवार को पटना में ‘‘आक्रोश मार्च’’ निकाला। गांधी मैदान से शुरू हुए मार्च को राज भवन पहुंचना था लेकिन पुलिस ने इसे गंतव्य से करीब दो किलोमीटर पहले डाक बंगला रोड चौराहे पर रोक दिया। इस दौरान हुई झड़प में दोनों पक्षों के लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारी कुमार की कथित ‘‘नीच’’ टिप्पणी के खिलाफ बिहार के राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपना चाहते थे।

यह मार्च तब आयोजित किया गया जब एक दिन पहले कुशवाहा ने यह स्पष्ट किया कि रालोसपा ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया है ना कि जनता पार्टी (यूनाइटेड) के साथ। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि कुमार ने रालोसपा प्रमुख को ‘‘नीच’’ कहा तथा उन्होंने मुख्यमंत्री से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग करते हुए नारे लगाए।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए मतदान दलों को सुरक्षित पहुंचाना और शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराना सुरक्षा बल के लिए बड़ी चुनौती है। राज्य में चुनाव के लिए सुरक्षा बल के लगभग एक लाख जवानों को तैनात किया गया है। छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव में पहले चरण के लिए सोमवार 12 तारीख को मतदान होगा। राज्य में माओवादियों ने चुनाव का विरोध किया है और पिछले 15 दिनों में तीन बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर उन्होंने बताने की कोशिश की है कि क्षेत्र में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराना मुश्किल है। ऐसे में राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मानते हैं कि मतदान दलों को सुरक्षित मतदान केंद्रों तक पहुंचाना, शांतिपूर्वक मतदान कराना और दलों को ईवीएम के साथ सुरक्षित वापस लाना चुनौती भरा काम है। राज्य के नक्सल विरोधी अभियान के विशेष पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने बताया कि राज्य में शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए सुरक्षा बलों के लगभग एक लाख जवानों को तैनात किया गया है। 

अवस्थी ने बताया कि प्रथम चरण के मतदान के लिए मतदान दलों को रवाना किया जा रहा है। राज्य के नक्सल प्रभावित अंदरूनी क्षेत्रों के लिए 650 मतदान दलों को हेलीकॉप्टर से भेजा गया है। इन क्षेत्रों में मतदान दलों को सुरक्षित पहुंचा दिया गया है। इस कार्य के लिए भारतीय वायु सेना, सीमा सुरक्षा बल और निजी हेलीकाप्टरों की सेवाएं ली गई है। जहां मतदान दल सड़क मार्ग से जा सकता है वहां के लिए दल को सुरक्षा के साथ आगे रवाना किया जा रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि राज्य में शांतिपूर्ण मतदान के लिए सुरक्षा बलों की 650 कंपनियां आई है। यहां पहले से बड़ी संख्या में सुरक्षा बल के जवान तैनात हैं। सभी को चुनाव कार्य में लगा दिया गया है। 

अवस्थी ने बताया कि सुरक्षा बल के जवानों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पूरी सतर्कता बतरने को कहा गया है। उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है। सुरक्षा बल से कहा गया है कि वह किसी भी प्रकार के सामान को लाने या अन्य कार्यों के लिए सड़क का उपयोग तब तक नहीं करें जब तक क्षेत्र में रोड ओपनिंग पार्टी न लगी हो या क्षेत्र को बारूदी सुरंगों से रहित न किया गया हो। उन्होंने बताया के क्षेत्र में बारूदी सुरंग लगे होने की खबरें लगातार आ रही है। माओवादी चुनाव में बारूदी सुरंग लगाकर ही गड़बड़ी फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। आज भी नक्सलियों ने कांकेर जिले में बारूदी सुरंग में विस्फोट कर सुरक्षा बल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। इस घटना में बीएसएफ का एक उपनिरीक्षक घायल हुआ है। सुरक्षा बल को आईइडी से बचने के उपाय बताए गए हैं। 

अवस्थी ने बताया कि जहां पर मतदान केंद्र हैं और मतदान दल साथ जा रहा है वहां अतिरिक्त सुरक्षा और सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है। जैसे कि आसपास के क्षेत्र को डीमाईन करें, खुद की सुरक्षा का ध्यान रखें और ध्यान से चलें। नक्सली इन क्षेत्रों में स्पाईक और बारूदी सुरंग लगाते हैं। यदि पैदल जंगल की ओर चलें तब स्पाईक :लोहे का नुकीला तार: लगाते हैं और सड़क की ओर चलें तब आईइडी का शिकार होने का खतरा रहता है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले 10 दिनों में तीन सौ से ज्यादा बारूदी सुरंगों को निकाला और नष्ट किया गया है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताते हैं कि आज मतदान वाले जिलों में बड़ा मूवमेंट हो रहा है। इस दौरान सबसे बड़ा खतरा बारूदी सुरंगों से है और नक्सलियों को इस बात की जानकारी है कि यहां मतदान केंद्र है और यहां से मतदान दल और सुरक्षा बल का दल निकलेगा। इन क्षेत्रों में मतदान दल को सुरक्षित पहुंचाना, मतदान कराना और वापस लाना चुनौती भरा काम है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में राजनीतिक दलों की सुरक्षित रैली कराना भी चुनौती पूर्ण काम था जो शनिवार को संपन्न हो गया। 

छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के सात जिले और राजनांदगांव जिले के 18 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार 12 तारीख को मतदान होगा। सोमवार को राजनांदगांव जिले के मोहला-मानपुर, कांकेर जिले के अंतागढ़, भानुप्रतापपुर और कांकेर, कोंडागांव जिले के केशकाल और कोंडागांव, नारायणपुर जिले के नारायणपुर, दंतेवाड़ा जिले के दंतेवाड़ा, बीजापुर जिले के बीजापुर तथा सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा में सुबह सात बजे से दोपहर तीन बजे तक वोट डाले जाएंगे।

वहीं जिन आठ विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का समय सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक निर्धारित है, उनमें राजनांदगांव जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव और खुज्जी तथा बस्तर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र बस्तर, जगदलपुर एवं चित्रकोट शामिल हैं। राज्य में नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा की है और पिछले 15 दिनों में तीन बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। 

इस महीने की आठ तारीख को नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर एक यात्री बस को उड़ा दिया था। इस घटना में चार नागरिकों और केंदीय औद्योगिक सुरक्षा बल के एक जवान की मृत्यु हो गई थी। इससे पहले नक्सलियों ने 30 अक्टूबर को दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर में पुलिस दल पर हमला कर दिया था। इस घटना में दूरदर्शन के एक कैमरामैन और तीन पुलिस जवानों की मृत्यु हो गई थी।  वहीं 27 अक्टूबर को नक्सलियों ने बीजापुर जिले के आवापल्ली थाना क्षेत्र में सीआरपीएफ के बुलेट प्रूफ बंकर वाहन को उड़ा दिया था। इस घटना में सीआरपीएफ के चार जवानों की मृत्यु हो गई थी।

नयी दिल्ली। अयोध्या मामले से जुड़े प्रतिवेदनों पर 14 नवंबर को विचार करने से कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी ने कहा है कि विवादित स्थान पर राम मंदिर बनना चाहिए ताकि देश का मुसलमान ‘सुकून, सुरक्षा और सम्मान’ के साथ रह सके। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय को जल्द फैसला करना चाहिए ताकि देश में शांति और भाईचारा मजबूत हो सके। दरअसल, कुछ मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या मामले का हवाला देते हुए आयोग के समक्ष प्रतिवेदन दे रखा है और इस मामले में आयोग से पहल करने की मांग की है।

अल्पसंख्यक आयोग 14 नवंबर को अपनी मासिक बैठक में इन प्रतिवेदनों पर विचार करेगा और फिर देश की शीर्ष अदालत से अयोध्या मामले पर जल्द फैसला सुनाने का आग्रह कर सकता है। रिजवी ने ‘भाषा’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘नेशनल माइनॉरिटी वेलफेयर आर्गनाइजेशन तथा कुछ अन्य संगठनों ने हमारे पास प्रतिवदेन देकर कहा है कि इस वक्त मुस्लिम समाज में डर का माहौल है और ऐसे में आयोग अयोध्या के मामले को लेकर पहल करे ताकि माहौल बेहतर हो सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन संगठनों का कहना है कि मुस्लिम समाज राम मंदिर बनने दे तथा आगे यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऐसा कोई दूसरा कोई विवाद खड़ा नहीं होगा।’’

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मेरी भी यह राय है कि अयोध्या में न कभी मस्जिद बन सकती है, न नमाज हो सकती है। वह स्थान 100 करोड़ हिंदुओं की भावना से जुड़ा है। इसलिए वह जमीन राम मंदिर के लिए हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए ताकि मुसलमान सुकून, सुरक्षा और सम्मान के साथ रहे सकें और देश के विकास में बराबर की भागीदारी कर सकें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘14 नवंबर की बैठक में हम इन प्रतिवेदनों पर चर्चा करेंगे। यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है और ऐसे में आयोग सिर्फ यही आग्रह कर सकता है कि मामले में जल्द फैसला सुनाया जाए।’’रिजवी ने कहा, ‘‘इस मामले में मेरा भी यह मानना है कि न्यायालय को जल्द फैसला सुनाना चाहिए ताकि समाज में शांति और भाईचारा मजबूत हो सके।’’

छत्तीसगढ़ में 12 नवंबर को विधानसभा के पहले चरण के लिए मतदान होने वाले हैं। कल होने वाला पहले चरण का मतदान नक्सल प्रभावित इलाकों में होंगे। इसके बाद 20 नवंबर को दूसरे चरण के लिए मतदान होंगे। मतदान शुरू हुोने से महज कुछ घंटे पहले नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के कोयली बेडा में एक के बाद एक छह आईईडी धमाका हुआ है। जिसमें भारतीय सुरक्षाबल (बीएसएफ) का एक एएसआई घायल हो गया है। जानकारी के अनुसार कोयली बेडा में नक्सलियों ने 6 आईईडी की सीरिज को प्लांट किया था। यह आईईडी गोम गांव से गट्टाकल के बीच लगाए गए थे।

 

राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने रविवार को बताया कि बीजापुर जिले के बेदरे थाना क्षेत्र में एसटीएफ का एक दल गश्त पर था। यह दल जब क्षेत्र में था तभी नक्सलियों ने पुलिस दल पर हमला कर दिया। इसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। कुछ देर तक मुठभेड़ के बाद नक्सली वहां से फरार हो गए।

बाद में जब पुलिस दल ने घटनास्थल की तलाशी ली तब वहां काली वर्दी में एक नक्सली का शव, एक बंदूक और अन्य सामान मिला। उन्होंने बताया कि इस संबंध में और जानकारी जुटाई जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि एक अन्य घटना में कांकेर जिले में बारूदी सुरंग में विस्फोट होने से से बीएसएफ का एक उप निरीक्षक घायल हो गया।

उन्होंने बताया कि जिले के कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र में बीएसएफ का दल गश्त के लिए निकला था। दल जब कटटाकाल और गोमे के मध्य में था तभी नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया। इस घटना में बीएसएफ के उपनिरीक्षक महेंद्र सिंह घायल हो गए। उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद घटनास्थल के लिए अतिरिक्त पुलिस दल रवाना किया गया है तथा घायल पुलिसकर्मी को बाहर निकालने की कार्रवाई की जा रही है।

क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी है। छत्तीगसढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के सात जिलों और राजनांदगांव जिले के 18 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार 12 नबंवर को मतदान होगा। वहीं 72 अन्य सीटों के लिए 20 नवंबर को मत डाले जाएंगे। क्षेत्र में नक्सलियों ने चुनाव का विरोध किया है तथा पिछले 15 दिनों में तीन बड़ी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।

कांकेर के पुलिस अधीक्षक केएल ध्रुव ने बताया, 'बीएसएफ की एक टीम सर्च ऑपरेशन कर रही थी तभी नक्सलियों ने कट्टाकल और गोम गांव में आईईडी धमाका कर दिया। यह स्थान जिले से 200 किलोमीटर दूर है। बीएसएफ का एक सब इंस्पेक्टर धमाके में जख्मी हो गया है। राहत एवं बचाव कार्य घटनास्थल पर पहुंचे और घायल जवान को जंगल से निकाला गया। इलाके में अभी भी सर्च ऑपरेशन जारी है।'

नक्सलियों ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों का बहिष्कार किया है और वह पिछले 15 दिनों में आधा दर्जन हमलों को अंजाम दे चुके हैं। जिनमें 13 लोगों सहित दूरदर्शन के एक कैमरामैन की मौत हो गई है। कैमरामैन चुनाव की कवरेज करने के लिए राज्य पहुंचे थे। एंटी नक्सल ऑपरेशन के डीआईजी पी सुंदरराज ने कहा, 'आईईडी धमाके में घायल हुए सब-इंस्पेक्टर को रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है। क्षेत्र में अब स्थिति सामान्य है। सुरक्षाबल इलाके में सर्च ऑपरेशन कर रहे हैं।' 

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में सोमवार को पहले चरण का मतदान है। नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है और सियासी बयानबाजी से प्रदेश का राजनीतिक पारा चढ़ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद सिंह ने पलटवार करते हुए गांधी के चुनाव प्रचार को राज्य के लिए मनोरंजन करार दिया।

 

रमन सिंह ने शनिवार को कहा कि राहुल गांधी प्रदेश में लोगों के लिए "एक प्रकार के मनोरंजन हैं" और उनका चुनाव प्रचार करना उनकी अपनी ही पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। 

सिंह ने राज्य में सोमवार को होने जा रहे प्रथम चरण के मतदान से पहले कहा कि राहुल छत्तीसगढ़ के बारे में कुछ नहीं जानते और उनकी रैलियां कांग्रेस को कोई खास वोट हासिल करने में मदद नहीं करेगी। 

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि सिंह भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं और कोई भी काम अपने 10-15 उद्योगपति मित्रों से इजाजत लेने के बाद ही करते हैं। इसके एक दिन बाद सिंह ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में उन पर पलटवार किया है।

छत्तीसगढ़ के 18 साल के इतिहास में पिछले 15 साल से इस आदिवासी बहुल राज्य के मुख्यमंत्री रहे सिंह ने कहा कि राज्य में राहुल की मौजूदगी भाजपा की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित नहीं करेगी, बल्कि यह उनकी अपनी ही पार्टी (कांग्रेस) के लिए नुकसानदेह साबित होगी। 

अपने पार्टी अध्यक्ष पर किए गए तंज के बाद कांग्रेस की ओर से फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं आई है। देश में चुनावी खुमार छाने के बीच विभिन्न दल अक्सर की व्यक्तिगत टीका - टिप्पणी किया करते हैं।

भाजपा नीत केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों में भगवा पार्टी की सरकारों पर पूंजीपतियों से सांठगांठ रखने का कांग्रेस आरोप लगा रही है। राहुल ने छत्तीसगढ़ सहित पांच चुनावी राज्यों के लिए आक्रामक चुनाव अभियान शुरू किया है। दरअसल, इन चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। 

हालांकि, भगवा पार्टी ने इन आरोपों से इनकार किया है और आरोप लगाया कि कांग्रेस अतीत में जब सत्ता में थी, उस वक्त वह भ्रष्टाचार में संलिप्त रही थी और पूंजीपतियों से सांठगांठ रखती थी। 

"हमने नक्सलियों को निष्प्रभावी कर दिया है" 

छत्तीसगढ़ में राहुल काफी सक्रियता के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। राज्य में दो चरणों में -- 12 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान होगा। प्रथम चरण में नक्सल प्रभावित 12 इलाकों सहित 18 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, जबकि दूसरे चरण में शेष 72 सीटों पर मतदान होगा। 

सिंह के विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव में भी सोमवार को मतदान होगा। वहां कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को टिकट दिया है।

मुख्यमंत्री की कुर्सी चौथी बार हासिल करना चाह रहे सिंह ने कहा कि कांग्रेस के दावों के उलट छत्तीसगढ़ ने हर मोर्चे पर विकास किया है। 

उन्होंने कहा कि भाजपा के 15 साल के शासन में यह एक विकसित राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही देश के पांच शीर्ष विकसित राज्यों में शामिल हो जाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी नीत जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बसपा के बीच गठजोड़ से क्या भाजपा के वोटों में कमी आएगी, सिंह ने कहा कि "स्वार्थी गठबंधन" होने के बावजूद भाजपा का वोट प्रतिशत नहीं घटेगा। 

नक्सलवाद की समस्या पर सिंह ने कहा कि राज्य में माओवादी आखिरी सांसे गिन रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमने नक्सलियों को निष्प्रभावी कर दिया है।" 

भाजपा के 66 वर्षीय नेता 1980 के दशक में राजनीति में आने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सा के पेशे में थे। राज्य के गठन के करीब तीन साल बाद भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली, जिसके बाद वह दिसंबर 2003 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। 

वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा को 49 सीटें और कांग्रेस को 39 सीटें मिली थी। बसपा को सिर्फ एक सीट मिली थी जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।

रेलवे में अभी कुछ भी सुचारु रुप से नहीं चल रहा है क्योंकि भारतीय रेलवे के ग्रुप ए के अधिकारी एक-दूसरे की टांग खिंचने में लगे हुए हैं एवं रेल यात्रियों की सुरक्षा को दरकिनार करते हुए केवल अपने विभागीयहित साधने को सर्वोपरि मान रहे हैं।
परिचालन अधिकारियों ने प्रधान मंत्री कार्यालय को पहले भी इसकी शिकायत की है, परन्तुय उन्हेंन उनके कार्यों से बेदखल कर दिया गया है। यांत्रिक विभाग द्वारा साफ-सफाई, पर्यावरण और रेलगाडि़यों की सेवाओं आदि कार्यों को केवल उनके ऊँच मूल्योंक  के टेण्डारों की वजह से उन्हेंि अपने पास रखा है जबकि सीधे तौर पर उनका इन कार्यों से कोई संबंध नहीं है।

"यांत्रिक विभाग अपने सामान्य कार्यों को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहा है। विभाग में इन कार्यों की देखभाल के लिए स्टेशन या ट्रेन में निगरानी व्यंवस्थाव तक ठीक तरह से नहीं है। काम की गुणवत्ता, स्वच्छता सबसे खराब स्थिति में है और रेलवे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। "

इसी तरह की शिकायत पहले भी बिजली इंजीनियरों द्वारा संबंधित रेलवे बोर्ड अधिकारियोंको की गई। ईएमयू ट्रेनएवं मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (एमईएमयू) और इलेक्ट्रिकल ट्रैक्शन पर चलने वाले मेट्रो कोच शुरुआत से विद्युत इंजीनियरों द्वारा देखा जा रहा था परन्तुक अब यांत्रिक विभाग इस कार्य को केवल अपने स्वा र्थसिद्धि हेतु अपने पास लेना चाह रहा है। जिसके लिए नहीं तो वे तकनीकी रुप से सक्ष्मम हैं और न हीं संवैधानिक रुप से पात्र हैं। परन्तुि सभी सुरक्षा मानदंडों को ताक पर रखकर यात्रियों की सुरक्षा से गंभीर समझौता कर रहे हैं। तकनीकी तौर पर यांत्रिक इंजीनियर्स को विद्युत अधिनियम के अनुसार किसी भी विद्युत संस्थावन को प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए सक्ष्मत नहीं हैं फिर भी रेल यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालकर यांत्रिक विभाग का विस्तांर करने में लगे हुए है। जिसके कारण रेलवे विभाग को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है क्योंिकि रेलवे का रख-रखाव सक्ष्मर कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा नहीं कराया जा रहा है। जो सुरक्षा की दृष्टि से यात्रियों एवं कर्मचारियों के लिए पूर्णतया असुरक्षित है।
ईएमयू व  एमईएमयू के बारे में बात करते हुए, बिजली इंजीनियरों के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि इन ट्रेनों में यात्री कोच में २५००० वोल्टकी आपूर्ति होती हैजिसे अगर सही तरीके से सं‍चालित नहीं किया गया तो इससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है। मैकेनिकल इंजीनियरों को इस तरह के काम का कोई तकनीकी ज्ञान व योग्यीता नहीं है। ऐसे में यह प्रणाली पूर्णतया असुरक्षि त हो जाती है। इस तरह के कार्य यांत्रिक विभाग को देना बिजली अधिनियम के कानूनी प्रावधानों के खिलाफ है और यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से भी गंभीर है।
बिजली अधिकारियों ने पहले भी हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में यांत्रिक अधिकारियों की नियुक्ति का विरोध किया है जो मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का कार्य कर रहा है। भारत सरकार के उपक्रमों में निदेशक रोलिंग स्टॉक का पदजो बिजली इंजीनियरों से भरा जाता है उस पर यांत्रिक इंजीनियर लगाया गया है जो सर्वथा अनुचित है। इस तरह का पद किसी भी मेट्रो रेल संगठन में अब तक यांत्रिक इंजीनियर द्वारा नहीं भरा गया है परन्तुं इस प्रतिष्ठित पद को अध्य क्ष, रेलवे बोर्ड (जोकि स्वीयं एक यांत्रिक इंजीनियर हैं) की मनमाने तरीके से उचित प्रक्रिया के बगैर ही यांत्रिक अधिकारी को लगा दिया गया है। दिल्ली् मेट्रो व अन्यत मेट्रो में आज तक इस तरह का कोई पद यांत्रिक इंजीनियरों को न ही दिया गया है और न ही उसकी जरूरत महसूस की गई है।
ट्रेन सेट जैसी नई ट्रेनें मूल रूप से इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट(ईएमयू/मेमू) जो विद्युत विभाग द्वारा रख-रखाव किया जा रहा था उसे भी यांत्रिक विभाग ने अपने स्वा)र्थ की आपूर्ति के लिए अपने पास रखने का अनुचित आदेश अभी हाल में रेलवे बोर्ड द्वारा जारी कर दिया गया है जिसको लेकर कई क्षेत्रीय रेलवे के महाप्रबंधकों ने लिखित रुप में विरोध जताया है।
"ट्रेन सेट प्रोजेक्ट को प्रारंभ से ही विद्युत अभियंताओं द्वारा संचालित किया जा रहा था। मैकेनिकल इंजीनियर्स के विरोध के कारण  इस परियोजना को लागू करने में २५ साल की देरी हुई है। रेलवे बोर्ड और आरडीएसओ में मैकेनिकल इंजीनियरों द्वारा इस परियोजना का जमकर विरोध किया गया जिसके सबूत रिकॉर्ड के रूप में उपलब्ध हैं। अब यांत्रिक इंजीनियर्स अपने अधीन इस कार्य को लेने का पूर्ण क्रेडिट ले रहे हैं जबकि अब तक वो इस परियोजना का जोरदार विरोध कर रहे थे। यांत्रिक विभाग यात्रियों की सुरक्षा की चिंता किए बगैर अपने विभाग के विस्तार करने में लगे हुए हैं। "
बिजली के कारण कोई दुर्घटना या आग ईएमयू / ट्रेन सेट में लगती है तो उनका मुख्यी कारण मैकेनिकल इंजीनियर्स द्वारा किये गये रख-रखाव की वजह से होगी क्योंजकि वह इस कार्य के लिए सक्षम नहीं हैं। ऐसा होने पर समस्तय जनता रेलवे द्वारा लिये गये विवेकहीन फैसले को दोषी मानेगी एवं रेलवे प्रणाली पर सवाल उठाएगी जो रेलवे की प्रतिष्ठाी के अनुकूल नहीं होगा। कई प्रमुख मुख्य विद्युत अभियंताओं एवं महाप्रबंधकों ने भी वर्तमान संगठनात्मक संरचना में दखलंदाजी पर लिखित रुप से गंभीर आशंकाएं जताई हैं। रेलवे कर्मचारी फेडरेशनों द्वारा भी इसी तरह की चिंताओं को लेकर प्रशासन को अवगत कराया है। लेकिन प्रशासन अपनी हठधर्मिता को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
रेलवे मंत्रालय के लिए कैडर पुनर्गठन के अपने हालिया निर्णयों की समीक्षा करने के लिए यही उचित समय है ताकि सभी रेलवे उपक्रमों को पूर्णतया प्रशिक्षित प्रणाली से आए हुए कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा ही उसका रख-रखाव किया जाए। ऐसा करने से रेलवे यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधाजनक सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं और रेलवे की गरिमा एवं विश्वरसनीयतासुनिश्चित किया जा सके।

गोण्डा (उ.प्र.)। अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिये कानून लाने की तेज होती मांग और उस पर भाजपा नेताओं की प्रतिबद्धतापूर्ण प्रतिक्रियाओं के बीच इसी पार्टी की सांसद सावित्री बाई फुले ने उस स्थान पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा प्रतिष्ठापित करने की मांग की है। बहराइच से भाजपा की सांसद सावित्री ने शुक्रवार रात यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर अयोध्या में जब विवादित स्थल पर खुदाई की गयी थी, तो वहां तथागत से जुड़े अवशेष निकले थे। इसलिए अयोध्या में तथागत बुद्ध की ही प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं साफ करना चाहती हूँ कि बुद्ध का भारत था। अयोध्या बुद्ध का स्थान है। इसलिए वहां तथागत बुद्ध की ही प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए।’’
 
संघ के प्रचारक एवं भाजपा के राज्य सभा सदस्य राकेश सिन्हा द्वारा राम मंदिर निर्माण के पक्ष में एक निजी विधेयक लाए जाने संबंधी सवाल पर पार्टी सांसद ने कहा, ‘‘भारत का संविधान धर्म निरपेक्ष है, जिसमें सभी धर्मों की सुरक्षा की गारंटी दी गयी है। संविधान के तहत ही देश चलना चाहिए। सांसद या विधायक को भी संविधान के तहत ही चलना चाहिए।’’ भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब साधु-संत तथा विभिन्न तथाकथित हिन्दूवादी संगठन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये कानून बनाने के लिये सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या के विवादित स्थल मामले पर नियमित सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाले जाने के बाद से शुरू हुई इस कवायद के बाद भाजपा नेता राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी संकल्पबद्धता जाहिर करने वाले बयान दे रहे हैं। 

 

केंद्र सरकार का रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जैसे संवैधानिक स्वायत्त संस्थान से टकराव से नया नहीं है। इससे पहले केंद्र सरकार करीब आधा दर्जन से अधिक स्वायत्त और संवैधानिक संस्थाओं से टकराव मोल ले चुकी है। केन्द्र में भाजपा गठबंधन सरकार के गठन के बाद से ही टकराव का यह सिलसिला शुरू हो गया। ऐसे संस्थान जो केंद्र सरकार के इशारे पर नहीं चल सके, उन्हें टकराव झेलना पड़ा। ताजा विवाद की इस कड़ी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नाम जुड़ गया है।
 
केंद्र सरकार रिजर्व बैंक को अपनी आर्थिक नीतियों के हिसाब से चलाना चाहती है, जबकि रिजर्व बैंक का नजरिया आर्थिक नीतियों को लेकर सरकार से जुदा है। केंद्र सरकार के दबाव के कारण ही रिजर्व बैंक प्रबंधन ने स्वर मुखर किया है। इससे दोनों टकराव के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। विवाद की वजह है केंद्र सरकार रिजर्व बैंक से तीन लाख करोड़ से ज्यादा रकम उसके रिजर्व पूंजी भंडार से मांग रही है, ताकि बैंकों में पूंजी की गतिशीलता को बढ़ाया जा सके। इससे पहले भी केंद्र सरकार की नीतियों से इत्तफाक नहीं रखने के कारण ही आरबीआई के गर्वनर रघुराम राजन को जाना पड़ा था। राजन ने इसका खुलासा भी किया था कि किस तरह केंद्र सरकार दबाव डाल कर हित साधना चाहती है।
 
राजन ने मौजूदा गर्वनर उर्जित पटेल को किसी भी सूरत में सरकार के दबाव में काम नहीं करने की सलाह दी है। आरबीआई से पहले सीबीआई विवाद सामने आ चुका है। केंद्रीय जांच ब्यूरो को बताया तो स्वायत्त जांच संस्थान जाता है, किन्तु यह केंद्र सरकार के इशारे पर ही चलता है। इसमें सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेषक राकेश अस्थाना के विवाद में केंद्र सरकार की दखलंदाजी से साबित हो गया कि सीबीआई की स्वायत्तता केवल मात्र दिखावा है। सरकार के नजरिए के विपरीत चलने की कोशिश में टकराव निश्चित है। हालांकि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। इसमें सरकार ने अपने हित साधने का भरसक प्रयास किया।
 
सुप्रीम कोर्ट जैसी सर्वोच्च न्यायिक संस्था और केंद्र सरकार में जजों की नियुक्तियों को लेकर विवाद जगजाहिर है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने अपनी पीड़ा का इजहार आंसू बहाकर किया था। ठाकुर का कहना था कि जानबूझ कर न्यायिक अधिकारियों के पदों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है। इससे मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है।
 
केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड भी केंद्र सरकार की वजह से विवादों में रहा। केंद्र सरकार ने पहलाज निहलानी को इसका चेयरमैन नियुक्त किया। निहलानी जबरदस्त विवादों में घिर गए। निहलानी पर अनावश्यक रूप से फिल्मों को पास करने में अड़ंगे लगाए जाने के आरोप लगे। जेम्स बान्ड से लेकर उड़ता पंजाब जैसी फिल्मों में अनावश्यक कट लगाए गये। बोर्ड के कामकाज से खफा होकर फिल्म इंडस्ट्री में व्यापक असंतोष फैल गया। केंद्र सरकार पर बोर्ड के जरिए छिपे हुए एजेंडे के अनुरूप काम करने के आरोप लगे। सरकार की ज्यादा किरकिरी होने पर निहलानी को रूखसत होना पड़ा। गीतकार प्रसून जोशी को बोर्ड का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया।
 
सेंसर बोर्ड की तरह ही फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे में गजेन्द्र सिंह चौहान की नियुक्ति को लेकर कई दिनों तक हंगामा होता रहा। इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण ले रहे छात्र−छात्राएं हड़ताल पर चले गए। कई महीनों तक चले धरने, प्रदर्शन और प्रशिक्षण के बहिष्कार के बाद आखिरकार केंद्र सरकार को चौहान को हटाकर अभिनेता अनुपम खेर को अध्यक्ष नियुक्त करना पड़ा। हालांकि खेर ने अपनी व्यस्तता के चलते हाल ही में इस्तीफा दे दिया है। देखना यह है कि केंद्र सरकार अब किसे इसका अध्यक्ष नियुक्त करती है।
 
सत्ता में आते ही केंद्र सरकार ने योजना आयोग को भंग करके नीति आयोग का गठन किया। ख्यातनाम अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया को अमेरिका से लाकर आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। पनगढ़िया की पटरी केंद्र सरकार से नहीं बैठ सकी। पनगढ़िया ने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर वापस अमेरिका का रास्ता पकड़ लिया। पनगढ़िया ने हाल ही में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच चल रहे विवाद में बीच का रास्ता निकालने की सलाह दी है।
 
केंद्रीय चुनाव आयोग का केंद्र सरकार से अपराधियों के चुनाव लड़ने के मुद्दे पर टकराव हो गया। केंद्र सरकार ने गंभीर आपराधिक आरोपियों के चुनाव पर पाबंदी लगाने के चुनाव आयोग के परामर्श को मानने से इंकार कर दिया। इस पर आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में कानून बनाने के निर्देश दिए। भाजपा पर केंद्र में सत्तारूढ़ होते ही देश भर में एनजीओं पर छापों की कार्रवाई को लेकर खूब उंगलिया उठीं। केंद्र सरकार पर एनजीओ की स्वायत्तता को दबाने के आरोप लगे। सरकार ने बड़ी संख्या में एनजीओं का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया। यह निश्चित है कि जिस तरह केंद्र सरकार का देश की स्वायत्त और संवैधानिक संस्थाओं से टकराव बढ़ रहा है, उससे देश में लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होंगी। कहने को भले ही सरकार नियमानुसार देशहित में काम करने की दलील दे, किन्तु सच्चाई यही है कि केंद्र सरकार का अनावश्यक हस्तक्षेप लोकतांत्रिक प्रणाली में रक्त वाहिनियों का काम करने वाले स्वायत्तशाषी संवैधानिक संस्थाओं में अवरोध उत्पन्न कर रहा है।
 
-योगेन्द्र योगी
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न नक्सली समूह सक्रिय हो गए हैं। खुफिया एजेंसी, अर्घसैनिक बल और लोकल पुलिस, इन तीनों इकाइयों के पास यह पुख्ता सूचना है कि इस बार नक्सली समूह चुनाव में बड़े पैमाने पर हिंसा की वारदात कर सकते हैं।
 
नक्सलियों के टारगेट पर केवल सुरक्षा बल ही नहीं, बल्कि मतदाता भी हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर वे वोट डालने गए तो उनके शरीर के अंग जैसे, हाथ-पांव, कान और जीभ काट दी जाएगी। उनकी योजना है कि इस बार जो हमले हों, वे केंद्रीयकृत न रहें। इसी वजह से नक्सलियों ने अपने सभी कमांडर को कहीं भी और कैसे भी हमला करने की छूट दे दी है।

बस्तर जोन के नक्सल प्रभावित आठ जिलों में 18 विधानसभा सीटें हैं। सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, जगदलपुर, कांकेर, कुंडा गांव व राजनंद गांव आदि जिलों में ही नक्सली सबसे ज्यादा वारदात करते हैं। इंटेलीजेंस इनपुट के मुताबिक, नक्सलियों ने बड़े पैमाने पर हिंसात्मक वारदात करने की योजना बनाई है।

पिछले कुछ समय से नक्सली केंद्रीयकृत हमले को ही तवज्जो दे रहे थे, लेकिन विधानसभा चुनाव के अंतर्गत उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव लाते हुए अलग-अलग समूहों में ज्यादा से ज्यादा हमले करने की योजना बनाई है। हमले के लिए नक्सली सबसे ज्यादा ध्यान आईईडी (इंप्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) पर दे रहे हैं।

जंगलों के अंदर के इलाकों में चुनाव के दौरान वे कोई भी बाधा खड़ी कर सकते हैं। खुफिया इनपुट है कि नक्सलियों ने ग्रामीण वोटरों को इस बार गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है। गत विधानसभा चुनाव में कई नक्सली समूहों ने दो-तीन सप्ताह पहले ही लोगों को वोट न डालने की चेतावनी दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना रवैया नरम कर लिया था।

इस दफा 12 नवंबर को होने वाले मतदान का बहिष्कार कराने के लिए नक्सलियों ने लोगों से कहा है कि उनकी धमकी को नजरअंदाज कर उन्होंने वोट डाला तो उनके शरीर के हिस्सों को काट दिया जाएगा। साथ ही नक्सलियों ने रोड और कच्चे रास्तों पर सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए भी अलग से प्लानिंग की है।
 

 

चुनाव को शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराने के लिए 700 कंपनी तैनात

नक्सलियों की धमकी के मदेनजर बस्तर जोन में विभिन्न अर्धसैनिक बलों की करीब सात सौ कंपनी तैनात की गई हैं। इनमें से पांच सौ कंपनी अभी पहुंची हैं, जबकि दो सौ कंपनी पहले से ही वहां पर सुरक्षा कार्यों में लगी हैं। लोकल पुलिस अलग से अपनी ड्यूटी देती है। सीआरपीएफ के पास जगदलपुर और रामपुर में एयरफोर्स के दो-दो हेलीकॉप्टर हैं।इसके अलावा जरुरत पड़ने पर और भी हेलीकॉप्टर मंगाए जा सकते हैं। आसमान में सैंकड़ों छोटे-बड़े यूएवी (अनमेंड एरियल व्हीकल) उड़ रहे हैं। अत्याधिक संवेदनशील जिले जैसे सुकमा, दंतेवाड़ा या बीजापुर में अर्धसैनिक बलों व लोकल पुलिस को मिलाकर करीब 90 कंपनी तैनात की गई हैं।

मोदी-राहुल की थ्री लेयर सुरक्षा में भी 20 हजार से ज्यादा सुरक्षा कर्मी तैनात
 
चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी छत्तीसगढ़ पहुंच चुके हैं। करीब बीस हजार जवान इनकी सुरक्षा में लगाए गए हैं। चूंकि मोदी और राहुल के पास एसपीजी सुरक्षा रहती है, इसलिए चुनाव में इन्हें थ्री लेयर सुरक्षा दी गई है।

नक्सलियों को उनके इरादों में कामयाब नहीं होने देंगे: दिनाकरण
 
सीआरपीएफ इंटेलीजेंस के डीआईजी एम.दिनाकरण का कहना है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ नोडल एजेंसी है। दूसरे अर्धसैनिक बलों और पुलिस के साथ मिलकर अचूक सुरक्षा का घेरा तैयार किया गया है। हालांकि ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि नक्सली समूह इस बार छोटे-छोटे समूहों में बंटकर हमला कर सकते हैं। इस रणनीति को फेल करने के लिए सुरक्षा बल भी एक विशेष सुरक्षा योजना पर काम कर रहे हैं। सुरक्षा बलों के लिए चुनाव शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराना एक चुनौती है और वे इसे पक्के इरादे से स्वीकार भी कर रहे हैं। यूएवी और मानवीय इंटेलीजेंस की मदद से किसी भी संभावित खतरे पर नजर रखी जा रही है। बड़े यूएवी जो कि हेलीकॉप्टर जितनी उंचाई पर पहुंचकर लाइव वीडियो और फोटो, जिनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है, लगातार भेजते रहते हैं।

भारतीय पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी को साहस के लिए लंदन प्रेस फ्रीडम अवार्ड 2018 से सम्मानित किया गया है। सत्ताधारी भाजपा की आईटी सेल को लेकर खोजी पत्रकारिता के लिए उन्हें इस अवार्ड के लिए चुना गया।

 

‘आई एम ट्रोल: इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ द बीजेपी डिजिटल आर्मी’ की लेखिका स्वतंत्र पत्रकार स्वाति ने इटली, मोरक्को और तुर्की के पत्रकारों को हराकर यह पुरस्कार जीता। 
पुरस्कार जीतने पर स्वाति ने कहा, ‘यह मेरे लिए काफी अहमियत रखता है। मुझे नहीं लगता कि पत्रकारों ने अपना काम करना बंद कर दिया है, लेकिन पूरे दुनिया की सरकारें अपनी आलोचना को लेकर असहिष्णु हो गई हैं।

मुझे ऑनलाइन काफी धमकियां दी गईं, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की। अगर मैं ऐसा करती तो अपना काम नहीं कर पाती।’ इस कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार रात रिपोर्ट्स सैंस फ्रंटियर्स (आरएसएफ) और रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स ने किया था। 

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