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नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि बाजार में प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा बढ़ने पर कई बार किसी क्षेत्र में इकाइयों के लिए कठिनाई बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि वृद्धि की राह पर बढ़ रही किसी भी अर्थव्यवस्था के सामने इस तरह की चुनौतियां आती रहती हैं। उन्होंने अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ साथ हर विनियामक एजेंसी की भूमिका का भी विस्तार होगा।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा से कई बार कीमतों की स्थिति ऐसी हो जाती है जिससे खुद अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र कठिनाई महसूस करते हैं। इसका कारण यह है कि हर कोई उस क्षेत्र की सबसे अग्रणी इकाई की राह पर चल रहा होता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में आप को क्या करना चाहिए, यह चुनौती बन जाती है। जैसे जैसे अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा नयी चुनौतियां उभरेंगी ही।

जेटली ने कहा कि मौजूदा वृद्धि दर बनी रही तो भारतीय अर्थव्यवस्था का कई गुना विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में ‘आकार बढ़ेगा..उद्योग क्षेत्र का आकार बढ़ेगा..सेवा क्षेत्र का आकार बढ़ेगा, इस स्थिति में आत्म संयम बरतते हुए विनियामकों की भूमिका का भी विस्तार होगा।’ जेटली ने कहा कि प्रतिस्पर्धा कानून के उद्येश्यों में उपभोक्ताओं के हित की रक्षा करना एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है। सरकार हर क्षेत्र में अच्छी कंपनियां चाहती है और चाहती है कि इनकी संख्या समुचित स्तर की हो ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके।

उन्होंने कहा कि बाजार आधारित अर्थव्यवस्था में बाजार में असामान्य परिस्थितियों को दूर करने के लिए ही विनियामक व्यवस्था की जाती है। इसी लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का गठन किया गया है।

लंदन। ब्रिटेन ने सोमवार को कहा कि वह यमन में चल रहे मानवीय संकट के संबंध में कार्रवाई करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अपने सहयोगियों से अनुरोध करेगा। ब्रिटेन ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वहां शांति समझौते के लिए एक रास्ता है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, विदेश मंत्री जेरेमी हंट संयुक्त राष्ट्र में यमन के राजदूत मार्टिन ग्रिफिट्स के विचारों से इत्तेफाक रखते हैं कि यह सही समय है कि सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करे।
 
उन्होंने कहा कि यमन संघर्ष के बारे में लंबे समय तक दोनों पक्षों का मानना था सैन्य समाधान संभव है लेकिन यह लोगों के लिए विनाशकारी होगा। उन्होंने कहा, लेकिन पहली बार एक रास्ता दिख रहा है जिसके जरिए दोनों पक्षों को बातचीत के लिए एक साथ लाया जा सकता है, इन हत्याओं को रोका जा सकता है और राजनीतिक समाधान खोजा जा सकता है। विनाश को रोकने के लिए यही एकमात्र दीर्घावधि समाधान है।

वाशिंगटन। ईरान के खिलाफ सोमवार से प्रभावी हुए अमेरिका के अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंधों के बारे में ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसे इस बात का भरोसा है कि ईरान के शासन के बर्ताव को बदलने में ये असरदार सबित होंगे। हालांकि उन्होंने यह सवाल टाल दिया कि क्या भारत और चीन ने अमेरिका को यह पक्का भरोसा दिलाया है कि छह महीने के भीतर वे तेहरान से तेल खरीद पूरी तरह बंद कर देंगे।

 
प्रतिबंध ईरान के बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्र में लागू हुए हैं और वहां से तेल आयात जारी रखने वाले यूरोप, एशिया तथा कहीं के भी देशों और कंपनियों पर फिर से जुर्माने का प्रावधान करते हैं। ईरान से तेल के सबसे बड़े खरीदार भारत और चीन हैं। ईरान के तेल और वित्तीय क्षेत्रों में अमेरिका के दंडात्मक प्रतिबंधों से अब तक ये देश बचे हुए हैं।
 
माना जाता है कि एशिया के दोनों बड़े देश उन आठ देशों में शामिल हैं जिन्हें ईरान पर सोमवार से लागू हुए प्रतिबंधों से दुर्लभ छूट हासिल हुई है। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि उसने चीन और भारत समेत तुर्की, इराक, इटली, जापान और दक्षिण कोरिया से कहा है कि वह जितना जल्द हो सके ईरान से तेल खरीद को पूरी तरह बंद कर दे।
 
हालांकि फॉक्स न्यूज पर एक टॉक शो के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने उन सवालों को टाल दिया जिनमें पूछा गया था कि ईरान से तेल खरीद को पूरी तरह बंद करने को लेकर भारत और चीन की ओर से पक्का भरोसा मिला है या नहीं।
 
इस तरह के सवालों के सीधे जवाब नहीं देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देखिए हम क्या करते हैं। पहले के मुकाबले इस बार कहीं अधिक मात्रा में कच्चे तेल को हमने बाजार से हटा दिया है। उन प्रयासों को देखिए जो राष्ट्रपति ट्रंप की नीति से हासिल हुए हैं। हमने यह सब किया और साथ ही यह भी ध्यान रखा कि अमेरिकी उपभोक्ता इससे प्रभावित नहीं हों।’’

वाशिंगटन। ईरान के खिलाफ सोमवार से प्रभावी हुए अमेरिका के अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंधों के बारे में ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसे इस बात का भरोसा है कि ईरान के शासन के बर्ताव को बदलने में ये असरदार सबित होंगे। हालांकि उन्होंने यह सवाल टाल दिया कि क्या भारत और चीन ने अमेरिका को यह पक्का भरोसा दिलाया है कि छह महीने के भीतर वे तेहरान से तेल खरीद पूरी तरह बंद कर देंगे।

 
प्रतिबंध ईरान के बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्र में लागू हुए हैं और वहां से तेल आयात जारी रखने वाले यूरोप, एशिया तथा कहीं के भी देशों और कंपनियों पर फिर से जुर्माने का प्रावधान करते हैं। ईरान से तेल के सबसे बड़े खरीदार भारत और चीन हैं। ईरान के तेल और वित्तीय क्षेत्रों में अमेरिका के दंडात्मक प्रतिबंधों से अब तक ये देश बचे हुए हैं।
 
माना जाता है कि एशिया के दोनों बड़े देश उन आठ देशों में शामिल हैं जिन्हें ईरान पर सोमवार से लागू हुए प्रतिबंधों से दुर्लभ छूट हासिल हुई है। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि उसने चीन और भारत समेत तुर्की, इराक, इटली, जापान और दक्षिण कोरिया से कहा है कि वह जितना जल्द हो सके ईरान से तेल खरीद को पूरी तरह बंद कर दे।
 
हालांकि फॉक्स न्यूज पर एक टॉक शो के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने उन सवालों को टाल दिया जिनमें पूछा गया था कि ईरान से तेल खरीद को पूरी तरह बंद करने को लेकर भारत और चीन की ओर से पक्का भरोसा मिला है या नहीं।
 
इस तरह के सवालों के सीधे जवाब नहीं देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देखिए हम क्या करते हैं। पहले के मुकाबले इस बार कहीं अधिक मात्रा में कच्चे तेल को हमने बाजार से हटा दिया है। उन प्रयासों को देखिए जो राष्ट्रपति ट्रंप की नीति से हासिल हुए हैं। हमने यह सब किया और साथ ही यह भी ध्यान रखा कि अमेरिकी उपभोक्ता इससे प्रभावित नहीं हों।’’
पांच राज्यों में से तीन बड़े हिन्दी शासित राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव ने देश का सियासी पारा बढ़ा रखा है, जिन पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं उनमें से तीन राज्यों में बीजेपी की सरकार है और कांग्रेस यहां वापसी के लिये हाथ−पैर मार रही है। इन राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के लगातार दौरों के चलते यह तीन राज्य खूब चुनावी सुर्खिंया बटोर रहे हैं। इसमें मध्य प्रदेश की 230, राजस्थान की 200 और छत्तीसगढ़ की 90 सीटें शामिल हैं। इन तीन राज्यों के चुनाव में राजस्थान ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां भाजपा की सत्ता में वापसी सर्वाधिक मुश्किल मानी जा रही है। यहां 1993 से अदल−बदलकर सत्ता परिवर्तन की परंपरा रही है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर बीजेपी आलाकमान ही नहीं आश्वस्त नजर आ रहा है, तमाम मीडिया सर्वे भी उसी के पक्ष में आ रहे हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को बहुमत नहीं भी मिला तो वह सबसे बड़ी पार्टी बन कर जरूर उभरती दिख रही है।
 
राजस्थान के सियासी माहौल ने बीजेपी नेताओं के दिलों की धड़कने इस लिये बढ़ा रखी हैं क्योंकि यहां की सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान राज्य में अपने पार्टी विरोधियों को लगातार हासिये पर डाले रखा तो, दिल्ली के नेताओं को भी कभी खास तवज्जो नहीं दी। शीर्ष नेतृत्व लोकसभा चुनाव से पूर्व कहीं भी हार का मुंह नहीं देखना चाहता है। असल में राजस्थान में पारम्परिक रूप से एक बार कांग्रेस तो दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनती रही है। इस हिसाब से अबकी कांग्रेस की बारी लग रही है, लेकिन बीजेपी शीर्ष नेतृत्व इस मिथक को तोड़ देना चाहता है। कुल मिलाकर इन तीन राज्यों में कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है तो बीजेपी की पूरी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। 
 
उक्त तीन राज्यों के विधान सभा चुनावों को अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है। मोदी को यही से घेरने की रणनीति बनाई जा रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष में जो भी यहां जीतेगा, वह अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मैदान में सिकंदर की तरह उतरेगा। चुनाव भले ही तीन राज्यों का हो, लेकिन यहां कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी के राज्य सरकारों के कामकाज की जगह मोदी और उनकी सरकार की चर्चा सबसे अधिक कर रहे है। बीजेपी लगातार 15 सालों से मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज है। कांग्रेस ने कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा आगे कर बीजेपी को चुनौती पेश की है। ऐसे में दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज होती जा ही है। 
 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश में अपने चुनावी दौरे के दौरान जगह−जगह जनसभाओं में राफेल डील को भ्रष्टाचार का खुला मामला बता रहे हैं। पीएम मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी के बीच सांठगांठ का आरोप लगा रहे हैं। सीबीआई विवाद को भी हवा दी जा रही है। राफेल पर तो राहुल गांधी यहां तक कहते फिर रहे हैं कि अगर राफेल विवाद मामले की जांच होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेल जाएंगे। राहुल गांधी की इंदौर प्रेस कांफ्रेस के दौरान एक पत्रकार ने बार−बार जनता के बीच 'चौकीदार चोर है' कहने के सवाल किया तो राहुल ने कहा,  'मोदी जी को भ्रष्ट सिर्फ कहा नहीं जा रहा है, बल्कि वह वाकई भ्रष्ट हैं। इस पर कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए।' राहुल गांधी ही मोदी और बीजेपी पर हमला नहीं कर रहे हैं। उनको भी उन्हीं की भाषा में बीजेपी द्वारा जबाव दिया जा रहा है। राहुल के ऊपर मानहानि तक का केस दर्ज हो चुका है। गत दिनों झाबुआ में रैली के दौरान राहुल गांधी ने पनामा पेपर और व्यापम का जिक्र करते हुए शिवराज सिंह चौहान और उनके पुत्र की जोड़ी पर निशाना साधा था। इसपर पलटवार करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि पिछले कई वर्षों से कांग्रेस मेरे और मेरे परिवार के ऊपर अनर्गल आरोप लगा रही है। शिवराज ने कहा कि राहुल गांधी ने पनामा पेपर्स में मेरे बेटे कार्तिकेय का नाम लेकर सारी हदें पार कर दीं। मध्य प्रदेश के सीएम ने ट्वीट में कहा था कि वह राहुल गांधी पर मानहानि केस करने जा रहे हैं। इसके बाद राहुल गांधी की तरफ से सफाई सामने आ गई, लेकिन कार्तिकेय ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करा ही दिया।
 
राहुल के ऊपर बीजेपी वाले तो हमलावर हैं ही उन्हें अपना 'घर' भी संभालना पड़ रहा है। कांग्रेस की मध्य प्रदेश में वापसी की सुगबुगाहट ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ जैसे नेताओं के बीच खाई पैदा कर दी है। हद तो तब हो गई जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच तीखी कहासुनी हो गई। शुरुआती बहस कुछ ही देर में तीखी नोक−झोंक में बदल गई। दोनों में काफी समय तक तू−तू−मैं−मैं भी चलता रहा। दोनों के बीच जब बात नहीं बनी तो विवाद सुलझाने के लिए राहुल गांधी को तीन सदस्यीय समिति बनानी पड़ी। सिंधिया और दिग्विजय की खुली जंग से राहुल के चेहरे पर गुस्सा साफ दिखाई दिया। सिंधिया और दिग्गी राज के बीच में छिड़ी जंग की तह में जाया जाए तो पता चलता है कि सिंधिया स्वयं सीएम बनने का सपना पाले हैं, इस लिये वह अपनी पसंद के अधिक से अधिक नेताओं को टिकट दिलाना चाहते हैं, जबकि दिग्गी राज मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे पर हाथ रखे हुए हैं। वह अर्जुन के पुत्र को सीएम बनाने का सपना पाले हुए हैं।
 
उधर, चुनावी संग्राम के बीच राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच दल−बदल का दौर जारी है। बीते दिनों आप नेता नेहा बग्गा बीजेपी में शामिल हुई थीं और कई बीजेपी नेता कांग्रेस के खेमे में शामिल हुए थे। इसके बाद से लगातार नेता यहां पार्टी बदल रहे हैं। इसी क्रम में भाजपा के विधायक संजय शर्मा और पूर्व विधायक कमलापत आर्य इन्दौर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गये। इससे प्रदेश में सत्तारुढ़ भाजपा को बड़ा झटका लगा। मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं।
     
एक बार फिर बात राजस्थान की। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के समाने मुश्किलें पहाड़ की तरह खड़ी हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के प्रति जनता की नाराजगी तो चरम पर है ही पार्टी के भीतर भी उनके खिलाफ आवाज उठ रही हैं। केन्द्रीय आलाकमान डैमेज कंट्रोल में लगा जरूर है, लेकिन बीजेपी की वापसी दूर की कौड़ी लग रही है। बीजेपी की हार का मतलब वसुंधरा राजे का कद छोटा होना है। वसुंधरा ऐसी नेत्री हैं जिनको लेकर मोदी भी कभी सहज नहीं हो पाए हैं। दोनों के बीच की दूरियां किसी से छिपी नहीं हैं। यहां हार−जीत का अंतर काफी बड़ा दिखाई दे रहा है। यहां नतीजा कुछ भी आए, यह तय माना जा रहा है कि राजस्थान विधान सभा चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी लोकसभा चुनाव नए नेता के साथ लड़ेगी। दरअसल, जाट नेता हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में राजस्थान तीसरे मोर्चे का उदय देख रहा है। यह पिछले तमाम महीनों में बीजेपी के लिए सबसे अच्छी खबर है। नई पार्टी न सिर्फ आने वाले विधान सभा चुनाव में, बल्कि अगले साल लोक सभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए मददगार साबित होगी।
 
बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) मुख्य तौर पर ऐसे पूर्व बीजेपी नेताओं का एक साथ आना है, जो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में अपने लिए कोई भविष्य नहीं देखते। इन लोगों का सामूहिक लक्ष्य खुद को ऐसी जगह ले जाना है, जहां से वो कांग्रेस और राजे दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उनकी राजनीति का खेल कुछ ऐसा है, जहां राजे को खत्म किया जा सके और राजस्थान में नया पावर सेंटर बनकर बीजेपी में वापसी की जा सके।
 
चुनाव आयोग के लिये नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव कराना कभी आसान नहीं रहा है। इस बार भी नक्सली चुनाव का माहौल खराब करने में लगे हैं। दंतेवाड़ा में नक्सली हमला इस बात की ताकीद करता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण में राज्य के नक्सल प्रभावित 12 विधानसभा सीटों पर 12 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि 78 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है, हालांकि अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच हुए गठबंधन ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। बीजेपी सत्ता विरोधी लहर से परेशान है तो कांग्रेस इस बात को लेकर दुखी है कि जोगी कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुश्किलें अजीत जोगी ने बढ़ा रखी है।  
 
15 साल के मुख्यमंत्री पद पर आसीन रमन सिंह इस बार भी अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए कोई कोर−कसर छोड़ते नहीं दिख रहे। हालांकि 15 साल के मुख्यमंत्री पद पर आसीन रमन सिंह इस बार भी अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए कोई कोर−कसर छोड़ते नहीं दिख रहे हैं। इस बार बीजेपी, कांग्रेस और जकांछ−बसपा गठबंधन के अलावा आम आदमी पार्टी ने भी सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सपा, जेडीयू, स्वाभिमान मंच, सीपीआईएम सहित अन्य क्षेत्रीय दल भी अलग अलग सीटों से चुनावी मैदान में हैं। छत्तीसगढ़ की कुल 90 में से 31 सीटें अनुसूचित जनजाति, 10 अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
 
तेलंगाना की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस गठबंधन के तहत 119 विधान सभा सीटों में से 95 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस ने बाकी की 24 सीट तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और महागठबंधन के अन्य घटक दलों के लिए छोड़ी है। तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा के लिए 7 दिसंबर को चुनाव होने हैं। सीट बंटवारे के समझौते के तहत, कांग्रेस ने टीडीपी को 14 सीट और बाकी दस सीट तेलंगाना जन समिति (टीजीएस) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को देने का फैसला किया है। इसी बीच टीडीपी सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की है। मुलाकात में ही दोनों नेताओं ने आगामी लोकसभा और विधान सभा के चुनाव साथ लड़ने का फैसला किया। इस मुलाकात के बाद ही दोनों पार्टियों के बीच तेलंगाना में सात दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन और सीट बंटवारे का ऐलान किया गया था। यहां बीजेपी का कोई भी विधायक नहीं है। सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 63 सीटें जीती थीं। कांग्रेस 26, जबकि भाजपा ने पांच सीटें जीती थीं। यहां के सीएम राव ने समय पूर्व विधान सभा भंग कर दी थी। इसका कारण था, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की तरफ से कराया गया एक सर्वेक्षण, जिसके मुताबिक विधान सभा का निर्धारित समय पूर्ण होने के बाद के वर्ष  2019 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव अभी करा लिये जाएं तो टीआरएस की सत्ता में वापसी हो जायेगी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक भी सीट नहीं मिलेगी, वहीं कांग्रेस को मात्र दो सीटें मिलेंगी। इसी के बाद राव ने विधान सभा भंग करके जल्द चुनाव करा लिए।
 
मिजोरम में क्षेत्रीय पार्टियां विधानसभा चुनाव से पूर्व एकजुट होकर सत्ता का युद्ध लड़ने जा रही है। पूर्वोत्तर के 40 सीटों वाले इस छोटे से राज्य में क्षेत्रीय पार्टियों के मैदान में आने से मुकाबले के दिलचस्प होने के आसार बढ़ गए हैं। पीपुल्स रिप्रजेंटेशन ऑर आइडेंडिटी एंड स्टेट और मिजोरम, सेव मुजोरम फ्रंट एंड ऑपरेशन मिजोरम ने चुनाव से पहले गठबंधन किया है। इसके साथ ही जोराम राष्ट्रवादी पार्टी और जोराम एक्सोदस मूवमेंट ने राज्य के सत्ता के समीकरणों को बदलने के लिए एकसाथ आए हैं जब से मिजोरम की स्थापना हुई है।   
 
यहां पर तीन दल कांग्रेस, मिजो नेशनल फ्रंट और मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस ही मुख्य रूप से एक−दूसरे से जोर अजमाइश करते हैं। फिलहाल राज्य में ललथनहवला के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस 2008 से यहां की सत्ता पर काबिज है। यहां पर एमएनएफ भी दो बार सरकार बना चुकी है। उसने 1998 और 2003 में सत्ता हासिल की थी। एमएनएफ सुप्रीमो जोरामथांगा ने बीजेपी के साथ गठबंधन से इंकार किया है। हालांकि एमएनएफ बीजेपी के नेतृत्व में गठित पूर्वोत्तर गठबंधन का हिस्सा है। अभी राज्य में चुनाव के पहले और बाद के गठबंधन की सूरत पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा।
 
जैसे−जैसे पांचो राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं वैसे−वैसे सटोरिए भी ऐक्टिव होते जा रहे हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किसकी बनेगी सरकार इसपर बाजार में सट्टा लगना शुरू हो चुका है। सटोरियों का मानना है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी फिर से जीत सकती है वहीं, राजस्थान में कांग्रेस की वापसी हो सकती है। सट्टेबाजों के अनुसार, अगर कोई शख्स बीजेपी पर 10 हजार रुपये लगाता है और अगर पार्टी फिर से सत्ता में आती है तो उसे 11 हजार रुपये मिलेंगे। वहीं, अगर कांग्रेस पर कोई 4,400 रुपये लगाता है और अगर कांग्रेस की सत्ता में लौटती है तो उसे 10 हजार रुपये मिलेंगे। बता दें कि हर चुनाव में करोड़ों रुपये का सट्टा लगता है। फोन, वेबसाइट और अॉनलाइन मोबाइल अप्लीकेशन के जरिए सट्टा लगते हैं। इसके कारण पुलिस के लिए इस रैकिट को पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है।
 
- अजय कुमार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा द्वारा संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान राम मंदिर निर्माण के लिये निजी विधेयक लाने पर उन लोगों की असलियत उजागर हो जाएगी, जो भाजपा पर मंदिर के नाम पर कोरी राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। मौर्य ने कहा कि भाजपा के राज्यसभा सदस्य सिन्हा ने मंदिर निर्माण के सिलसिले में निजी विधेयक लाने की बात कही है। एक सांसद होने के नाते यह उनका हक है। अगर वह ऐसा करते हैं तो उन लोगों की असलियत सामने आ जाएगी जो भाजपा पर आरोप लगाते हैं कि मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे।

उन्होंने कहा कि भाजपा अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिये प्रतिबद्ध है। जब भी समय आएगा भाजपा इसके लिये तत्पर रहेगी। मालूम हो कि भाजपा के राज्यसभा सदस्य सिन्हा ने गत एक नवम्बर को कहा था कि वह राम मंदिर निर्माण का रास्ता खोलने के लिये निजी विधेयक लाएंगे। साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं से यह भी पूछा था कि क्या वे इस विधेयक का समर्थन करेंगे। मौर्य ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का अनुकूल फैसला आते ही अयोध्या में मंदिर का निर्माण निश्चित रूप से किया जाएगा और बाबर के नाम की एक भी ईंट नहीं रखने दी जाएगी।

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला किया है। राहुल ने मोदी सरकार पर किसानों को फ़सल बीमा के नाम पर लुटने का आरोप लगाया है। राहुल ने एक समाचार वेबसाईट का हवाला देते हुए ट्वीट किया कि वायुसेना को राफ़ेल में लूटने के बाद, अब फ़सल बीमा के नाम पर किसानों को लूटा जा रहा है। इसके आगे राहुल ने कहा कि इस सरकार का मक़सद सूट-बूट वाले दोस्तों के खाते में हज़ारों करोड़ रुपय भरना है। राहुल ने मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि चौकीदार ने इरादा साफ़ कर दिया है कि वो जनता के पैसे से अपने दोस्तों की तिजोरी भरेंगे। 

बता दे कि राहुल लगातार नरेंद्र मोदी पर राफेल मामले में हमला कर रहे हैं। इससे पहले शुक्रवार को आरोप लगाया कि फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को ‘‘रिश्वत की पहली किस्त’’ के रूप में 284 करोड़ रुपये दिए और दावा किया कि राफेल सौदे की जांच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच नहीं पाएंगे। उन्होंने दावा किया कि राफेल सौदे में जांच होने पर अपने खिलाफ कार्रवाई के डर से प्रधानमंत्री की रातों की नींद उड़ी हुई है। 

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पांच साल पहले किये गए वादों को पूरा नहीं किया और उसकी कोई उपलब्धि नहीं है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि भाजपा नीत सरकार ने विकास, रोजगार और लोगों के बैंक खाते में रकम जमा करने के वादों के साथ अपना कार्यकाल शुरू किया था लेकिन अब वह भव्य मंदिर, मूर्ति, तोहफों के वादे कर रही है।

चिदंबरम की टिप्पणी हाल में मोदी द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण और भगवान राम के जन्मस्थल अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के भाजपा के वादे की पृष्ठभूमि में आयी है। कांग्रेस नेता ने एक ट्वीट में कहा, ‘पांच साल की शुरूआत में विकास, नौकरी और हर नागरिकों के खाते में धन का वादा किया गया था। पांच साल के अंत में कोई उपलब्धि नहीं। नया वादा भव्य मंदिर, ऊंची प्रतिमा और तोहफों का है।’ लोकसभा चुनाव के करीब आने के साथ चिदंबरम ने भाजपा द्वारा चुनाव से पूर्व किये गए वादों को पूरा करने में कथित नाकामी पर मोदी सरकार पर हमला तेज कर दिया है।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत की परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने अपनी पहली प्रतिरोध गश्त (डेटरेंस पेट्रोल) सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि यह पनडुब्बी उन लोगों को एक करारा जवाब है, जो परमाणु ब्लैकमेल में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह धनतेरस और अधिक खास हो गया। 

मोदी ने सिलिसलेवार ट्वीट कर कहा कि भारत का गौरव, परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने अपना प्रथम प्रतिरोध गश्त सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। मैं इस उपलब्धि के लिए इसमें शामिल सभी लोगों, खासतौर पर आईएनएस अरिहंत के चालक दल के सदस्यों को बधाई देता हूं। इस उपलब्धि को इतिहास में याद रखा जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह घटनाक्रम देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। आईएनएस अरिहंत देश को बाहरी खतरों से हिफाजत करने में मदद करेगा और क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल में योगदान देगा।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘इस तरह के युग में एक विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोध वक्त की दरकार है। आईएनएस अरिहंत की सफलता उन लोगों को एक करारा जवाब है जो परमाणु ब्लैकमेल में शामिल हैं।’ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान में कहा गया है कि प्रधान मंत्री ने स्ट्रेटजिक स्ट्राईक न्युकिल्यर सबमरीन (एसएसबीन) परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के अधिकारियों और कर्मियों से भी मुलाकात की।

  • 3 विधायकों का टिकट कटा, 21 महिलाओं और 24 युवाओं को दिया मौका
  • कांग्रेस के 155 उम्मीदवारों की पहली सूची में कमलनाथ, सिंधिया समर्थकों को मिली तवज्जो
  • दिग्विजय के बेटे जयवर्धन को राघौगढ़ से टिकट, भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा से चुनाव लड़ेंगे
  • कांग्रेस की इस पहली सूची में बुधनी सीट शामिल नहीं, यहीं से सीएम शिवराज सिंह मैदान में

नई दिल्ली/भोपाल. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को  अपनी  बहुप्रतीक्षित  155 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। इसमें 130 सीटों पर कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को ज्यादा टिकट मिले हैं। पहली सूची में 46 वर्तमान विधायकों को दोबारा मौका दिया गया है, तीन विधायकों के टिकट काटे गए हैं।

इनमें कोतमा से मनोज अग्रवाल की जगह सुनील सर्राफ और सिरोंज से गोवर्धन उपाध्याय का स्वास्थ्य कारणों से टिकट कटने से यहां अशोक त्यागी को मौका दिया गया है। करेरा सीट से वर्तमान विधायक शकुंतला खटीक को टिकट नहीं दिया गया है, उनकी जगह जसवंत जाटव को उम्मीदवार बनाया गया है।  कांग्रेस की पहले 165 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करने की योजना थी, लेकिन नरेला,  जतारा, राजनगर, बड़ा मलहरा,  पथरिया, दमोह समेत 10 सीटों पर सहमति नहीं बन पाई। दिग्गज नेताओं में अजय सिंह, आरिफ अकील,  बाला बच्चन, डाॅ. गोविंद सिंह, केपी सिंह समेत 46 विधायक मैदान में हैं।
कांग्रेस की पहली सूची में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की घोषणा के अनुसार 21 महिलाओं और दो दर्जन से ज्यादा युवाओं को मौका दिया गया है। बड़े शहरों में भोपाल उत्तर से पांच बार के विधायक आरिफ अकील, दक्षिण पश्चिम से पीसी शर्मा और बैरसिया से जयश्री हरििकरण के अलावा इंदौर-3 से अश्विन जोशी, राऊ से जीतू पटवारी, महू से अंतरसिंह दरबार और सांवेर से तुलसी सिलावट को टिकट दिया गया है।

 

जयस के अलावा मनावर से रंजना बघेल के खिलाफ :
कांग्रेस ने जयस के अध्यक्ष हीरालाल अलावा को मनावर से टिकट दिया है, उनका यहां वर्तमान भाजपा  विधायक रंजना बघेल से मुकाबला होगा।
 

युवा कांग्रेस अध्यक्ष कुणाल चौधरी को भी टिकट :
यूथ कांग्रेस कोटे से सागर से नेवी जैन, कालापीपल से कुणाल चौधरी और शहपुरा से भूपेंद्र मरावी तथा एनएसयूआई कोटे से विपिन वानखेड़े व महाराजपुर से नीरज दीक्षित को टिकट दिया गया है।

 

जमकर चला वंशवाद दिग्विजय, भूरिया सहित कई नेताओं ने भाई-बेटों को दिलाया टिकट :
पहले यह चर्चा थी कि कांग्रेस सर्वे को महत्व देगी, लेकिन पहली सूची  में वंशवाद जमकर चला। तमाम बड़े नेताओं के बेटे, भाई और रिश्तेदारों पर कांग्रेस ने दांव लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद दिग्विजय सिंह ने विधायक पुत्र जयवर्द्घन सिंह को राघौगढ़, छोटे भाई पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह को चाचोड़ा और भतीजे प्रियव्रत सिंह को खिलचीपुर से टिकट दिलाया है। सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया झाबुआ और भतीजी कलावती भूरिया जोबट से मैदान में हैं। पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी बेटे नितिन चतुर्वेदी को अभी भी टिकट दिलाने की जुगाड़ में लगे हैं। जबकि, उनके परिवार से ही छोटे भाई आलोक चतुर्वेदी को छतरपुर से मौका मिला है। सुंदरलाल तिवारी की बहू अरुणा तिवारी समेत पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के बेटे कमलेश्वर पटेल मैदान में हैं। पूर्व मंत्री हजारीलाल रघुवंशी के बेटे को सिवनी मालवा, जमुनादेवी के भतीजे उमंग सिंघार को गंधवानी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के भाई सचिन यादव को कसरावद से टिकट मिला है।

मंदसौर में हिंसा भड़काने की आरोपी विधायक का टिकट कटा

 

  • करेरा से विधायक शकुंतला खटीक का टिकट कटा, मंदसौर हिंसा के दौरान शकुंतला पर लोगों को भड़काने का आरोप लगा था, थाना जलाने की धमकी देने वाला वीडियो भी वायरल हुआ था।

  • कोतमा से सुनील सराफ, सिरोंज से विधायक गोवर्धन उपाध्याय सीट का भी टिकट काट दिया गया।

  • नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह चुरहट से ही चुनाव लड़ेंगे। 
  • इंदौर की राऊ सीट से जीतू पटवारी को टिकट मिला है।
  • अटेर से पूर्व विधायक सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत को टिकट मिला है। हेमंत उपचुनाव में भी जीते थे।
  • भोपाल की गोविंदपुरा और हुजूर सीट का उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में जिक्र नहीं।

 

कांग्रेस के 155 उम्मीदवारों की पूरी सूची

  विधानसभा सीट उम्मीदवार
1 जौरा बनवारी लाल शर्मा (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
2 सुमावली अदल सिंह कसाना (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
3 मुरैना रघुराज सिंह कसाना (नया चेहरा)
4 दिमनी गिरराज दंडौतिया (नया चेहरा)
5 अंबाह कमलेश जाटव (नया चेहरा)
6 अटेर हेमंत कटारे (मौजूदा विधायक)
7 लहार डॉ गोविंद सिंह (मौजूदा विधायक)
8 मेहगांव ओ पी एस भदौरिया (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
9 ग्वालियर ग्रामीण मदन कुशवाह (नया चेहरा)
10 ग्वालियर प्रद्युम सिंह तोमर (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
11 ग्वालियर पूर्व मुन्ना लाल गोयल (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
12 भितरवार लखन सिंह यादव (मौजूदा विधायक)
13 डबरा इमरती देवी सुमन (मौजूदा विधायक)
14 सेवढ़ा घनश्याम सिंह (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
15 भांडेर रक्षा संतराम सरोनिया
16 करेरा जसवंत जाटव (नया चेहरा, शकुंतला खटीक का टिकट कटा)
17 पोहरी सुरेश राठखेड़ा (नया चेहरा)
18 पिछोर के पी सिंह (मौजूदा विधायक)
19 चाचौड़ा लक्ष्मण सिंह (नया चेहरा, दिग्विजय सिंह के भाई)
20 राघौगढ़ जयवर्धन सिंह (मौजूदा विधायक, दिग्विजय सिंह के बेटे)
21 बीना - एससी शशिकुमार कैथुरिया (नया चेहरा)
22 खुरई अरुणोदय चौबे (पिछली बार गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह से हारे थे, दोबारा मौका)
23 सुरखी गोविंद सिंह राजपूत (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
24 देवरी हर्ष यादव (मौजूदा विधायक)
25 नरयावली - एससी सुरेंद्र चौधरी (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
26 सागर नेवी जैन (नया चेहरा)
27 बंडा तरवर सिंह लोधी (नया चेहरा)
28 टीकमगढ़ यादवेंद्र सिंह (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
29 पृथ्वीपुर बृजेंद्र सिंह राठौड़ (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
30 निवाड़ी कैप्टन सुरेंद्र सिंह यादव (नया चेहरा)
31 खरगापुर चंदा सिंह गौर (मौजूदा विधायक)
32 महाराजपुर नीरज दीक्षित (नया चेहरा)
33 चांदला - एससी हरिप्रसाद अनुरागी (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका।)
34 छतरपुर आलोक चतुर्वेदी (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका।)
35 बिजावर शंकरप्रताप सिंह बुंदेला (नया चेहरा)
36 जबेरा प्रताप सिंह लोधी (मौजूदा विधायक)
37 पवई मुकेश नायक (मौजूदा विधायक)
38 गुन्नौर - एससी शिवदयाल बागरी (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका।)
39 चित्रकूट नीलांशु चतुर्वेदी (मौजूदा विधायक)
40 रायगांव - एससी कल्पना वर्मा (नया चेहरा)
41 सतना सिद्धार्थ कुशवाहा (नया चेहरा)
42 नागौद यादवेंद्र सिंह (मौजूदा विधायक)
43 अमरपाटन राजेंद्र कुमार सिंह (मौजूदा विधायक)
44 सिरमौर अरुणा तिवारी (नया चेहरा, पिछली बार हारे विवेक तिवारी की पत्नी।)
45 सेमरिया त्रियुगी नारायण शुक्ला (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका।)
46 त्योंथर रमाशंकर पटेल (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका।)
47 मऊगंज सुखेंद्र सिंह बन्ना (मौजूदा विधायक)
48 देवतलब विद्यावती पटेल (नया चेहरा)
49 रीवा अभय मिश्रा (नया चेहरा, भाजपा से कांग्रेस में आए हैं)
50 गुढ़ सुंदरलाल तिवारी (मौजूदा विधायक)
51 चुरहट अजय सिंह (मौजूदा विधायक)
52 सिहावल कमलेश्वर पटेल (मौजूदा विधायक)
53 चितरंगी - एसटी सरस्वती सिंह (मौजूदा विधायक)
54 सिंगरौली रेणु शाह (नया चेहरा)
55 धौहनी - एसटी कमलेश सिंह (नया चेहरा)
56 ब्योहारी - एसटी रामपाल सिंह (मौजूदा विधायक)
57 जयसिंहनगर - एसटी ध्यान सिंह (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
58 जैतपुर - एसटी उमा धुर्वे (नया चेहरा)
59 कोतमा सुनील सराफ (नया चेहरा, मौजूदा विधायक मनोज अग्रवाल का टिकट कटा।)
60 अनूपपुर - एसटी बिसाहूलाल सिंह (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
61 पुष्पराजगढ़ - एसटी फुंदेलाल सिंह मारको (मौजूदा विधायक)
62 बरवारा - एसटी विजय राघवेंद्र सिंह (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
63 विजयराघवगढ़ पद्मा शुक्ला (पिछली बार भाजपा के टिकट पर हारी थीं, अब काग्रेस से दोबारा मौका)
64 बहोरीबंद सौरभ सिंह सिसौदिया (मौजूदा विधायक)
65 पाटन नीलेश अवस्थी (मौजूदा विधायक)
66 बरगी संजय यादव (नया चेहरा)
67 जबलपुर कैंट आलोक मिश्रा (नया चेहरा)
68 जबलपुर पश्चिम तरुण भनोत (मौजूदा विधायक)
69 सिहाेरा - एसटी खिलाड़ी सिंह (नया चेहरा)
70 शाहपुरा - एसटी भूपेंद्र मारावी (नया चेहरा)
71 डिंडोरी - एसटी ओमकार सिंह मरकाम (मौजूदा विधायक)
72 बिछिया - एसटी नारायण सिंह पट्टा
73 मंडला - एसटी संजीव छोटेलाल उइके
74 बैहर - एसटी संजय उइके
75 लांजी हिना लखीराम कवारे
76 परसवाड़ा मधु भगत (मौजूदा विधायक)
77 बरघाट - एसटी अर्जुन सिंह काकोड़िया
78 सिवनी मोहन सिंह चंदेल
79 केवलारी रजनीश हरबंश सिंह (मौजूदा विधायक)
80 लखनादौन - एसटी योगेंद्र सिंह बाबा
81 गोटेगांव - एससी नर्मदा प्रसाद प्रजापति
82 नरसिंहपुर लखन सिंह पटेल
83 तेंदुखेड़ा संजय शर्मा
84 गाडरवारा सुनीता पटेल
85 अमरवाड़ा - एसटी कमलेश शाह (मौजूदा विधायक)
86 साैंसर विजय चौरे
87 परासिया - एससी सोहन लाल वाल्मीकि (मौजूदा विधायक)
88 मुलताई सुखदेव पानसे
89 बैतूल निलय कुमार डागा
90 घोड़ाडोंगरी - एसटी ब्रह्मा भलावी
91 भैंसदेही - एसटी धामू सिंह सिरसाम
92 टिमरनी - एसटी अभिजीत शाह (अंकित बाबा)
93 हरदा आरके दोगने (मौजूदा विधायक)
94 सिवनी मालवा ओमप्रकाश रघुवंशी
95 सोहागपुर सतपाल पलिया
96 उदयपुरा देवेंद्र पटेल गादरवास
97 भाेजपुर सुरेश पचौरी
98 सांची - एससी डॉ. प्रभुराम चौधरी
99 सिलवानी देवेंद्र पटेल
100 विदिशा शशांक भार्गव
101 बासौदा निशंक जैन (मौजूदा विधायक)
102 कुरवई - एससी सुभाष बोहाट
103 सिरोंज अशोक त्यागी (नया चेहरा, मौजूदा विधायक गोवर्धन उपाध्याय का टिकट कटा।)
104 शमशाबाद ज्योत्सना यादव
105 बैरसिया - एससी जयश्री हरिकरन
106 भोपाल उत्तर आरिफ अकील (मौजूदा विधायक)
107 भोपाल दक्षिण पीसी शर्मा (पिछली बार हारे थे, दोबारा मौका)
108 आष्टा - एससी गोपाल सिंह
109 इछावर शैलेंद्र पटेल (मौजूदा विधायक)
110 सीहोर सुरेंद्र सिंह ठाकुर
111 नरसिंहगढ़ गिरीश सिंह भंडारी (मौजूदा विधायक)
112 राजगढ़ बापू सिंह तोमर
113 खिलचीपुर प्रियव्रत सिंह
114 सारंगपुर - एससी कला मालवीय
115 सुसनेर महेंद्र सिंह परिहार
116 आगर - एससी विपिन वानखेड़े
117 शाजापुर हुकुम सिंह करादा
118 कालापीपल कुणाल चौधरी
119 सोनकच्छ - एससी सज्जन सिंह वर्मा
120 देवास जयसिंह ठाकुर
121 बागली - एसटी कमल सिंह वसकाले
122 मानधाता नारायण सिंह पटेल
123 हरसूद - एसटी सुखराम साल्वे
124 नेपानगर - एसटी सुमित्रा देवी कसदाकर
125 बुरहानपुर हामिद काजी
126 भीकनगांव - एसटी झुमा सोलंकी (मौजूदा विधायक)
127 बड़वाह सचिन बिरला
128 महेश्वर - एससी विजयलक्ष्मी साधो
129 कसरावद सचिन यादव (मौजूदा विधायक)
130 भगवानपुरा - एसटी विजय सिंह सोलंकी (मौजूदा विधायक)
131 सेंधवा - एसटी ग्यारसीलाल रावत
132 राजपुर - एसटी बाला बच्चन (मौजूदा विधायक)
133 बड़वानी - एसटी रमेश पटेल (मौजूदा विधायक)
134 जोबट - एसटी कलावती भूरिया
135 झाबुआ - एसटी डॉ. विक्रांत भूरिया
136 थांदला - एसटी वीर सिंह भूरिया
137 सरदारपुर - एसटी प्रताप ग्रेवाल
138 गंधवानी - एसटी उमंग सिंघार (मौजूदा विधायक)
139 कुक्षी - एसटी सुरेंद्र सिंह बघेल (मौजूदा विधायक)
140 मनावर - एसटी हीरा अहलावत
141 धर्मपुरी - एसटी प्राची लाल मेढ़ा
142 धार प्रभा सिंह गौतम
143 बदनावर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव
144 इंदौर-3 अश्विन जोशी
145 डॉ. अंबेडकरनगर - महू अंतर सिंह दरबार
146 राऊ जीतू पटवारी (मौजूदा विधायक)
147 सांवेर - एससी तुलसी सिलावट
148 नागदा - खाचरोद दिलीप सिंह गुर्जर
149 तराना - एससी महेश परमार
150 घट्टिया - एससी रामलाल मालवीय
151 बड़नगर मुरली मोरवाल
152 रतलाम ग्रामीण - एसटी लक्ष्मण सिंह डिंडोर
153 सैलाना - एसटी हर्षविजय गहलोत
154 जावरा केके सिंह कालूखेड़ा
155 सुवासरा हरदीप सिंह डांग (मौजूदा विधायक)

 

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