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मीडिया नहीं बल्कि फेक न्यूज मीडिया लोगों का दुश्मन: ट्रंप


मीडिया नहीं बल्कि फेक न्यूज मीडिया लोगों का दुश्मन: ट्रंप

वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को यह आरोप लगाते हुये एकबार फिर मीडिया पर निशाना साधा है कि "फर्जी समाचार मीडिया" पर उनके ट्वीट की गलत व्याख्या की गई और इसे "जानबूझकर गलत तरीके से" रिपोर्ट किया गया। देर रात किये गए ट्वीट में ट्रम्प ने मीडिया संगठन सीएनएन को विशेष रूप से निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ‘‘फर्जी खबरों के व्यापार में संलिप्त सीएनएन और कुछ अन्य मीडिया संगठनों ने जानबूझकर और गलत तरीके से मेरे बयान को रिपोर्ट किया कि मैंने कहा था कि 'मीडिया लोगों का दुश्मन है'। गलत! बल्कि मैंने यह कहा था कि 'फर्जी समाचार (मीडिया) लोगों का दुश्मन है, दोनों में काफी अंतर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आप झूठी सूचना देते हैं - यह अच्छा नहीं है।’’ट्रम्प ने ट्विटर पर अपने साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा समर्थकों से पिछले दो दिनों में इस संबंध में किये गये उनके ट्वीटों को पढ़ने के लिए कहा। 

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो दिनों के ट्वीट को देखें। लोगों के दुश्मन का जिक्र करते समय मैंने फेक न्यूज मीडिया का उल्लेख किया था, लेकिन बेईमान रिपोर्टरों ने मेरे बयान को पेश करते वक्त केवल 'मीडिया' शब्द का इस्तेमाल किया।’’ट्रम्प ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे महान देश के लोग इतनी सारे फर्जी खबरें मिलने से नाराज और निराश हैं। उन्हें यह पता है और इसे पूरी तरह से समझते भी हैं।’’ गौरतलब है कि एक दिन पहले दैनिक प्रेस सम्मेलन में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने जोर देकर कहा था कि राष्ट्रपति मीडिया के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उन पत्रकारों और मीडिया संगठनों के खिलाफ हैं, जो "गलत" और "कपटपूर्ण" रिपोर्टिंग में संलिप्त हैं। राष्ट्रपति ने समस्त मीडिया के बारे में ऐसा नहीं कहा है।’’ गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में घृणा का माहौल बनाने का जिम्मेदार मीडिया की ‘फर्जी तथा गलत’ रिपोर्टिंग को ठहराया था और कहा था कि इसके लिए उनका प्रशासन अथवा रिपब्लिकन पार्टी जिम्मेदार नहीं है। ट्रंप ने रविवार देर रात की ट्वीट में कहा था, ‘‘हमारे देश में लंबे समय से चले आ रहे मतभेद और घृणा के लिए रिपब्लिकन, कंजर्वेटिव और मुझे जिम्मेदार ठहराने के लिए फर्जी खबरें हर कोशिश कर रही है।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था, ‘‘वास्तव में यह उनकी फर्जी और गलत रिपोर्टिंग है जो ऐसी समस्याएं पैदा कर रही है जिन्हें वह समझ ही नहीं सकते।’’गौरतलब है कि मुख्यधारा के मीडिया का एक बड़ा वर्ग ट्रंप के बयानों को देश में विभाजन का माहौल बनाने का जिम्मेदार ठहरा रहा है। मीडिया का कहना है कि इससे घृणा अपराध बढ़ रहे हैं जैसे कि पिट्सबर्ग में यहूदी प्रार्थनास्थल में हाल ही में हुई गोलीबारी की घटना जिसमें 11 लोग मारे गए थे। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित पूर्व तथा वर्तमान उच्च अधिकारियों को 13 मेल बम भेजना।
 

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को झाबुआ में एक रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा और कहा आरोप लगाया कि उनके शासनकाल में राज्य में ‘‘घोर भ्रष्टाचार’’ हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि एक मुख्यमंत्री ‘मामाजी’ के बेटे का नाम पनामा पेपर्स में आया था लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। राहुल के इस आरोप के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मानहानि का मुकदमा करने का दावा किया है। 

शिवराज ने ट्वीट किया, " पिछले कई वर्षों से कांग्रेस मेरे और मेरे परिवार के ऊपर अनर्गल आरोप लगा रही हैं। हम सबका सम्मान करते हुए मर्यादा रखते हैं, लेकिन आज तो राहुल जी ने मेरे बेटे कार्तिकेय का नाम पनामा पेपर्स में आया है कहा कर, सारी हदें पार कर दी! कल ही हम उन पर मानहानि का दावा कर रहे है।
 
अब खबर यह आ रही है कि राहुल गांधी ने अपने इस बयान के लिए माफी मांग ली है। राहुल ने कहा कि उन्होंने ऐसा कन्फूजन में कहा था। हालांकि राहुल ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में घोर भ्रष्टाचार है।  

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 67 प्रत्याशियों के टिकट की घोषणा कर दी है। इनमें से 17 सीटिंग विधायकों के टिकट कट गए हैं। जिन विधायकों का टिकट कटा है उनमें से अधिकांश ने घमासान मचा रखा है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने तैयारी, कार्यकर्ता और क्षेत्र पर पकड़, उम्मीदवार की छवि और उसकी जिताऊ क्षमता को आधार बनाकर प्रत्याशियों को टिकट दिया है। भाजपा एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रत्याशियों के टिकट बंटवारे में जमकर चली है। रमन सिंह की पसंद को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी तवज्जो दी है।

 

म. प्र. से आने वाले भाजपा के एक वरिष्ठ नेता छत्तीसगढ़ में काफी सक्रिय हैं। विधायकों का टिकट कटने को लेकर उनका कहना है कि इसमें पूरी पारदर्शिता बरती गई है। हालांकि वह भी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के राजनीतिक कौशल ने सबको प्रभावित किया है। सूत्र कहना है कि राजस्थान, छत्तीलगढ़, म.प्र., तेलंगाना और मिजोरम में केवल छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है, जहां भाजपा की जीत तय मानी जा रही है। सभी 90 विधानसभा सीटों पर पार्टी के पक्ष में अच्छी सूचनाएं आ रही हैं। इसके सामानांतर म.प्र. में भाजपा काफी मजबूत है, लेकिन वहां कांग्रेस के साथ कांटे के मुकाबले से इनकार नहीं किया जा सकता। यही स्थिति राजस्थान में भी है। बताते हैं राज्य में रमन सिंह तीन बार से मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने अपनी लोकप्रियता को बनाए रखे है।

तालमेल बनाने में माहिर

रमन सिंह के बारे में आम है कि वह सबसे तालमेल बना लेते हैं। बताते हैं भाजपा मुख्यालय से लेकर केन्द्र सरकार तक उन्होंने अपने रिश्ते को काफी सामंजस्यपूर्ण बनाए रखने में सफलता पाई है। छत्तीसगढ़ नक्सलवाद प्रभावित राज्य है। यहां कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 18 सीट पर प्रथम चरण में 12 नवंबर को मतदान होना है। ये सीटें नक्सल प्रभावित क्षेत्र की हैं। शेष 72 सीटों पर दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होता है। बताते हैं इसे केन्द्र में रखकर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने प्रत्याशियों को उतारने और चुनाव प्रचार की रूपरेखा तैयार की है। इसके लिए राज्य के हर सांसद, मंत्री और राज्य सरकार में मंत्री तथा पार्टी के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई 

कोरबा में भाजपा-कांग्रेस सहित तमाम दल किस तरह प्रचार में जुटे हुए हैं, देखिए कुछ ऐसी ही तस्वीरें। 

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। अपना परचम लहराने के लिए हर एक सीट पर पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं। इस सब के बीच दंतेवाड़ा सीट ख़ास वजहों से चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल दंतेवाड़ा सीट को लेकर कहा जाता है कि यहां हर चुनाव में परिवार के लोग ही आमने-सामने होते हैं। इस बार भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।

 

चुनावी महाभारत में 'विजय श्री' पाने उतरा परिवार

जनजाति बहुल इस सीट पर एक ही परिवार के सात लोग अलग-अलग पार्टियों से टिकट पाकर एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। पिछले चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था। दरअसल भाजपा उम्मीदवार भीमा मंडावी कांग्रेस उम्मीदवार देवती कर्मा के बहनोई हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी देवती और सीपीआई उम्मीदवार नंदाराम सोरी आपस में भाई-बहन हैं। 

इसके अलावा आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बल्लू भवानी और निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं जया कश्यप रिश्ते देवती के भतीजा-भतीजी हैं। दूसरी तरफ बसपा उम्मीदवार केशव नेताम और निर्दलीय सुदरू कुंजाम का आप उम्मीदवार बल्लू के भांजे है।

चुनावी रंजिश के आड़े नहीं आया रिश्ता

सभी उमीदवार रविवार को जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता पर नंदलाल मुड़ामी पर हमला  खबर मिलते ही उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे। इस दौरान इनके रिश्तों की गर्मजोशी साफ़ देख यह लगा कि चुनावी प्रतिस्पर्धा रिश्तों की गरिमा को अब भी नहीं छू पाई।

कांटे की टक्कर की उम्मीद 

दंतेवाड़ा की सीट पर 1 लाख मतदाता हैं। रिश्तेदारों के आमने सामने होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। कांग्रेस की देवती कर्मा ने अपने पति टाइगर महेंद्र कर्मा की मौत के बाद चुनाव लड़ा और पिछले चुनाव में भाजपा की भीमा मंडावी को करीब 6 हजार वोटों से हराया था।
 

इन उम्मीदवारों  के बीच मुकाबला 
 

देवती कर्मा कांग्रेस
जया कश्यप निर्दलीय
भीमा मण्डावी भाजपा
केशव नेताम  बसपा
बल्लू भवानी आप
नंदाराम सोरी सीपीआई
सुंदरू कुंजाम निर्दलीय

छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने सोमवार को अपने 11 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की। बता दें कि छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में दो चरणों में 12 और 20 नवंबर को चुनाव होने हैं। मतों की गणना 11 दिसंबर को होगी। 

 

पहले चरण के चुनाव के लिए प्रचार चरम पर है। भाजपा यहां लगातार 15 साल से सत्ता में है और इस बार सीएम रमन सिंह के सामने सत्ता बचाए रखने की चुनौती है। बसपा और अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बीच गठजोड़ के चलते मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए पुरजोर कोशिश में है। 

यहां देखें पूरी लिस्ट-



इससे पहले गत 21 अक्तूबर को पार्टी ने अपने 77 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। इसमें एलान किया गया था कि मुख्यमंत्री रमन सिंह राजनांदगांव सीट से चुनाव लड़ेंगे। इन 77 नामों में 14 मौजूदा विधायकों की जगह नए नाम घोषित किए गए थे।  

छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने सोमवार को अपने 11 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की। बता दें कि छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में दो चरणों में 12 और 20 नवंबर को चुनाव होने हैं। मतों की गणना 11 दिसंबर को होगी। 

 

पहले चरण के चुनाव के लिए प्रचार चरम पर है। भाजपा यहां लगातार 15 साल से सत्ता में है और इस बार सीएम रमन सिंह के सामने सत्ता बचाए रखने की चुनौती है। बसपा और अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बीच गठजोड़ के चलते मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए पुरजोर कोशिश में है। 

यहां देखें पूरी लिस्ट-



इससे पहले गत 21 अक्तूबर को पार्टी ने अपने 77 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। इसमें एलान किया गया था कि मुख्यमंत्री रमन सिंह राजनांदगांव सीट से चुनाव लड़ेंगे। इन 77 नामों में 14 मौजूदा विधायकों की जगह नए नाम घोषित किए गए थे।  

बिलासपुर को छत्तीसगढ़ की न्यायधानी कहा जाता है। यहां विधानसभा की कुल सात सीटें हैं, जिनमें पांच सामान्य और एक अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। बिलासपुर की सातों विधानसभा में पक्के प्रत्याशी हैं, मतलब वे लंबे समय से जीत हासिल करते आए हैं।  लेकिन इस बार चुनावी गणित में बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है। आइए डालते हैं नजर बिलासपुर की सातों विधानसभाओं पर-
 
मरवाही विधानसभा 
इस विधानसभा सीट पर कई सालों से जोगी परिवार का कब्जा रहा है। यहां से फिलहाल अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी विधायक हैं। लेकिन इस बार यहां के सियासी समीकरण में बदलाव होने के आसार प्रबल हैं। फिलहाल मरवाही से कांग्रेस ने गुलाब सिंह राज को उतारा है। 

कोटा विधानसभा
कोटा सीट पर पिछले 66 सालों से एक ही पार्टी ने जीत का परचम लहराया है। पिछले 14 विधानसभा चुनावों से कांग्रेस का ही यहां बोलबाला रहा है। इस सीट से कांग्रेस की तरफ से अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने चुनाव लड़ा है, लेकिन इस बार जोगी कांग्रेस यहां का सियासी खेल बिगाड़ सकती है। 

 

तखतपुर विधानसभा
तखतपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का एकछत्र राज है, लेकिन इस बार अजीत जोगी की पार्टी भी पूरे दमखम के साथ उतर रही है। बिलासपुर जिले में अजीत जोगी का अच्छा खासा वर्चस्व है। ऐसे में भाजपा को यहां अपना ताज बचाए रखने में मुश्किलात हो सकती है।

बिल्हा विधानसभा
बिल्हा दो जिलों के नक्शे में शामिल है, इस सीट का आधे से ज्यादा हिस्सा मुगेली और एक हिस्सा बिलासपुर जिले में आता है। बिल्हा का चुनावी रण भाजपा के धरमलाल कौशिक और कांग्रेस के सियराम कौशिक के नाम रहा है। 

बिलासपुर विधानसभा
इसे राज्य की हाईप्रोफाइल सीट माना जाता है। यह हमेशा से ही भाजपा का गढ़ रहा है। भाजपा विधायक अमर अग्रवाल यहां से चार बार चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस के लाख एक्सपेरिमेंट के बाद भी यह सीट उसके हाथों नहीं आ पाई है। 

 

बेलतरा विधानसभा
बेलतरा विधानसभा भी भाजपा का मजबूत किला है। परिसीमन के बाद 15 वर्षों से यहां भाजपा के बद्रीधर दीवान ने यहां जीत दर्ज करते आए हैं। कांग्रेस के लिए इस बार यहा अपनी विजयी गाथा लिखना आसान नहीं होगा। 

मस्तुरी विधानसभा
मस्तुरी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। लेकिन कांग्रेस ने यह जीत बीजेपी के विजयी रथ को रोककर हासिल की  है। पिछले विधानसभा चुनाव में दिलीप सिंह लहरिया ने भाजपा के कृष्णमूर्ति बांधी को हराकर कांग्रेस को अविश्वसनीय जीत दिलाई थी।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने दूरदर्शन की टीम पर हमला किया है। अभी इस बात का पता नहीं चल पाया है कि टीम में कितने लोग शामिल थे। इस हमले में एक पत्रकार की मौत हो गई है।

वायु प्रदूषण की स्थिति को बेहद गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 15 वर्ष पुराने पेट्रोल और 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर पाबंदी लगा दी है। शीर्ष अदालत ने परिवहन विभागों का कहा कि अगर दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर ऐसे वाहन चलते पाए गए तो उन्हें जब्त कर लिया जाए।  

 

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति को भयावह करार दिया है। मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि हालत यह है कि लोग सुबह की सैर के लिए नहीं निकल सकते।  

पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) और परिवहन विभाग की वेबसाइट पर 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों की लिस्ट जारी करने केलिए कहा है। पीठ ने इस संबंध में अखबारों में विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया है। इसकेअलावा पीठ ने सीपीसीबी को जल्द से जल्द एक सोशल मीडिया अकाउंट बनाने के लिए कहा है जिससे कि नागरिक प्रदूषण से संबंधित शिकायतें दर्ज करा सके। इन शिकायतों पर संबंधित अथॉरिटी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।  

साथ ही पीठ ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अथॉरिटी(इपका) को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान(जीआरएपी) के तहत दिए गए प्रदूषण स्तर पहले भी उपचारात्मक कदम उठम उठाने की इजाजत दे दी है।  

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश अमाइक क्यूरी अपराजिता सिंह द्वारा दायर की गई रिपोर्ट पर दिए हैं। वास्तव में अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया कि राजधानी में प्रदूषण की स्थिति इस कदर खराब हो गई है कि जल्द कोई कदम उठाने की दरकार है। 

मालूम हो कि इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) ने दिल्ली में 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर पाबंदी लगाई थी और शीर्ष अदालत एनजीटी केआदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर चुकी है।  

सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने उस मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया कि दिल्ली में प्रदूषण इस कदर है कि लोग सुबह की सैर करने तक नहीं जा सकते। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) एएनएस नादकर्णी से कहा, 'क्या आप पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन गए हैं।

गरीब लोगों को आजीविका चलाने केलिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्हें जिस तरह का परिश्रम करना पड़ता है वह लोधी गार्डन में घूमने वाले लोगों से अधिक है। गरीब मजदूर भारी शारीरिक श्रम करते हैं। क्या आप उन्हें काम करने से यह कह कर रोक सकते हैं सुबह में काम करना सुरक्षित नहीं है। यह बेहद गंभीर स्थिति है। यह भयावह स्थिति है।’ इस पर एएसजी ने कहा कि वह अमाइकस क्यूरी के सुझावों का समर्थन करते हैं। 
 
साथ ही अमाइकस क्यूरी ने इपका द्वारा तैयार की रिपोर्ट और द्वारका, नरेला, बवाना, मुंडका और नांगलोई आदि में कूड़ा जलाने की फोटो पेश की। इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार और डीएसआईआईडीसी को दो दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई एक नवंबर को होगी। 

सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्देश:  
- दिल्ली-एनसीआर में 15 वर्ष पुराने पेट्रोल व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर पाबंदी  
- ऐसे वाहनों के सड़कों पर पाए गए तो जब्त होंगे 
- वेबसाइट पर 15 वर्ष पुराने पेट्रोल व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों की सूची जारी करने केलिए कहा 
- अखबारों में विज्ञापन देने का निर्देश 
- सोशल मीडिया अकाउंट बनाने का निर्देश, जहां नागरिक प्रदूषण संबंधित शिकायत दर्ज करा सकें

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