ईश्वर दुबे
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नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दावों पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ग्रामोफोन की तरह उनकी पिन अटक गई है जिसके कारण वह ऐसी बचकानी बाते कर रहे हैं और लोग उनके दावों का मजाक उड़ाते हैं।
दी ने कहा कि इनको समझ नहीं आ रहा है कि वक्त बदल गया है, जनता को मूर्ख समझना बंद करें। ‘‘ इस प्रकार की बचकानी बातें किसी के गले नहीं उतरती है और लोग मजाक उड़ाते हैं।’’ भाजपा के एक कार्यकर्ता द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी चिंता न करें। पहले ग्रामोफोन के रिकार्ड में पिन अटक जाती है तो कुछ ही शब्द बार बार सुनाई देती है। ऐसे ही कुछ लोग भी होते हैं जिनकी पिन अटक जाती है । एक ही चीज दिमाग में भर जाती है जो बार बार एक ही बात बोलते हैं। ऐसे में इन बातों का मजा उठाना चाहिए, आनंद लेना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘ चुनाव की आपाधापी में इन चीजों का आनंद उठायें।’’सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय की जजों की रिक्तियों को लेकर खिंचाई की है। बता दें कि अदालतों में 200 से अधिक जजों की नियुक्तियां होनी हैं लेकिन भर्ती प्रक्रिया में लगातार हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सख्त दिखाई दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय की खिंचाई कर दी।
जजों की नियुक्ति को लेकर यह टकराव नई नहीं है। न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच भी इस मामले में सीधा टकराव होता दिखाई दे रहा है। जजों की रिक्तियों के मामले को लेकर न्यायाधीश मदन बी लोकुर और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच जमकर बहस भी हो चुकी है।
मणिपुर के एक मामले की यह सुनवाई इसी साल मई माह में हुई थी। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश लोकुर ने के के वेणुगोपाल से पूछा कि फिलहाल उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की कितनी सिफारिश लम्बित हैं? केके ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी जुटानी पड़ेगी।
के के वेणुगोपाल के इस जवाब से नाराज जस्टिस लोकुर ने कहा कि सरकार के साथ यही दिक्कत है मौके पर सरकार कहती है कि जानकारी लेनी होगी। इस पर केके ने कहा कि कोलेजियम को बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए। ज्यादा नामों की सिफारिश भेजनी चाहिए।
बता दें कि फिलहाल 200 जजों के पद खाली हैं। जिसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने आज उच्च न्यायालय को फटकार लगाई है।
अगले लोकसभा चुनावों में भाजपा क्या अपने अध्यक्ष अमित शाह को कोलकाता उत्तर लोकसभा सीट से मैदान में उतारने पर विचार कर रही है? यहां राजनीतिक हलकों में तो यही कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से इन कयासों को बल मिला है। यहां मंगलवार को एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में घोष ने कहा कि वे चाहते हैं कि अमित शाह कोलकाता उत्तर सीट से चुनाव लड़ें। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार ओडीशा में पुरी से लड़ सकते हैं। हम भी अमित शाह से कोलकाता उत्तर सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध कर सकते हैं।
जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा फिलहाल शाह के लिए कोलकाता उत्तर के अलावा आसनसोल सीट पर भी विचार कर रही है। बीते लोकसभा चुनावों में पार्टी को राज्य में 17 फीसदी वोट मिले थे। पार्टी को उम्मीद है कि शाह की उम्मीदवारी से पार्टी को मिलने वाले वोटों का ग्राफ तेजी से चढ़ेगा, लेकिन आखिर कोलकाता उत्तर सीट का नाम चर्चा में कैसे आया ? राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इलाके में गैर-बांग्लाभाषी वोटरों की भारी तादाद इसकी एक वजह है। इसके अलावा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था।
कोलकाता उत्तर में वर्ष 2009 में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को 52.4 फीसदी वोट मिले थे जबकि चार फीसदी वोटों के साथ भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी। दूसरे स्थान पर रही माकपा को 40 फीसद वोट मिले थे। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार को लगभग 37 हजार वोट मिले थे। वर्ष 2014 में भी यह सीट तृणमूल ने ही जीती, लेकिन नतीजे पहले के मुकाबले से अलग थे, तब तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस का गठबंधन टूट गया था। यहां तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार को 36 फीसदी वोट ही मिले थे। लेकिन 26 फीसदी वोटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर पहुंच गई थी। 21 फीसदी वोट लेकर माकपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा था।
रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर लगातार झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं के जरिए लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल रही है। इसी वजह से कांग्रेस अध्यक्ष के पास झूठ बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। गांधी का बिना नाम लिए पीएम ने उन्हें लोगों को बेवकूफ ना बनाने के लिए कहा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोग उनकी बचकाना चीजों को स्वीकार नहीं करेंगे। मोदी ने विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष पर यह हमला मछलीशहर, राजसमंद, महासमुंद, सतना और बैतूल के कार्यकर्ताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई बातचीत में किया। चुनावी रैली के दौरान राहुल के मध्यप्रदेश के हर जिले में मोबाइल फैक्ट्री खोलने के दावे पर बैतूल के भाजपा कार्यकर्ता ने एक सवाल किया।
जिसके जवाब में पीएम ने कार्यकर्ताओं से कहा- 'चिंता न करें, वह जो कहते हैं उसका आनंद लें। यदि वह बैतूल आंएगे तो यही बात दोहराएंगे। इससे पहले ग्रामोफोन रिकॉर्ड किए जाते थे। जब कभी पिन ग्रामोफोन में अटक जाती थी तो केवल एक शब्द बार-बार सुनाई देता था। यह ऐसे लोग हैं जिनकी पिन अटक गई है और वह शब्दों को दोहराते रहते हैं। चुनाव के समय आपको इस तरह की चीजों का आनंद उठाना चाहिए। उन्हें (राहुल गांधी) पता नहीं है कि समय बदल चुका है। जनता को बेवकूफ बनाना बंद कीजिए। वह इस तरह की बचकाना चीजों को स्वीकार नहीं करते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं।'
मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि 2014 के बाद मोबाइल का आविष्कार हुआ। उन्होंने कहा, 'मोबाइल 2014 से पहले भी अस्तित्व में थे लेकिन मैं उन लोगों से एक सवाल करना चाहता हूं जिन्होंने बहुत सालों तक देश पर राज किया। उनके शासन के दौरान भारत में मोबाइल निर्माण की केवल दो यूनिट क्यों थी?' उन्होंने कहा कि भारत अब मोबाइल निर्माण में विश्व के अग्रणी देशों में से एक है। कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जिन्होंने लंबे समय तक देश पर राज किया उन्होंने वन रैंक वन पेंशन के लिए कुछ नहीं किया।
पीएम मोदी ने कहा, 'उन्होंने वन रैंक वन पेंशन के बारे में सुना तक नहीं था। उन्हें चिंता इस बात की है कि सुरक्षाबल हमारे साथ हैं। वह मोदी से प्यार करते हैं। इसलिए उनके पास झूठ फैलाने के अलावा कुछ कहने को नहीं है।' कार्यकर्ताओं ने जब मोदी से पूछा कि विपक्ष की अभद्र भाषा पर उन्हें किस तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो पीएम ने कहा कोई आपको वही देता है जो उसके पास होता है।
तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू गुरुवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के साथ मुलाकात करेंगे। इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि टीडीपी भाजपा के खिलाफ बन रहे मोर्चे में शामिल होंगे। रिपोर्ट्स के अनुसार नायडू नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्स) के सीताराम येचुरी से भी 2019 के महागठबंधन के लिए मुलाकात करेंगे।
टीडीपी ने इस साल एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था। इसकी वजह था केंद्र सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ना देना। इसके बाद टीडीपी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) से अलग हो गया और पार्टी ने केंद्र की आलोचना करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। मानसून सत्र के दौरान टीडीपी ने अपने घोर विरोधी वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन दिया था।
2014 चुनाव से पहले चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ जाने का फैसला लिया था और नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के तौर पर समर्थन किया था। हालांकि इस साल की शुरुआत में वह गठबंधन से अलग हो गए। वहीं तेलंगाना में दिसबंर में चुनाव होने वाले हैं। राज्य की सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को हराने के लिए टीडीपी और कांग्रेस पहले ही साथ आ चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए भी दोनों हाथ मिला सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने पेड न्यूज के खिलाफ लड़ने के लिए चुनाव आयोग को 'खुली छूट' दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के पैरा 77 वाले उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने पेड न्यूज के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से चुनाव आयोग के हाथ बांध रखे थे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ये नई रोक आने वाले विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, क्योंकि चुनाव के समय पेड न्यूज के मामले काफी बढ़ जाते हैं।
इससे पहले हुई सुनवाई में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कोई भी ऐसी खबर, जिसमें राजनेता अपने रिकॉर्ड और उपलब्धियों के आधार पर अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहा हो, उसे पेड न्यूज माना जाएगा।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग शीर्ष अदालत में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक निर्णय के खिलाफ पहुंचा था, जिसमें मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज के आरोपों में तीन साल के लिए अयोग्य ठहराने के आयोग के फैसले को हाईकोर्ट की एक सदस्यीय पीठ ने 18 मई को खारिज कर दिया था।
आयोग ने दावा किया था कि हाईकोर्ट पेड न्यूज के खिलाफ कार्रवाई करने की उसकी भूमिका को प्रतिबंधित करने की गलती कर रहा है। आयोग ने इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर की याचिका में कहा था कि बहुत ज्यादा प्रसार क्षेत्र वाले समाचार पत्रों में प्रत्याशियों के नाम से जारी बयानों में उनके रिकॉर्ड और उपलब्धियों की प्रशंसा करने के साथ मतदाताओं से सीधे वोट देने की अपील भी की जाती है। ऐसी खबरों को चुनाव आयोग सामान्य खबर नहीं बल्कि पेड न्यूज मानता है। याचिका में आयोग ने शीर्ष अदालत से इस मुद्दे का परीक्षण करने की अपील की थी।
आयोग ने अपनी याचिका में ये भी कहा था कि अगर 'फ्री स्पीच' की आड़ में इस तरह के जानबूझकर प्रचार वाले संबोधनों को चुनाव के समय छूट दी गई तो 'पहुंच' वाले उम्मीदवार इसका लाभ उठा लेंगे। ये वो उम्मीदवार होंगे, जो मजबूत नेटवर्क रखते हैं और मीडिया में जिनके खास संबंध हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची का एलान कर सकती है। इस सूची में करीब 70 उम्मीदवारों के नाम हो सकते हैं। कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की तीसरी बैठक हुई जो दिनभर चली। इसमें विधानसभा की सभी 230 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई।
दिल्ली में बुधवार को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की दो राउंड में बैठक हुई। पार्टी सूत्रों के अनुसार पहले राउंड की बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी ने बड़े शहरों और विवादों में फंसी विधानसभा सीटें समेत 51 सीटों पर चर्चा की। दोपहर के भोजन के बाद हुई दूसरी बैठक में केंद्रीय चुनाव समिति ने सभी 230 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के सभी नेताओं से एक-एक सीट के बारे में चर्चा की।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इशारा किया कि गुरुवार को पहली सूची जारी हो सकती है। कांग्रेस की पहली सूची में करीब 70 उम्मीदवार शामिल हो सकते हैं। इनमें मौजूदा करीब 46 विधायकों ने नाम हो सकते हैं। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव में 5000 से कम वोटों के अंतर से हारे उम्मीदवारों को भी शामिल किया जा सकता है। कुछ पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों को भी पहली सूची में जगह मिल सकती है।