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अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टल जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत समाज से धैर्य रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा वक्त है जब संतों को इस मुद्दे के समाधान में जो भी सार्थक प्रयास हो सकते हैं, उसमें सहभागी बनना चाहिए। जिससे कि देश में शांति और सौहार्द्र की स्थापना हो सके और साथ ही संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान का भाव भी सुदृढ़ हो सके।

 

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। मैं भी यही चाहता हूं कि इस पर लगातार सुनवाई हो और जल्द से जल्द समाधान निकाला जा सके। देश का बहुसंख्यक समाज यही चाहता है। अगर न्याय मिलने में देरी होती है तो निराशा होती है। कई बार देरी से मिला न्याय अन्याय के समान होता है। हम सभी इस पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलेगा।

ये पूछने पर कि क्या अध्यादेश लाना सही विकल्प होगा...। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मामला कोर्ट में है। देश की शांति ओर सौहार्द्र की स्थापना के लिए जो भी विकल्प हो सकते हैं। उन पर विचार करना चाहिए। अच्छा तो यही होता कि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करते हुए निर्णय दे देता लेकिन अभी इसकी संभावना नहीं दिखती। योगी ने कहा कि सर्वसम्मति से इस मसले का समाधान निकले तो सर्वोत्तम है।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी है। जनवरी 2019 में तय होगा कि सुनवाई कब और कौन सी पीठ करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं। हमें नहीं पता तारीख क्या होगी। यह जनवरी, मार्च या अप्रैल भी हो सकती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर टकराव की खबरों के बीच आज केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल की आमने-सामने वाली मुलाकात होने जा रही है। 

 

वित्त मंत्री जेटली मंगलवार 30 अक्तूबर को वित्तीय स्थिरता और विकास काउंसिल की मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे इसमें उर्जित पटेल भी शामिल होंगे। उर्जित और जेटली की यह मुलाकात तब होने जा रही है जब केंद्रीय बैंक के डिप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले दिनों साफ शब्दों में सरकार को चेताया  था कि अगर उसने संस्थान की स्वायत्तता को ठेस पहुंचाई, तो बाजार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। 

गर्वनर और सरकार के बीच चल रही तनातनी की खबर ने तब सुर्खियां बटोरी जब पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से आग्रह किया कि वे अपने मतभेदों को बंद दरवाजों के पीछे दूर करने की ओर कदम बढ़ाएं।

चिदंबरम ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा था कि मुझे लगता है कि सरकार और गर्वनर के बीच का मामला काफी गंभीर है। और देश हित में यह सबसे अच्छा होगा अगर आरबीआई और सरकार एक दूसरे से लेक्चर के माध्यम से नहीं बल्कि आमने सामने बात करें और देश की परेशानियों को खत्म करें। इस पूरे मामले ने सरकार ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है अभी तक सरकार की तरफ से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।  

उर्जित से सिर्फ सरकार नहीं बैंकर्स भी हैं नाराज

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और केंद्र सरकार के बीच बढ़ी दूरियों की खबरें इन दिनों गर्म है। इसी बीच खबर आ रही है कि सर्फ सरकार ही नहीं बल्कि उर्जित से समस्या बड़े बैंकर्स को उनसे कई समस्याएं हैं। लंबे समय से बड़ी संख्या में वरिष्ठ बैंक के अधिकारी उर्जित से नाखुश हैं।

इसकी वजह है खराब ऋण को पहचानने के मानदंडों पर उनका लचीलापन न होना। इसकी वजह से बैंक को अपने व्यवसाय करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ पटेल के करीबीयों का मानना है कि यह सब वह बैंकिंग उद्योग में सफाई करने के लिए कर रहे हैं।

यही नहीं कई बैंकर्स को पटेल के कामकाज के स्टाइल से समस्या  है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह किसी बी मामले में शायद ही बैंकर्स से कंसलटेशन और फीडबैक के लिए मिलते हैं। जबकि पिछले आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन से भी हमारी कोई बातचीत नहीं होती थी फिरभी वह टॉप बैंक के चेयरमैन से पूछ लेते थे कि अर्थव्यवस्था में क्या चल रहा है।   

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अयोध्या के राम मंदिर मामले पर सुनवाई की। देश के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद जस्टिस रंजन गोगोई ने पहली बार इस मसले पर सुनवाई की। माना जा रहा था कि अदालत नियमित सुनवाई को लेकर कोई अहम फैसला दे सकती है लेकिन उसने अगले साल जनवरी तक के लिए इसे लटका दिया है। अदालत ने यह भी नहीं बताया है कि जनवरी में किस तारीख से राम मंदिर को लेकर सुनवाई होगी। 

 

राम मंदिर को लेकर देश की सियासत में गहमा-गहमी का माहौल बनने लगा है। जहां एक तरफ सरकार पर विपक्षी पार्टियां अध्यादेश या कानून बनाकर मंदिर निर्माण के लिए दबाव डाल रही हैं। वहीं उसके अंदर से भी मंदिर निर्माण को लेकर आवाजें उठने लगी हैं। मगर सरकार के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा क्योंकि उसकी राह में बहुत से रोड़े हैं। आज हम आपको बताते हैं इस मामले से जुड़ी कुछ अड़चनें।

1993 में आया था कानून

केंद्र सरकार 1993 में अयोध्या अधिग्रहण अधिनियम लेकर आई थी। जिसके तहत विवादित भूमि और उसके आस-पास की जमीन का अधिग्रहण करते हुए पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं को खत्म कर दिया गया था। सरकार के इस अधिनियम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद 1994 में अदालत ने इस्माइल फारूखी मामले में आदेश देते हुए तमाम दावेदारी वाली अर्जियों को बहाल कर दिया था और जमीन केंद्र सरकार के पास रखने को कहा था। अदालत ने निर्देश दिया था कि जिसके पक्ष में फैसला आएगा उसे जमीन सौंप दी जाएगी।

दोबारा नहीं बनेगा कानून

मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना है कि अयोध्या अधिग्रहण अधिनियम 1993 में लाए गए कानून को उच्चतम न्यायालय मे चुनौती दी गई थी। उस समय अदालत ने कहा था कि अधिनियम लाकर अर्जियों को खत्म करना गैर संवैधानिक है। सरकार लंबित मामले पर कानून नहीं ला सकती है। यह न्यायिक प्रक्रिया में दखलअंदाजी होगा।

बरकरार रहेगी यथास्थिति

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज एसआर सिंह का कहना है कि विधायिका उच्चतम न्यायालय के आदेश को खारिज या निष्प्रभावी करने के मकसद से कानून में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं कर सकती है। बल्कि वह फैसले के आधार पर कानून में बदलाव कर सकती है। अयोध्या मंदिर मामला अभी देश के उच्चतम न्यायालय में लंबित है और वहां यथास्थिति को बरकरार रखने के लिए कहा गया है। यदि सरकार ऐसे में कोई कानून बनाती है तो यह अदालती कार्यवाही में दखल होगा। 

मामला लंबित रहने तक नहीं बनेगा कानून

दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज आरएस सोढ़ी ने अयोध्या मामले पर कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 1994 में एक फैसला दिया था। तमाम पक्षकारों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। जहां मामला लंबित है। ऐसी परिस्थिति में सरकार आधिकारिक तौर पर कोई दखल नहीं दे सकती है। हालांकि पक्षकार चाहें तो वह किसी भी समय आपसी समझौता कर सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सोमवार को सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए पुंछ ब्रिगेड पर गोला दागे जाने का बदला ले लिया। सोमवार दोपहर भारतीय सेना ने पुंछ में पुलस्त नदी के उस पार पाक अधिकृत क्षेत्र के हजीरा इलाके में स्थित पाकिस्तानी सेना के ब्रिगेड मुख्यालय और कई आतंकी शिविरों को निशाना बनाते हुए गोले दागे। भारतीय सेना ने यह कार्रवाई पुंछ ब्रिगेड मुख्यालय पर पाकिस्तानी सेना द्वारा दागे गए गोले का बदला लेने के लिए की। पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। पाकिस्तान की कुछ चौकियों के तबाह होने की भी सूचना है। हालांकि सीमा पार हुए नुकसान का ब्योरा नहीं मिल पाया है। सेना के ताजा आपरेशन की सेटेलाइट तस्वीरें सामने आईं हैं।

बिहार के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सिवान में दो भाइयों सतीश राज और गिरीश राज की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। 

 

बता दें कि इस दोहरे हत्याकांड में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसी फैसले के खिलाफ बाहुबली नेता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन अदालत ने शहाबुद्दीन की अपील को खारिज कर दिया। 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने पूछा कि इस दोहरे हत्याकांड के गवाह तीसरे भाई राजीव रोशन की अदालत में गवाही देने जाते समय हत्या क्यों की गई? इस हमले के पीछे कौन था? अदालत ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देगा। इस अपील में कानूनी तथ्य नहीं है। 

बता दें कि अगस्त 2004 में सिवान में दो भाइयों सतीश राज और गिरीश राज की शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर में ही तेजाब से नहला कर हत्या कर दी गई थी। बाद में इस हत्याकांड के इकलौते चश्मदीद और उनके तीसरे भाई राजीव रोशन की भी 16 जून, 2014 को बीच चौराहे पर गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया था। 

इस मामले में 9 दिसंबर, 2015 को निचली अदालत ने फैसला सुनाते हुए शहाबुद्दीन और अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद शहाबुद्दीन ने साल 2017 में फैसले के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय ने अपील की थी, लेकिन वहां भी उसकी अपील खारिज हो गई थी।

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October 29, 2018

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मुंबई, 29 अक्टूबर (भाषा) पिछले कुछ दिनों में गिरे शेयरों में हुई लिवाली तथा रुपये की मजबूती के बीच सोमवार को सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 173.33 अंक सुधर गया। बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स शुक्रवार को 340.78 अंक गिरकर सात महीने के निचले स्तर 33,349.31 अंक पर बंद हुआ था। हालांकि सोमवार को शुरुआती कारोबार में यह 173.33 अंक यानी 0.52 प्रतिशत मजबूत होकर 33,522.64 अंक पर रहा। बुनियादी संरचना तथा वाहन समूहों की अगुआई में कुछ समूहों में सकारात्मक धारणा रही। बैंकिंग समूह में मिश्रित रुख देखा गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 44.25 अंक यानी 0.44 प्रतिशत मजबूत होकर 10,074.25 अंक पर रहा। इस बीच रुपया शुरुआती कारोबार में 14 पैसे सुधरकर 73.33 रुपये प्रति डॉलर पर रहा। एशियाई बाजारों में शुरुआती कारोबार में जापान का निक्की 0.50 प्रतिशत और ताईवान का शेयर बाजार 0.14 प्रतिशत मजबूती में रहा। हालांकि चीन का शंघाई कंपोजिट 1.47 प्रतिशत और हांग कांग का हैंग सेंग 0.02 प्रतिशत की गिरावट में रहा। अमेरिका का डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज शुक्रवार को 1.19 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ था। प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 1,356.66 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशक 1,875.89 करोड़ रुपये के शुद्ध लिवाल रहे।

भोपाल,  मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाताओं को भाजपा को वोट देने के लिए आकर्षित करने के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा भोपाल में रविवार को आयोजित ‘नव मतदाता टाउनहॉल' कार्यक्रम में नाबालिग स्कूली बच्चों के यूनिफॉर्म में पहुंचने पर विवाद शुरू हो गया है। इस कार्यक्रम को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित किया। यहां रविन्द्र भवन परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के यूनिफॉर्म में आने पर कांग्रेस ने आपत्ति उठाई है और इसकी शिकायत सोमवार को निर्वाचन आयोग से करने के लिए कहा है। टीवी न्यूज चैनलों पर बड़ी तादाद में स्कूली छात्रों के यूनिफॉर्म में इस कार्यक्रम में शामिल होने के फुटेज दिखाये जाने के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने इस पर आपत्ति उठाते हुए कहा, ‘‘भाजपा चुनावी फायदे के लिए सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग कर रही है। हम आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए सोमवार सुबह चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करेंगे।’’ उन्होंने बताया, ‘‘इस कार्यक्रम में बड़ी तादाद में स्कूली बच्चे मौजूद थे। इसका मतलब है कि भाजपा के पास युवा कार्यकर्ता एवं समर्थक नहीं हैं, जो इस कार्यक्रम में उपस्थित हो सकें।’’ गुप्ता ने कहा, ‘‘यह बताता है कि भाजपा ने अपना जनाधार खो दिया है। उनके पास रविन्द्र भवन जैसी छोटी सी जगह को भरने के लिए कार्यकर्ता नहीं हैं। भाजपा के पास अब केवल कुछेक हजार लोग ही बचे हैं।’’ वहीं, दूसरी ओर मध्यप्रदेश भाजयुमो के अध्यक्ष अभिलाष पांडे ने दावा किया कि इस कार्यक्रम के लिए स्कूली छात्रों को आमंत्रित नहीं किया गया था। पांडे ने बताया, ‘‘इस कार्यक्रम में 10,000 लोग थे। हो सकता है कि वे (स्कूली छात्र-छात्राएं) किसी के साथ आये हों। हमने उन्हें नहीं बुलाया था। कांग्रेस हतोत्साहित होकर यह आरोप लगा रही है।’’ हालांकि, एक टीवी चैनल पर बातचीत करती हुए एक छात्रा ने कहा कि शिक्षकों के कहने पर वह अपनी सहपाठियों के साथ इस कार्यक्रम में आई है। इस छात्रा ने कहा, ‘‘मेरी उम्र वोट देने लायक अभी नहीं हुई है। लेकिन शिक्षकों ने हमें बताया कि इस कार्यक्रम में जाओ और लेक्चर सुनो कि वोट कैसे दिया जाता है।’’ नाबालिगों के कार्यक्रम स्थल पर आने के बाद हुए विवाद के चलते इन छात्र-छात्राओं को वहां से जाने को कहा गया, जिसके बाद वे वहां से चले गये। भाजपा ने मुख्यमंत्री के इस भाषण का सीधा प्रसारण किया तथा प्रदेश की सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ एक समय 'नव मतदाता टाउन हॉल' में भी इसी तरह का आयोजन कर इसे नये मतदाताओं को दिखाया। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री चौहान ने वर्ष 1993 से वर्ष 2003 के बीच 10 साल वाली दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेसनीत सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उस समय प्रदेश में सड़क, बिजली एवं सिंचाई की हालत खस्ता थी। अब हमने इस ठीक कर दिया है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमिटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार देर शाम मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुब्रत साहू से मुलाकात की और रायपुर पश्चिम से बीजेपी प्रत्याशी राजेश मूणत के खिलाफ लगभग 7.5 करोड़ रुपये की सामग्री वितरित करने की शिकायत दर्ज कराई है।

प्रतिनिधिमंडल की सदस्य पूर्व महापौर किरणमयी नायक ने बताया कि रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के लगभग 50,000 घरों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से चुनावी प्रलोभन स्वरूप सामग्री का वितरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वितरित की जा रही सामग्री में घड़ी (लगभग 200 रुपये), टिफिन (200 रुपये), साड़ी (400 रुपये प्रति), पर्स (40 रुपये) शामिल हैं।

50,000 घरों के हिसाब से पूर्ण वितरित सामग्रियों की कीमत लगभग 7.5 करोड़ रुपये बैठती है। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुब्रत साहू से उक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।

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​ट्रेन 18, बिना इंजन 220 किमी प्रति घंटे की स्पीड

​ट्रेन 18, बिना इंजन 220 किमी प्रति घंटे की स्पीड
 

नेक्स्ट जेनरेशन की ट्रेन कही जा रही ट्रेन- 18 का आज से ट्रायल शुरू होने जा रहा है। रेलवे की ओर से चेन्नै की इंटेग्रल कोच फैक्टरी में बनी यह ऐसी ट्रेन है, जिसे चलाने के लिए किसी इंजन की जरूरत नहीं होगी। 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम यह ट्रेन आधुनिक सुविधाओं से लैस है...

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​बुलेट ट्रेन का मॉडल

​बुलेट ट्रेन का मॉडल
 

पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत इस ट्रेन को विशेष रूप से बुलेट ट्रेन के मॉडल पर तैयार किया गया है।

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​​शताब्दी की लेगी जगह

​​शताब्दी की लेगी जगह
 

ट्रेन को शताब्दी ट्रेनों के रूट पर चलाने की कोशिश है। साथ ही इनके संचालन के बाद यात्रा के समय को 10-15 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

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​गजब की रफ्तार

​गजब की रफ्तार
 

रेल अधिकारियों के मुताबिक, इस खास ट्रेन को 140 से 220 किमी की रफ्तार से चलाया जा सकेगा।

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​नहीं है इंजन

​नहीं है इंजन
 

ट्रेन 18 की सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको दूसरी अन्य ट्रेनों की तरह इंजन नहीं दिखेगा। जिस पहले कोच में ड्राइविंग सिस्टम लगा है, उसमें 44 सीटें भी हैं।

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​100 करोड़ रुपये लागत

​100 करोड़ रुपये लागत
 

ट्रेन के निर्माण पर करीब 100 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जिसे 18 महीने के समय में तैयार कराया गया है।

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​रेकॉर्ड समय में निर्माण

​रेकॉर्ड समय में निर्माण
 

इस अत्याधुनिक और सेमी हाई स्पीड ट्रेन को महज 18 महीनों में पूरी तरह तैयार कर लिया गया।

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​देश में निर्माण से बचत

​देश में निर्माण से बचत
 

इस ट्रेन को अगर विदेश से इंपोर्ट किया जाता तो इसकी लागत करीब 170 करोड़ रुपये तक होती, लेकिन मेक इन इंडिया के तहत ट्रेन को करीब 100 करोड़ में ही तैयार कर लिया गया।

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​चारों तरफ घूम जाएगी सीट

​चारों तरफ घूम जाएगी सीट
 

ट्रेन के कोच में स्पेन से मंगाई विशेष सीट भी लगाई गई है, जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर 360 डिग्री तक मूव किया जा सकता है।

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​इन दो रूटों पर ट्रायल

​इन दो रूटों पर ट्रायल
 

इससे पहले ट्रायल के लिए इसे मुरादाबाद-बरेली और कोटा-सवाई माधोपुर रूट पर ट्रायल होना है। आनेवाले वक्त में इस ट्रेन को देश के प्रमुख रेलखंडों पर चलाया जाएगा।

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