ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली । देश में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स के मामलों की निगरानी के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स टीम का नेतृत्व नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वीके पॉल करेंगे। इसके अन्य सदस्यों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, फार्मा और बायोटेक के सचिव शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि भारत में मंकीपॉक्स धीरे धीरे अपना पैर पसार रहा है। पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के गुंटूर में आठ साल के बच्चे में इस खतरनाक बीमारी के लक्षण पाए गए थे। इसके बाद उसके सैंपल को जांच के लिए भेज दिया गया। मंकीपॉक्स को लेकर भारत सरकार बिल्कुल अलर्ट मोड में है। इस बीमारी को लेकर एयरपोर्ट, बंदरगाह सभी जगह निगरानी तेज कर दी गई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों मंकीपॉक्स का एक मामला सामने आया था। इसके बाद उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। केरल और दिल्ली में कुल मिलाकर भारत में मंकीपॉक्स के अब तक पांच मामले सामने आ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि केरल में त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में 22 वर्षीय व्यक्ति की कथित तौर पर मंकीपॉक्स के कारण मौत हो गई थी। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को कहा कि 22 वर्षीय युवक की मौत के कारणों की जांच करेंगे, जो हाल में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था। एक दिन पहले कथित रूप से मंकीपॉक्स के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उसके नमूनों की रिपोर्ट अब तक आई नहीं है। उन्होंने कहा कि मरीज युवा था और उसे कोई और बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी कोई अन्य दिक्कत नहीं थी। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग उसकी मौत के कारणों का पता लगा रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत में केरल से 13 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला संक्रमित मिला था। केरल के कोल्लम शहर के रहने वाले 35 वर्षीय मरीज ने यूएई से लौटने के बाद 14 जुलाई को मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया था। इसके तुरंत बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जॉर्ज ने कहा कि मरीज के सभी नमूनों की दो बार जांच हुई। दोनों नमूनों की रिपोर्ट नेगिटिव आई है। वहीं, मरीज भी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है। त्वचा के धब्बे पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। उसे आज छुट्टी दे दी जाएगी।
रियाद । सऊदी अरब की राजधानी रियाद के दक्षिण-पश्चिम इलाके में एक 8000 साल पुराने पुरातात्विक स्थल की खोज हुई है। सऊदी अरब देश के अल-फॉ की साइट पर ये जगह मिली है। इस स्टडी में हाई क्वालिटी की एरियल फोटोग्राफी, कंट्रोल प्वाइंट के साथ ड्रोन फुटेज, रिमोट सेंसिंग, लेजर सेंसिंग और कई अन्य सर्वे का इस्तेमाल किया गया। वंडर वुमेन फेस्ट में बीबा, वेरो मोडा और अधिक जैसे शीर्ष ब्रांडों को 70 प्रतिशत तक की छूट पर एक्सप्लोर करें, अब 30 जुलाई तक लाइव, सर्वोत्तम ऑफ़र प्राप्त करने के लिए अभी खरीदारी करें। इस साइट पर कई खोजों के साथ सबसे महत्वपूर्ण एक मंदिर है। यहां एक वेदी के कुछ हिस्सों के अवशेष मिले हैं। इससे स्पष्ट संकेत हैं कि यहां उस समय ऐसे लोग रहते थे जिनके जीवन में समारोहों, पूजा और अनुष्ठान महत्व रखता था। इस मंदिर का नाम रॉक-कट मंदिर है जो माउंट तुवाईक के किनारे पर स्थित है, जिसे अल-फ़ॉ के नाम से जाना जाता है।नई टेक्नोलॉजी के जरिए ही नवपाषाणकालीन मानव बस्तियों के अवशेषों का पता लगाने में सफलता मिली है। इसके साथ ही पूरे स्थल पर 2,807 कब्र मिली हैं जो अलग-अलग समय की हैं। इन्हें छह ग्रुपों में बांटा गया है। यहां मैदान को भक्तिशिलालेखों से सजाया गया था जो उस समय अल-फ़ॉ के लोगों की धार्मिक मान्यताओं की झलक देता है। जबल लाहक अभयारण्य एक शिलालेख है जो अल-फ़ॉ के एक देवता कहल का जिक्र करता है।इस साइट पर सांस्कृतिक संपदा के अलावा एक सुनियोजित शहर का पता चला है। जिनके कोने पर चार टावर हैं। इस पुरातात्विक अध्ययन से दुनिया की सबसे शुष्क भूमि और कठोर रेगिस्तानी वातावरण में नहरों, पानी के कुंड और सैंकड़ों गड्डों सहित एक जटिल सिंचाई प्रणाली का खुलासा हुआ है।
नायपीडॉ । म्यांमार की जुंता (सैन्य) सरकार देश में लागू राष्ट्रीय आपातकाल को छह माह के लिए बढ़ाने जा रही है। सरकारी मीडिया ने बताया कि आर्मी जनरल मिन आंग हलिंग ने कहा कि सेना की राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा परिषद के सर्वसम्मति से समर्थन के बाद आपातकाल को आगे बढ़ाया जा रहा है। हलिंग ने बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को जारी रखने की बात कही है। हलिंग ने कहा कि देश में वास्तविक और अनुशासित बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना जारी रखना चाहिए, जो कि लोगों की इच्छा भी है। गौरतलब है कि आपातकाल को आगे बढ़ाने की घोषणा आंग सान सू की की पार्टी के एक पूर्व विधायक और एक प्रमुख कार्यकर्ता सहित चार कैदियों को फांसी की सजा सुनने के बाद की गई है। चारों को क्रूर और अमानवीय आतंकी कृत्यों के आरोपों में फांसी की सजा मिली है। चारों को जेल की तय प्रक्रिया के तहत ही फांसी पर लटकाया जाएगा। हालांकि कब और कहां सजा दी जाएगी, इसके बारे में नहीं बताया गया है। देश में तख्तापलट के बाद से म्यांमार की सेना के विरुद्ध कई देशों ने वैश्विक प्रतिबंध लगाने की मांग की है। जुंता सरकार द्वारा फांसी की सजा देने के फैसले के बाद से वैश्विक स्तर पर कई देश म्यांमार की निंदा कर चुके हैं। म्यांमार की सेना लोकतंत्र की मांग करने वाले सैंकड़ो कार्यकर्ताओं को पहले ही जेल में डाले जाने के कारण विवादों में रही है। अब फांसी की सजा के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र ने भी विरोध दर्ज कराया है। फांसी के फैसले को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जीवन, स्वतंत्रता और व्यक्ति की सुरक्षा के अधिकार का घोर उल्लंघन करार दिया है।
न्यूयॉर्क । अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में मंकीपॉक्स संक्रमण फैलने के कारण प्रशासन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। बीमारी के फैलने के बाद प्रशासन ने शहर को मंकीपॉक्स का एपिसेंटर बताया है। शहर के स्वास्थ्य कोड के तहत आपातकालीन आदेश जारी करने और बीमारी को धीमा करने में विशेष प्रावधानों को लागू करने की अनुमति देगा। रिपोर्ट के मुताबिक मेयर एरिक एडम्स और स्वास्थ्य आयुक्त अश्विन वासन द्वारा की गई घोषणा में कहा गया है कि शहर के 1,50,000 निवासियों को मंकीपॉक्स के संक्रमण का खतरा है। पिछले दो दिनों में गवर्नर ने भी मंकीपॉक्स को एक राज्य आपदा घोषित किया था। उन्होंने अपने आदेश में मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बताया है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों द्वारा जुटाए आंकड़ों के अनुसार न्यूयॉर्क में शुक्रवार तक मंकीपॉक्स के 1,345 मामले दर्ज किए गए थे। साथ ही कैलिफोर्निया 799 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। मंकीपॉक्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 23 जुलाई को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। अब तक मई के बाद से लगभग 80 देशों में 22,000 से अधिक मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। जिसमें लगभग 75 संदिग्ध मौतें अफ्रीका में हुई हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार अभी तक अधिकांश मंकीपॉक्स संक्रमण पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में दिखाई दिए हैं। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक अब तक प्रभावित होने वाले लगभग सभी रोगी पुरुष हैं। जिनकी औसत आयु 37 वर्ष है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह नागरिक समाज और एलजीबीटीक्यू समुदाय के साथ मिलकर काम कर रहा है। वायरस को रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ कार्य कर रहा है।
लंदन । ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स ने इन दिनों धर्मार्थ कार्यों को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। एक समाचार पत्र ने दावा किया है कि प्रिंस चार्ल्स के एक संगठन ने ओसामा बिन लादेन के रिश्तेदारों से 10 लाख पाउंड (12 लाख डॉलर) का दान स्वीकार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकुमार चार्ल्स के चैरिटेबल फंड ने 2013 में बड़े और धनी सऊदी परिवार के सदस्य बकर बिन लादेन और उनके भाई शफीक से यह राशि प्राप्त की थी। दोनों अलकायदा के पूर्व आतंकवादी लादेन के सौतेले भाई हैं। ज्ञात हो कि लादेन को 2011 में पाकिस्तान में अमेरिकी विशेष बलों ने मार गिराया था। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सलाहकारों ने राजकुमार चार्ल्स से दान नहीं लेने का आग्रह किया था। चार्ल्स के क्लेरेंस हाउस कार्यालय ने इससे असहमति जतायी, लेकिन इसकी पुष्टि की कि दान मिला था। उसने कहा कि धन स्वीकार करने का निर्णय धर्मार्थ कोष के ट्रस्टियों द्वारा लिया गया था, न कि राजकुमार द्वारा और इस दान को स्वीकार करने से पहले पूरी पड़ताल की गई थी। कोष के अध्यक्ष, इयान चेशायर ने यह भी कहा कि उस समय पांच ट्रस्टियों द्वारा दान को लेकर ‘पूरी तरह से’ सहमति व्यक्त की गई थी और ‘इससे अलग दावा करने का कोई भी प्रयास भ्रामक और गलत है। परोपकारी कार्य के लिए राजकुमार चार्ल्स के चैरिटेबल फंड की स्थापना 1979 में की गई थी और यह ब्रिटेन और दुनिया भर में विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं को अनुदान देता है। 73 वर्षीय चार्ल्स को अपने परोपकारी कार्य संचालन के बारे में कई दावों का सामना करना पड़ा है। पिछले माह एक मीडिया समूह ने दावा किया था कि ब्रिटेन के राजसिंहासन के उत्तराधिकारी राजकुमार चार्ल्स ने कतर के पूर्व प्रधानमंत्री शेख हमद बिन जसीम बिन जबेर अल थानी से कथित तौर पर दान के रूप में 30 लाख डालर से भरे सूटकेस स्वीकार किए थे। लंदन पुलिस वर्तमान में एक अलग आरोप की जांच कर रही है कि राजकुमार के प्रिंस फाउंडेशन से जुड़े लोगों ने दान के बदले में सऊदी अरब के एक अरबपति को नागरिकता प्राप्त करने में मदद करने की पेशकश की। क्लेरेंस हाउस ने कहा है कि चार्ल्स को ऐसे किसी प्रस्ताव की जानकारी नहीं है।
वाशिंगटन । जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर की घड़ी अमेरिका के मैरीलैंड के एक ऑक्शन हाउस में एक नीलामी में बेच दिया गया है। इस घड़ी को द्वितीय विश्व युद्ध के अवशेष के रूप में 2 से 4 मिलियन डॉलर के बीच बिकने की उम्मीद थी, लेकिन यह 1.1 मिलियन डॉलर यानी 8 करोड़ रुपए से ज्यादा में ही बिक सकी। इस घड़ी में स्वास्तिक का निशान बना हुआ है और एएच लिखा हुआ है। इसकी नीलामी एलेक्जेंडर हिस्टोरिकल ऑक्शन द्वारा की गई थी। यह घड़ी संभवतः हिटलर को उसके 44वें जन्मदिन पर 20 अप्रैल 1933 को तोहफे में दी गई थी। जानकारी के मुताबिक घड़ी में तीन तारीखें हैं हिटलर की जन्म तिथि, वह तारीख जब वह चांसलर बना और जिस दिन नाजी पार्टी ने मार्च 1933 में चुनाव जीता। नीलामी घर के अनुसार घड़ी को एक स्मारिका के रूप में हासिल किया गया था, जब लगभग 30 फ्रांसीसी सैनिकों ने बरगॉफ पर धावा बोल दिया था। वहीं इस घड़ी की नीलामी की यहूदी नेताओं ने कड़ी निंदा की है। 34 यहूदी नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र में इस घड़ी की बिक्री को ‘घृणित’ बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस बिक्री से उन लोगों को मदद मिली है, जो आदर्श रूप से नाजी पार्टी के लिए खड़े थे। हालांकि ऑक्शन हाउस के अध्यक्ष बिल पैनागोपुलोस ने नीलामी का बचाव किया और कहा कि इस घड़ी को एक यूरोपीय यहूदी ने खरीदा है।
नीलामी घर ने कहा कि हिटलर की घड़ी की बिक्री का उद्देश्य इतिहास को संरक्षित करना था। सबसे अधिक बिकने वाली वस्तुओं को निजी संग्रह में रखा जाता है या होलोकॉस्ट संग्रहालयों को दान कर दिया जाता है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष मिंडी ग्रीनस्टीन ने कहा चाहे इतिहास अच्छा हो या बुरा इसे संरक्षित किया जाना चाहिए, अगर आप इतिहास को नष्ट करते हैं तो कोई सबूत नहीं बचेगा।
संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हवाई हमले में शनिवार को अल कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी मारा गया, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार इसकी पुष्टि की। बाइडन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "शनिवार को, मेरे निर्देश पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में सफलतापूर्वक हवाई हमला किया और अल कायदा अमीर अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया।"अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय दिया गया है, "इसमें कितना भी समय लगे, चाहे आप कहीं भी छिप जाएं, अगर आप हमारे लोगों के लिए खतरा हैं, तो अमेरिका आपको ढूंढेगा और आपको बाहर निकालेगा।"
बाइडन ने कहा, "जवाहरी 9/11 पर आतंकवादी हमलों के समय ओसामा बिन लादेन का नेता, उसका नंबर दो आदमी और उसका डिप्टी था। वह 9/11 की योजना में गहराई से शामिल था।" "जब मैंने लगभग एक साल पहले अफगानिस्तान में अपने सैन्य मिशन को समाप्त कर दिया, तो मैंने फैसला किया कि 20 साल के युद्ध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका को अब अफगानिस्तान में जमीन पर हजारों जूतों की जरूरत नहीं है, जो अमेरिका को उन आतंकवादियों से बचाने के लिए जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। बाइडन ने कहा ने कहा, "मैंने अमेरिकी लोगों से वादा किया था कि हम अफगानिस्तान और उसके बाहर प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियान जारी रखेंगे। हमने बस यही किया है।"
वाशिंगटन। आतंकवादी संगठन अल कायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी को मार गिराया गया है। अमेरिका ने काबुल में ड्रोन स्ट्राइक के जरिए इस खतरनाक मिशन को अंजाम दिया। अल-जवाहिरी की मौत की पुष्टि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने की है। इस मिशन की सबसे खास बात यह है कि अमेरिका ने बिना किसी धमाके या किसी को नुकसान पहुंचाए बिना ही अल-जवाहिरी को मौत की नींद सुला दिया।
अमेरिका ने अल-जवाहिरी के खात्मे की पटकथा पहले ही तैयार कर ली थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए पिछले कई हफ्तों से काबुल में बैठे अलकायदा सरगना अल-जवाहिरी पर नजर रखे हुए थी। उसकी हर गतिविधि की रिपोर्ट का व्हाइट हाउस और पेंटागन में बैठे अधिकारी अध्ययन कर रहे थे। उन्हें सिर्फ एक मौके की तलाश थी।
अमेरिका ने पहले ही तय कर लिया था कि सोमवार का दिन अल-जवाहिरी के लिए आखिरी होगा। यही कारण है कि व्हाइट हाउस ने सोमवार दोपहर को घोषणा की कि जो बाइडन शाम को श्एक सफल आतंकवाद विरोधी अभियान के बारे में राष्ट्र को संबोधित करेंगे, लेकिन व्हाइट हाउस ने किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया था। शाम होते-होते अमेरिकी राष्ट्रपति ने अल-जवाहिरी की मौत की पुष्टि कर ली।
मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया है कि इस हमले के लिए अमेरिका ने अपनी खतरनाक निंजा मिसाइल के नाम से पहचाने जाने वाले हेलफायर आर9एक्स हथियार का इस्तेमाल किया। यह वही हथियार है, जिससे अल-कायदा के वरिष्ठ नेता अबू अल-खैर अल-मसरी को मार दिया गया था।
रिपोर्ट्स में सामने आया है कि अल-जवाहिरी को शिपुर इलाके में मारा गया है। यह वही इलाका है, जहां अफगानिस्तान में अमेरिका ने सैन्य कैंप बनाया था। तालिबान के सत्ता में आने के समय, करीब एक साल पहले अमेरिका ने इस कैंप को खाली कर दिया था।
अमेरिका में लगातार गोलीबारी की घटनाएं हो रही हैं। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में गोलीबारी हुई है, जिसमें कई लोगों के घायल होने की खबर है। डीसी पुलिस डिपार्टमेंट का कहना है कि जांच जारी है। शूटिंग की यह वारदात F स्ट्रीट NE के 1500 ब्लॉक में हुई। घटना में कितने लोग घायल हुए हैं, गोलीबारी सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे हुई। गोलीबारी किस वजह से हुई, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। इससे पहले रविवार को यूएस के इंडियाना मं एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ऑफिसर ने ट्रैफिक स्पॉट पर एक कार को रोका और गाड़ी में सवार व्यक्ति से उसकी बहस होने लगी। गुस्साए कार मालिक ने पुलिस अधिकारी पर फायरिंग कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई। फायरिंग करने के बाद कार मालिक वहां से भाग गया। हालांकि घटना के 30 मिनट बाद ही उसे पकड़ लिया गया। कुछ दिनों पहले ही लॉस एंजिलिस के एक पार्क में हुई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि पांच लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि जिस समय पार्क में गोलीबारी हुई, उस समय वहां कार शो चल रहा था।
सोमवार को वॉशिंगटन डीसी के पूर्वोत्तर इलाके में हमलावर ने अंधाधुंध गोलीबारी की। हमले में एक की मौत और पांच लोगों के घायल होने की खबर है।फायरिंग की एफ स्ट्रीट एनई के 1500 ब्लॉक में हुई। वॉशिंगटन डीसी पुलिस ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है। मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग के अनुसार गोलीबारी सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे हुई। एमपीडी प्रमुख रॉबर्ट कोंटी ने गोलीबारी में छह लोगों के घायल होने और एक के मारे जाने की पुष्टि की। हताहतों में अभी किसी की पहचान नहीं हो सकी है। कॉन्टी ने पुष्टि की है कि सभी हताहत पुरुष हैं। गोलीबारी किस वजह से हुई, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।
सोमवार को वॉशिंगटन डीसी के पूर्वोत्तर इलाके में हमलावर ने अंधाधुंध गोलीबारी की। हमले में एक की मौत और पांच लोगों के घायल होने की खबर है।फायरिंग की एफ स्ट्रीट एनई के 1500 ब्लॉक में हुई। वॉशिंगटन डीसी पुलिस ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है। मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग के अनुसार गोलीबारी सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे हुई। एमपीडी प्रमुख रॉबर्ट कोंटी ने गोलीबारी में छह लोगों के घायल होने और एक के मारे जाने की पुष्टि की। हताहतों में अभी किसी की पहचान नहीं हो सकी है। कॉन्टी ने पुष्टि की है कि सभी हताहत पुरुष हैं। गोलीबारी किस वजह से हुई, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से बादल छंटते के साथ ही उनका प्रोग्राम भी सामने आने लगा है।अमेरिकी मीडिया में कहा गया है कि नैंसी बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति Tsai-Ing-wen से मुलाकात करेंगी। दूसरी तरफ व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि नैंसी सेना के विमान में एशिया दौरे पर निकली हैं। ऐसे में नैंसी को चीन से सीधेतौर पर कोई खतरा नहीं हो सकता है। इसके बाद भी यदि चीन की तरफ से कोई भी गलती हुई तो ये उसकी मुश्किलें बढ़ा देगी।अमेरिका ने अपनी इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि चीन ने ताइवान स्ट्रेट में मिसाइलों को तैनात किया हुआ है। इसके अलावा उसने अपने दूसरे युद्धपोत भी तैयार रखे हैं। चीन की तरफ से कहा गया है कि ताइवान के मामले में चीन अमेरिका के किसी बहाने को नहीं सुनने वाला है। चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से पहले इस बात की भी आशंका जताई गई थी कि नैंसी को ले जाने वाला अमेरिकी विमान तेल भरवाने या तकनीकी दिक्कत का बहाना बनाकर भी ताइवान में उतर सकता है। इसके लिए भी चीन पूरी तरह से तैयार है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोमवार को कहा कि कार्प कमांडर क्वेटा लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज अली सहित वरिष्ठ अधिकारियों को ले जा रहे एक पाकिस्तानी सैन्य हेलीकाप्टर का लापता होना चिंताजनक है और राष्ट्र उनकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना करता है। जो बोर्ड पर हैं। शहबाज शरीफ ने ट्वीट किया, "बलूचिस्तान से आर्मी एविएशन हेलीकाप्टर का गायब होना चिंताजनक है। पूरा देश ईश्वर से प्रार्थना करता है कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए देश के इन बेटों की सुरक्षा, सुरक्षा और वापसी की जाए। इंशा अल्लाह।" पीटीआई के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी चिंता व्यक्त की और लापता लोगों के लिए प्रार्थना की।"सेना के हेलीकाप्टर के लापता होने और उसमें सवार सभी लोगों के लिए प्रार्थना करने की और परेशान करने वाली खबर है।"मेजर सैयद पायलट थे जबकि मेजर तल्हा हेलीकाप्टर के सह-पायलट थे। तटरक्षक बल के महानिदेशक ब्रिगेडियर अमजद, इंजीनियर ब्रिगेडियर खालिद और प्रमुख नायक मुदस्सिर भी जहाज पर थे। पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने सोमवार को पुष्टि की कि बलूचिस्तान के लासबेला में बाढ़ राहत कार्यों में लगा सेना का एक हेलीकाप्टर हवाई यातायात नियंत्रण से संपर्क टूटने के बाद से लापता हो गया है।
इस्लामाबाद । पाकिस्तान आर्थिक संकट से गुजर रहा हैं पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने अब समाधान के लिए मोर्चा संभाला है। इसी कड़ी में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.7 अरब डॉलर की अहम किश्त जल्द से जल्द जारी कराने के लिए अमेरिका से मदद मांगी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक जनरल कमर जावेद बाजवा ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन के साथ इस मामले पर चर्चा की और अमेरिका से पाकिस्तान की मदद के लिए आईएमएफ में अपने प्रभाव का उपयोग करने की अपील की है। सेना प्रमुख द्वारा इस तरह की अपील किया जाना दुर्लभ है। मुख्य रूप से अफगानिस्तान के मुद्दे के कारण अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में हालिया वर्षों में तनाव पैदा हो गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण रहे। इमरान खान को अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सत्ता से बाहर कर दिया गया था। फिलहाल अब पाकिस्तान की सेना, जिसने अपने 75 साल के इतिहास के आधे से अधिक समय तक देश पर सीधे शासन किया है, ने अमेरिका के साथ मिलकर काम किया है और अल-कायदा के खिलाफ आतंकवाद से युद्ध में वह एक आधिकारिक सहयोगी थी।
उधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी शुक्रवार को पुष्टि की है कि बाजवा और शरमन ने बात की थी। मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार ने कहा कि बातचीत हो चुकी है, लेकिन इस स्तर पर स्पष्ट जानकारी नहीं है कि इस दौरान क्या बात हुई। अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर शनिवार को एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि चर्चा आईएमएफ कर्ज पर केंद्रित थी।
यह भी बताया गया कि पाकिस्तान और आईएमएफ ने मूल रूप से 2019 में बेलआउट समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन 1.7 अरब डॉलर की किश्त पर इस साल की शुरुआत से रोक लगी है। इतना ही नहीं आईएमएफ ने इमरान खान के शासन में समझौते की शर्तों के अनुपालन को लेकर चिंता व्यक्त की थी।