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सिरसा । करीब एक दशक पहले हरियाणा की राजनीति में 'पावर ब्रोकर  का तमगा पाने वाले गोपाल कांडा ने सत्ता के गलियारे में अपनी पैठ फिर से बनाने की जुगत भिड़ा ली है। दो आत्महत्याओं में आरोपों का सामना कर रहे कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के टिकट पर सिरसा से निर्दलीय उम्मीदवार गोकुल सेतिया को महज 602 वोट से हराकर जीत हासिल की। जीत के तत्काल बाद कांडा ने बहुमत के जादुई आंकड़े से छह कदम दूर रहकर संकट में फंसी भाजपा का बिना शर्त समर्थन करने की घोषणा कर दी। गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा का दावा है कि उनके साथ पांच अन्य विधायक भी भाजपा का बिना शर्त समर्थन कर रहे हैं। देर रात कांडा एक अन्य विधायक रंजीत सिंह और सिरसा से भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल के साथ भारतीय वायुसेना बेस से एक चार्टर्ड विमान के जरिए शीर्ष भाजपा नेतृत्व से मिलने दिल्ली पहुंचे। 

मुंबई । शिवसेना के मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद छपे संपादकीय में इशारों-इशारों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उसकी कम हुई ताकत का एहसास कराया गया है। शिवसेना ने इन नतीजों को चौंकाने वाला बताया है। संपादकीय में भाजपा की आलोचना की गई है, जबकि राज्य में राकांपा और कांग्रेस की बढ़ती ताकत का भी जिक्र किया गया है।  शिवसेना ने कहा महाराष्ट्र की जनता का रुझान सीधा और साफ है। अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना समाप्त हो जाओगे। यही जनादेश ‘ईवीएम’ की मशीन से बाहर आया है। ईवीएम से सिर्फ कमल ही बाहर आएंगे, ऐसा आत्मविश्वास मुख्यमंत्री फडनवीस को आखिरी क्षण तक था, लेकिन 164 में से 63 सीटों पर कमल नहीं खिला। पूरे महाराष्ट्र के नतीजों को देखें तो शिवसेना-भाजपा युति को सरकार बनाने लायक बहुमत मिल चुका है।
संपादकीय में कहा गया है कि आंकड़ों’ का खेल संसदीय लोकतंत्र में चलता रहता है। ‘युति’ का आंकड़ा स्पष्ट बहुमत का है। शिवसेना और भाजपा को एक साथ करीब 160 का आंकड़ा आया है। महाराष्ट्र की जनता ने निश्चित करके ही ये नतीजे दिए हैं। फिर इसे महाजनादेश कहिए, या कुछ और। यह जनादेश है महाजनादेश नहीं, इसे स्वीकार करना पड़ेगा। शिवसेना ने कहा महाराष्ट्र में 2014 की अपेक्षा कुछ अलग नतीजे आए हैं। 2014 में ‘युति’ नहीं थी। 2019 में ‘युति’ के बावजूद सीटें कम हुईं। बहुमत मिला लेकिन कांग्रेस-राकांपा मिलकर 100 सीटों तक पहुंच गईं। एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है। यह एक प्रकार से सत्ताधीशों को मिला सबक है।
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने जो मतदान किया है, उसके लिए उसका अभिनंदन! कांग्रेस के पास कोई नेतृत्व नहीं था। इस कमजोर कांग्रेस को राज्य में 44 सीटें मिल गई। भाजपा ने एनसीपी में ऐसी सेंध लगाई कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं,  ऐसा माहौल बन गया था। लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा छलांग राकांपा ने लगाई है और 50 का आंकड़ा पार कर लिया है। भाजपा 122 से 102 पर आ गई है।
शिवसेना ने कहा कि देखा जाए तो ये रुझान चौंकानेवाले हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ‘अति उत्साह में मत आओ, सत्ता की धौंस दिखाओगे तो याद रखो! राज्य की जनता ने ऐसा जनादेश दिया है। सत्ता का दुरुपयोग करते हुए राजनीति करने से किसी को खत्म नहीं किया जा सकता और ‘हम करें तो कायदा’ नहीं चलता। शिवसेना ने कहा, 'चुनाव समाप्त हो गए और हम महाराष्ट्र के चरणों में अपनी सेवा शुरू करने जा रहे हैं। कौन हारा और कौन जीता, इस पर बाद में मंथन करेंगे। महाराष्ट्र की भावनाओं को कुचलकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता और मराठी भावनाओं की छाती पर पैर रखकर कोई शासन नहीं कर सकता। अपनी बातों पर अटल रहनेवाले ‘राजा’ के रूप में छत्रपति शिवराय की ख्याति थी। ये राज्य शिवराय की प्रेरणा से ही चलेगा।

नई दिल्ली: बीजेपी (BJP) के लिए हरियाणा में सरकार बनना लगभग तय हो गया है. हरियाणा बीजेपी के प्रभारी अनिल जैन (Anil Jain) ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि आठ निर्दलीय विधायकों ने हमें समर्थन दे दिया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि शपथ ग्रहण समारोह दिवाली के बाद होगा. 

इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar)ने कहा है कि हम सरकार बनाने जा रहे हैं. दरअसल खट्टर का यह बयान बीजेपी को पांच निर्दलीय विधायकों के समर्थन देने के घोषणा के बाद आया. खट्टर शुक्रवार को  दिल्ली के हरियाणा भवन पहुंचे उनके साथ तीन निर्दलीय विधायक भी मौजूद थे

इससे पहले 5 निर्दलीय विधायकों- पुंडरी से रणधीर गोलन, रानियां से रणजीत सिंह, महम से बलराज कुंडू, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद और सिरसा से गोपाल कांडा ने बीजेपी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी थी. 

बता दें खट्टर दिल्ली में बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के हरियाणा प्रभारी अमित शाह के साथ बैठक करेंगे. गौरतलब है कि बीजेपी को इस बार विधानसभा चुनावों में 40 सीटें मिली हैं और सरकार बनाने के लिए 6 विधायकों की ज़रूरत हैं.

हरियाणा के निर्वतमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) आज शाम तक या शनिवार को सीएम पद की शपथ ले सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक वह आज शाम ही राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. बता दें हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana assembly Elections 2019) में बीजेपी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है हालांकि वह बहुमत से कुछ दूर रह गई है. 


सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी जिसमें खट्टर को विधायक दल का नेता चुना जाएगा. इसके बाद वह राज्यपाल से मुलाकात करेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.  सूत्रों का यह भी कहना है कि दिवाली के बाद मंत्रिमंडल का गठन हो सकता है.

हरियाणा में बहुमत से कुछ दूर रह गई बीजेपी सरकार बनाने में कोताही नहीं बरतनी चाहती. बीजेपी गुरवार रात से ही सरकार बनाने की कोशिशों में जुट गई. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला से मुलाकात भी हो चुकी है. बता दें 10 सीटों पर कब्जा जमाकर जेजपी राज्य में किंगमेकर की भूमिका में आज सुकी है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी को बड़े दल के रूप में जीत दर्ज करने पर बधाई दी और कहा कि दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री नए थे, इसके बावजूद दोनों का जीत कर आना पार्टी के लिए गर्व की बात है.

प्रधानमंत्री ने कहा, महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर का पहला अनुभव था, दोनों नेता कभी किसी सरकार में मंत्री भी नहीं रहे. महाराष्ट्र में पिछली बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत भी नहीं मिला और हरियाणा में बहुमत से मात्र दो सीटें ज्यादा थीं. इसके बावजूद दोनों नेताओं ने अपने अपने राज्य में खूब काम किया जिसका परिणाम है कि जनता ने उन्हें दोबारा बीजेपी पर विश्वास जताया है. पीएम मोदी ने कहा, दिवाली आरंभ होने से पूर्व ही हरियाणा और महाराष्ट्र के लोगों ने हमारी पार्टी के प्रति जो विश्वास जताया है, हमें जो आशीर्वाद दिया है, उसके लिए धन्यवाद देता हूं.

प्रधानमंत्री ने कहा, महाराष्ट्र में गत 50 वर्ष में एक भी मुख्यमंत्री लगातार पूरे 5 वर्ष तक सेवा नहीं कर पाया. 5 वर्ष तक मुख्यमंत्री के रूप में लगातार कार्य करने का काम 50 वर्ष बाद देवेंद्र फडणवीस ने किया. जो लोग हरियाणा की राजनीति जानते हैं उनको पता है कि किसी भी दल के साथ हमें समझौता अगर करना होता था तो ज्यादातर उन दलों की टर्म एंड कंडीशन पर कभी 5 तो कभी 10 सीटों पर और वो भी जो वो कहें उन सीटों पर लड़ना पड़ता था. 2014 के पहले तक ये हमारी स्थिति थी, वैसी स्थिति में से जिस प्रकार से हमारी नई टीम को पांच साल वो भी सिर्फ दो का बहुमत था. इन सबके बावजूद पांच वर्ष काम करके फिर से आना हरियाणा के बीजेपी को जितनी बधाई दें उतनी कम है.

बीजेपी 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल नहीं कर सकी है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मुलाकात करेंगे. बीजेपी ने 40 सीटों पर जीत हासिल की है लेकिन दो को छोड़कर इसके सभी मंत्री हार गए हैं. इन दो में अनिल विज और राज्य पार्टी प्रमुख सुभाष बराला शामिल हैं. बीजेपी की प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ने 31 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने 10 सीटों पर जीत हासिल की है. निर्दलीयों सहित नौ अन्य ने भी चुनावों में जीत हासिल की है.

मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों (Maharashtra Assembly Elections 2019) के बाद छपे संपादकीय में इशारों इशारों में बीजेपी (bjp) को उसकी कम हुई ताकत का एहसास कराया गया है. शिवसेना ने इन नतीजों को चौंकाने वाला बताया है. संपादकीय में जहां बीजेपी की आलोचना की गई है वहीं राज्य में एनसीपी (ncp) और कांग्रेस (congress) की बढ़ती ताकत का भी जिक्र किया है.

शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) की जनता का रुझान सीधा और साफ है. अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना समाप्त हो जाओगे, ऐसा जनादेश ‘ईवीएम’ की मशीन से बाहर आया. ‘ईवीएम’ से सिर्फ कमल ही बाहर आएंगे, ऐसा आत्मविश्वास मुख्यमंत्री फडणवीस को आखिरी क्षण तक था लेकिन 164 में से 63 सीटों पर कमल नहीं खिला. पूरे महाराष्ट्र के नतीजों को देखें तो शिवसेना-भाजपा युति को सरकार बनाने लायक बहुमत मिल चुका है.
संपादकीय में कहा गया है, ‘आंकड़ों’ का खेल संसदीय लोकतंत्र में चलता रहता है. ‘युति’ का आंकड़ा स्पष्ट बहुमत का है. शिवसेना और भाजपा को एक साथ करीब 160 का आंकड़ा आया है. महाराष्ट्र की जनता ने निश्चित करके ही ये नतीजे दिए हैं. फिर इसे महाजनादेश कहो, या कुछ और. यह जनादेश है महाजनादेश नहीं, इसे स्वीकार करना पड़ेगा.'

शिवसेना ने कहा, 'महाराष्ट्र में 2014 की अपेक्षा कुछ अलग नतीजे आए हैं. 2014 में ‘युति’ नहीं थी. 2019 में ‘युति’ के बावजूद सीटें कम हुईं. बहुमत मिला लेकिन कांग्रेस-एनसीपी मिलकर 100 सीटों तक पहुंच गई. एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है. ये एक प्रकार से सत्ताधीशों को मिला सबक है. धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने जो मतदान किया, उसके लिए उसका अभिनंदन!'

कांग्रेस के पास कोई नेतृत्व नहीं था. इस कमजोर कांग्रेस को राज्य में 44 सीटें मिल गई. बीजेपी ने एनसीपी में ऐसी सेंध लगाई कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं,  ऐसा माहौल बन गया था. लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा छलांग राष्ट्रवादी ने लगाई है और 50 का आंकड़ा पार कर लिया है. भाजपा 122 से 102 पर आ गई है..'

नई दिल्ली/चंडीगढ़: हरियाणा के निर्वतमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर आज शाम तक या शनिवार को सीएम पद की शपथ ले सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक वह आज शाम ही राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी जिसमें खट्टर को विधायक दल का नेता चुना जाएगा. इसके बाद वह राज्यपाल से मुलाकात करेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.

नई दिल्ली.  हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए सबक है। चुनाव नतीजों से साफ है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में 'स्टेट्स को' नहीं चल सकता है। पार्टी को चुनाव मैदान में बेहतर प्रदर्शन करना है, तो निर्णय भी जल्द करने होंगे। क्योंकि संगठन से जुड़े फैसलों में देरी से पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ता है। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे इसका उदाहरण हैं।
हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वरिष्ठ नेता अशोक तंवर का झगड़ा काफी पुराना है। हुड्डा पिछले डेढ़ साल से पार्टी पर अशोक तंवर को हटाने का दबाव बना रहे थे, पर पार्टी टालमटोल करती रही। कांग्रेस ने चुनाव ऐलान से ठीक पहले प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय किया। इस सबके बावजूद हुड्डा खुद को साबित करने में सफल रहे और पार्टी को लड़ाई में लाकर खड़ा कर दिया।
 पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हुड्डा को एक साल पहले प्रदेश की कमान सौंप दी होती, तो आज तस्वीर दूसरी होती। उन्होंने कहा कि यह स्थिति सिर्फ हरियाणा में नहीं थी, झारखंड में भी कुछ ऐसे ही हालात थे। पार्टी ने वहां भी कुछ माह पहले ही अपना प्रदेश अध्यक्ष बदला है। यदि इन प्रदेशों में लंबे वक्त तक यथास्थिति बनाए रखने के बजाए फौरन निर्णय करने चाहिए थे।
पार्टी के लिए यह भी एक सबक है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में पुराने क्षत्रपों को साथ लेकर चलना होगा। पार्टी सिर्फ नए लोगों के दम पर जीत की दहलीज तक नहीं पहुंच सकती। लगातार मतदाताओं के साथ अपना संपर्क बनाए रखना होगा। हरियाणा में इतने कम वक्त में भूपेंद्र हुड्डा इसलिए अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहे, क्योंकि, वह लोगों से जुड़े हुए थे।
कांग्रेस की मुश्किल यह है कि उसके पास प्रदेशों में जनाधार वाले नेता नहीं है। कुछ प्रदेशो में है, तो वह संगठन में बहुत पीछे हैं। ऐसे में पार्टी को जनाधार वाले नेताओं को अहमियत देनी होगी। पार्टी को ऐसे नेताओं को जमीनी स्तर पर तैनात करना होगा, जो हर वक्त लोगों के बीच रहे। उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करे। तभी पार्टी संगठन खड़ा कर पाएगी और चुनाव में फायठा उठा पाएगी।

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नई दिल्ली. हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को आएंगे, लेकिन उससे पहले इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के सर्वे ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है. एग्जिट पोल में बीजेपी की सीटें घटती नजर आ रही हैं तो कांग्रेस की सीटों में इजाफा होता दिख रहा है. कांग्रेस-बीजेपी दोनों बहुमत के जादुई आंकड़े को छू नहीं पा रही हैं.
लोकसभा चुनाव की हार से निराश कांग्रेस के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में एक बार फिर संजीवनी बनते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा में चेहरा बनाने और कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला विधानसभा चुनाव ऐलान से महज 15 दिन पहले लिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भरोसा जताने में कांग्रेस आलाकमान ने देर तो नहीं कर दी? इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 32 और 44 के बीच सीट मिलती दिख रही हैं. जबकि, कांग्रेस को 30 से 42 सीट मिलने का अनुमान है तो जेजेपी को 6 से 10 सीटें और अन्य के खाते में  6 से 10 सीटें जाती दिख रही हैं. हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47, कांग्रेस 15, इनेलो को 19 और अन्य को 9 सीटें मिली थी.  दिलचस्प बात ये है कि 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद से भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक तंवर को हटाने की मांग करते रहे, लेकिन कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इसे नजर अंदाज करता रहा. हालत ये हो गई कि हुड्डा ने रोहतक में रैली करके तंवर को हटाने के लिए कांग्रेस आलाकामन को अल्टीमेटम तक दे दिया. इसके बाद कहीं जाकर प्रदेश अध्यक्ष पद से अशोक तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को पार्टी की कमान सौंपी गई और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएलपी लीडर और हरियाणा में कांग्रेस का चेहरा बनाया गया.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरने का फैसला 4 सिंतबर को लिया. हरियाणा में हुड्डा को कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन से लेकर चुनाव में हर फैसले के लिए पूरी छूट दी गई. हुड्डा ने रण में उतरकर पूरा चुनाव को स्थानीय मुद्दों पर लड़ा और खुद को खट्टर के विकल्प के तौर पर खड़ा किया.
इसी के चलते जाट समुदाय का बड़ा तबका हुड्डा के नाम पर कांग्रेस के साथ एकजुट होता दिखाई दिया. इसका असर इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल में भी नजर आ रहा है. कांग्रेस 15 सीटों से बढ़कर 30 से 42 सीट पाती दिख रही है. ऐसे में एग्जिट पोल के अनुमान नतीजों में तब्दील होते हैं तो यकीनन सवाल उठेगा कि कांग्रेस आलाकमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अगर कमान और पहले सौंपी होती तो हरियाणा के नतीजे कुछ और ही होते?

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