मुंबई : भारत के साथ साथ पुरे विश्व में प्रसिद्ध डिब्बे वालों नें मुंबई में इन दिनों एक बड़ी मुहीम नें दफ्तरों में लोगों की साँसे अटका रखीं हैं. दरअसल मामला ये है कि

रायपुर : छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जल्द ही अपनें प्रमुख नेताओं को लाल बत्ती देनें वाली है,Read

दिल्ली : पिछले 18 सालों में पहली बार ऐसा हुआ जब लोकसभा में आधी रात तक चर्चा हुई. रेलवे की अनुदान मांगों पर चर्चा रात में करीब 12 बजे तक चली. इस चर्चा के दौरान विपक्ष के संसद सदस्य भी मौजूद रहे.

लोकसभा ने गुरुवार को वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर देर रात तक बैठकर चर्चा पूरी की. निचले सदन में रात्रि 11 बजकर 58 मिनट तक चर्चा हुई और करीब 100 सदस्यों ने इसमें हिस्सा लिया तथा अपने अपने क्षेत्रों से जुड़े विषयों को उठाया .

मध्यरात्रि तक संसद में कामकाज चलने के बाद रेल राज्यमंत्री सुरेश चन्नबसप्पा अंगदी ने कहा कि 'रेलवे एक परिवार की तरह है जो सभी को एक साथ लेकर चलता है और सभी को संतुष्ट करता है. सभी सदस्यों के अच्छे सुझाव मिलते हैं. पीएम मोदी के आने के बाद से रेलवे बदल गया है. वाजपेयी जी ने सड़कों के लिए बहुत कुछ किया, मोदी जी रेलवे के लिए कर रहे हैं.'

विडियो- टी.एम्.सी.सांसद नें फूटबाल खेलते हुए, प्रधानमंत्री से की गुज़ारिश विडियो देखें 

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने देर रात तक सदन की कार्यवाही चलाने की पहल के लिए लोकसभा अध्यक्ष के प्रति आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि यह करीब 18 वर्षों में पहली बार ऐसी घटना है कि सदन ने देर रात तक इस तरह से बैठकर चर्चा की.

चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है. विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारना चाहिए तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए.

सत्तारूढ़ बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे रोजाना नए प्रतिमान और कीर्तिमान गढ़ रहा है तथा पिछले पांच वर्षों में सफाई, सुगमता, सुविधाएं, समय की बचत और सुरक्षा आदि हर क्षेत्र में सुधार हुआ है. अब सरकार का जोर रेलवे में वित्तीय अनुशासन लाने पर है.

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नई दिल्ली: विश्व कप 2019 में सेमी-फाइनल में भारत के हराने साथ ही महेंद्र सिंह धोनी के रिटायरमेंट की खबरें भी लगातार सुर्खियीं में रहीं हैं. इस बात की चर्चा है कि धोनी अब वनडे और टी-20 क्रिकेट से संन्यास ले सकते हैं. फैंस सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार अपील कर रहे हैं कि धौनी रिटायरमेंट न लें. इस बीच भारत की महान स्वर कोकिला के नाम से विख्यात लता मंगेशकर ने धोनी से दरख्वास्त की है कि वे अभी रिटायरमेंट न लें.

Twitter-

 

लता मंगेशकर ने ट्वीट कर लिखा कि ''नमस्कार एम.एस. धोनी जी. आजकल मैं सुन रही हूं कि आप रिटायर होना चाहते हैं. कृपया आप ऐसा मत सोचिए. देश को आप के खेल की जरूरत है और ये मेरी भी रिक्वेस्ट है कि रिटायरमेंट का विचार भी आप मन में मत लाइए” हालांकि, लता मंगेशकर इकलौती ऐसी हस्ती नहीं हैं, जिन्होंने धोनी के रिटायरमेंट को ऐसी बात कही हो.

सेमी-फाइनल मैच में भारतीय टीम के हार के बाद विराट कोहली से जब पत्रकारों नें पूछा कि क्या धोनी नें उनसे रिटायरमेंट के विषय में टीम में या आप को कोई जानकारी दी है तो विराट नें कहा कि नहीं मुझे कोई जानकारी नहीं दी गयी है.

सचिन तेंदुलकर नें कहा कि “यह उनका व्यक्तिगत फैसला है और इस फैसले के मामले में धौनी को अकेला छोड़ देना चाहिए, क्योंकि उनका सीमित ओवर्स के क्रिकेट में स्पेशल करियर है. यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है. सभी को उन्हें अपना स्पेस देना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए. सभी को अफवाह फैलाने के बजाय भारतीय क्रिकेट को धौनी की ओर से दिए गए योगदान का सम्मान करना चाहिए.”

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माँ होनें के नाते बच्चों के लिए खुद को बदलें

वॉशिंगटन. एक  महिला ने बुधवार को नवजात बेटी की मौत के बाद अमेरिका के शरणार्थी हिरासत केंद्रों की क्रूरता की निंदा की है. महिला ग्वाटेमाला की रहने वाली है, अमेरिकी प्रवासन अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने के बाद महिला की बेटी की मौत हो गई थी. हिरासत में लिए गए शरणार्थियों की खराब स्थिति को लेकर हो रही अमेरिकी कांग्रेस की सुनवाई में यजमिन जुआरेज ने कहा कि “बच्चों को पिंजरों में कैद कर रखा जाता है. मैं चाहती हूं कि दुनिया भी अमेरिका की बेदिली देखे”

जुआरेज ने क्या कहा

“अगर आज मैं कुछ बदल सकती हूं या यह बताकर कोई बदलाव ला सकती हूं कि आईसीई के कारावास में शरणार्थियों के साथ कितना बुरा व्यवहार होता है तो यह बिल्कुल अनुचित है”

आगे बताया “वह पिछले साल अपनी 19 माह की बेटी के साथ अमेरिका भाग गई थीं, क्योंकि ग्वाटेमाला में उन्हें जान का खतरा था. उन्होंने अमेरिकी सीमा पार कर शरण मांगी. लेकिन, आव्रजन अधिकारियों ने पकड़कर उन्हें बर्फीले ठण्ड में ही पिंजरे में डाल दिया. इसके बाद उन्हें आई.सी.ई. हिरासत केंद्र ले जाया गया. जहां उनकी बेटी बीमार हो गई. मैंने डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ से बेटी की देखरेख करने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. बाद में हमें आई.सी.ई. ने छोड़ दिया. मैं बेटी मैरी को लेकर डॉक्टर के पास गई, उसे इमरजेंसी रूम में भर्ती किया गया. लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी.”

The Guardian news में देखें,जुआरेज ने क्या कहा

जुआरेज कहतीं है कि “दुनियाभर के लोगों को यह जानना चाहिए कि आई.सी.ई. में बहुत सारे बच्चों के साथ क्या हो रहा है. मेरी बेटी तो दुनिया से जा चुकी है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि उसकी कहानी अमेरिकी सरकार को ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगी.”

ओवरसाइट एंड रिफॉर्म हाउस कमेटी की अध्यक्ष एलिजा कमिंग्स ने भी इसकी निंदा की है. वहीँ कांग्रेस के हिस्पैनिक कॉकस के अध्यक्ष प्रतिनिधि जोकिन कास्त्रो ने कहा- सरकार की जवाबदेही होनी चाहिए. सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा था कि अप्रवासियों और शरणार्थियों को अमेरिकी के हिरासत केंद्रो में जिस प्रकार रखा जाता है, यह देखकर बेहद दुखी हूं.

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  • मुंबई के पवाई इलाके के होटल रेनेसां में रुके हैं, सभी विधायक
  • सुप्रीम कार्ट के आदेश के बाद,
  • विमान से बंगलुरु रवाना होंगे
  • 6 बजे सरे बागी विधायक मिलेंगे, विधानसभा अध्यक्ष से

मुंबई : बागी विधायकों से मिलने पर अड़े कर्नाटक सरकार के संकटमोचक डी. के. शिवकुमार को मुंबई पुलिस ने हिरासत में ले लिया. बता दें कि शिवकुमार बागी कांग्रेसी विधायकों से मिलनें की जिद पर अड़े हुए थे, लेकिन उन्हें नहीं मिलने दिया गया, उनके खिलाफ कार्यकर्ताओं नें शिवकुमार वापिस जाओ के नारे भी लगातार लगते रहे, उन्होंने कहा, 'मैं अपने खिलाफ नारेबाजी से नहीं डरता. सुरक्षा के खतरे के कारण अंदर जाने नहीं दिया जा रहा। मैं महाराष्ट्र सरकार का बहुत सम्मान करता हूं. मेरे पास हथियार नहीं हैं।' वह भारी बारिश के बीच होटल के बाहर विधायकों से मिलने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन, बागी विधायकों ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया.

वहीं, कर्नाटक राजभवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया. कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की याचिका पर कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी वकील होंगे.

ऐसा भी होता है-

जहां एक तरफ कर्नाटक गठबंधन की सरकार में जे.डी.एस. और कांग्रेस में नए नए नाटक हो रहे हैं वहीँ दूसरी ओर भाजपा भी रोज़ नए नये आरोप प्रत्यारोप लगा रही है. बता दें की मुंबई के एक आलिशान होटल में जहां सभी बागी विधायक रुके हुए हैं, उस होटल के बाहर कर्नाटक के वरिष्ट कांग्रेसी नेता, डी. के. शिवकुमार को विधायकों से मिलने के लिए भारी बारिश में होटल के बाहर ही बहुत देर तक इंतज़ार करना पड़ा, उन्हें होटल के बाहर ही रोक दिया गया था.

जे.डी.एस. के वरिष्ट नेता डी.के. शिवकुमार नें बताया की उन्होनें उस होटल में अपने और जे. डी. एस. के अन्य विधायकों के लिए होटल बुक करवाया था, मगर उन्हें अन्दर जानें नहीं दिया गया. शिवकुमार ने कहा कि पुलिस उन्हें कह रही है कि उनके नाम से कोई कमरा बुक नहीं है लेकिन मंत्री ने जोर दिया कि उन्होंने होटल में अपने नाम से एक कमरा बुक कराया था। वहीँ दूसरी ओर मंगलवार आधी रात में 12 बागी कांग्रेसी विधायकों में से 10 नें पुलिस को पत्र लिखकर मुम्बई पुलिस से सुरक्षा मांगी है. उन्होनें अपने पत्र में जान का खतरा होनें की बात कही है और डी. के. शिवकुमार को होटल में न आने देने की दरख्वास्त की बात लिखी है.

अब सुप्रीम कार्ट के आदेश के बाद सारे विधायकों को शाम 6 बजे विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार से मिलना है

 

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विशेष लेख News Creation बच्चे जब जन्म लेते हैं, कोरे कागज़ की तरह होते हैं और जैसे-जैसे उनका विकास होता जाता है, वे वो सारी चीजें सीखते जाते हैं, जिन्हें देखते, सुनते और महसूस करते हैं।

हर परिवार बच्चे को विशेष पोषण देना चाहता है, एक समय ऐसा भी आता है जब अपने बच्चे की परवरिश ही जीवन का मकसद बन जाता है. सारे जतन के बाद भी अगर लगे कि बच्चे के सर्वांगीण विकास में कमी लग रही है, तो ऐसे में दुखी होने अथवा परिजनों, परिवेश पर दोषारोपण करने के बजाए परिस्थितियों में संतुलन का प्रयास करें।

हर समय बच्चे के साथ रह पाना सम्भव नहीं है इसलिए जब वो आपसे दूर जाए तो कोशिश कीजिए वह आपका फोन नम्बर घर का पता जनता हो किसी बाहरी व्यक्ति से बच्चे के मेलजोल पर नजऱ रखनी चाहिए. उसमे जाती, धर्म, ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी जैसी भावनाओं का बीजारोपण करना उसके सम्पूर्ण विकास को बाधित करेगा, किन्तु शुरू से ही अच्छे-बुरे का ज्ञान कराना आवश्यक है।

कई बार बहुत प्रभावशाली अथवा एकदम निकट सम्बन्धी भी बच्चों को बुरी बातें, बुरे व्यवहार सीखाते हैं. या बुरी हरकतें करते हैं। इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज न करें. एक तो उन्हें बहुत समय तक किसी के भी साथ अकेले न रहने दें, यदि कभी रखना भी पड़े उससे उस व्यक्ति के बारे में सामान्य तरह की बातें करें बच्चे को डांटने, डराने-धमकाने या खुद रोने से बचें अभिभावक बच्चों के लिए सर्वशक्तिमान होते हैं. उनका रोना बच्चों को कमजोर कर देता है।

यदि कोई बच्चों के साथ कुछ भी असामान्य व्यवहार करता है, उसे और उससे सम्बंधित किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति से सीधी बातें करें. बात बिगड़े उससे पहले ही सम्हालने की आदत रखें, बच्चे बहुत मासूम होते हैं उन्हें बड़ों की बड़ी-बड़ी बातें समझ नही आतीं, उनसे उनके उम्र के हिसाब से ही व्यवहार करें. उनपर अपने सपनो की गठरी न लादें याद रखिए, जो काम आप नहीं कर पाए उसे बच्चे पर न थोपें उसे वही करने दें जो वह आसानी से आनन्दपूर्वक कर सकता है।

अधिकांश घरों में बच्चों के लालन पालन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी माँ पर होती है। माँ बच्चों के बीच काफी हद तक आपसी समझ भी होती है, लेकिन जब वही बच्चे बड़ी कक्षा में पढ़ते हैं और कुछ खास तरह की शिक्षा की मांग करते हैं तब पिता द्वारा धनोपार्जन, पारिवारिक प्रतिष्ठा इत्यादि के नाम पर अपनी पसंद लाद दी जाती है।

प्रायः देखा जाता है इन परिस्थितियों में माँ खास कर गृहणी के विचारों को कोई महत्व नहीं दिया जाता. अपने बच्चों को एक स्वतंत्र व्यक्ति समझे न कि अपने खानदान का प्रतीक चिन्ह उसे वही करने दें जो वह करना चाहता है।

लेख- नीता झा

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