ईश्वर दुबे
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Bhilai
मुंबई । शहनाज गिल और जस्सी गिल का नया गाना 'कह गई सॉरी' रिलीज हो गया है। इस गाने की शुरुआत शहनाज और जस्सी की बातचीत से होती है, जहां शहनाज जस्सी से ब्रेकअप करती हैं। बता दें कि सोशल मीडिया पर भी गाने को काफी पसंद किया जा रहा है और इस गाने को लॉकडाउन में ही तैयार किया गया है। इस वीडियो में जस्सी गिल और शहनाज गिल के फोटोज का इस्तेमाल हुआ है। इस गाने में शहनाज-जस्सी से ब्रेकअप करती हैं। एक-दूसरे से अलग होकर दोनों ही काफी दुखी हैं। वीडियो में दोनों के इमोशन्स साफ दिख रहे हैं। गाना इमोशनली कनेक्ट करता है। सोशल मीडिया पर भी गाने को काफी पसंद किया जा रहा है। बता दें जस्सी गिल एक जाने-पहचाने पंजाबी सिंगर हैं। वह कई हिट गाने गा चुके हैं और जस्सी गिल बॉलीवुड में भी नजर आ चुके हैं। वहीं, जस्सी, कंगना रनौत के साथ फिल्म पंगा में नजर आए थे। वहीं, शहनाज बिग बॉस 13 की एंटरटेनमेंट क्वीन रहीं हैं। पूरे सीजन उन्होंने घरवालों के साथ-साथ दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
मुंबई । भारत में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी मुश्किल घड़ी में लोग एक-दूसरे को घर में रहकर पॉजिटिव रहने की सलाह दे रहे हैं। इस दौरान लोग घरों में टीवी, फिल्म और गानों को सुनकर अपना मनोरंजन कर रहे हैं। हाल में सिंगर फाल्गुनी पाठक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें वो अपने पड़ोसियों को एंटरटेन करती दिखाई दे रही हैं। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान वो भी अपने घर में कैद हैं। हाल ही में उनका एक छोटा सा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में फाल्गुनी साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म 'आनंद' का गाना ''कहीं दूर जब दिन ढल जाए'' गाते हुए नजर आ रही हैं। एक ट्विटर यूजर ने क्लिप शेयर करते हुए लिखा कि फाल्गुनी पाठक लॉकडाउन के दौरान मधुर गीतों के साथ पड़ोसियों का मनोरंजन करते हुए। वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा कि जब आपकी पड़ोसी डांडिया क्वीन फाल्गुनी पाठक हों तो आपको और किस चीज की जरूरत है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी को फाल्गुनी पाठक की आवाज में यह गाना पसंद आएगा। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है। हालांकि ये वीडियो पिछले हफ्ते का बताया जा रहा है। बता दें कि मैंने पायल है छनकाई, अब तो आजा तू हरजाई... 90 के दशक में अपने एलबम सॉन्ग से धूम मचाने वाली फाल्गुनी पाठक ने एलबम गानों को पॉपुलर बनाने में अहम रोल अदा किया है।
नई दिल्ली । विदेश मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा विदेशों में फंसे अपने नागरिकों की वापसी पर सहमति व्यक्त करने का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार को शीघ्र ही यह सूचित करना चाहिए कि वह यात्रियों के लौटने पर कोलकता में उनके एकांतवास (क्वारेंटाइन) के लिए पर्याप्त प्रंबंध करेगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक ट्वीट में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा विदेशों में फंसे अपने नागरिकों को वापस लेने सहमति का हम स्वागत करते हैं, राज्य सरकार शीघ्र ही यह सूचित करना चाहिए कि वह कोलकत्ता हवाई अड्डे पर यात्रियों के पहुंचने के बाद क्या प्रबंधन करेगी।
इससे पहले पश्चिम बंगाल के गृह विभाग ने केन्द्र को सूचित किया था कि वह विभिन्न देशों से अपने लोगों का राज्य पहुंचने का स्वागत करती है तथा इस संबंध में क्वारेंटाइन संबंधी प्रबंध की जानकारी सरकार को दे दी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार विभिन्न देशों में फंसे 2700 से अधिक लोगों ने वापस लौटने के लिए पंजीकरण कराया है। प्रवक्ता ने आगे कहा कि विभिन्न देशों से कोलकत्ता आने वाली उड़ानों को अंतिम रूप देने के लिए यह जरुरी है कि अन्य राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल भी एक व्यापक प्रबंधन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करे। उन्होंने कहा कि ढाका, बेंकॉक, यांगून, काठमांडू, सिंगापुर, लंदन, दुबई और न्यूयार्क से कोलकत्ता के लिए उड़ाने प्रस्तावित हैं।
विदेश मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को बताया है कि बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से तीन हजार भारतीय नागरिक भी सड़क मार्ग से राज्य आना चाहते हैं। मंत्रालय ने इस संबंध में भी राज्य सरकार से अपनी सहमति शीघ्र भेजने के लिए कहा है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चेटर्जी ने आरोप लगाया था कि विदेशों से विभिन्न राज्यों के लोगों को स्वदेश लाने के संबंध में विदेश मंत्रालय भेदभाव कर रहा है। मंत्री के अनुसार गुजरात की तुलना में पश्चिम बंगाल के साथ अन्याय हो रहा है।
चटर्जी के इस आरोप के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि मंत्रालय किसी के साथ भेदभाव नहीं करता । वंदे भारत मिशन पश्चिम बंगाल सहित सभी भारतीय नागरिकों के लिए है। मंत्रालय पश्चिम बंगाल के निवासियों को पड़ोसी देशों से सड़क मार्ग के जरिए लाने में भी मदद करेगा।
प्रवक्ता ने कहा था कि यदि राज्य सरकार वापस लौटने वाले लोगों के एकांतवास संबंधी प्रबंधों होने की पुष्टि करती है तो कोलकत्ता के लिए भी उड़ाने शुरु की जायेंगी।
वाशिंगटन । अमेरिका ने चीन से अपील की है कि वह तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु 11वें पंचेन लामा को रिहा करे। पंचेन लामा जब छह साल के थे, तभी चीनी प्राधिकारियों ने उन्हें कैद कर लिया था। तिब्बत के गेझुन चोएक्यी न्यीमा को 1995 में 11वां पंचेन लामा घोषित किया गया था। तिब्बत में दलाई लामा के बाद पंचेन लामा बौद्ध धर्म से जुड़ा दूसरा सबसे बड़ा आध्यात्मिक पद है। इस घोषणा के कुछ दिन बाद ही न्यीमा लापता हो गए थे और वह दुनिया के सबसे कम उम्र के राजनीतिक कैदी बन गए थे। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष दूत सैम ब्रॉउनबैक ने एक सम्मलेन के दौरान कहा कि वह कहां हैं, इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। और हम पंचेन लामा को रिहा करने का दबाव चीनी प्राधिकारियों पर डालते रहेंगे। दुनिया को बताया जाए कि वह कहां हैं। ब्राउनबैक ने कहा कि चीन अगला दलाई लामा नियुक्त करने के अधिकार में बारे में लगातार बात करता रहता है, जबकि उसे ऐसा करने का अधिकार नहीं है। इसी बीच अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर काम करने वाले अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने विदेश मंत्रालय से पुन: मांग की है कि वह तिब्बती मामले के विशेष समन्वयक के पद पर भर्ती करे।
लंदन । ब्रिटेन की अदालत ने भारत से हजारों करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले पर सुनवाई सितंबर तक टाल दी है। मोदी भारत में करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वांछित हैं। कोर्ट इस मामले पर सुनवाई 7 सितंबर से दोबारा शुरू करेगी।
लंदन की वेस्टमिन्सटर मैजिस्ट्रेट अदालत के डिस्ट्रिक्ट जज सैम्युअल गूजी ने मोदी को दक्षिण-पश्चिम लंदन की वैंड्सवर्थ जेल से उनकी 28 दिन की रिमांड सुनवाई कॉल पर वीडियो लिंक के जरिए पेश होने की तारीख 11 जून तय की है। इस मामले पर चार दिन की आंशिक सुनवाई पूरी होने के बाद जज ने मोदी से कहा मुझे उम्मीद है कि सितंबर तक जेल से आवाजाही पर लागू अंकुश समाप्त हो जाएगा।
उस समय आप व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर सुनवाई में शामिल हो सकते हैं। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन की वजह से इस मामले में इस हफ्ते कई रुकावटों के बीच सुनवाई हुई। मामले में पहले हिस्से के तौर पर मोदी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्थापित होने पर गौर किया जाएगा। हालांकि, अब इसके टाइम टेबल में भी बदलाव हो सकता है, क्योंकि भारत सरकार ने बुधवार को इस मामले में और दस्तावेजों का सेट सौंपा है। न्यायधीश ने नए प्रमाणों को दाखिल कराने की अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही इस बात पर भी सहमति जताई कि मोदी की बचाव टीम को इसके आकलन के लिए अधिक समय चाहिए।
नई दिल्ली । कोरोना महामारी से चल रहे संघर्ष के बीच आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत को बड़ी कामयाब मिली है। पड़ोसी देश म्यांमार ने भारत को 22 खूंखार आतंकी सौंपे हैं। ये सभी आतंकी देश के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बड़ा खतरा बने हुए थे और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में भारत में आतंकवाद से क्षेत्र को खासा प्रभावित कर रहे थे ।
सभी 22 आतंकवादियों को एक विशेष विमान के जरिए भारत लाया गया है । आतंकवादियों के समूह को पहले मणिपुर में राजधानी इंफाल में स्थानीय अधिकारियों को सौंपा गया और फिर असम में गुवाहाटी में लाया गया।
इस पूरी कार्रवाई में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अहम भूमिका बताई जा रही है । अधिकारिक जानकारी के अनुसार अजित डोभाल ने बाहरी खुफिया एजेंसी और म्यांमार के अधिकारियों के बीच समन्वय में अहम भूमिका निभाई है । ऐसा माना जाता है कि म्यांमार में सक्रिय इन आतंकवादियों को भारत को सौंपने से पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
हिंदुस्तान के साथ अपने बेहतर रिश्तों का सबूत देते हुए म्यांमर ने हिंदुस्तान से भागकर आए आतंकवादियों को मुठभेड़ में धर दबोचा और बिना किसी हील हुज्जत के हिंदुस्तान के हवाले कर दिया। NSA अजित डोभाल के इस कूटनीतिक ऑपरेशन का हिस्सा रहे अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों के साथ आने वाले जहाज को पहले मणिपुर के इंफाल में उतारा जाएगा। बाकी उग्रवादियों को गुवाहाटी की लोकल पुलिस की सुपुर्दगी में दे दिया जाएगा। गौरतलब है कि पहली बार म्यांमर सरकार किसी हिंदुस्तानी उग्रवादी को हिंदुस्तान सौंपने के लिए राजी हुई है।
माना जा रहा है कि NSA अजित डोभाल के प्रयासों के कारण भारत और म्यांमर के बीच रिश्ते लगातार दोस्ताना होते जा रहे हैं। दो सालों पहले भारतीय सेना ने म्यांमार में घुसकर पूर्वोत्तर में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। म्यामांर मे गिरफ्तार आतंकियों में NDFB (S) का राजन डाइमरी है। राजन बोडो आंतकी समूह NDFB का प्रमुख है। राजन ने खुद को होम सेक्रेटरी घोषित किया हुआ था। वहीं, UNLF का कप्तान सनतोम्बा निंगथौजम और एक अन्य आतंकी संगठन कमांडर परशुराम लेशराम हैं। 22 आतंकियों में चार आतंकी मणिपुर और दस असम के आतंकी गुटों से ताल्लुक रखते हैं।
नई दिल्ली । कोविड-19 के संकट से जूझ रही दुनिया में इसको फैलाने में चीन के वुहान शहर का योगदान है। पर एक सवाल सभी के दिमाग में जरूर उठता होगा कि आखिर इस महामारी का अंत कैसे और कब होगा। इस बात का उत्तर अभी विशेषज्ञों के पास नहीं है। दो तरह के जवाब इस सवाल के हो सकते हैं। पहला, मेडिकल टर्म में बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इसकी घोषणा करेगा कि कोरोना का संक्रमण अब महामारी नहीं रहा। हालांकि इसके मानक तो अब तक डब्ल्यूएचओ ने भी तय नहीं किए। दूसरा, लोग खुद कोरोना वायरस से ऊब जाएंगे और जीवन को भले ही खतरे में डालना पड़े, उन्हें सामान्य जनजीवन में लौटना पड़ेगा। खबरों के अनुसार तमाम विशेषज्ञ मानते हैं कि महामारी के अंत की अनौपचारिक घोषणा आम लोग ही करेंगे। हालांकि अब तक देखा गया है कि किसी महामारी के अंत की आधिकारिक घोषणा के बाद भी लोगों में बीमारी का खौफ रहता है।
कहा जाता है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। कोरोना के खिलाफ भी ऐसा ही है। दुनियाभर के विशेषज्ञ मानते हैं कि कोई भी बीमारी तब तक हावी रहती है जब तक उसका खौफ रहता है। खबरों के अनुसार रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जंस, डबलिन की डॉ. सुसेन मुरे बताती हैं कि बिना किसी महामारी के भी उस बीमारी का खौफ पैदा हो जाता है। जैसा इबोला को लेकर इंग्लैंड में पैदा हो गया था। ऐसे ही, इसका उल्टा भी हो सकता है। हमें कुछ इंतजार करना होगा। खौफ खत्म होने तक ही कोई बीमारी महामारी होती है।
जॉन हॉपकिंस इंस्टीट्यूट के चिकित्सा विभाग के इतिहासकार डॉ. जेर्मी ग्रीन कहते हैं कि जब लोग पूछते हैं कि महामारी का अंत कब होगा। दरअसल, वह पूछते हैं कि शारीरिक दूरी का अंत कब होगा। दूसरे शब्दों में कहूं तो महामारी का अंत नहीं होगा, बल्कि लोग डर के माहौल से खुद ही बाहर निकलने को तैयार हो जाएंगे। वह कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ रहने के लिए तैयार हो जाएंगे। यह कुछ हद तक होने लगा है। डॉ. नाओमी रोजर्स बताती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं के विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद अमेरिका के कई राज्यों में गवर्नर शारीरिक दूरी के नियम में ढील दे रहे हैं। हेयर सैलून से लेकर जिम तक को खोलने की इजाजत दी जा रही है।
नई दिल्ली । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोरोना वायरस शायद कभी खत्म नहीं होगा और एचआईवी की तरह इसका वजूद हमेशा के लिए बना रह सकता है। डब्ल्यूएचओ के आपदा निदेशक डॉ. माइक रयान ने कहा कि दुनियाभर की आबादी को इसके साथ रहना सीखना होगा।
- वायरस के साथ ही रहना होगा
रयान ने कहा कि यह अनुमान लगाना कठिन है कि हम कब संकट पर विजय प्राप्त करेंगे। यही नहीं वैक्सीन बनाने के बाद भी इसके संक्रमण का खतरा बना रह सकता है। उन्होंने कहा कि हमें इस वायरस के साथ रहना सीखना होगा। उन्होंने कहा कि पहले आई कुछ बीमारियों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये बीमारियां कभी खत्म नहीं हुईं। एचआईवी दूर नहीं हुआ है।
एमपी मायगव के पोर्टल mp.mygov.in के जरिये स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिये विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई हैं। विद्यार्थी इनमें 19 मई तक ऑनलाइन भाग ले सकते हैं।
एमपी मायगव पर 6वीं से 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिये 'घरेलू स्वच्छता पर चित्रकला प्रतियोगिता' आयोजित की गई है। विद्यार्थी अपनी पेंटिंग को नाम, कक्षा और ई-मेल के साथ एमपी मायगव के पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। पोर्टल पर कक्षा 9वीं से 11वीं के विद्यार्थियों के लिये 'घर की सजावट के लिए कला एवं कौशल प्रतियोगिता' रखी गई है। विद्यार्थी अपनी रचनात्मक कला की एक फोटो के साथ नाम, कक्षा और ई-मेल अंकित कर अपनी प्रविष्टियाँ mp.mygov.in पर भेज सकते है।
एमपी मायगव पोर्टल पर कॉलेज विद्यार्थियों के लिये अपने पसंदीदा नायकों से प्रेरणा लेने केलिये प्रतियोगिता आयोजित की गई है। महापुरुषों के जीवन की कहानी, किसी नेता, रोल मॉडल, नायक से जो भी प्रेरणादायक और सकारात्मक सीखा हो, विद्यार्थी इसे अपने नाम, कक्षा और ई-मेल के साथ 100 शब्दों में लिखकर पोर्टल पर साझा कर सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिये mp.mygov.in पोर्टल पर सम्पर्क किय जा सकता है। लॉकडाउन के बाद विजेता प्रतिभागियों की घोषणा की जायेगी और उन्हें प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा।
राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली के ट्रायल वर्जन का डिजिटल शुभारम्भ राजभवन में आज किया। सिस्टम मार्गदर्शिका (मेन्यूअल) का भी विमोचन किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन, राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे, आयुक्त उच्च शिक्षा श्री मुकेश शुक्ला उपस्थित थे। कार्यक्रम में समस्त शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति ऑन लाइन जुड़े हुये थे।
राज्यपाल श्री टंडन ने लॉक डाऊन के दौरान देश में अनूठे पोर्टल के निर्माण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि जब सब लोग एकांतिक जीवन व्यतीत कर रहे थे तब प्रदेश के विश्वविद्यालय नये रुप में क्रियाशील थे। यह अत्यन्त सराहनीय है। उन्होंने सॉफ्टवेयर को विश्वविद्यालयों की आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब एक नये दौर की ओर बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री द्वारा समाज के सभी वर्गों के लिए विशाल आर्थिक पैकेज दिया गया है। उसे संबंधित तक पहुँचाने में विश्वविद्यालय अपनी भूमिका का निर्धारण करें।
राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने बताया कि अभी तक विश्वविद्यालयों की डिजिटल गतिविधियाँ निजी क्षेत्र के द्वारा प्रवेश परीक्षा फार्म और मार्कशीट वितरण के रुप में की जाती थी। एकीकृत प्रबंधन प्रणाली में विश्वविद्यालय की नामांकन, परीक्षा, मूल्याँकन आदि सभी गतिविधियाँ डिजिटल मोड में होंगी। विश्वविद्यालयों की लगभग सभी गतिविधियाँ ऑन लाइन होने से कार्य त्वरित और समय-सीमा में पूरे होंगे। उनका आर्थिक और प्रशासनिक भार भी कम होगा।
कुलपति आर.जी.पी.वी. श्री सुनील कुमार ने बताया कि एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली एक केन्द्रीय सूचना प्रणाली है जिसे राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों को डिजिटल प्लेटफार्म में एकीकृत करने के लिए विकसित किया गया है। इस एकीकृत प्रबंधन प्रणाली के विकसित होने से विश्वविद्यालय तकनीकी कौशल, आर्थिक समृद्धि और आत्म निर्भरता की दिशा में अग्रसर होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रबंधन प्रणाली से प्रदेश के 21 शासकीय विश्वविद्यालयों के लगभग 24 लाख विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। विद्यार्थियों को इलेक्ट्रानिक फार्मेट में डिजिटल हस्ताक्षरित डिग्री और मार्कशीट प्राप्त होगी। मार्कशीट और डिग्री अब पेपर पर नहीं दी जायेगी। छात्रों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम, परीक्षा और परिणाम प्राप्त होंगे। प्रदेश के समस्त पुस्तकालयों की सुविधा ऑनलाइन प्राप्त होगी। छात्रों को प्लेसमेंट संबंधी जानकारी सुलभ होगी। आवासीय और भोजन व्यवस्था और शुल्क संबंधी जानकारी के साथ-साथ फीस आदि भी ऑनलाइन जमा की जा सकेगी। ऑनलाइन पाठ्यक्रम सुलभ होगा तथा इस पेपरलेस व्यवस्था से आर्थिक बचत के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होगा। अभी तक विश्वविद्यालयों की डिजिटल गतिविधियों का संचालन प्राइवेट एजेंसी द्वारा किया जाता था। उन्हें शुल्क के रुप में प्रतिवर्ष 25 करोड़ रूपये मिलते थे। इन्टीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम के लागू होने से प्रतिवर्ष एजेंसी को मिलने वाली अनुमानत: 25 करोड़ रूपये शुल्क राशि अब विश्वविद्यालयों को प्राप्त होगी।
कुलपति आर.जी.पी.वी. के अनुसार यह एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली छात्रों के लिये तो उपयोगी और मार्गदर्शी है। इससे विश्वविद्यालय में कार्यरत प्राध्यापकों और कर्मचारियों को भी बहुत फायदा होगा। इस तकनीक के उपयोग से मानवीकृत कार्य प्रणाली का भार कम होगा। सभी विश्वविद्यालयों की समस्त जानकारियाँ एकजाई होंगी। सभी के वेतन, छुट्टी उपस्थिति, अनुपस्थिति और व्यक्तिगत जानकारी विषय विशेषज्ञता एवं उपलब्धियाँ एक ही प्लेटफार्म पर सुलभ होगी। पेपरलेस व्यवस्था से विश्वविद्यालय का कार्यभार एवं आर्थिक व्यय भार कम होगा। अभी विश्वविद्यालय लगभग 30 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष प्रशासकीय एवं अन्य कार्यों पर व्यय करते हैं। पोर्टल की व्यवस्थाओं से इसमें भी 20 प्रतिशत की बचत अनुमानित है।
श्री सुनील कुमार ने बताया कि इस पोर्टल से शैक्षणिक गुणवत्ता निर्धारण में सहायता मिलेगी। कॉलेजों की शैक्षणिक उपलब्धि और गुणवत्ता के संबंध में नीति बनाने और विश्वविद्यालय की नियंत्रक भूमिका बहुत अधिक प्रभावी होगी।
राज्यपाल श्री लाल जी टंडन लॉक डाऊन अवधि में सृजन कार्य करने वालों का मनोबल बढ़ाने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय आज पहुँचे। ऑन लाइन डेव्हलपर टीम के साथ चर्चा की। उनके अनुभव और भविष्य की योजनाओं की जानकारी प्राप्त की। उनका उत्साहवर्धन किया। राज्यपाल श्री टंडन के कहा कि इच्छाशक्ति और प्रवृत्ति मिल जाये तो सफलता निश्चित है। लॉक डाउन की चुनौती के दौरान सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट खोजपरक शिक्षा का प्रमाण है। सॉफ्टवेयर का निर्माण कोविड-19 की चुनौती और सीमित संसाधनों के साथ किया गया है। यही भावना सफलता की शक्ति और सुखद भविष्य की अनन्त सम्भावनाओं का आधार है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठता का आर्थिक आधार अस्थाई है। ज्ञान का भंडार ही श्रेष्ठता का स्त्रोत है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने संकट को अवसर के रूप में स्वीकार करने का आव्हान किया है। यह समय युवाओं के लिए उनकी मेधा के उपयोग का है। आत्म निर्भरता का नया इतिहास रचने का सही समय है। तकनीक, विधियाँ और संसाधनों की कोई कमीं नहीं है। चुनौती स्वीकार कर कार्य करने के संकल्प की जरूरत है।
श्री टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय भविष्य निर्माण के केन्द्र हैं। सॉफ्टवेयर निर्माण का क्रांतिकारी कार्य है। इससे आत्मनिर्भरता के सुरक्षित भविष्य की अपार संभावनाएँ निर्मित हुई हैं। स्वयं आत्मनिर्भर होने के साथ ही सॉफ्टवेयर की विशेषज्ञता का व्यावसायिक उपयोग कर विश्वविद्यालय आय के नये स्त्रोत विकसित कर सकते हैं। यह तकनीकी दक्षता ज्ञान के आधार को मजबूत बनाएगी। शैक्षणिक सम्भावनाओं में गुणवत्ता, शिक्षण, संस्कृति के क्षेत्र में नये प्रयोग अर्थव्यवस्था में सुधार का नया मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने सॉफ्टवेयर टीम के युवाओं के साथ ऑन लाइन चर्चा कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुये कहा कि उनका योगदान मील का पत्थर है। उन्होंने ऐसे पौधे का निर्माण किया है जिसका भविष्य में देश समाज पर बहुआयामी प्रभाव होगा।
राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने बताया कि सॉफ्टवेयर के तैयार होने से भविष्य की अपार सम्भावनाएं निर्मित हुई हैं। शैक्षणिक व्यवस्था के मूलभूत स्वरूप में परिवर्तन हो सकता है। शिक्षण, परीक्षा प्रणाली जैसी मौलिक व्यवस्थाओं में नई परिकल्पनाओं को मूर्तरूप दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के पास 24 लाख विद्यार्थियों के साथ सीधे सम्पर्क सुविधा उपलब्ध हो गई है। अध्ययन घंटों के संधारण के आधार पर परीक्षा परिणाम के निर्धारण जैसी अभिनव सम्भावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की प्रेरणा, संरक्षण, विश्वास ने कार्य के प्रति सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराया जो सफलता का मूल तत्व है। उन्होंने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा निर्माण कार्य को हाथ में लेने के साहसिक कदम उठाने और फंक्शनल रिक्वायरमेंट सिस्टम को तैयार कराने में विश्वविद्यालयों के सहयोग का भी उल्लेख किया।
कुलपति श्री सुनील कुमार ने बताया कि लॉक डाऊन की चुनौती के बीच वर्क फ्राम होम की नई कार्य संस्कृति और विश्वविद्यालयों की आत्मनिर्भरता के नये दौर की शुरूआत विश्वविद्यालय प्रबंधन सॉफ्टवेयर का निर्माण है। उन्होंने बताया कि छात्र-छात्राओं द्वारा दिया जाने वाला शुल्क जो निजी क्षेत्र में चला जाता था। वह अब उनके शैक्षणिक विकास में उपयोग होगा। उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर डेव्हलपमेंट का कार्य 20 सदस्यीय टीम द्वारा किया गया है। इसमें 10 सदस्य विश्वविद्यालय के अध्ययनरत छात्र हैं। शेष 10 भूतपूर्व छात्र हैं।
राज्यपाल श्री टंडन ने इस अवसर पर सॉफ्टवेयर डेव्हलपर टीम के सदस्यों के साथ चर्चा की। सॉफ्टवेयर कंसल्टेंट श्री हेमराज ने बताया कि देश में कहीं भी विश्वविद्यालयों का एकीकृत प्रोजेक्ट संचालित नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह सॉफ्टवेयर कॉरपोरेट फील के साथ बना है। डेव्हलपर श्री नेमा ने बताया कि यह बहुत आगे जाने वाला सॉफ्टवेयर है। नीतेश ने बताया कि सॉफ्टवेयर में आधुनिकतम टेकनालॉजी का प्रयोग है। सीनियर सॉफ्टवेयर आर्कीटेक्ट श्री गौरव ने बताया कि सॉफ्टवेयर का फंक्शनल रिक्यारमेंट सिस्टम एफ.आर.एस. बहुत विस्तृत और प्रभावी है। इनके साथ सत्यम मिश्रा, साक्षी जैन, तनिष्क सोनी, संजय सिंह, पुनीत सेथा, मोहम्मद सालिक फारुखी, आशीष प्रजापति, पारूल नेमा और मोनिका साहू ने भी अपने अनुभव साझा किये।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में न केवल बाहर के प्रदेशों में फंसे मजदूरों को बसों एवं ट्रेनों के माध्यम से लाया जा रहा है, अपितु बाहर के राज्यों के मध्यप्रदेश में फंसे मजदूरों को भी वाहन उपलब्ध कराकर राज्य की सीमाओं पर पहुंचाया जा रहा है। साथ ही सभी के भोजन आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। हमारे लिए सभी मजदूर एक समान हैं, हम सभी का पूरा ध्यान रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी श्री विवेक जौहरी, एसीएस हैल्थ श्री मोहम्मद सुलेमान आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में अभी तक 3 लाख 39 हजार मजदूरों को दूसरे राज्यों से मध्यप्रदेश लाया गया है। वहीं दूसरे प्रदेशों के मजदूरों को भी राज्य की सीमा पर छुड़वाया जा रहा है। इस कार्य में कुल 10 हजार बसें लगाई गई हैं। साथ ही 77 ट्रेनें भी मध्यप्रदेश आ चुकी हैं। आज हरियाणा से 1, महाराष्ट्र से 4 तथा गुजरात से 2 ट्रेन मध्यप्रदेश आयी हैं। ट्रेनों के लिए 5 करोड़ रूपये रेलवे को जमा करवाए गए हैं, वहीं बसों पर एक करोड़ रूपये प्रतिदिन व्यय किए जा रहे हैं।
17 जिलों में अब कोई प्रकरण नहीं
कोरोना की स्थिति के संबंध में एसीएस स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि प्रदेश के 17 जिलों में अब कोरोना का कोई प्रकरण नहीं है। इसमें से 9 जिलों बड़वानी, आगर-मालवा, शाजापुर, श्योपुर, अलीराजपुर, हरदा, शहडोल, टीकमगढ़ एवं बैतूल में पूर्व में कोरोना संक्रमित मरीज थे, परन्तु अब ये जिले कोरोना मुक्त हो गए हैं। वहीं प्रदेश के 8 जिलों में कोरोना संक्रमण नहीं है।
5822 सैंपल लिए गए
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि हमारी करोना टेस्टिंग क्षमता निरंतर बढ़ रही है। प्रदेश में 15 मई को 5822 सैम्पल लिए गए। प्रदेश के 20 टैस्टिंग लैब में से 14 में टैस्टिंग की जा रही है, शेष में भी शीघ्र प्रारंभ होगी। प्रदेश में 15 मई की स्थिति में कुल पॉजिटिव प्रकरणों में 45 प्रतिशत कोरोना एक्टिव प्रकरण हैं।
मजदूरों की स्क्रीनिंग की अच्छी व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने रीवा, दमोह एवं दतिया जिले की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि मजदूरों की हैल्थ स्क्रीनिंग की अच्छी व्यवस्था हो। दमोह जिले की समीक्षा में बताया गया कि वहां एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव आया है, जो कि मुंबई से एक दल के साथ आया। उसके साथ आए सभी 18 व्यक्तियों का टैस्ट किए जाने के निर्देश दिए गए।
110 लाख मेट्रिक टन खरीदी की व्यवस्था करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ उपार्जन के अंतर्गत 110 लाख एम.टी. खरीदी की व्यवस्था रखी जाए। प्रमुख सचिव ने बताया कि अभी तक 12 लाख 20 हजार किसानों से 83 लाख एम.टी. गेहूँ की खरीदी हो चुकी है, जिनमें से 8 लाख 56 हजार किसानों को 9 हजार करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। आगामी 5-6 दिनों में 20 जिलों का उपार्जन पूरा हो जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा की गई राहत घोषणाओं से किसान, पशुपालकों, मछली पालकों आदि की जिन्दगी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। 'पीएम किसान फंड' के अंतर्गत किसानों के लिए कुल 18 हजार 700 करोड़ रूपए की घोषणा किसानों के लिए बड़ी राहत सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि भंडारण आपूर्ति आदि के लिए दी जाने वाली एक लाख करोड़ रूपए की सहायता से कृषि ढांचा मजबूत होगा तथा किसानों को अत्याधिक लाभ होगा। छोटी फूड प्रोसेसिंग इकाइयों के लिए दिए जाने वाला 10 हजार करोड़ का फंड उन्हें गति प्रदान करेगा।
मछुआरों के कल्याण के लिए प्रारंभ की जाने वाली 20 हजार करोड़ की मत्स्य संपदा योजना मछली पालन के क्षेत्र में लगभग 55 लाख लोगों को रोजगार दिलाएगी। मछुआरों की नाव का बीमा भी कराया जाएगा। डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 15 हजार करोड़ का फंड निजी निवेश को बढ़ावा देगा और दुग्ध उत्पादकों के लिए अत्यंत लाभदायी होगा। केन्द्र सरकार द्वारा मधुमक्खी पालकों का भी पूरा ध्यान रखा गया है। उनके लिए 500 करोड़ की योजना बनायी गई है।
केन्द्र सरकार द्वारा उद्यानिकी कृषकों को लाभ देने के लिए टमाटर, प्याज, आलू सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोरेज पर 50 फीसदी सब्सिडी की घोषणा उनकी भंडारण क्षमता को बढ़ाएगी तथा वे अपने उत्पाद का अच्छा लाभ प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही सप्लाई चेन को ठीक करने के लिए 500 करोड़ रूपए की घोषणा अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।
राज्य के प्रवेश द्वार धवईपानी चेकपोस्ट पहुंचे कलेक्टर
कवर्धा। जबलपुर कवर्धा राष्ट्रीय राजमार्ग में राज्य के प्रवेशद्वार धवईपानी पहुंचकर कलेक्टर अवनीश शरण ने (कोविड-19) के संक्रमण को रोकने बनाए गए चेकपोस्ट का निरीक्षण किया। कलेक्टर के साथ जिला पंचायत सीईओ विजय दयाराम भी थे।
कलेक्टर ने अन्य राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों से भंेटकर उनका हाल-चाल जाना। पूछताछ में श्रमिकों ने कलेक्टर को बताया कि सभी श्रमिक मध्यप्रदेश के भोपाल से आ रहे हैं। वे मुंगेली, जांजगीर-चांपा और कवर्धा जिले के रहने वाले है। अपने राज्य की सीमा में पहुंचने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है। अपने घर पहुंचने की खुशी होने लगी है। कलेक्टर ने सभी लोगों को राजाढार के राहत शिविर में भोजन कराया।
कलेक्टर ने अनुविभागीय अधिकारी विनय सोनी को निर्देशित किया कि अन्य राज्यों से आने वाले सभी श्रमिकों का सबसे पहले स्वास्थ्य परीक्षण कराएं। उसके बाद सीधे राहत शिविर में भरपेट भोजन कराएं। ये श्रमिक कवर्धा जिले के हंै, तो उनका गांव पूछकर उनके गांव का क्वारेंटाइन सेंटर तक बस से पहुंचाए। यदि वे अन्य जिले के है, तो भी श्रमिकों को उनके जिले की सीमा तक बसों के माध्यम से पहुंचाएं। इस अवसर पर बोड़ला अनुविभागीय अधिकारी श्री सोनी, जनपद सीईओ जे.आर. भगत, थाना प्रभारी आनंद शुक्ला, नायब तहसीलदार अमन चतुर्वेदी विशेष रूप से उपस्थित थे।
अन्य राज्य से आए लोगों का सबसे पहले स्वास्थ्य जांच कराएं
कलेक्टर अवनीश ने कहा कि कोई भी प्रवासी श्रमिक या ग्रामीण भूखा न रहे। पैदल जाने के लिए बिल्कुल न कहे। यदि तत्काल बस की सुविधा नहीं है, तो बस के आने का इंतजार करें। उसके बाद उनके गांव अथवा जिले की सीमा तक पहुंचाने वाहन से भेजें।