ईश्वर दुबे
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Bhilai
सुप्रीम कोर्ट राफेल केस पर पुनर्विचार के लिए राजी हुआ था, इस पर राहुल ने कहा था- कोर्ट ने मान लिया कि चौकीदार चोर है
इस बयान पर भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने राहुल के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी
राहुल ने इससे पहले दो हलफनामे दाखिल किए, दोनों बार सिर्फ खेद जताया था
साफ तौर पर माफी नहीं मांगने पर शीर्ष अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष को फटकार लगाई थी
नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है बयान को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली। राहुल ने अवमानना के मामले में पहले दायर किए गए दो हलफनामों में सिर्फ खेद जताया था। इस पर कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से मौखिक रूप से माफी मांगी थी। इसके साथ ही नया हलफनामा दाखिल करने की मोहलत मांगी थी।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट राफेल डील के लीक दस्तावेजों को सबूत मानकर मामले की दोबारा सुनवाई के लिए राजी हो गया था। इस पर राहुल ने कहा था कि कोर्ट ने मान लिया कि ‘चौकीदार ही चोर है।’ इसके बाद भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना का केस दायर कर दिया था। इस पर कोर्ट ने राहुल को बिना नोटिस जारी किए ही जवाब मांगा था। राहुल ने 22 अप्रैल को माना था कि कोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा और गर्म चुनावी माहौल में जोश में उनके मुंह से यह बात निकल गई। उन्होंने अपनी टिप्पणी पर खेद जताया था।
लेखी के वकील ने कहा था- राहुल के खेद जताने को माफी मांगना नहीं कह सकते
23 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लेखी के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि राहुल ने जवाब में क्या लिखा? इस पर रोहतगी ने कहा कि राहुल ने माना है कि उन्होंने कोर्ट का आदेश देखे बगैर पत्रकारों को गलत बयान दिया था। रोहतगी ने यह भी कहा कि जिस तरह खेद जताया गया है उसे माफी मांगना नहीं कहा जा सकता।
तब कोर्ट ने जारी कर दिया नोटिस
रोहतगी के दावे पर सिंघवी ने कहा कि कोर्ट ने उनके मुवक्किल से सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा था जो उन्होंने दिया। कोर्ट ने उन्हें नोटिस नहीं जारी किया था। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगाेई ने कहा कि आप कह रहे हैं कि नोटिस जारी नहीं हुआ, तो अब नोटिस दे रहे हैं।
अमेठी में प्रियंका गांधी वाड्रा के सामने बच्चों ने लगाए मोदी विरोधी नारे
स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया- जिनकी शोहरत वंशवाद के चलते है उनसे प्रधानमंत्री को अत्यंत भद्दे शब्द सुनने पड़ते हैं
अमेठी. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें कुछ बच्चे प्रियंका गांधी वाड्रा के सामने मोदी विरोधी नारे लगाते हुए दिख रहे हैं। दरअसल, एक बच्चा नारे लगवा रहा है। पहली बार 'चौकीदार चोर है' का नारा लगवाया। इस पर प्रियंका मुस्कुराती रहीं। दूसरी बार बच्चों से मोदी के लिए अपशब्द बुलवाया। इस पर प्रियंका ने बच्चों से कहा- ये वाला नारा अच्छा नहीं लगा। आपको अच्छे बच्चे बनना है। इसके बाद बच्चों ने राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लगाए।
स्मृति ने प्रियंका पर साधा निशाना
स्मृति ईरानी ने प्रियंका पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया, "यह अत्यंत अशिष्ट है। आप सोच सकते हैं कि जिनकी शोहरत केवल वंशवाद के चलते है उनसे प्रधानमंत्री को अत्यंत भद्दे शब्द सुनने पड़ते हैं। इस बात पर लुटियंस में गुस्सा दिखाई दिया क्या?"
प्रियंका ने संभाल रखा है अमेठी का मोर्चा
कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पूर्वांचल की जिम्मेदारी दी है। इस वजह से वह आए दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रचार-प्रसार के लिए अमेठी का दौरा कर रही हैं। उधर, स्मृति अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। वह 2014 में इस सीट से राहुल से लोकसभा का चुनाव हार चुकी हैं।
रविवार को प्रियंका ने कहा कि पांच साल में स्मृति केवल 16 बार अमेठी आईं। इस पर स्मृति ने कहा कि खुश हूं कि वे अमेठी दौरे के दिनों का हिसाब रख रही हैं। उन्हें (प्रियंका) लोगों को यह भी बताना चाहिए कि 15 साल से अमेठी का सांसद (राहुल गांधी) कहां है?
'चौकीदार चोर है' पर राहुल की तरफ से सिंघवी ने मांगी माफी
सियासी गलियारों में 'चौकीदार चोर है' नारे को लेकर इन दिनों खासा बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है वाले अपने बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नया हलफनामा दायर किया। उन्होंने इसमें भी खेद ही जताया है, माफी नहीं मांगी। मंगलवार को राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने मुवक्किल के बयान के लिए माफी मांगी। राहुल ने हलफनामे में कहा कि राजनीतिक लड़ाई में उनका कोर्ट को घसीटने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी पर अवमानना याचिका के जरिए राजनीति करने का आरोप लगाया था।
मोदी ने अपने भाषण में विपक्ष पर निशाना साधा, कहा- सब सीट बांटे बैठे हैं मगर साथ नहीं दिखते
मोदी का दावा- कुंभ में पहले चोरी की शिकायत आती थी, इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ
कौशाम्बी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को उत्तरप्रदेश के कौशाम्बी में चुनावी रैली को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू कुंभ में आए थे, तब भगदड़ मच गई थी। हजारों लोग मारे गए थे। तब सरकार की लाज बचाने के लिए, पंडित नेहरू पर कोई दाग न लग जाए, इसके लिए खबरें दबा दी गईं। मगर इस बार कुंभ में करोड़ों लोग आए, लेकिन कोई भगदड़ नहीं हुई, कोई नहीं मरा। व्यवस्थाएं कैसे बदलती हैं, यह उसका उदाहरण है।
मोदी ने पूछा- विपक्ष के नेता साथ दिखे क्या
मोदी ने अपने भाषण में विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का चुनाव पूरा हो गया, शरद पवार और राहुल एक साथ दिखे क्या? बिहार में चुनाव हो रहे हैं, कांग्रेस और राजद साथ दिखे क्या? इनका यही हाल है। सब एक साथ सीट बांटे बैठे हैं, लेकिन साथ में दिखते नहीं हैं। सरकार चुनने के लिए पहली बार 21वीं सदी में जिसका जन्म हुआ है, वो हमारे नौजवान युवक और युवतियां हैं। वो एक मोबाइल फोन में दुनिया समेटे बैठे हैं।
मोदी ने कहा- इस बार कुंभ हुआ, शान से माथा ऊंचा हो गया
मोदी ने कहा कि मुझे पिछली बार कुंभ में अनेक बार आने का मौका मिला। जब सरकार बदलती और नीयत बदलती है तब कैसा परिणाम आता है, यह प्रयागराज ने इस बार दिखा दिया है। पहले कुंभ होता था तो खबरें आती रहती थीं कि अखाड़ों के बीच जमीन को लेकर विवाद है। किसी को इतनी जमीन दी, किसी को यह किया। पहले कुंभ मेले में भ्रष्टाचार की बातें सामने आती थीं। इस बार मेला हुआ, शान से माथा ऊंचा हो गया। एक आरोप नहीं लगा। पहले मेला होता था तो यह चोरी हो गया, वो चोरी हो गया, शिकायत आती थीं। इस बार चोरी, मारधाड़ की कोई शिकायत नहीं आई।
मोदी ने बताया कि इस बार कुंभ का मेला दुनियाभर के अखबारों में छपा है। पहले सिर्फ नागा साधुओं के बारे में छपता था। इस बार कुंभ में सफाई के बारे में छपा। पहले कहा जाता था उत्तर प्रदेश में व्यवस्था की बातें हो ही नहीं सकतीं। इस बार यूपी ने दिखा दिया कि आप लोग बहादुर हैं और व्यवस्था को मानने वाले हैं।
मोदी का आरोप- पहले प्रधानमंत्री के कार्यकाल में पाप हुआ था
मोदी ने कहा कि पंडित नेहरू जब प्रधानमंत्री थे, तब वे एक बार कुंभ के मेले में आए थे। मैं जो बात आज बता रहा हूं, उसे पांच-छह दशक में दबा दिया गया, छिपा दिया गया। असंवेदनशीलता की सीमापार की गई। जब नेहरू जी आए तो मेला इतना बड़ा नहीं होता था। दूसरी पार्टियों का तो निशान भी नहीं था। केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। तब उत्तर प्रदेश में भगदड़ मच गई थी। हजारों लोग कुचल के मारे गए थे। लेकिन सरकार की लाज बचाने के लिए, पंडित नेहरू पर कोई दाग न लग जाए, इसके लिए खबरें दबा दी गईं। कुछ अखबारों में कोने में खबर छिपा दी गई। इसमें पीड़ितों को भी कुछ नहीं दिया गया। ऐसा पाप देश के पहले प्रधानमंत्री के काल में हुआ। इस बार करोड़ों लोग आए, प्रधानमंत्री खुद भी आए लेकिन कोई भगदड़ नहीं हुई, कोई नहीं मरा।
अयोध्या. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को पांच साल बाद अयोध्या पहुंचे। उन्होंने अयोध्या मुख्यालय से 25 किमी दूर मया बाजार में जनसभा को संबोधित किया। बतौर प्रधानमंत्री मोदी की अयोध्या में पहली रैली थी। यहां उन्होंने मंदिर मुद्दे पर कोई बात नहीं की, लेकिन सभा के आखिर में जय श्रीराम के नारे लगवाए।
'सपा-बसपा की सच्चाई जानना जरूरी'
मोदी ने कहा कि यह मर्यादा पुरुषोत्तम राम की धरती है, स्वाभिमान की धरती है। यही स्वाभिमान पिछले पांच साल की सरकार में दिखा है। मजबूत भारत के निर्माण के बीच सपा हो, बसपा हो या कांग्रेस। इनकी सच्चाई जानना जरूरी है।
"बहनजी ने बाबा साहब के नाम का उपयोग किया, लेकिन उनके आदर्शों के विपरीत हर काम किया। समाजवादी पार्टी ने डगर डगर पर लोहिया जी का नाम लिया, लेकिन अपने आचरण से न सिर्फ यूपी की कानून व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया बल्कि लोहिया के आदर्शों को भी मिट्टी में मिला दिया।"
"आज मैं इन लोगों से कुछ सवाल करना चाहता हूं। क्या समाजवाद की बातें, लोहिया जी की बातें करने वालों को श्रमिकों की, गरीबों की चिंता नहीं करनी चाहिए थी। क्या बाबा साहब की बातें करने वालों को श्रमिकों की चिंता नहीं करनी चाहिए थी?"
"पिछले 60-70 सालों से हर चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा उछालने वाली कांग्रेस को श्रमिकों की चिंता करनी चाहिए थी कि नहीं? हमारे देश के 40 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों की इन पार्टियों ने कभी परवाह नहीं की। गरीबों को वोटबैंक में बांटकर इन लोगों ने सिर्फ अपना और अपने परिवार का फायदा कराया।"
"कोई गरीब अपने बच्चे को गरीब नहीं देखना चाहता। गरीब आगे बढ़ना चाहता है, मजदूर आगे बढ़ना चाहता है। उसे आवश्यकता होती है एक संबल की। पहली बार देश में किसी सरकार ने गरीबों के बारे में सोचा है। श्रमिकों के बारे में सोचा है। हमने उनकी परवाह की है। उनका जीवन आसान बनाने के लिए काम किया है।"
"योग हमारी संस्कृति का हिस्सा सदियों से है, लेकिन पूरी दुनिया 21 जून को योग दिवस मनाए, यह काम हमारी सरकार ने किया।"
"कुंभ पिछले कई सालों से होता रहा है, लेकिन जो भव्यता प्रयागराज में दिखी वो अभूतपूर्व है। अयोध्या में दीप तो हजारों सालों से जलते आए हैं, लेकिन अब जो दीपावली मनाई जाती है, वो दुनियाभर में चर्चा का विषय बनती है, देश का गौरव बढ़ता है।"
"जब कोरिया की फर्स्ट लेडी अयोध्या में हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर आती हैं, तो इसकी चर्चा हर तरफ होती है। जब आसियान समिट के दौरान, वहां से आए कलाकार अपने-अपने देशों में प्रचलित रामायण के अंश प्रस्तुत करते हैं, तो सबकी नजर जाती है।"
"अपनी इस अनमोल धरोहर को पहचानने के लिए संवेदनशीलता की जरूरत होती है। हमने इसे आस्था से ही नहीं बल्कि आर्थिक रूप से जोड़ा है।"
"देश में अभी स्वदेश दर्शन नाम से एक बहुत व्यापक कार्यक्रम चल रहा है। इसके अंतर्गत देश में रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, बौद्ध सर्किट सहित 15 सर्किट पर काम चल रहा है। रामायण सर्किट के तहत अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक, जहां-जहां भी प्रभु राम के निशान हैं, उन सभी स्थानों को विकसित किया जा रहा है।"
मोदी ने नहीं किए रामलला के दर्शन
मोदी का यह चुनावी दौरा है, इसलिए वे रामलला के दर्शन करने नहीं गए। लेकिन, भाजपा संकेत देना चाहती है कि मोदी और पार्टी के लिए अयोध्या मुद्दा अहम है। अयोध्या में दौरा उस समय रखा गया है, जब अवध और पूर्वांचल में वोटिंग करीब है। 6 मई को फैजाबाद सीट (अयोध्या) और 12 मई को अंबेडकरनगर में मतदान होगा।
गठबंधन से मिल रही सीधी टक्कर
फैजाबाद सीट के अलावा धौरहरा, सीतापुर, मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, कैसरगंज और गोंडा लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों पर भाजपा को बसपा-सपा गठबंधन सीधे टक्कर दे रहा है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण की वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री के इस दौरे से भाजपा को आसपास की सीटों पर फायदा मिल सकता है।
इटारसी और जयपुर में भी सभा
मोदी यूपी दौरे के बाद भोपाल होते हुए इटारसी जाएंगे। इसके बाद वे जयपुर के मानसराेवर में चुनावी सभा काे संबाेधित करेंगे। पिछले लाेकसभा चुनाव में भाजपा ने जयपुर शहर सीट 5.85 लाख वाेटाें के रिकॉर्ड अंतर से जीती थी। मोदी ने राजस्थान में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 4 चुनावी सभाएं की थीं। पहले चरण में 29 अप्रैल काे 13 सीटाें पर मतदान हाे चुका है।
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और उसके आकाओं पर कार्रवाई के लिए बढ़ते जा रहे भारत के दबाव का असर दिखने लगा है और गत सप्ताह कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। संयुक्त राष्ट्र ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद की वह अपील खारिज कर दी जिसमें उसने प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची से अपना नाम हटाने की गुहार लगाई थी। खास बात यह है कि यह फैसला ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने का एक नया अनुरोध प्राप्त हुआ है। हाफिज सईद जोकि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का भी सह-संस्थापक है, की अपील संयुक्त राष्ट्र ने तब खारिज की जब भारत ने उसकी गतिविधियों के बारे में विस्तृत साक्ष्य मुहैया कराए। साक्ष्यों में ‘‘अत्यंत गोपनीय सूचनाएं’’ भी शामिल थीं।
लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्मयंत्री अखिलेश यादव को मंगलवार को अमौसी एयरपोर्ट पर प्रयागराज जाने से रोक दिया गया। अखिलेश प्राइवेट प्लेन से एक छात्र नेता के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने जा रहे थे। उनका कुंभ जाने का भी कार्यक्रम था। अखिलेश को रोके जाने के मुद्दे पर संसद, विधानसभा और विधानपरिषद में जोरदार हंगामा हुआ। इस बीच, सरकार ने कहा कि अखिलेश को रोकने का फैसला इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के आग्रह पर लिया गया।
प्रशासन और सरकार ने बम फेंकने वालों की मदद की- अखिलेश
इस घटना के बाद अखिलेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- हमने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का कार्यक्रम 27 दिसंबर को ही भेज दिया था ताकि कोई शिकायत हो तो उसकी जानकारी मिल जाए। भाजपा और उनके समर्थक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के चुनावों को अपना चुनाव समझ रहे थे। सरकार और सभी मंत्री इस चुनाव में शामिल हो रहे थे। मुख्यमंत्री जब भी यूनिवर्सिटी जाते थे, तब वह जरूर अपने लोगों को यह आदेश दे रहे होंगे कि इन चुनावों में किसी भी कीमत पर हार ना हो। अब जब शपथ ग्रहण समारोह होने जा रहा था, तब वहां तीन बम फेंके गए। जहां मंच था, वहां पर विस्फोट हुए। सरकार और प्रशासन ने उन लोगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया, जिन्होंने ये काम किया। लोकतंत्र में यह पहली बार हुआ है कि सरकार और प्रशासन ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं, जो किसी कार्यक्रम में बम फेंक रहे हैं।