ईश्वर दुबे
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आदिवासी वीर नायकों को समर्पित देश का पहला डिजिटल संग्रहालय
रायपुर 31 अक्टूबर 2025/छत्तीसगढ़ की धरती पर 1 नवम्बर को इतिहास रचा जाएगा, जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर देश के पहले डिजिटल ट्राइबल म्यूज़ियम शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह‑जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का लोकार्पण करेंगे। यह भव्य संग्रहालय उन आदिवासी वीर नायकों को समर्पित है, जिन्होंने अंग्रेज़ी हुकूमत के विरुद्ध अपने प्राणों की आहुति दी और छत्तीसगढ़ की अस्मिता की रक्षा की।
आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के आदिवासियों के प्रेरणापुंज हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में सोनाखान के ज़मींदार वीर नारायण सिंह ने फिरंगियों के विरुद्ध बिगुल फूंका था। उन्होंने अन्याय और शोषण के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम शहीद माना जाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने शहीद वीर नारायण सिंह और अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले आदिवासी नायकों की स्मृतियों को सहेजने के उद्देश्य से नवा रायपुर में इस अद्वितीय संग्रहालय की स्थापना का निर्णय लिया।
50 करोड़ की लागत से बना अनूठा डिजिटल संग्रहालय
नवा रायपुर के सेक्टर-24 में लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से तैयार शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह‑जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय देश का पहला डिजिटल संग्रहालय है। इसकी डिज़ाइन, अवधारणा और तकनीकी संरचना आधुनिकतम मानकों पर आधारित है। संग्रहालय में अत्याधुनिक वीएफएक्स टेक्नोलॉजी, प्रोजेक्शन सिस्टम, डिजिटल स्क्रीन, और मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैन करने की सुविधा उपलब्ध है, जिससे आगंतुक हर कथा को डिजिटल माध्यम से अनुभव कर सकेंगे।
आदिवासी विद्रोहों की जीवंत कहानी – 14 सेक्टरों में सजा इतिहास
संग्रहालय में छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी आंदोलनों—हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम, परलकोट, तारापुर, लिंगागिरी, कोई, मेरिया, मुरिया, रानी चौरिस, भूमकाल, सोनाखान विद्रोह, झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह—की जीवंत झलक दिखाई जाएगी। इन ऐतिहासिक विद्रोहों को 14 सेक्टरों में विभाजित कर प्रस्तुत किया गया है, ताकि दर्शक हर संघर्ष और उसकी प्रेरक गाथा को समझ सकें।
संग्रहालय परिसर में शहीद वीर नारायण सिंह का भव्य स्मारक भी बनाया गया है। यह स्मारक न केवल श्रद्धांजलि का स्थल होगा, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। प्रवेश द्वार पर सरगुजा के कलाकारों द्वारा तैयार की गई सुंदर नक्काशीदार पैनलें लगाई गई हैं। वहीं परिसर में 1400 वर्ष पुराने साल, महुआ और साजा वृक्ष की प्रतिकृतियाँ स्थापित की गई हैं, जिनकी पत्तियों पर 14 विद्रोहों की डिजिटल कहानियाँ उकेरी गई हैं।
सुविधाओं से सुसज्जित आधुनिक परिसर
संग्रहालय में सेल्फी प्वाइंट, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुविधाएँ, ट्राइबल आर्ट से सजा फर्श, और भगवान बिरसा मुंडा, शहीद गैंदसिंह की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। ये सभी तत्व संग्रहालय को एक जीवंत सांस्कृतिक और भावनात्मक अनुभव का केंद्र बनाते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत की थी। उन्होंने आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए देश का सबसे बड़ा अभियान पीएम जनमन और प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना प्रारंभ की। इन पहलों के अंतर्गत आदिवासी इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह‑जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का लोकार्पण छत्तीसगढ़ की रजत जयंती वर्ष के एक ऐसे क्षण के रूप में दर्ज होगा जो इतिहास, परंपरा और आधुनिकता को एक सूत्र में पिरो देगा।
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रायपुर :
उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरुण साव के मुख्य आतिथ्यि में आज नगर पालिका कुम्हारी में 16 करोड़ 30 लाख 51 हजार रुपए की लागत के निर्माण कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन संपन्न हुआ। इनमें वार्ड क्रमांक 15 में 30 लाख रूपए की लागत से अटल परिसर निर्माण कार्य, 5 करोड़ 32 लाख 68 हजार रूपए के लागत सेे जंजगिरी तालाब का सौंदर्यीकरण एवं अन्य विकास कार्य, 16 लाख 92 हजार रुपए की लागत से वार्ड क्रमांक 13 जी.ई.रोड कुम्हारी टोल प्लाजा के पास आकांक्षीय शौचालय निर्माण कार्य, 03 करोड़ 01 लाख 21 हजार रूपए की लागत से नगर पालिका कुम्हारी क्षेत्रांतर्गत विभिन्न वार्डों में सी.सी. रोड एवं बी.टी. रोड निर्माण कार्य, 01 करोड़ 67 लाख 72 हजार रूपए की लागत से नगर पालिका कुम्हारी क्षेत्रातंर्गत विभिन्न वार्डों में आर.सी.सी. नाली निर्माण कार्य, 01 करोड़ 16 लाख 14 हजार रूपए की लागत से नगर पालिका कुम्हारी क्षेत्रातंर्गत पेवर ब्लाक, चबूतरा, शेड, सामुदायिक भवन निर्माण कार्य का लोकार्पण तथा 04 करोड़ 65 लाख 84 हजार रूपए की लागत से स्वर्गीय श्रीमती बिन्देश्वरी बघेल शासकीय महाविद्यालय भवन का भूमिपूजन शामिल है। उन्होंने महाविद्यालय भवन बाउण्ड्रीवॉल हेतु 30 लाख रूपए की घोषणा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद श्री विजय बघेल ने की।
समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव ने कहा कि आज नगर पालिका कुम्हारी के अंतर्गत 11 करोड़ 64 लाख रुपए लागत के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण किया गया है। साथ ही 04 करोड़ 65 लाख लागत के स्वर्गीय श्रीमती बिन्देश्वरी बघेल शासकीय महाविद्यालय भवन का भूमिपूजन भी संपन्न हुआ है। उन्होंने भूमिपूजन का महत्व बताते हुए कहा कि भूमिपूजन के माध्यम से हम धरती माता से क्षमा याचना करते हैं। निर्माण कार्य के दौरान अनेकों जीव-जन्तु मारे जाते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए भूमिपूजन किया जाता है।
इसके अलावा स्थान छोड़कर जाने वाले जीव-जन्तु के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि धरती का भार शेषनाग ने उठाया है, इसके लिए भी हम प्रार्थना करते हैं। साथ ही भवन का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुरूप हो, इसके लिए भी भूमिपूजन के माध्यम से कामना की जाती है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय परिवार के लिए यह खुशी की बात है कि आज स्वयं के भवन का निर्माण होने जा रहा है। प्रदेश सरकार विद्यार्थियों का भविष्य गढ़ने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर रही है। श्री साव ने उम्मीद जताई कि महाविद्यालय भवन निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण होगा और विद्यार्थियों को नये भवन में विद्या अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने सांसद श्री विजय बघेल एवं महाविद्यालय की प्राचार्य की मांग का जिक्र करते हुए महाविद्यालय भवन के बाउण्ड्रीवॉल निर्माण कार्य के लिए 30 लाख रूपए की घोषणा किया।
रायपुर :
राज्यपाल श्री रमेन डेका और राज्य की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी ने आज महाकालीबाड़ी विश्वनाथ मंदिर पंडरी रायपुर में माता जगतधात्री की पूजा-अर्चना कर आर्शीवाद लिया और प्रदेश के सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की ।
इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री दिप्तेश चटर्जी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर :
छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं के एक दल ने भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। इस दल ने हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी (मनाली) में स्थित 5,340 मीटर ऊँची जगतसुख पीक पर एक नया आल्पाइन रूट खोला, जिसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में “विष्णु देव रूट” नाम दिया गया है। टीम ने यह चढ़ाई बेस कैंप से केवल 12 घंटे में पूरी की — वह भी आल्पाइन शैली में, जो तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन मानी जाती है।
यह ऐतिहासिक अभियान सितंबर 2025 में आयोजित हुआ, जिसका आयोजन जशपुर प्रशासन ने पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से किया। इस अभियान को हीरा ग्रुप सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग प्राप्त हुआ।
यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस दल के पाँचों पर्वतारोही पहली बार हिमालय की ऊँचाइयों तक पहुँचे थे। सभी ने “देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया” में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो जशपुर प्रशासन द्वारा विकसित भारत का पहला प्राकृतिक एडवेंचर खेलों के लिए समर्पित प्रशिक्षण क्षेत्र है। विश्वस्तरीय मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जोड़ा, जिनमें बिलासपुर के पर्वतारोही एवं मार्गदर्शक स्वप्निल राचेलवार, न्यूयॉर्क (USA) के रॉक क्लाइम्बिंग कोच डेव गेट्स, और रनर्स XP के निदेशक सागर दुबे शामिल रहे। इन तीनों ने मिलकर तकनीकी, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से युवाओं को तैयार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया। दो महीनों की कठोर तैयारी और बारह दिनों के अभ्यास पर्वतारोहण के बाद टीम ने यह चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पूरी की।
अभियान प्रमुख स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि जगतसुख पीक का यह मार्ग नए पर्वतारोहियों के लिए अत्यंत कठिन और तकनीकी था। मौसम चुनौतीपूर्ण था, दृश्यता सीमित थी और ग्लेशियरों में छिपी दरारें बार-बार बाधा बन रही थीं। इसके बावजूद टीम ने बिना फिक्स रोप या सपोर्ट स्टाफ के यह चढ़ाई पूरी की — यही असली आल्पाइन शैली है। यह अभियान व्यावसायिक पर्वतारोहण से अलग था, जहाँ पहले से तय मार्ग और सहायक दल पर निर्भरता होती है; इस दल ने पूरी तरह आत्मनिर्भर रहते हुए नई मिसाल कायम की।
अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली। स्पेन के प्रसिद्ध पर्वतारोही टोती वेल्स, जो इस अभियान की तकनीकी कोर टीम का हिस्सा थे और स्पेन के पूर्व वर्ल्ड कप कोच रह चुके हैं, ने कहा कि “इन युवाओं ने, जिन्होंने जीवन में कभी बर्फ नहीं देखी थी, हिमालय में नया मार्ग खोला है। यह साबित करता है कि सही प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर ये पर्वतारोही विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।”
“विष्णु देव रूट” के अलावा दल ने दूहंगन घाटी में सात नई क्लाइम्बिंग रूट्स भी खोले। इनमें सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही एक अनक्लाइम्ब्ड (पहले कभी न चढ़ी गई) 5,350 मीटर ऊँची चोटी की सफल चढ़ाई, जिसे टीम ने ‘छुपा रुस्तम पीक’ नाम दिया। इस पर चढ़ाई के मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)’ नाम दिया गया — जो हल्दी का वैज्ञानिक नाम है और भारतीय परंपरा में सहनशक्ति और उपचार का प्रतीक माना जाता है।
रायपुर :
छत्तीसगढ राज्य स्थापना के समय 16 जिलों में से 09 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 04 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालय संचालित है। वर्तमान में राज्य के समस्त 33 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 10 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा तथा वर्ष 2008 से रायपुर में इंडस्ट्रीयल हाईजिन लैब का राज्य स्तरीय कार्यालय प्रारंभ किया गया है। राज्य स्थापना के बाद से वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल तथा वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल का गठन किया गया है। उक्त मण्डलों में श्रमिकों के पंजीयन, नवीनीकरण तथा विभिन्न योजनाओं में आवेदन विभागीय पोर्टल/श्रमेव जयते मोबाईल ऐप के माध्यम से ऑनलाईन करने की सुविधा दी गयी है तथा विभिन्न योजनाओं में डी०बी०टी के माध्यम से श्रमिकों को लाभान्वित किया जा रहा है।
रायपुर :
छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के रजत महोत्सव में देश एवं प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। एक नवम्बर से 5 नवम्बर तक मुख्यमंच के अलावा शिल्पग्राम मंच पर भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। राज्योत्सव में इस बार छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय कलाकारों के साथ ही देश के जाने-माने कलाकार, श्री हंशराज रघुवंशी, श्री आदित्य नारायण, श्री अंकित तिवारी, श्री कैलाश खेर, सुश्री भूमि त्रिवेदी अपनी शानदार प्रस्तुति देंगे।
राज्योत्सव के शुभारंभ अवसर पर नवा रायपुर के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाणिज्य एवं व्यापार परिसर में बनाये गए मुख्यमंच से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत सुबह 11 बजे सुश्री ऐश्वर्या पंडित के गायन से होगी। इसके बाद श्री पीसी लाल यादव, सुश्री आरू साहू, श्री दुष्यंत हरमुख, श्रीमती निर्मला ठाकुर तथा शाम 8 बजे राष्ट्रीय कलाकार श्री हंशराज रघुवंशी की प्रस्तुति होगी। इसी प्रकार 2 नवम्बर को सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री आदित्य नारायण प्रमुख आकर्षण के केन्द्र होंगे। उनके द्वारा गीतों की प्रस्तुति रात्रि 9 बजे से दी जाएगी। इस दिन सांस्कृति कार्यक्रमों की शुरूआत शाम 6.30 बजे से होगी। सबसे पहले श्री सुनील तिवारी, सुश्री जयश्री नायर चिन्हारी द गर्ल बैंड, पद्मश्री डोमार सिंह कंवर नाचा दल का कार्यक्रम होगा।
इसी प्रकार 3 नवम्बर को पार्श्व गायिका सुश्री भूमि त्रिवेदी रात्रि 9 बजे से प्रस्तुति देंगी। इस दिन सांस्कृति संध्या में शाम 6 बजे से पद्मश्री उषा बारले पण्डवानी, श्री राकेश शर्मा सूफी-भजन गायन, श्री कुलेश्वर ताम्रकार लोकमंच की प्रस्तुति होगी तथा 4 नवम्बर को रात्रि 9 बजे पार्श्व गायक श्री अंकित तिवारी प्रस्तुति देंगे। इस दिन शाम 6 बजे कला केन्द्र रायपुर बैण्ड, श्रीमती रेखा देवार की लोकगीत, श्री प्रकाश अवस्थी की प्रस्तुति होगी। इसी प्रकार 5 नवम्बर को रात्रि 9 बजे पार्श्व गायक श्री कैलाश खेर अपनी प्रस्तुति देंगे। सांस्कृतिक संध्या में शाम 6 बजे से श्रीमती पूनम विराट तिवारी, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का कार्यक्रम होगा।
शिल्पग्राम मंच की प्रस्तुतियां-
शिल्पग्राम मंच में 1 नवम्बर को श्री मोहम्मद अनस पियानो वादन, श्रीमती बासंती वैष्णव द्वारा कत्थक, सुश्री रमादत्त जोशी और श्रीमती सोनाली सेन का गायन, सुश्री स्वीटी पगारिया कत्थक, श्री मंगलूराम यादव की बांसगीत, सुश्री चारूलता देशमुख भारत नाट्य, श्री दुष्यंत द्विवेदी की पण्डवानी, श्री लोकेश साहू की भजन, श्रीमती बॉबी मंडल की लोक संगीत तथा श्री चन्द्रभूषण वर्मा लोकमंच की प्रस्तुति होगी।
2 नवम्बर को श्रीमती रेखा जलक्षत्रीय की भरथरी, श्री ईकबाल ओबेराय की म्यूजिक ग्रुप, श्री बसंतबीर उपाध्याय मानस बैंड, संश्री दीपाली पाण्डेय की कत्थक, श्री लिलेश्वर सिंहा की लोक संगीत, सुश्री अंविता विश्वकर्मा भारतनाट्यम, सुश्री आशिका सिंघल कत्थक, श्री प्रांजल राजपूत भरथरी, सुश्री प्रसिद्धि सिंहा कत्थक, श्री जीवनदास मानिकपुरी लोकमंच एवं श्री जितेन्द्र कुमार साहू सोनहा बादर की प्रस्तुति होगी।
3 नवम्बर को श्री सुरेश ठाकुर भजन, डॉ. आरती सिंह कत्थक, श्रीमती राखी राय भरतनाट्यम, श्री पुसउराम बंजारे पण्डवानी, सुश्री इशिका गिरी कत्थक, श्री गिरवर सिंह ध्रुव भंुजिया नृत्य, सुश्री राधिका शर्मा कत्थक, श्रीमती शांतिबाई चेलक पण्डवानी, श्री दुष्यंतकुमार दुबे सुआ नृत्य, श्रीमती गंगाबाई मानिकपुरी पण्डवानी, सुश्री संगीता कापसे शास्त्रीय नृत्य, श्री महेन्द्र चौहान की चौहान एव बैंड तथा श्री घनश्याम महानंद फ्यूजन बैंड की प्रस्तुति होगी।
4 नवम्बर को सुश्री भुमिसूता मिश्रा ओडिसी, श्री चैतुराम तारक नाचा दल, सुश्री आशना दिल्लीवार कत्थक, सुश्री पुष्पा साहू लोक संगीत, श्री महेन्द्र चौहान पण्डवानी, सुश्री प्रिति गोस्वामी कत्थक, सुश्री पृथा मिश्रा शास्त्रीय गायन, श्री महेश साहू लोकमंच, श्री विजय चंद्राकर लोक संगीत तथा श्री तिलक राजा साहू लोकधारा की प्रस्तुति होगी।
5 नवम्बर को सुश्री दुर्गा साहू पण्डवानी, सुश्री डाली थरवानी कत्थक, श्री संजय नारंग लोकसंगती, सुश्री सारिका शर्मा कत्थक, सुश्री महेश्वरी सिंहा लोकमंच, श्री चंद्रशेखर चकोर की लोक नाट्य, श्री नीतिन अग्रवाल लोकसंगीत, श्री द्वारिकाप्रसाद साहू की डंडा नृत्य, सुश्री महुआ मजुमदार की लोकसंगीत तथा श्री नरेन्द्र जलक्षत्रीय लोकसंगीत की प्रस्तुति देंगे।