ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
नई दिल्ली । नोएडा में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले युवक से बरामद 105 वायल कोर्ट के आदेश पर अब जरूरतमंदों को मिलेंगी। हालांकि, वितरण से पहले उनकी सत्यता की जांच ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स संस्थान करेगा। एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि सेक्टर 20 थाना क्षेत्र पुलिस ने मंगलवार को आरोपी रचित को रेमडेसिविर की 105 वायल के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने गुरुवार को न्यायालय में अर्जी लगाई गई थी कि यह इंजेक्शन जीवनरक्षक औषधि है, जिसका वितरण जरूरतमंदों के बीच कराया जाए। इस पर कोर्ट ने जिम्स को निर्देशित किया है कि वह इंजेक्शन की जांच करने के बाद इसका वितरण जरूरतमंदों के बीच करा दें, तब तक इन इंजेक्शनों को मानकों के अनुसार सुरक्षित वातावरण में रखा जाए। पुलिस ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, महामारी रोग अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी में शामिल रचित घई और उसके पूरे गिरोह पर एनएसए लगाया जाएगा। जांच में पता चला है कि इंजेक्शन चंडीगढ़ के पास पिंजौर से लाए गए थे, इन्हें उपलब्ध कराने वाले सप्लायर को भी शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा। इससे पांच वायल बांग्लादेश वाली भी मिली हैं, जिन्हें दोगुनी कीमत पर बेच रहे थे। इंडियन वायल 40 हजार तक में बेची जा रही थी। वहीं बांग्लादेश की वायल 80 हजार से एक लाख रुपये तक में बेच रहा था। आरोपी ने पुलिस को बताया था कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से कोविड-19 से संक्रमित लोगों से संपर्क करता था तथा उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन 15 से 40 हजार रुपये तक में बेचता था।
हरिद्वार. योग गुरु बाबा रामदेव (Yoga Guru Baba Ramdev) ने पतंजलि योगपीठ के मुख्य परिसर के अंदर कोरोना वायरस (Corona Virus) मामलों की जानकारी को गलत बताया है. रामदेव ने कहा है कि आईपीडी में आए नए मरीज और आचार्यकुलम में आए नए छात्रों को प्रोटोकॉल के अनुसार कोविड-19 के लिए परीक्षण किया गया था. इसमें से 14 आगंतुकों सकारात्मक पाए गए. उन्होंने कहा कि इन मरीजों को मुख्य परिसर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी. इन लोगों को मुख्य कैंपस के बाहर ही रोक दिया गया था और उनके इलाज की व्यवस्था की गई.
रामदेव ने ट्वीट कर कहा- "पतंजलि में कोई भी व्यक्ति कोरोनोवायरस से संक्रमित नहीं है. जो नए मरीज आईपीडी में आए और नए छात्र जो आचार्यकुलम में प्रवेश के लिए आए थे, हमने उन्हें सीओवीआईडी प्रोटोकॉल के एसओपी के तहत परीक्षण कराया. केवल 14 आगंतुक सकारात्मक थे और उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं थी. इसके अलावा, सभी रिपोर्ट अफवाहें और झूठ हैं. मैं नियमित रूप से रोजाना सुबह 5 से 10 बजे तक योग और स्वास्थ्य के लाइव कार्यक्रम कर रहा हूं."
हरिद्वार में मिले 1115 नए संक्रमित
बता दें कि शुक्रवार को देहरादून में ही 1605 कोरोना संक्रमित मरीज मिले. जबकि हरिद्वार में 1115 नए केस मिले हैं. आज दिन में ही हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ में 83 लोगों के कोरोना संक्रमित होने की खबर आई थी. इन सभी संक्रमितों को आइसोलेट कर दिया गया है. इस बीच बताया जा रहा है कि बाबा रामदेव का भी कोरोना टेस्ट किया जा सकता है. पतंजलि योगपीठ में मौजूद बाकी लोगों की भी कोरोना जांच की जा रही है.
नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन हो या अन्य कोई भी परेशानी दिल्ली पुलिस हर तरीके से मोर्चा संभाले हुए है। ऐसे में कोविड-19 की इस दूसरी लहर के बीच अब तक 1500 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल है। अब तक कुछ पुलिसकर्मियों की जान भी जा चुकी है। गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव खुद पुलिसकर्मियों को सावधानी बरतने की के टिप्स भी दे चुके हैं। इसके अलावा एहतियात के तौर पर श्रीवास्तव ने 58 वर्ष से ज्यादा उम्र के पुलिसकर्मियों को फील्ड में तैनात न किए जाने का आदेश भी जारी कर दिया है। ये कदम इसलिए उठाया गया है कि उन लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सका।
नई दिल्ली जस्टिस एनवी रमना ने देश के 48वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस रमना ने CJI एसए बोबडे की जगह ली है। जस्टिस बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो गए। बोबडे ने ही जस्टिस रमना के नाम का प्रस्तावित राष्ट्रपति को भेजा था।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले ऐसे जज जो CJI बने
जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले ऐसे जज हैं, जो CJI बने हैं। जस्टिस रमना 26 अगस्त 2022 को रिटायर होंगे। यानी उनका कार्यकाल दो साल से कम बचा है। नवंबर 2019 में जस्टिस बोबडे ने 47वें सीजेआई के रूप में शपथ ली थी। जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस बोबडे को CJI बनाया गया था।
1983 में जस्टिस रमना ने वकालत की शुरुआत की
जस्टिस रमना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नवरम गांव में हुआ था। 10 फरवरी 1983 को उन्होंने वकालत की शुरुआत की। 27 जून 2000 को वे आंध्रप्रदेश के हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त हुए। जस्टिस रमना को फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10 फरवरी 1983 को वकालत के साथ करियर की शुरुआत की थी।
इन तीन ऐतिहासिक फैसलों में रहे जस्टिस रमना
जस्टिस रमना ने 10 जनवरी 2020 को जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट के निलंबन पर तत्काल समीक्षा करने का फैसला सुनाया था।
वे उस ऐतिहासिक बेंच में भी शामिल थे, जिसने 13 नवंबर 2019 को CJI के ऑफिस को RTI के दायरे में लाने का फैसला दिया था।
जस्टिस रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने जनवरी 2021 में फैसला दिया कि किसी घरेलू महिला के काम का मूल्य उसके ऑफिस जाने वाले पति से कम नहीं है।
नई दिल्ली। दिल्ली के कई अस्पतालों में अब भी ऑक्सीजन की भारी किल्लत बनी हुई है। गंभीर रूप से पीड़ित कोरोना के मरीजों को ऑक्सीजन की कमी के चलते राजधानी के किसी भी अस्पताल में जगह नहीं मिल पा रही है। ऐसे में लोगों के बीच खौफ और भय का माहौल है। दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में शुक्रवार रात 20 मरीजों की मौत हो गई। अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी अब भी बरकरार है और 200 से अधिक मरीजों की सांसों पर संकट बना हुआ है। यहां शाम 5 बजे ऑक्सीजन सप्लाई आनी थी, लेकिन रात 12 बजे ऑक्सीजन मिली और वो भी आधी। अस्पताल में अभी आधे घंटे की ऑक्सीजन बची है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि मरने वाले सभी 20 मरीज ऑक्सीजन पर थे, ऑक्सीजन न होने से हमें फ्लों कम करना पड़ा था। मैं ये नहीं कह रहा कि ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई हैं, लेकिन एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है। ऑक्सीजन संकट का ऐसा ही हाल शनिवार को बत्रा अस्पताल में भी देखने को मिला, स्टॉक खत्म होने से मरीजों की सांस पर बन आई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन की तरफ से की गई SOS कॉल के बाद ऑक्सीजन खत्म होने से ठीक पहले ही यहां पर 500 लीटर ऑक्सीजन की आपूर्ति कर दी गई। बत्रा अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डाॅ.एस.सी.एल. गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने हमें ऑक्सीजन टैंकर मुहैया कराया है। हमारे पास हमारे सभी रोगियों के लिए एक से डेढ़ घंटे की ऑक्सीजन है। हमें एक दिन में 8,000 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। हमें 12 घंटे हाथ जोड़ने के बाद 500 लीटर ऑक्सीजन मिली है, अगला 500 लीटर कब मिलेगा पता नहीं? अस्पताल में 350 मरीज हैं और 48 मरीज ICU में हैं।वहीं, दिल्ली के सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के कोविड प्रभारी ने शनिवार को बताया कि हम ऑक्सीजन की कमी के कारण नए मरीजों को भर्ती करना बंद कर रहे हैं। हम अपने अस्पताल से भी मरीजों को छुट्टी दे रहे हैं।
गंगाराम अस्पताल में 25 मरीजों की मौत
बता दें कि, गुरुवार रात दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भी गंभीर रूप से बीमार 25 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी, जबकि कई और मरीजों की जिंदगी ऑक्सीजन की कमी के कारण संकट में पड़ गई थी। सूत्रों ने बताया कि शहर के बड़े और प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक में हुई इस घटना के पीछे संभावित वजह कम दबाव वाली ऑक्सीजन हो सकती है। अस्पताल ने शुक्रवार सुबह आठ बजे के करीब मौतों की घोषणा की थी। गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी.एस. राणा ने कहा कि यह कहना गलत है कि मौतें ऑक्सीजन की कमी से हुई। हमने गैर मशीनी तरीकों से मरीजों को ऑक्सीजन दी जब आईसीयू में दबाव घट गया था।
ऑक्सीजन के लिए अस्पताल नोडल अधिकारियों से संपर्क करें : हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राजधानी के सभी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे ऑक्सीजन की जरूरतों के लिए केन्द्र सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारियों से संपर्क करें। केन्द्र सरकार की ओर से ऑक्सीजन सुनिश्चित करने के लिए एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाने के बारे में कोर्ट को सूचित किए जाने के बाद यह फैसला आया है। कोर्ट कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति किए जाने में अदालत के हस्तक्षेप के आग्रह की ब्रैम हेल्थकेयर और बत्रा अस्पताल की ओर से दाखिल याचिका पर सुनावाई कर रहा था। पिछले कुछ दिनों में सांस में तकलीफ वाले कोरोना मरीजों की अचानक हुई वृद्धि के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था चरमरा गई और मेडिकल ऑक्सीजन का मामला विवादों में घिर गया। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए गुरुवार को हुई बैठक की जानकारी दी, जिसमें मोदी ने राज्यों को कोरोना से जंग में एकजुट होने, दवा तथा ऑक्सीजन की मुफ्त ढुलाई में हस्तक्षेप करने से बचने को कहा। सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि ऑक्सीजन की ढुलाई में हम अर्द्धसैनिक बलों को नहीं लगा सकते। संवैधानिक रुप से ऐसा नहीं किया जा सकता। राज्य पुलिसऔर केन्द्रीय बलों में टकराव हो सकता है। इस मामले को सुलझाने के लिए ब्यूरोक्रेसी स्तर पर प्रबंध किया गया है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ऐसे टेलीफोन नंबर जारी करके का सुझाव दिया जिस पर कोविड-19 अस्पताल सरकार से सीधे संपर्क कर सकें। कोर्ट ने नोडल अधिकारियों पर भार काम करने के लिए अन्य अधिकारी भी नियुक्त किए जाने की सलाह दी।
मुंबई महाराष्ट्र के विरार वेस्ट में स्थित विजय वल्लभ हॉस्पिटल के सेकंड फ्लोर पर बने ICU में लगे AC में शुक्रवार तड़के करीब 3.30 बजे धमाका होता है। इससे निकलने वाली चिंगारी ICU में गिरती है और थोड़ी देर बाद पूरे वार्ड में आग फैल जाती है। मरीजों के परिजनों का आरोप है कि आग लगने के दौरान ICU में न नर्स थी और न ही कोई डॉक्टर। जब तक उन्हें इसकी जानकारी हुई, पूरे वार्ड में धुंआ फैल गया था। हादसे के वक्त ICU में 15 मरीज वेंटिलेटर पर थे, जिनमें से 14 की मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया- ICU में फायर स्प्रिंकलर तक नहीं था
एक चश्मदीद अविनाश पाटिल ने बताया कि ICU में एडमिट एक मरीज का 3 से 4 लाख तक का बिल बनता है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता। यहां पर फायर सेफ्टी उपकरण भी नहीं थे। अगर ICU में फायर स्प्रिंकलर होता तो आग पर तुरंत काबू पा लिया जाता और इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
नर्सें बाहर तमाशा देख रही थीं, अंदर 9 मरीजों की मौत हो चुकी थी
अविनाश ने बताया कि आग लगने के बाद ICU के बाहर सिर्फ 3 नर्सें मौजूद थीं और कोई भी डॉक्टर नहीं था। नर्सें खड़ी होकर तमाशा देख रही थीं। अविनाश आगे बताते हैं, 'कुछ देर बाद फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और आग बुझाना शुरू किया। 4 बजे के आसपास धुंआ थोड़ा कम हुआ तो मैं कुछ दूसरे लोगों के साथ सिर नीचे कर किसी तरह अंदर घुसा। अंदर जाकर देखा कि 9 लोग बेड पर दम तोड़ चुके थे और जो तड़प रहे थे, उन्हें किसी तरह हमने मिलकर बाहर निकाला। उनमें से भी कई ने 5 बजे के आसपास दम तोड़ दिया। जो बचे हैं उनकी भी हालत गंभीर बनी हुई है। उनका भी बचना मुश्किल लग रहा था।'
अविनाश ने आगे बताया, 'मुझे मेरे दोस्त ने रात सवा 3 बजे फोन कर हॉस्पिटल जाने के लिए कहा। मैं कुछ ही देर में यहां पहुंच गया और दौड़कर हॉस्पिटल के सेकंड फ्लोर पर बने ICU के बाहर पहुंचा। ICU का दरवाजा खुला था, लेकिन उसके अंदर से धुंआ निकल रहा था। मैंने अंदर घुसने की कोशिश की, लेकिन धुएं की वजह से तुरंत अंदर जाना संभव नहीं हो पाया।'
महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों पर फिर कहर:विरार के कोविड सेंटर में आग लगी, ICU में भर्ती 15 में से 14 मरीजों की मौत
आग लगने के बाद 21 मरीजों को तुरंत दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। ये ऐसे मरीज हैं जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
हॉस्पिटल के बाहर लोगों की भीड़ और हंगामे को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस तैनात कर की गई है।
4 मरीजों के बाहर निकालने के बाद आग की जानकारी मिली
पालघर के जिलाधिकारी मानिक राव ने बताया कि ICU में कुल 16-17 मरीज थे। जिसमें से 4 आग लगने के बाद खुद ही बाहर निकल आए। उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। सभी की हालत स्थिर है और दूसरे नॉन ICU पेशेंट भी ठीक हैं। धीरे-धीरे सभी को दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया जा रहा है।
आग लगने के बाद कई मरीजों को हॉस्पिटल के वेटिंग रूप में बैठा दिया गया। उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट होने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
आग लगने के बाद कई मरीजों को हॉस्पिटल के वेटिंग रूप में बैठा दिया गया। उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट होने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
मृतकों में ये शामिल
1. उमा सुरेश कंगुटकर
2. निलेश भोईर
3. पुखराज वल्लभदास वैष्णव
4. रजनी आर कद्दू
5. नरेंद्र शंकर शिंदे
6. जनार्दन मोरेश्वर
7. कुमार किशोर किशोर दोशी
8. रमेश टी उपायन
9. प्रवीण शिवलाल गोदा
10. अमे राजेश राउत
11. रामा अन्ना म्हारे
12. सुवर्णा एस
13. सुप्रिया देशराज देशमुख
हादसे में अपने एक करीबी रिश्तेदार को खोने वाली सुमन बिलखते हुए कहती हैं, 'हॉस्पिटल में लिफ्ट दो दिन से काम नहीं कर रही थी। वार्ड में आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं था। आग लगने के बाद मरीजों को बाहर निकालने की जगह सब बाहर खड़े होकर तमाश देख रहे थे। किसी को हमारी नहीं पड़ी है, सब सिर्फ पैसे बना रहे हैं।'
मुंबई | कोरोना की तबाही से जूझ रहे महाराष्ट्र में आज यानी शुक्रवार को एक और बड़ा हादसा हो गया। महाराष्ट्र के पालघर जिले में विरार के विजय वल्लभ कोविड अस्पताल में आग लग गई, जिसमें 13 मरीजों की मौत हो गई। समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुलिस के हवाले से यह जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि विरार के इस विजय वल्लभ कोविड केयर अस्पताल में यह आग शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगी है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि अस्पताल के आईसीयू में सुबह करीब तीन बजे यह आग लगी। फिलहाल, कई मरीजों को अस्पताल से रेस्क्यू किया गया है। इस अस्पताल में 16 मरीजों का इलाज चल रहा था। फिलहाल, मौके पर पुलिस से लेकर दमकलकर्मियों की टीम मौजूद है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
वहीं, डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर कंट्रोल सेल के प्रमुख विवेकानंद कदम ने पीटीआई को बताया कि आईसीयू के एसी यूनिट में एक धमाके की वजह से आग लगी। वसाई विरार नगर निगम के फायर फाइटरों ने एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया।
इससे दो दिन पहले महाराष्ट्र के नासिक में एक अस्पताल में भंडारण संयंत्र से लीकेज के बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाने की घटना में 24 मरीजों की मौत हो गई थी। दिन में टैंक में रिसाव से आपूर्ति बंद हो जाने के कारण उन्हें उचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल सकी। महाराष्ट्र के नासिक में नगर निगम द्वारा संचालित डॉ जाकिर हुसैन अस्ताल में भंडारण संयंत्र से लीकेज के बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाने से कम से कम 22 मरीजों की मृत्यु हो गई। अस्पताल में कुल 150 मरीज थे।
अस्पताल में ऑक्सीजन के रिसाव और आपूर्ति में व्यवधान के कारण 24 कोविड मरीजों की मौत के मामले में सात सदस्यीय समिति से जांच कराने की घोषणा की है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि समिति का नेतृत्व नासिक के संभागीय आयुक्त राधाकृष्ण गामे करेंगे। उन्होंने कहा कि समिति मौजूदा सुरक्षा मानदंडों को अद्यतन बनाने के संबंध में भी सिफारिशें देगी। मंत्री ने कहा, अगर कोई इन मौतों के लिए जिम्मेदार है, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा
मेरठ। संतोष हॉस्पिटल के बाद मेरठ मेडिकल कॉलेज में भी ऑक्सीजन के कारण मरीजों की जान पर बन आई। हालांकि मोदीनगर से मेरठ तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 20 मिनट में व्यवस्था कराई गई, तब जाकर ऑक्सीजन के साथ टीम मेडिकल पहुंची। अधिकारियों के अनुसार मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में दो कंपनियों की ओर से ऑक्सीजन की सप्लाई होती है। मेडिकल इमरजेंसी में 75 से 80 मरीजों का इलाज हो रहा है। 68 मरीजों को ऑक्सीजन भी दी जा रही है।
लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई मरीजों को होती है। बुधवार से मेडिकल इमरजेंसी में ऑक्सीजन की दिक्कत हो रही है। बुधवार को भी रात में ऑक्सीजन की सप्लाई थोड़ी देर के लिए बाधित हुई तो अफरातफरी मच गई। गुरुवार को भी मेडिकल इमरजेंसी में ऐसी ही स्थिति हुई। शाम में अचानक ऑक्सीजन की सप्लाई डाउन हो गई।
एक टैंकर सिलेंडर तो पहुंच गया, लेकिन उस टैंकर से संबंधित महत्वपूर्ण एक उपकरण नहीं था। इस कारण इमरजेंसी में टैंकर से सप्लाई लाइन नहीं जोड़ी जा सकी। यह सूचना जैसे ही मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार और एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी को मिली तो सभी थोड़ी देर के लिए सकते में आ गए। एडीएम सिटी ने एसपी सिटी, एसपी ट्रैफिक और अन्य अधिकारियों से वार्ता की।
तब तक आक्सीजन कंपनी की टीम मोदीनगर से निकल गई। परतापुर पुलिस, ट्रैफिक इंस्पेक्टर सुधीर शर्मा और एसीएम संदीप श्रीवास्तव को परतापुर से मेडिकल के बीच ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के तहत सारी व्यवस्था करने को कहा गया। ऑक्सीजन कंपनी की टीम को परतापुर से परतापुर पुलिस लेकर शाप्रिक्स मॉल तक पहुंची। वहां से ट्रैफिक इंस्पेक्टर, एसीएम और एक पुलिस गाड़ी सारा रास्ता साफ करते हुए मेडिकल पहुंचा। एडीएम सिटी और मेडिकल प्राचार्य आपातकालीन व्यवस्था की तैयारी में जुटे रहे। 20 मिनट में टीम मोदीनगर से मेडिकल पहुंच गई। टैंकर से ऑक्सीजन की सप्लाई को कनेक्ट किया जा सका। मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई चालू हो सकी।
एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी ने बताया कि मेडिकल इमरजेंसी में ऑक्सीजन को लेकर थोड़ी दिक्कत हो गई, लेकिन पुलिस, प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस ने मोदीनगर से मेडिकल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर व्यवस्था कराई गई। मरीजों को दिक्कत नहीं होने दी गई। थोड़ी देर के लिए अफरातफरी रही।
नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार और तेज हो गई है. देश में पिछले 24 घंटे में महामारी के 3.14 लाख केस सामने आए हैं. जो दुनिया में एक दिन में किसी एक देश में आए ये सबसे अधिक नए केस हैं. इस दौरान 2,102 मरीजो की मौत भी हो गई है.संक्रमण के इस तूफान ने देश के सामने एक गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में कहा है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश को किसी तूफान की तरह प्रभावित किया है. देश में 4 अप्रैल को कोविड के लगभग एक लाख नए केस सामने आए थे. इसके ठीक 17वें दिन यानी बुधवार को महामारी के 3 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए. इस अवधि के दौरान कोरोना के मामलों में 6.76% रोजाना की वृद्धि हुई है. अगर अमेरिका के रोजाना केस से इस वृद्धि की तुलना की जाए तो यह उससे चार गुना अधिक तेज है.
कैसे इतने ज्यादा बिगड़ गए हालात?
बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में संक्रमण के मामले अपने चरम पर थे. उसके बाद कोरोना के मामलों में लगातार गिरावट आने लगी जो लगभग 30 हफ्तों पर जारी रही. इसके बाद इस साल फरवरी के मध्य से फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे.विशेषज्ञों और अधिकारियों का मानना है कि लोगों की लापरवाही के कारण दोबारा महामारी के मामले बढ़े. लोगों को लगा कि संक्रमण दोबारा वापसी नहीं करेगा. विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि भारत अपने हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और आक्रामक रूप से टीकाकरण के अवसर को भुनाने में विफल रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में बॉयोस्टैटिस्टिक्स और महामारी रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी ने एपी से बातचीत में बताया, 'हम सफलता के बहुत करीब थे'.ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर निकोलाई पेत्रोव्स्की ने कहा कि लोगों ने सोचना शुरू कर दिया कि वे महामारी से बच गए हैं. खासतौर पर तब जब इस देश ने महामारी की पहली लहर के दौरान इतनी मेहनत नहीं की थी, जितनी हर कोई कर रहा था. उन्होंने कहा, 'अब, निश्चित रूप से, हम एक बड़ी समस्या से घिर गए हैं और यह बात जानते हैं कि यह विनाशकारी साबित हो सकती है.' उन्होंने कहा कि देश में सभी सर्वोत्तम संसाधनों का उपयोग करके भी रातोंरात 1.2 बिलियन टीकाकरण नहीं किया जा सकता.केरल स्थित राजगिरी कॉलेज ऑफ सोशल साइंस के प्रोफेसर रिजो एम जॉन ने कोरोना के बढ़ते केस के लिए राजनेताओं के गैरजिम्मेदाराना बयान को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर के केस कम होने लगे और वह अपने निचले स्तर पर पहुंच गए. तब कुछ नेताओं के बयानों ने लोगों को गुमराह किया. उन्हें यह एहसास कराया कि वह इस खतरे से बाहर हैं. उन्हें यह बताया गया कि भारत ने कोविड को हरा दिया था, जिसके बाद लोग लापरवाह होने लगे.
नई दिल्ली | कोरोना कहर के बीच दिल्ली में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार है। इस बीच दिल्ली में एक और दर्दनाक हादसा सामने आया है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से पिछले 24 घंटे में 25 मरीजों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि अस्पताल के पास अब महज दो घंटे की ही ऑक्सीजन बची है और करीब 65 मरीजों की जान पर खतरे में है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ने बताया कि अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 25 बीमार मरीजों की मौत हो गई है। अस्पताल में ऑक्सीजन बस दो घंटे और चलेगी। वेंटिलेटर और Bipap प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। ऑक्सीजन की तत्काल आवश्यकता है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से 60 अन्य बीमार मरीजों की जान जोखिम में है।
दिल्ली में सर गंगा राम अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ने आगे कहा कि आईसीयू और आपात-चिकित्सा विभाग में गैर-मशीनी तरीके से वेंटिलेशन बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के बाद कई अस्पतालों ने कोरोना पीड़ित नए मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया है।
सर गंगाराम अस्पताल की तरह ही दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में कुछ ही समय का ऑक्सीजन का स्टॉक बचा है। ऐसे में आईसीयू में बची हुई ऑक्सीजन इस्तेमाल करने और वार्डों में ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए अस्पताल ने नए कोरोना मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया है। इसी तरह रोहिणी स्थित बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में भी ऑक्सीजन की किल्लत के बाद नए मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया गया है। इसी तरह अपोलो, मैक्स, विमहंस जैसे अस्पतालों में भी कुछ समय के लिए नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है।
दानापुर में 18 लोगों से भरी पिकअप गंगा में समाई, 9 शव मिले; 7 की तलाश जारी
SDRF की टीम और JCB की मदद से पिकअप वैन को बाहर निकाला गया।
बिहार में शुक्रवार सुबह दानापुर में पिकअप वैन गंगा नदी में गिर गई। इसमें 18 लोग सवार थे। 9 शव बरामद कर लिए गए हैं, इनमें तीन बच्चे शामिल हैं। 2 लोग तैरकर बाहर आ गए। बाकी 7 की तलाश जारी है। सभी लोग आपस में रिश्तेदार हैं जो दियारा के अखिलपुर में तिलक समारोह में शामिल होकर दानापुर लौट रहे थे। शादी 26 अप्रैल को होनी थी।
बताया जा रहा है कि पिकअप वैन पीपा पुल से गुजर रही थी, तभी यह हादसा हुआ। स्थानीय लोगों ने नाव के सहारे गाड़ी को निकालने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुए। प्रशासन JCB की मदद से गाड़ी को निकालने में जुटा है। डूबे लोगों की तलाश में SDRF की टीम को लगाया गया है।
स्थानीय तैराक भी तलाशी में जुटे
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। SDRF की टीम मौके पर पहुंचती इससे पहले ही स्थानीय तैराकों को पानी में डूबे लोगों की तलाश में लगाया गया।
केंद्र को नोटिस भेजकर 4 मुद्दों पर नेशनल प्लान मांगा, पूछा- कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए अब तक क्या तैयारी की?
कोरोना के बढ़ते मामलों और बिगड़ते हालात को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड और जरूरी दवाओं की किल्लत को देखते हुए नोटिस लिया है और केंद्र सरकार से 4 मुद्दों पर नेशनल प्लान मांगा है। इस मामले में अब 23 अप्रैल को सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि इस वक्त कोरोना और ऑक्सीजन जैसे मुद्दों पर छह अलग-अलग हाईकोर्ट यानी दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, मध्यप्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है। बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस मुद्दे पर नेशनल प्लान बताएं। हाईकोर्ट्स को भी इस बारे में बताएं।’
लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास रहे
चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 4 मुद्दों पर गौर कर रही है- ऑक्सीजन की सप्लाई, जरूरी दवाओं की सप्लाई, वैक्सीनेशन का तरीका, लॉकडाउन लगाने का राज्यों का अधिकार। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास रहे, यह ज्यूडिशियल फैसला नहीं होना चाहिए। फिर भी हम लॉकडाउन लगाने के हाईकोर्ट के न्यायिक अधिकारों पर गौर करेंगे।
नई दिल्ली | भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग को तेज करते हुए केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि 1 मई से देश में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगेगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि 18 से 45 साल के आयु वर्ग के लोगों के लिए वह टीके की आपूर्ति नहीं करेगी। इसका मतलब है कि या तो लोगों को वैक्सीन खुद खरीदना होगा या फिर उनके लिए उनकी राज्य सरकारों को खरीदना होगा। हालांकि, यूपी-बिहार समेत कुछ राज्यों ने ऐलान किया है कि वह फ्री वैक्सीन देगी। तो चलिए जानते हैं कि अगर 18-45 के लोगों के वैक्सीनेशन का खर्च राज्य उठाए तो किस राज्य को कितना खर्च पड़ सकता है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए वैक्सीन की कीमत तय कर दी है। सीरम ने कहा है कि वह प्राइवेट अस्पतालों को जहां 600 रुपए में कोविशील्ड वैक्सीन की एक डोज देगी, वहीं राज्य सरकारों को 400 रुपए में वैक्सीन की एक डोज देगी। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को एक आदमी को वैक्सीन देने में 800 रुपए का खर्च पड़ेगा।
हालांकि, कोवैक्सिन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने अब तक वैक्सीन की कीमतों की घोषणा नहीं की है। साथ ही आने वाले दिनों में भारत को अन्य टीके मिल सकते हैं, जो विदेशों में स्वीकृत किए गए हैं। हालांकि, कोविशील्ड ने जो कीमत तय की है, वह टीकाकरण पर वित्तीय बोझ कितना पड़ेगा, इसका इशारा कर दिया है।
जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट से राज्यों में 18-45 आयु वर्ग के लोगों की अपेक्षित संख्या के आधार पर राज्यों को पड़ने वाले खर्च का अनुमान लगाया जा सकता है। राज्य को इस खास आयु वर्ग के लिए टीकाकरण में कितना खर्च आएगा, इसकी गणना करने के लिए 800 रुपए से 18 से 45 साल के बीच के लोगों की संख्या में गुना करना होगा। इससे कुल खर्च निकल जाएगा, क्योंकि एक आदमी पर राज्य सरकार को 800 रुपए खर्च पड़ेंगे तो उनके यहां 18 से 45 के बीच के लोगों की संख्या कितनी है, उससे गुना करने पर कुल खर्च निकल जाएगा।
इस विश्लेषण से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में 18 से 45 साल की उम्र के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा होने के कारण राज्य सरकार को किसी राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा खर्च करना होगा।वहीं इस मामले में हिमाचल प्रदेश का सबसे कम खर्च करना होगा, क्योंकि वहां पर इस आयु वर्ग के लोगों की संख्या कम है। जहां तक राज्यों द्वारा वैक्सीन की खरीद किए जाने की वजह से राज्य सरकार के बजट पर भार का सवाल है तो इस मामले में बिहार सबसे आगे है। बिहार का बजट का आकार छोटा है और वहां 18-45 आयु वर्ग के लोगों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है। इसलिए राज्य सरकार को अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा वैक्सीन की खरीद पर खर्च करना होगा, जो प्रतिशत के मामले में किसी भी अन्य सरकार की तुलना में ज्यादा होगा। बिहार सरकार को वैक्सीन की खरीद पर बजट का 1.80 फीसदी राशि खर्च करना होगा, वहीं हिमाचल प्रदेश के अपने बजट का केवल 0.54 फीसदी।
अगर देश में 18 से 45 साल के आयु वर्ग के सभी लोगों को राज्य सरकार के द्वारा ही वैक्सीन लगाया जाएगा तो वैक्सीनेशन में कुल खर्च 47565.8 करोड़ होगा, जो कि राज्यों के कुल हेल्थ खर्चे का 26 फीसदी होगा। हालांकि, अगर लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ भी रुख करते हैं तो राज्यों के खर्च में कमी आएगी, क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों से दो डोज लेने में एक आदमी को 1200 रुपए खर्च आएंगे।
कोलकाता । कोरोना कहर के बीच पश्चिम बंगाल में छठे चरण का चुनाव है। पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए छठे चरण के चुनाव में आज यानी गुरुवार को 4 जिलों की 43 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हो रहा है। वोटिंग सुबह सात बजे से शुरू हुई और शाम 6 बजे तक जारी रहेगी। छठे चरण में एक करोड़ से अधिक मतदाता 306 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के छठे चरण में उत्तर 24 परगना (17 सीट), नादिया ( 9 सीट) , उत्तर दिनाजपुर ( 9 सीट) और पूर्ब बर्द्धमान (8 सीट) में वोटिंग होगी। बंगाल भाजपा के उपमहासचिव अर्जुन सिंह ने नॉर्थ 24 परगना के 144 नंबर बूथ पर वोट डाला। इस यहां से उनके बेटे पवन सिंह उम्मीदवार हैं, जिन्होंने भी वोट डाला। पश्चिम बंगाल में 43 सीटों पर आज मतदान जारी है। वोटिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट करते हुए बंगाल के लोगों से (जहां आज वोटिंग है) उनसे अधिक से अधिक मतदान करने की अपील की है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले चरणों में हिंसा को देखते हुए सुरक्षा उपाय सख्त किए गए हैं। चौथे चरण के मतदान में 10 अप्रैल को कूच बिहार में पांच लोगों की मौत हो गई थी। आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए छठे चरण में केंद्रीय बलों की कम से कम 1,071 कंपनियों को तैनात करने का फैसला किया है।