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नासिक. कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट के बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक में बड़ा हादसा हो गया है. यहां स्थित डॉक्टर जाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक लीक हो गया है. हादसे में 22 मरीजों की मौत हो गई है. वहीं, 12 लोगों की हालत गंभीर है. रिपोर्ट्स में बताया गया है कि टैंकर भरने के दौरान यह रिसाव हुआ है. रिसाव होने की वजह से अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन फैल गई थी. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की जांच की मांग की है. राज्य सरकार में मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने जांच के आदेश दिए हैं.

एफडीए मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने कहा कि हम इसकी जांच करेंगे और आने वाले दिनों में ऐसी घटना न हो इसके लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा 'यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. शुरुआती जानकारी से पता चला है कि 11 लोगों की मौत हो गई है. हम एक विस्तृत जांच रिपोर्ट पाने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही हमने जांच के आदेश दे दिए हैं.' मंत्री ने कहा 'जो भी जिम्मेदार होगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा.'

टैंक में से हुए रिसाव के चलते पूरे इलाके में ऑक्सीजन फैल गई थी. खबर है कि इस दौरान अस्पताल में 25 मरीजों का इलाज वेंटिलेटर पर जारी था. कई मरीजों का हालत गंभीर बनी हुई है. इसके अलावा 60 से ज्यादा मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही थी. महाराष्ट्र देश का कोरोना वायरस महामारी से सबसे प्रभावित राज्य है.

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा 'नासिक में टैंकर के वाल्व लीकेज के चलते बड़े स्तर पर ऑक्सीजन का रिसाव हुआ है.' उन्होंने कहा 'जिस अस्पताल पर यह जा रही थी, वहां इसका निश्चित असर हुआ होगा, लेकिन मुझे अभी और जानकारी जुटाना बाकी है. हम और जानकारी जुटाने के बाद प्रेस नोट जारी करेंगे.'
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की विस्तृत जांच की मांग की है. उन्होंने कहा 'नासिक में जो हुआ वह भयानक है. ऐसा कहा गया है कि 11 लोगों की मौत हो गई है, जो कि बहुत परेशान करने वाली बात है. मैं मांग करता हूं कि दूसरे मरीजों की मदद की जाए और उन्हें शिफ्ट किया जाए. हम विस्तृत जांच की मांग करते हैं.'

अग्निशमन अधिकारी ने बताया '12.30 बजे कॉल आया था कि ऑक्सीजन टैंक से लीक हो रहा है. हम मौके पर पहुंचे और पाया कि ऑक्सीजन टैंक का वॉल्व खुला हुआ था, जहां से ऑक्सिजन लीक हो रहा था. एक टैंकर से ऑक्सीजन टैंक में ऑक्सीजन भरा जा रहा था.' उन्होंने जानकारी दी 'जो वॉल्व खुला था, उसे हमने बंद कर दिया है, लेकिन काफी ऑक्सीजन लीक हो चुका है.'

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्टों में जजों की नियुक्ति के लिए समय सीमा जारी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों पर अनिश्चितकाल के लिए नहीं बैठी रह सकती, देश के हाईकोर्ट संकट की हालात में हैं, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा नामों को मंज़ूरी देने के तुरंत बाद केंद्र सरकार को नियुक्तियां करने के लिए तुरंत आगे बढ़ना चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ के अनुसार यदि सरकार को कॉलेजियम की सिफारिशों पर कोई आपत्ति है, तो उसे विशिष्ट कारणों के साथ नामों को वापस भेजना चाहिए।
कोर्ट ने आदेश दिया कि एक बार सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने नामों को दोहरा दिया तो केंद्र को 3-4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति करनी चाहिए। आईबी को हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश की तारीख से 4 से 6 सप्ताह में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपनी चाहिए। केंद्र सरकार राज्य सरकार से विचार प्राप्ति की तारीख और आईबी से रिपोर्ट/ इनपुट से 8 से 12 सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट में सिफारिशों को भेजे। अगर सरकार को कोई आपत्ति है, तो इसी समय की अवधि के भीतर आपत्ति के कारणों को दर्ज कर इसे सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास वापस भेजा जाए।
कोर्ट ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इनपुटों पर विचार करने के बाद भी, अभी भी सिफारिश को दोहराया है, तो ऐसी नियुक्ति 3 से 4 हफ्तों के भीतर की जानी चाहिए, उपरोक्त समय-सीमा का पालन करना सही होगा।

नई दिल्ली । स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे करीब 22 लाख डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों के लिए 24 अप्रैल 2021 के बाद एक नई विशेष स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू करने का ऐलान किया है। इससे पहले भारत सरकार ने 26 मार्च, 2020 को सभी हेल्थ वर्करों को 50 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस कवर देने की योजना शुरू की थी जो 24 अप्रैल को बंद हो रही है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मांग की है कि पुरानी बीमा योजना की अवधि 6 महीने और आगे बढ़ाई जाए। उसे लागू करने में आ रही प्रशासनिक अड़चनों की वजह से कई कोरोना के शिकार डॉक्टरों के परिवारों को राहत राशि नहीं मिल पाई है।
करीब एक साल पहले नेशनल लॉकडाउन लगने के दो दिन बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे करीब 22 लाख सफाई कर्मचारियों, आशा वर्करों से लेकर डॉक्टरों तक के लिए 50 लाख के स्पेशल हेल्थ इंश्योरेंस पैकेज का ऐलान किया था। अब ये विशेष बीमा योजना 24 अप्रैल को ख़त्म हो रही है।
इस पर उठ रहे सवालों पर स्पष्टीकरण देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि कोरोना वारियर हैल्थवर्करों के लिए इस विशेष स्वास्थ्य बीमा योजना की अवधि तीन बार बढ़ाकर 24 अप्रैल 2021 तक की गई है। इसके तहत कोई हादसा होने पर 50-लाख का बीमा कवर देने का प्रावधान है। इस योजना के तहत इंश्योरेंस कंपनी ने अब तक 287 क्लेम्स की पेमेंट किया है। 24 अप्रैल के बाद कोरोना वारियर्स के लिए एक नई इंश्योंरेंस पालिसी शुरू की जाएगी। इस दिशा में न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय बात कर रहा है।
इस बीच स्वस्थ्य सचिव राजेश भूषण को लिखी एक चिठ्ठी में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जेए जयालाल ने कोरोना वारियर्स के लिए मौजूदा बीमा योजना की ही अवधि 6 महीने बढ़ाने की मांग की है और कहा है कि इस योजना को लागू करने में आ रही खामियों और अड़चनों को दूर कर सभी कोरोना के शिकार डॉक्टरों के परिवारों को तय राहत राशि मुहैया कराई जाए।

नई दिल्ली | भारत में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा दिया है। हर दिन नए केसों के आंकड़े रिकॉर्ड बना रहे थे, मगर इस बार कोरोना से होने वाली मौतों ने भी अब तक का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में देश में पहली बार न सिर्फ तीन लाख के करीब केस आए हैं, बल्कि सबसे अधिक 2000 मौतें भी हुई हैं। इस तरह से महामारी की दूसरी लहर हर दिन अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रही है। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, मंगलवार रात 12 बजे तक 24 घंटों में देश में 2020 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। यह महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक एक दिन में कोरोना संक्रमितों की मौत की सर्वाधिक संख्या है। पहली बार देश में एक दिन में दो हजार से अधिक लोगों की कोरोना से मौत हुई है।

आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि में मंगलवार को 2,94,115 कोरोना वायरस के नए संक्रमित मिले। यह देश में एक दिन में मिल कुल नए संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या है। लगातार पांच दिनों से कोरोना से रिकॉर्डतोड़ मौतें दर्ज की जा रही हैं। यह महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक एक दिन में कोरोना संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या है। महामारी से मरने वाले कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,82,570 हो गई है, जबकि अब तक कुल संक्रमित हुए लोगों की संख्या 1,56,09,004 है। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 21,50,119 पर पहुंच गई। यह कुल संक्रमितों की संख्या का 13.8 फीसदी है।

हफ्तेभर में मौत में साढ़े 94 फीसदी इजाफा
तारीख (अप्रैल मीहने में) कोरोना मरीजों की मौत
21 2020
20 1761
19 1620
18 1498
17 1338
16 1184
15 1038

शीर्ष संक्रमण दर वाले पांच राज्य
राज्य संक्रमण दर (प्रतिशत में)
महाराष्ट्र 16.3
गोवा 11.6
नगालैंड 9
केरल 8.8
छत्तीसगढ़ 8.5
भारत 5.8

ठीक होने की दर घटकर 85 फीसदी हुई:
कोरोना संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने की दर गिरकर 85 प्रतिशत रह गई है। आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,32,69,863 हो गई है। कोरोना से राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर गिरकर 1.20 प्रतिशत हो गई है, लेकिन महाराष्ट्र में यह दर 1.5 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 1.6 फीसदी है।

77 फीसदी मौतें केवल आठ राज्यों में:
देश में 24 घंटों के दौरान सर्वाधिक 519 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई। इसके बाद दिल्ली में 277, छत्तीसगढ़ में 191, यूपी में 162, गुजरात 121, कर्नाटक में 149, पंजाब में 60 और मध्य प्रदेश में 77 लोगों की मौत हुई। इन आठ राज्यों में कुल 1556 मौतें हुईं जो कुल 2020 मौतों का 77.02 फीसदी है।

60 फीसदी नए संक्रमित केवल छह राज्यों में:
महाराष्ट्र में सर्वाधिक 62,097 नए संक्रमित मिले। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 29574, दिल्ली में 28395, कर्नाटक में 21794, केरल में 19577 और छत्तीसगढ़ में 15625 नए कोरोना मरीज मिले।

नई दिल्ली. भारत (India) में कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को लेकर जल्द ही नया बदलाव आने वाला है. कुछ ही समय में वैक्सीन खुले बाजारों में भी मिलने लगेगी. कहा जा रहा है कि ज्यादातर वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) की कीमत 700 रुपये से लेकर एक हजार रुपये प्रति डोज तक हो सकती है. फिलहाल सरकार को वैक्सीन 250 रुपये प्रति डोज की दर से मिल रही है. खास बात है कि सरकार आगामी 1 मई से 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीन लगाए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि निजी बाजार में वैक्सीन की कीमत 700 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक प्रति डोज हो सकती है. सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने पहले कहा था कि कोविशील्ड की कीमत एक हजार रुपये प्रति डोज हो सकती है. वहीं, रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V आयात करने की तैयारी में लगे डॉक्टर रेड्डीज वैक्सीन की कीमत 750 रुपये के अंदर रख सकते हैं. हालांकि, इसे लेकर फिलहाल अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है.अभी तक कई कंपनियों ने खुले बाजार में वैक्सीन कीमत को लेकर बड़ी घोषणा नहीं की है. कहा जा रहा है कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वे निजी बाजार में कितनी वैक्सीन बेच सकते हैं. इसके अलावा निर्यात को लेकर विचार और सप्लाई चेन के मुद्दे भी वैक्सीन की कीमत तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा कंपनियां राज्यों को वैक्सीन कीमत के संबंध में मिलने वाले आदेश को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही हैं.

लगाए जा चुके हैं 13 करोड़ वैक्सीन डोज
देश में वैक्सीन कार्यक्रम जारी है. इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने जानकारी दी है कि देश में वैक्सीन डोज लगाए जाने का आंकड़ा 13 करोड़ को पार कर गया है. उन्होंने इस बात की जानकारी ट्वीट के जरिए दी है. फिलहाल देश में 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है. वहीं, सरकार ने आगामी 1 मई से 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने का फैसला किया है.

बीकानेर की नोखा जेल से रात ढाई बजे 5 कैदी फरार; पहले दीवार और खिड़की तोड़ी फिर कंबल की रस्सी बनाकर भागे

राजस्थान में करीब 15 दिन पहले हुए फलोदी जेल ब्रेक कांड के बाद अब बीकानेर की नोखा जेल से 5 कैदी फरार हो गए हैं। नोखा उप-कारागार में यह घटना मंगलवार रात करीब ढाई बजे हुई। जेल स्टाफ को 2 घंटे बाद इसकी जानकारी मिली। इसके बाद पुलिस ने सभी थानों को अलर्ट कर दिया, लेकिन अभी तक फरार कैदियों का कोई सुराग नहीं लग पाया है।

जेल प्रशासन के मुताबिक, फरार होने वाले कैदियों में 3 हनुमानगढ़ के, एक हरियाणा और एक नोखा के जसरासर थाना इलाके का है। पुलिस के मुताबिक इन कैदियों ने पहले अपनी सेल की दीवार तोड़ी फिर एक खिड़की को तोड़कर बाहर आ गए। इसके बाद फिर कंबल की रस्सी बनाकर दीवार पर चढ़े और फिर कूदकर भाग निकले।

ये 4 कमियों से कैदियों को भागने में आसानी हुई

1. जेल की जिस सैल में इन बंदियों को रखा गया था, उसमें एक खिड़की थी। यह ज्यादा मजबूत नहीं थी, इसलिए कैदी आसानी से इसे तोड़कर निकल गए।

2. जेल में CCTV कैमरे भी नहीं हैं, कैदियों ने इसका फायदा उठाया। अब यह पता लगना भी मुश्किल होगा कि कहां और किसकी लापरवाही रही।

3. जेल के बाहर की दीवार महज 7 फीट ऊंची है। इसमें एक फीट का लोहे का एंगल लगा है।

4. जेल में रात के समय में कोई सिपाही अंदर की तरफ नहीं था। ऐसे में कैदियों को भागने में आसानी हुई।


जेल में कुल 14 का स्टाफ है

नोखा जेल में कुल 14 का स्टाफ है, जिनमें एक जेल प्रभारी और 13 प्रहरी हैं। इसमें से किसी की भी ड्यूटी जेल के अंदर की तरफ नहीं थी। जेल स्टाफ को सुबह साढ़े चार बजे इस घटना का पता लगा। इसके बाद पांच बजे पुलिस सक्रिय हुई, तब तक कैदी काफी दूर निकल चुके थे।

आशंका है कि फरारी के लिए कैदियों ने पहले ही वाहन की व्यवस्था कर रखी थी। ऐसे में जेल से बाहर निकलते ही वे कम समय में दूर तक पहुंच गए। अब तक पुलिस को अंदाजा नहीं लग पाया है कि कैदी किस वाहन में निकले हैं। अब आस-पास के घरों और मुख्य मार्गों पर लगे सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं।

भागने वाले कैदियों में ये शामिल

हनुमानगढ़ पीलीबंगा के वार्ड नंबर 22 का सुरेश कुमार
हनुमानगढ़ नावा गांव निवासी सलीम खान
हनुमानगढ़ खारिया गांव निवासी मनदीप सिंह
नोखा के कुचौर आगुणी का रतिराम
हरियाणा के सदलपुर का अनिल पंडित।
पुलिस का सर्च ऑपरेशन जारी

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सुनील कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने सर्च ऑपरेशन छेड़ रखा है। जिले के सभी शहरी और ग्रामीण थानों को अलर्ट किया गया है। वहीं हनुमानगढ़ पुलिस को भी सूचना दी गई है। नोखा CO नेम सिंह, CI अरविन्द सिंह भी टीमें बनाकर कैदियों की तलाश कर रहे हैं। पूरे जिले में नाकाबंदी की गई है।उधर, बीकानेर जेल में भी अलर्ट कर दिया गया है।

नई दिल्ली | देश की राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन फिर लौट आया है। कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार को देखते हुए दिल्ली में आज से 6 दिनों का लॉकडाउन लग गया है। लॉकडाउन लगने के साथ ही दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने भी पूरी तरह से कमर कस ली है। डीएमआरसी ने लॉकडाउन के पहले दिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होने पर 10 मेट्रो स्टेशन की एंट्री पर रोक लगा दी है। डीएमआरसी ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर जानकारी दी कि श्याम पार्क, राज बाग, मोहन नगर, राजीव चौक, एमजी रोड, नई दिल्ली, चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, बहादुरगढ़ सिटी और ब्रिगेडियर होशियार सिंह मेट्रो स्टेशन पर यात्रियों की एंट्री पर रोक लगा दी है। हालांकि इन मेट्रो स्टेशन से एग्जिट पर कोई रोक नहीं है। दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों की मानें तो शारीरिक दूरी का पालन नहीं होने के चलते इन मेट्रो स्टेशनों पर यात्रियों की एंट्री बंद कर दी गई, लेकिन हालात सामान्य होने पर एंट्री खोल दी गई। इससे पहले दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा के बाद मेट्रो ने अपने परिचालन में थोड़ा बदलाव किया है। लॉकडाउन के दौरान व्यस्त समय को छोड़कर दिल्ली मेट्रो एक-एक घंटे के अंतराल पर चलेगी। वहीं सुबह शाम 2-2 घंटे के व्यस्त समय में मेट्रो कोच के अंदर भीड़ न हो, इसके लिए 30-30 मिनट के अंतराल पर मेट्रो चलाई जाएगी। मेट्रो ने कहा कि परिचालन के समय में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह सुबह 6 बजे से रात के अपने पुराने समय के अनुसार 11 बजे तक चलेगी। मगर मेट्रो ट्रेन की फ्रीक्वेसी कम की जाएगी। सुबह 8 से 10 बजे और शाम को 5 से 7 बजे के बीच आधे-आधे घंटे पर मेट्रो चलेगी। मेट्रो ने यात्रियों से अपील की है कि यात्रा का समय बढ़ सकता है। ऐसे में वे अधिक समय लेकर सफर करेंगे। आम दिनों में जहां मेट्रो 5000 से अधिक फेरे लगाती है, वह घटकर 1500 से भी कम हो जाएगी।

कर्फ्यू पास तो यात्रा की अनुमति
मेट्रो ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भी सिर्फ जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी। यह सरकार की ओर जारी आदेश के मुताबिक होगा। अगर किसी के पास कर्फ्यू पास होगा या लॉकडाउन पास होगा तो उसे भी यात्रा की अनुमति दी जाएगी। मेट्रो अपनी क्षमता से 50 फीसदी यात्रियों को लेकर चलेगी।

नई दिल्ली | देश में कोरोना का कहर लगातार जारी है। सोमवार को हालांकि, रोजाना आने वाले मामलों में थोड़ी कमी दिखी लेकिन इसके बावजूद भारत में कोरोना के 2 लाख 56 हजार 596 नए मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, मौतों का बढ़ता आंकड़ा लगातार डरा रहा है। देश में कोरोना से बीते 24 घंटे के अंदर 1757 लोगों ने दम तोड़ा है। देश में अब कोरोना के कुल संक्रमितों का संख्या 1 करोड़ 53 लाख तक पहुंच गया है। इतने अधिक कोरोना केसों के मामले में भारत अब अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है।

10 दिन में दोगुना हुए ऐक्टिव केस
भारत में सोमवार को कोरोना के ऐक्टिव केस 20 लाख के पार हो गए। यह अनचाहा रिकॉर्ड भारत ने सिर्फ 10 दिनों में बनाया है। 10 अप्रैल को ही भारत में कोरोना के 10 लाख मरीज थे। सोमवार रात तक भारत में कोरोना वायरस के कुल 20 लाख 30 हजार 725 ऐक्टिव केस थे। महामारी की शुरुआत से अब तक यह सर्वाधिक संख्या है। ऐक्टिव केस यानी जिन मरीजों में अभी भी वायरस है और जिनका इलाज चल रहा है। बीते एक हफ्ते के अंदर देश में कोरोना के 7 लाख 70 हजार से ज्यादा नए मामले रिपोर्ट हुए हैं।।

पहली लहर से घातक है दूसरी लहर
देश में कोरोना की दूसरी लहर हर दिन रिकॉर्ड तोड़ रही है। पहली लहर जब अपने चरम पर थी तो भी सर्वाधिक ऐक्टिव केस 10 लाख पार हुए थे। अमेरिका के बाद भारत ही ऐसा देश है जहां ऐक्टिव केस 20 लाख के पार पहुंचे हैं। वहीं, ब्राजील में कोरोना के ऐक्टिव केस दो हफ्ते पहले ही 13 लाख तक पहुंचे थे लेकिन अब वहां कोरोना के मामले कम होने शुरू हो गए हैं।

सिर्फ 10 राज्यों में 80 फीसदी मामले
देशभर के 10 राज्य ऐसे हैं जहां 80 फीसदी ऐक्टिव केस हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, केरल और महाराष्ट्र टॉप पांच में शामिल है। वहीं, दिल्ली जहां देश की 0.3 प्रतिशत आबादी रहती है वहां फिलहाल कोरोना के 3.8 प्रतिशत ऐक्टिव केस हैं।

नई दिल्ली | भारत में कोरोना की बेकाबू रफ्तार में सबसे बड़ा हथियार जल्दी से जल्दी ज्यादा लोगों को टीका लगाना है। इसके लिए केंद्र सरकार लगातार कोशिशें कर रही है। सोमवार को केंद्र ने यह फैसला लिया कि 1 मई से देश में 18 साल से ऊपर की उम्र वाला कोई भी कोरोना शख्स टीका ले सकता है। ऐसे में लाजिम है कि देश में टीके की मांग और बढ़ने वाली है वह भी तब जब कई राज्य पहले से ही वैक्सीन की कमी होने का आरोप लगा रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में किसी तरह कि रुकावट न आए इसके लिए केंद्र सरकार ने भारत में टीका बनाने वाली कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को दो महीने का 100 फीसदी एडवांस का भी भुगतान कर दिया गया है। खबरों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने दोनों कंपनियों को कुल 4 हजार 500 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया है।

कोविशिल्ड का उत्पादन करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट के लिए 3,000 करोड़ और कोवैक्सिन का उत्पादन करने वाले भारत बायोटेक के लिए 1500 करोड़ दिए गए हैं। बता दें कि पिछले हफ्ते केंद्र ने भारत बायोटेक की बेंगलुरु फैसिलिटी के लिएभी 65 करोड़ अनुदान को मंजूरी दी थी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने सोमवार रात को एनडीटीवी को ये जानकारी दी है।

ऐसी कई रिपोर्ट्स आई जिसमें यह दावा किया गया कि कच्चे माल की खरीद, कर्मचारियों का भुगतान, और टीका बनाने और वितरित करने सहित सभी चीजों के लिए सीरम और भारत बायोटेक को पैसों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

वैक्सीन की कमी से जूझ रहे राज्य

हाल के हफ्तों में राज्यों में वैक्सीन के स्टॉक घट जाने से सरकार की चिंता बढ़ी हुई है। आज सुबह पंजाब ने दूसरा ऐसा अलर्ट जारी किया, जिसमें केंद्र को बताया गया कि उसके पास केवल तीन दिन का ही स्टॉक है। इधर, शुक्रवार को आंध्र प्रदेश से खबर आई कि राज्य में वैक्सीन का स्टॉक पूरी तरह से खत्म है। वहीं इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र में वैक्सीन की कमी के चलते मुंबई और पुणे सहित 100 से अधिक टीकाकरण केंद्र मजबूरन बंद करने पड़े। हालांकि, केंद्र ने पहले जोर देकर कहा था कि वैक्सीन के स्टॉक में कोई कमी नहीं है।

इस महीने की शुरुआत में, सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने एनडीटीवी से कहा था कि पुणे में उनके प्लांट में प्रोडक्शन कैपिसिटी बहुत कम है, उन्हें जून तक के उत्पादन के लिए लगभग तीन महीने और करीब 3,000 करोड़ रुपयों की जरूरत है।

18 से अधिक उम्र वालों को मिलेगी वैक्सीन

बता दें कि सरकार ने वैक्सीन के लिए ये फंड ऐसे समय में दिया है जब एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाए जाने की घोषणा कर दी गई है। अब तक पहले चरण के तहत फ्रंट लाइन वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन देने की इजाजत दी गई थी। उसके बाद दूसरे चरण में 45 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है।

नई दिल्ली । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि देश में कोरोना की भयावह स्थिति देख मैंने पीएम मोदी को लिखा है कि रैलियां बहुत हो गई अब कोरोना पर ध्यान दीजिए, कोरोना बहुत भयंकर स्थिति में आ चुका है। उन्होंने एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा " राजस्थान में कोरोना का संक्रमण और मृत्यु के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, यह चिंता का विषय है। सौभाग्य से राजस्थान की स्थिति पड़ोसी राज्यों से बेहतर है, हालांकि ऑक्सीजन की सप्लाई अब कुछ हद तक डिस्टर्ब हो रही है। कोरोना से देश को मिलकर लड़ना होगा। केंद्र और राज्यों को मिलकर सहयोग करना होगा।हम लोगों ने कोरोना से निपटने के लिए पूरी तैयारी की है।"
सीएम गहलोत ने आगे कहा " कोरोना के मामले में केंद्र ने कुछ गलतियां की हैं, उन्हें स्वीकार करनी चाहिए। केंद्र को राज्यों के साथ सहयोग से काम करना चाहिए। मुझे सबसे बड़ी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन से है। मैं उन्हें भला व्यक्ति मानता था। मुझे नहीं पता था वे झूठ बोल सकते हैं। हमारे पास डेढ़ दिन की वैक्सीन बची थी। हमने केंद्र को बताया, कोई शिकायत नहीं की थी। इस पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें वैक्सीन खराब कर रही हैं। वैक्सीन की कमी नहीं है।"
गेहलोत बोले- " सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री नहीं, पूरी भारत सरकार की मैं ये गलती मानता हूं कि जिस तरह से वैक्सीन का कार्यक्रम चलना चाहिए था, वह नहीं चला। वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार ने ब्लंडर किया है। वैक्सीन को लेकर केंद्र की नीतियां सही नहीं रहीं। वैक्सीन को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोलना चाहिए था। केंद्र को पूरे मुल्क में वैक्सीन फ्री की भी घोषणा करनी चाहिए थी, जब उन्होंने सिर्फ बिहार में चुनावों के दौरान फ्री वैक्सीन की बात कही थी। अगर अधिकतर लोगों को वैक्सीन लग जाती तो आज जो स्थिति बनी वह न बनती। "

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