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ओरछा । कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण मध्यप्रदेश के ओरछा के रामराजा मंदिर को कंटेनमेंट एरिया घोषित कर बंद कर दिया गया है। ‎जिला प्रशासन ने इस बात का निर्णय है। प्रशासन ने आगामी आदेश तक राम राजा मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए बन्द रखने का फैसला किया है। बताया जा रहा है ‎कि मंदिर के कर्मचारी के परिवार का सदस्‍य कोरोना पाजिटिव आया है। इस वजह से प्रशासन ने मंदिर को कंटेनमेंट एरिया घोषित कर दिया है। इस वजह से मंदिर को बंद कर दिया गया है और अब कंटेनमेंट का समय खत्‍म होने के बाद ही मंदिर को शुरू किया जा सकेगा। प्रशासन के मंदिर के गेट पर मंदिर बंद होने व कर्मचारी के परिवार के सदस्‍य के पाजिटिव होने की सूचना चस्‍पा की है। आस्‍था के केन्‍द्र ओरछा का रामराजा मंदिर 31 मार्च से ही बंद कर दिया गया था। लेकिन उस समय मंदिर पर किसी तरह की सूचना चिपकाई नहीं गई थी। लेकिन अब मंदिर प्रबंधन ने मंदिर बंद होने की सूचना चिपकाई है। बताया जाता है कि मंदिर प्रबंधन के कर्मचारी की झांसी में रहने वाली पत्‍नी कोरोना पाजिटिव आई है। हालांकि कर्मचारी की पत्‍नी के कोरोना पाजिटिव होने का रिकार्ड निवाडी जिले की कोरोना सूची में नहीं है। मंदिर परिसर घोषित किया कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित- कर्मचारी की पत्‍नी के कोरोना पाजिटिव आने के बाद प्रशासन ने मंदिर परिसर को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया है। यानि अब मंदिर में रामराजा सरकार के दर्शन कोई भी भक्‍त नहीं कर पाएंगे। आगामी आदेश तक मंदिर में प्रवेश वर्जित रहेगा और आसपास का क्षेत्र कंटेनमेंट क्षेत्र में रहेगा। मन्दिर में कार्यरत एक कर्मचारी का परिवार कोरोना पोजिटिव होने के बाद मन्दिर को जिला प्रशासन ने कण्टेण्टमेण्ट एरिया घोषित कर दिया।

नई दिल्ली । जल्द ही ट्रैफिक नियम तोडऩे पर वाहन चालकों का लाइसेंस कैंसिल नहीं होगा, यानी ट्रैफिक पुलिस ड्राइविंग लाइसेंस को इनबाउंड नहीं कर सकेगी। भविष्?य में सिर्फ ट्रैफिक नियमों के अनुसार जुर्माना लगाया जाएगा। सड़क परिवहन मंत्रालय इस तरह ट्रैफिक नियमों में संशोधन की तैयारी कर रहा है, जिससे वाहन चालकों को राहत मिल सकेगी। सड़क परिवहन मंत्रालय वाहन चालकों की परेशानी को देखते हुए योजना बना रहा है।
संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद कुछ ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ-साथ ड्राइविंग लाइसेंस तीन माह के इनबॉउंड करने का भी नियम लागू हुआ है। यानी अगर आप ट्रैफिक नियम तोड़ते हुए पाए गए तो ट्रैफिक पुलिस चालक का लाइसेंस जब्त तक कर संबंधित ट्रैफिक कार्यालय में जमा करा देती थी। तीन माह पूरे होने के बाद आपका लाइसेंस वापस मिलता है। इस नियम से सबसे अधिक परेशानी उन वाहन चालकों को होती थी, जो किसी दूसरे राज्य में जाकर जाने आनजाने में ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं। ऐसे मामलों में पुलिस जुर्माना करने के साथ चालक का लाइसेंस उसी राज्य, जिला, शहर में इनबॉउंड कर लेती है। चालक तीन माह के लिए गाड़ी नहीं चला सकता है। इस दौरान उसे आर्थिक संकट आ जाता है। दूसरी ओर तीन माह बाद चालक को उसी शहर में लाइसेंस वापस लेने जाना पड़ता है, इसकी प्रक्रिया भी आसान नहीं है, इसमें भी समय लग जाता है। इसमें समय और पैसे दोनों बर्बाद होते हैं। इसमें सबसे अधिक परेशानी ट्रांसपोर्टरों को भी हो रही है, जिनका वाहन किसी दूसरे राज्य या शहर में जाता है, वहां पर लाइसेंस इनबॉउंड कर लिया जाता है। इस दौरान ड्राइवर तीन माह तक बेकार रहता है। अचानक दूसरा ड्राइवर ढूंढऩे में परेशानी होती है। इस संबंध में बस एंड कार ऑपरेटर्स कंफेडेरशन ऑफ इंडिया (सीएमवीआर) के चेयरमैन गुरुमीत सिंह तनेजा का कहना है कि सड़क परिवहन मंत्रालय के इस तरह के नए संशोधन से आम लोगों को भारी राहत मिलेगी। कई बार चालक अनजाने में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर देता था, लाइसेंस कैंसिल होने पर परेशानी होती थी।

नईदिल्ली । अब एसी कोच में यात्रियों को कंबल और चादर नहीं दी जाएंगी। साथ ही सभी डिब्बों से पर्दे भी हटा दिए गए हैं। रेलवे ने कोरोना संक्रमण को कम करने के लिए यह कदम उठाया है। एसी कोच में पर्दों की जगह रोलर ब्लिंड लगा दिए गए हैं, जिनके संपर्क में आमतौर पर यात्री कम आएंगे और कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका कम रहेगी। ये पर्दे खिड़की से चिपके रहते हैं और इन्हें आसानी से सरकाया भी जा सकता है। मालूम हो कि देश में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है और सभी राज्यों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महामारी के खतरे को देखते हुए भारतीय रेलवे ने व्यवस्थाओं में कई तरह के बदलाव किए हैं। इससे पहले भी कोरोना की पहली लहर के समय रेलवे ने पर्दे हटाए थे और कंबल चादरें देनी बंद कर दी थी। साल 2018 में एक जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एसी कोच से पर्दे हटाने का सुझाव दिया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि पर्दों की वजह से ट्रेन में आग तेजी से फैलती है, लेकिन भारत के मौसम में पर्दे गर्मी और तेज धूप से बचाने में कारगर थे और यात्रियों के लिए काफी सुविधाजनक थे। इसी वजह के चलते रेलवे ने अभी तक एसी कोच से पर्दे नहीं हटाए थे। रेलवे के पर्दे हटाने और कंबल और चादरें न देने के फैसले से यात्री खुश नहीं हैं। कई यात्रियों ने कोच के अंदर गर्मी और कूलिंग की समस्या को लेकर शिकायत की है। भारतीय रेलवे ने काफी रिसर्च के बाद हावड़ा-नई दिल्ली ट्रेन की बोगियों में पर्दों की जगह पीडीएलसी सीट लगाने का फैसला किया है। इसमें यात्रियों को खिड़की की पारदर्शिता कम ज्यादा करने की सुविधा भी मिलती है। पीडीएलसी सीट काफी प्रभावी रही हैं, पर सभी ट्रेनों में इन पर्दों को लगाने में काफी खर्च आएगा।

को‎हिमा। मिजोरम के एक गांव में 87 सूअरों की अचानक मौत हो गई। इससे क्षेत्र में दहशत फैल गई है। सूअरों में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू फैलने की आशंका जताई जा रही है। पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में पिछले एक हफ्ते में 87 से ज्यादा सूअरों की मौत हो गई है। मिजोरम का लुंगलेई जिला, बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक लालमिंथंगा ने कहा "हालांकि अभी सूअरों की मौत की वजह की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन आशंका है कि अफ्रीकी स्वाइन फ्लू की वजह से इनकी मौत हुई हो। " इसकी वजह से लुंगसेन गांव में अब तक 87 सूअरों की मौत हो चुकी है और 40 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है। पहली मौत की सूचना 21 मार्च को मिली थी, जिसके बाद पशु चिकित्सा अधिकारियों को जांच के लिए गांव में भेजा गया। लिए गये सैंपल की इलीसा और पीसीआर टेस्ट से ये कंफर्म हो गया कि ये सीएसएफ (क्लासिकल स्वाइन फ्लू) या पीआरआरएस ( पोर्सिन रिप्रोडक्टिव एंड रेसिपिरेटरी सिंड्रोम) नहीं है। इसलिए इनके सैंपल को अफ्रीकी स्वाइन फ्लू की पुष्टि के लिए मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भेजा गया है। वैसे सरकार ने एहतियातन पूरे राज्य में एएसएफ के लिए अलर्ट जारी कर दिया है और लुंगसेन गांव को संक्रमित क्षेत्र घोषित करते हुए 2 अप्रैल से ही धारा 144 लगा दी गई है। सोमवार को पशु चिकित्सा विभाग (रोग जांच और महामारी विज्ञान) के उपनिदेशक एम जोमिंगथांगी के नेतृत्व में एक जांच दल इस गांव में पहुंचेगा और पशुओं के टिशू और ब्लड सैंपल इकट्ठा करेगा। पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक लालमिंथंगा के मुताबिक हो सकता है कि पड़ोसी राज्यों और बांग्लादेश से सूअरों और उनके मांस के आयात की वजह से ये बीमारी यहां पहुंची हो। आशंका की वजह ये है कि पहली मौत एक होटल के पास हुई थी और उस इलाके के होटलों में इस तरह के आयातित मांस की खूब बिक्री होती है।मिजोरम में साल 2013, 2016, 2018 और 2020 में पीआरआरएस (पोर्सिन रिप्रोडक्टिव एंड रेसिपिरेटरी सिंड्रोम) की वजह से हजारों सूअरों की जान गई थी ।

कोरोना की दूसरी लहर में रीइन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ा है; जानिए इस पर क्या कहती है ICMR की स्टडी, साथ ही एक्सपर्ट्स की राय

मुंबई : अगर आपको लगता है कि आपको एक बार कोरोना हो चुका है, और यह दोबारा आपको नहीं होगा, तो आप गलती कर रहे हैं। मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में भारत की सर्वोच्च संस्था यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का दावा है कि भारत में कोरोना वायरस रीइन्फेक्शन के 4.5% केस सामने आए हैं। यानी 100 में से करीब 4.5 लोग ऐसे हैं जो कोरोना पॉजिटिव होकर निगेटिव हुए और बाद में फिर पॉजिटिव हो गए।

इस समय भारत में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है और रविवार को पहली बार देश में एक दिन में एक लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं। ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी है कि कोरोना वायरस दोबारा इन्फेक्ट कर सकता है या नहीं।

आइए, समझते हैं कि रीइन्फेक्शन क्या है और दूसरी बार कोरोना वायरस किस तरह आपको इन्फेक्ट कर सकता है?

कोरोना रीइन्फेक्शन क्या है?

कोरोना रीइन्फेक्शन यानी कोरोना से दूसरी बार इन्फेक्ट होना। ICMR का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव होता है और 102 दिनों में निगेटिव होकर फिर पॉजिटिव होता है तो उसे रीइन्फेक्शन माना जाएगा।
दरअसल, ICMR के वैज्ञानिकों की टीम ने 1,300 लोगों के मामलों की पड़ताल की, जो दो बार कोरोना पॉजिटिव निकले। रिसर्चर्स को पता चला कि 1,300 में से 58 केस यानी 4.5% को रीइन्फेक्शन कहा जा सकता है। स्टडी में कहा गया है कि SARS-CoV-2 रीइन्फेक्शन की परिभाषा सर्विलांस बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है। यह स्टडी एपिडेमियोलॉजी एंड इन्फेक्शन जर्नल में प्रकाशित होने के लिए स्वीकार कर ली गई है।
हालांकि पब्लिक हेल्थ और पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत लहारिया का कहना है कि रीइन्फेक्शन को समझना बेहद जरूरी है। जब तक पॉजिटिव केसेज की जीनोम सिक्वेसिंग नहीं हो जाती, तब तक कोई दावे के साथ नहीं कह सकता कि कोरोना रीइन्फेक्शन हुआ है।

रीइन्फेक्शन नहीं है तो रिपोर्ट पॉजिटिव क्यों आती है?

मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कंसल्टेंट जनरल मेडिसिन डॉ. रोहन सिकोइया कहते हैं कि कोरोना वायरस की वजह से रीइन्फेक्शन हो सकता है या नहीं, इसे लेकर साइंटिफिक कम्युनिटी में बहस चल रही है। यह साफ नहीं है कि कोरोना होने पर शरीर में बनी एंटीबॉडी हमेशा के लिए रहेगी या कुछ दिनों में खत्म हो जाएगी। रीइन्फेक्शन के बहुत ही कम केस सामने आए हैं।
उनका कहना है कि कोरोना निगेटिव होने के बाद भी अक्सर वायरस की थोड़ी-बहुत मात्रा शरीर में रह जाती है। इसे परसिस्टेंट वायरस शेडिंग कहते हैं। ये वायरस बहुत कम मात्रा में रहते हैं, इस वजह से न तो बुखार आता है और न ही कोई लक्षण दिखता है। ऐसा व्यक्ति दूसरों को इन्फेक्ट भी नहीं कर सकता। जांच में पॉजिटिव निकल सकता है। ऐसे में जीनोम एनालिसिस के बाद ही कहा जा सकता है कि रीइन्फेक्शन हुआ है या नहीं।
डॉ. सिकोइया के अनुसार अगर दो पॉजिटिव रिपोर्ट्स के बीच एक निगेटिव रिपोर्ट आई है तो भी हम उसे प्रोविजनल केस ऑफ रीइन्फेक्शन कह सकते हैं। जब तक जीनोम एनालिसिस नहीं हो जाता, तब तक हम रीइन्फेक्शन की पुष्टि नहीं कर सकते।
क्या इससे पहले भी रीइन्फेक्शन के केस सामने आए हैं?

हां, दुनियाभर में रीइन्फेक्शन का केस सबसे पहले अगस्त 2020 में हांगकांग में सामने आया था। 33 वर्षीय व्यक्ति मार्च 2020 में कोरोना से इन्फेक्ट हुआ था। अगस्त में वह दोबारा कोरोना पॉजिटिव हो गया। इस दौरान वह स्पेन जाकर लौटा था। डॉ. सिकोइया का कहना है कि हांगकांग वाले मरीज के सैम्पल का जीनोम एनालिसिस हुआ था, जिससे रीइन्फेक्शन की पुष्टि हुई।
इसके बाद अमेरिका, बेल्जियम और चीन में भी कोरोना रीइन्फेक्शन के कई केस सामने आए। इनमें जीनोम एनालिसिस भी हुआ था। अगस्त 2020 में ICMR ने भारत में कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमण के 3 मामलों की पुष्टि की थी।

किन कारणों से हो सकता है रीइन्फेक्शन?

रीइन्फेक्शन के पीछे की सबसे बड़ी वजह कोरोना वायरस में होने वाले म्यूटेशन हैं। इसकी वजह से वायरस नए-नए अंदाज में नए अवतार में सामने आ रहा है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति पहले पॉजिटिव होकर निगेटिव हुआ था तो वह नए स्ट्रेन से इन्फेक्ट हो सकता है। इसकी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
भारत सरकार के मुताबिक महाराष्ट्र में डबल म्यूटेंट वायरस भी मिला था। वायरस में दो जगह बड़े बदलाव हुए हैं। इसके अलावा 18 राज्यों में वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOC) मिले थे, जो रीइन्फेक्ट की वजह बन सकते हैं। हांगकांग में सामने आए रीइन्फेक्शन के केस में भी म्यूटेशन और नए स्ट्रेन को जिम्मेदार ठहराया गया था।
भोपाल में कोरोना केसेज पर काम कर रहीं डॉ. पूनम चंदानी के मुताबिक कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में बनी एंटीबॉडी कितने दिन तक रहेगी, इसे लेकर अलग-अलग दावे हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया और यूके में जो स्टडी हुई है, उसके मुताबिक 8 से 10 महीने तक एंटीबॉडी शरीर में मिली है। पर यह इस बात की पुष्टि नहीं है कि कोरोना रीइन्फेक्शन नहीं होगा।
डॉ. चंदानी का कहना है कि कोरोना के हर नए स्ट्रेन के साथ लक्षण भी बदल रहे है। नए लक्षणों में ठंड लगकर बुखार आना, आंखों का लाल होना, बदन दर्द, सिर दर्द और उल्टी-दस्त जैसे लक्षण शामिल हैं। ये सभी लक्षण फ्लू के भी होते हैं। ऐसे में इन लक्षणों को सामान्य फ्लू मानकर नजरअंदाज नहीं कर सकते।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ICMR की स्टडी में अक्टूबर-2020 तक का ही डेटा लिया गया है, लेकिन भारत में अभी कोरोना की दूसरी लहर की वजह से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में आशंका है कि ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। अन्य देशों की स्टडी में कोरोना से दोबारा संक्रमित होने वाले लोगों की दर 1 फीसदी रही है, लेकिन भारत में ये 4.5% है। ये भी चिंता का विषय है।

रीइन्फेक्शन से कैसे बचा जा सकता है?

केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों का जोर इसी बात पर है कि सरकारें सावधानी बरतें। कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर और देश की ख्यात वैक्सीन साइंटिस्ट डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि वायरस की लहर तो आती-जाती रहेगी, जब तक सभी को वैक्सीन नहीं लग जाती, तब तक केस बढ़ते-घटते रहेंगे।
उनका कहना है कि लोगों को समझना होगा कि कोविड-19 जानलेवा है और वायरस खत्म नहीं हो गया है। उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहना है। साथ ही बार-बार हाथ धोना है। सफाई का ध्यान रखना है और भीड़ भरे स्थानों पर जाने से बचना है।

एनवी रमना होंगे देश के अगले चीफ जस्टिस, राष्ट्रपति ने लगाई मुहर,

देश के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम पर मुहर लगा दी है। उन्होंने जस्टिस एनवी रमना को सुप्रीम कोर्ट का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया है। वह 24 अप्रैल को पदभार संभालेंगे। राष्ट्रपति उन्हें शपथ दिलाएंगे।

आपको बता दें कि 45 साल से ज्यादा के न्यायिक अनुभव रखने वाले और संवैधानिक मामलों के जानकार एनवी रमना का कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक का होगा।


आंध्र प्रदेश के रहने वाले एन.वी रमना वर्ष 2000 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर चुने गए थे। फरवरी, 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट में थे। 63 वर्षीय नुथालपति वेंकेट रमना ने 10 फरवरी, 1983 से अपने न्यायिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने आंध्र प्रदेश से वकील के तौर पर शुरुआत की थी।

इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, आंध्र प्रदेश एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल के अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत की थी। उन्होंने संवैधानिक, आपराधिक और इंटर-स्टेट नदी जल बंटवारे के कानूनों का खास जानकार माना जाता है। करीब 45 साल का लंबा अनुभव रखने वाले एनवी रमना सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसले सुनाने वाली संवैधानिक बेंच का हिस्सा रहे हैं।

नई दिल्ली । दिल्ली में नेशनल मीडिया सेंटर के पास एक संदिग्ध वस्तु मिलने से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। जानकारी मिलते ही पुलिस डॉग स्क्वायड टीम के साथ मौके पर पहुंची है और संदिग्ध वस्तु की जांच कर रही है। मीडिया सेंटर के बाहर संदिग्ध वस्तु के होने की जानकारी मिलते ही डॉग स्क्वायड के साथ ही बम निरोधी दस्ता भी मौके पर पहुंचा है और मामले की जांच कर रहा है। हालांकि अभी तक यह कैसी वस्तु है इसका पता नहीं चल सका है।

नई दिल्ली । कोरोना संक्रमण दिल्ली में एक बार फिर तेजी से फैल रहा है। दिल्ली पुलिस कोरोना महामारी को रोकने के लिए कोविड दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने वालों का चालान काट रही है। पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने कोरोना के ज्यादा चालान नहीं काटने पर पश्चिमी जिला डीसीपी व उत्तर-पूर्वी जिला डीसीपी को फटकार लगाई है। पुलिस आयुक्त ने चालान के इनपुट लेने के लिए स्पेशल सेल को लगाया है। आयुक्त ने कोरोना महामारी को रोकने के लिए बैंक्वेंट व रेस्तरां के ज्यादा से ज्यादा चालान करने व उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। पुलिस आयुक्त ने हर शनिवार की तरह 3 अप्रैल को भी लॉ एंड ऑर्डर की बैठक ली थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयुक्त ने जब कोरोना के चालान के बारे में पूछा तो पश्चिमी व उत्तर-पूर्वी जिले के चालान कम थे। आयुक्त ने कोरोना चालान कम होने पर पश्चिमी जिला डीसीपी उर्विजा गोयल व उत्तर-पूर्वी जिला डीसीपी संजय कुमार सेन को फटकार लगाई। आयुक्त ने बैठक में कहा कि स्पेशल ब्रांच ने इनपुट दिए हैं कि पश्चिमी जिले की तिलक नगर मार्केट में एक भी चालान नहीं हुआ है। आयुक्त ने बताया कि कोरोना को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा चालान करने को कहा गया है, ताकि लोग नियमों को अपना सकें। सार्वजनिक जगहों के अलावा बैंक्वेंट हॉल व रेस्तरां के भी चालान व मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं, क्योंकि बैंक्वेंट व रेस्तरां में लोग सामाजिक दूरी का पालन नहीं करते हैं। पहले थाने की एक टीम चालान करती थी। अब पूरी थाना पुलिस चालान कर रही है। रात में भी चालान के आदेश हैं।

इंस्टीट्यूट ने आरोपी स्टूडेंट को सस्पेंड किया, 4 अन्य आइसोलेट; 29 मार्च को छात्रा को बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था

IIT गुवाहाटी की एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में इंस्टीट्यूट ने बड़ी कार्रवाई की है। मामले में पुलिस की गिरफ्त में आ चुके आरोपी छात्र को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं मामले से जुड़े 4 अन्य छात्रों की भी पहचान कर ली गई है। उन्हें एक-दूसरे से अलग कर आगे की जांच के लिए कैम्पस में ही रखा गया है। इंस्टीट्यूट ने बताया कि कैंपस इस तरह की हरकत को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। मामले में पुलिस की हरसंभव मदद की जा रही है।

3 अप्रैल को किया था गिरफ्तार

पुलिस ने 3 अप्रैल को IIT गुवाहाटी के एक छात्र को अपनी कॉलेज की ही एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद छात्र को कामरूप जिले की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ता गुजरात की निवासी है। अपने बयान में उसने दावा किया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग के आरोपी छात्र ने होली के मौके पर 28 मार्च को ड्रिंक कराया और उसके साथ छेड़खानी की। छात्रा ने बताया कि ड्रिंक के बाद वह बेहोश हो गई थी।

डॉक्टर्स बोले- गंभीर यौन-उत्पीड़न का मामला

इसके बाद छात्रा को बेहोशी की हालत में 29 मार्च की रात गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH) में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर्स ने बताया था कि पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट अब तक जारी नहीं की गई है। मामला गंभीर यौन-उत्पीड़न का लग रहा है।

पुलिस ने क्राइम का नेचर बताने से इनकार किया

पुलिस ने मामले में ज्यादा जानकारी देने से इनकार किया। पुलिस ने अपराध के नेचर के बारे में भी नहीं बताया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच अभी चल रही है। इसके बाद ही हम कुछ कह पाएंगे।

नई दिल्ली | देश में कोरोना के कहर ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक रविवार रात तक 24 घंटों के दौरान मिले कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,03,764 पर पहुंच गई। महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक यह एक दिन में मिले कुल संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या है। इससे पहले 16 सितंबर, 2020 को एक दिन में 97,894 नए मामले मिले थे, जो महामारी की पहली लहर का सर्वोच्च आंकड़ा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दौरान 24 घंटों में देश में 513 कोरोना मरीजों की मौत हुई। इसके साथ ही भारत अब अमेरिका के बाद ऐसा दूसरा देश बन गया है जहां एक दिन में कोरोना के एक लाख से ज्यादा मामले आए हों। भारत में लगातार दूसरे दिन दुनिया के सर्वाधिक नए कोरोना मामले मिले हैं। अमेरिका एक दिन में 66,154 नए केस के साथ दूसरे और ब्राजील 41,218 नए मामलों के साथ तीसरे नंबर पर है।

कोरोना संक्रमण दोगुना होने की रफ्तार तेज हुई
देश में कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार बनी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दोगुना होने का समय अब घटकर 104 दिन रह गया है, जबकि एक मार्च को यह अवधि 504 दिन आंकी गई थी। इसके साथ ही कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश के भी जुड़ने से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों की श्रेणी में कुल 12 राज्य हो गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि पिछले चौबीस घंटों के दौरान करीब 81 फीसदी आठ राज्यों महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात से हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 57,074 नए संक्रमण आए हैं। जबकि 5818 की संख्या के साथ छत्तीसगढ़ दूसरे और 4373 नए संक्रमणों के साथ कर्नाटक तीसरे नंबर पर है। दैनिक संक्रमणों की यह संख्या पिछले साल एक दिन की सर्वोच्च संक्रमण संख्या (पीक) 97 हजार के बेहद करीब है तथा एक-दो दिनों में उसे पार कर सकती है।

उत्तर प्रदेश में संक्रमण बढ़ा: अभी तक 11 राज्य ही केंद्र के लिए चिंता का विषय बने हुए थे। लेकिन इधर उत्तर प्रदेश में तेजी से संक्रमण बढ़े हैं। रोजाना नए संक्रमण के मामले में वह छठे नंबर पर है। उत्तर प्रदेश में रविवार को 3187 नए मामले आए हैं।

12 राज्यों में नए संक्रमण ज्यादा: मंत्रालय ने कहा कि 12 राज्यों में नए संक्रमणों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इनमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, केरल शामिल हैं।

सक्रिय मामले साढ़े पांच फीसदी: देश में सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। फरवरी मध्य में 135 लाख तक रह गई थी, लेकिन रविवार को यह बढ़कर 691597 दर्ज की गई जो कुल मामलों का 5.54 फीसदी है। पांच राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, केरल और पंजाब में 76.41 प्रतिशत सक्रिय मामले हैं। जबकि अकेले महराष्ट्र में 58.19 प्रतिशत हैं।

रिकवरी दर 93 फीसदी: देश में कोरोना से स्वस्थ होने वालों का प्रतिशत 93.14 फीसदी है। अब तक 11629289 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। पिछले चौबीस घंटों में 60048 लोग स्वस्थ हुए हैं।

85 फीसदी से अधिक मौतें आठ राज्यों में: कुल 513 मौतों में से 85.19 फीसदी मौतें केवल आठ राज्यों में हुई है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 277, पंजाब में 49, छत्तीसगढ़ में 36, कर्नाटक 19, मध्य प्रदेश 15, तमिलनाडु एवं उप्र में 14-14 तथा गुजरात में 13 मौतें हुई हैं। 14 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कोई मौत दर्ज नही की गई है।

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