देश

देश (8854)

नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले की तुलना में करीब तीनगुना ज्यादा तीव्र है, यह नतीजा आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने निकाला है। संक्रमण की इस तेज वजह के पीछे चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ चार प्रमुख कारण मानते हैं। इनमें कोरोना के नए प्रकारों का फैलाव, पूर्व में संक्रमित हो चुके लोगों में प्रतिरोधक क्षमता का खत्म होना, भारत में कोरोना वायरस में दोहरे बदलाव (डबल म्यूटेशन) और कोरोना अनुकूल व्यवहार के पालन में भारी लापरवाही।

सीएसआईआर की प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के हाल में प्रकाशित शोध में दावा किया गया कि एक बार संक्रमित हो चुके लोगों में छह महीने बाद जब इम्यूनिटी के स्तर की जांच की गई तो 70 फीसदी में ही न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडीज पाई गईं जो दोबारा संक्रमण को रोकने में कारगर हैं। जबकि 30 फीसदी लोगों में यह करीब-करीब समाप्त होती दिखी।

आईजीआईबी के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि इसका मतलब स्पष्ट है कि यदि तीन लोगों को कोरोना हो चुका है तो छह महीने बाद उनमें से एक व्यक्ति को फिर से संक्रमण हो सकता है। लेकिन बाकी दो लोगों को संरक्षण कब तक मिलेगा यह स्पष्ट नहीं है, क्योंकि अध्ययन छह महीने के अंतराल पर किया गया है। यह अध्ययक्ष 24 शहरों में करीब संक्रमित हो चुके 200 लोगों पर किया गया।

विशेषज्ञों के अनुसार यह शोध महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि दिल्ली में हुए सिरो सर्विलांस में यह पाया गया था कि करीब 60 फीसदी आबादी कोरोना की चपेट में आ चुकी है। क्योंकि उनमें एंटीबॉडीज पाई गई थी। लेकिन आईजीआईबी का अध्ययन बताता है कि छह महीने के बाद इनमें से 30 फीसदी लोग फिर खतरे की जद में आ चुके हैं।
वायरस के नए प्रकार का प्रसार:

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर के अनुसार ब्रिटेन में पाए गए कोरोना प्रकार के मामले पंजाब, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत कई सूबों में पाए गए हैं। जिस प्रकार कोरोना का तेजी से प्रसार हो रहा है, उससे साफ है कि ब्रिटेन का प्रकार तेजी से देश में फैल चुका है। इसी प्रकार अफ्रीकी प्रकार का भी फैलाव हो चुका है। हालांकि ब्राजील प्रकार के मामले सीमित हैं।
वायरस में दोहरे बदलाव:

विशेषज्ञों के अनुसार भारत में सक्रिय वायरस में भी बदलाव हो रहे हैं। एनसीडीसी ने देश में कोरोना वायरस में दोहरे बदलावों की पुष्टि की है जो पहले से ज्यादा संक्रामक है। इस प्रकार देश में वायरस में हो रहे बदलाव भी इसके तेज प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं। इस पर गहराई से शोध की जरूरत है।

कोरोना अनुकूल व्यवहार में लापरवाही: प्रोफेसर किशोर कहते हैं कि तेज संक्रमण का एक प्रमुख कारण यह है कि आर्थिक गतिविधियां तेज होने के साथ-साथ लोगों में अब कोरोना को लेकर डर भी खत्म हो चुका है तथा लोग कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन नहीं कर रहे हैं जो इसके फैलाव का एक प्रमुख कारण है। ऐसा लगता है कि पिछले एक साल से कोरोना नियमों के पालन से लोग आजिज आ चुके हैं। दूसरे, टीके के आने से भी लोगों का डर दूर हुआ है।
तीन गुना तेज रफ्तार:

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने कहा कि पहली लहर में कोरोना के संक्रमण की दर 0.15 थी जो इस बार 0.4 है। यह तीन गुना से थोड़ी ही कम है। इसका मतलब है कि पहले एक व्यक्ति एक दिन में 0.15 लोगों को संक्रमित करता था, दूसरे शब्दों में कहें तो सात दिन में एक व्यक्ति को संक्रमित करता था। लेकिन अब ढाई दिन में कर रहा है।

4.5 फीसदी लोगों को दोबारा संक्रमण: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अध्ययन में देश में 4.5 फीसदी लोगों को 102 दिनों के बाद दोबारा संक्रमण की पुष्टि हुई है। हालांकि दुनिया में दोबारा संक्रमण के मामले महज एक फीसदी या इससे भी कम हैं। वायरस में म्यूटेशन से दोबारा संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है।

नई दिल्ली | देश में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। हालांकि, बीते 24 घंटे के अंदर नए मामलों में थोड़ी कमी देखी गई है लेकिन फिर भी ताजा आंकड़े 1 लाख 60 हजार के पार हैं। अब देश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा 1 करोड़ 36 लाख के पार पहुंच गया है। विभिन्न राज्यों की ओर से सोमवार देर रात तक मिले आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान देश में 1,60,694 नए मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या एक करोड़ 36 लाख 86 हजार 73 हो गई है।

इस दौरान 96 हजार 727 मरीज स्वस्थ हुए हैं जिसे मिलाकर अब तक 1 करोड़ 22 लाख 50 हजार 440 मरीज कोरोनामुक्त भी हो चुके हैं। इसी अवधि में सक्रिय मामले 57,897 और बढ़कर 12 लाख 58 हजार 906 हो गए हैं। इसी अवधि में 880 और मरीजों की मौत के साथ इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1 लाख 71 हजार 89 हो गई है।

देश में रिकवरी दर आंशिक घटकर 89.51 फीसदी और सक्रिय मामलों की दर बढ़कर 9.19 प्रतिशत हो गया है जबकि मृत्युदर घटकर 1.25 फीसदी रह गयी है।

महाराष्ट्र कोरोना के सक्रिय मामलों में शीर्ष पर है लेकिन राहत की बात यह है कि नये मामलों की तुलना में स्वस्थ मरीजों की संख्या अधिक होने से सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान सक्रिय मामलों में 841 की और कमी होने से इनकी संख्या आज घट कर 5,64,746 तक पहुंच गई लेकिन यह संख्या भी पूरे देश में सर्वाधिक है।

राज्य में इस दौरान संक्रमण के सबसे ज्यादा (पूरे देश में) 51 हजार 751 नए मामले सामने आने से संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 34,58,996 पहुंच गई है। इसी अवधि में 52,312 मरीजों के स्वस्थ होने से इस संक्रमण से निजात पाने वालों की संख्या बढ़कर 28,34,473 हो गई है तथा सबसे अधिक 258 और मरीजों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 58,245 तक पहुंच गया है।

नई दिल्ली | दिल्ली और महाराष्ट्र से कोरोना के हर रोज रिकॉर्ड संख्या में केस सामने आ रहे हैं। लोगों को अब लॉकडाउन का डर सताने लगा है। कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल भर गए हैं तो वहीं रेलवे स्टेशनों पर भी पैर रखने की जगह नहीं है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक बार फिर से लॉकडाउन लगाए जाने की आहट है और इससे खौफजदा मजदूर जल्द से जल्द अपने-अपने घरों तक पहुंचना चाहते हैं। यही कारण है कि महाराष्ट्र के कई रेलवे स्टेशनों पर कतारें लगी हैं तो वहीं दिल्ली के बस अड्डों पर भी भारी भीड़ देखने को मिल रही है।

कोरोना ने एक बार फिर मजदूरों पर कहर बरसाना शुरू कर दिया है। रोजगार छीन जाने के डर से मजदूर इन शहरों को छोड़कर अपने घरों की तरफ रवाना हो रहे हैं। दिल्ली में कई जगहों पर मजदूरों को अपना सामान कंधों पर लादकर बच्चों के साथ बस अड्डों पर गांव जाते हुए देखा गया। कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर लगाम कसने के लिए महाराष्ट्र में संपूर्ण लॉकडाउन लगाए जाने की चर्चा के बीच मुंबई में बाहर जाने वाली रेलगाड़ियों में पिछले सप्ताहांत से भीड़भाड़ बढ़ गई है। यह जानकारी सोमवार को रेलवे के सूत्रों ने दी।
बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर भीड़

आनंद विहार बस अड्डे पर दिल्ली से अपने गांव जा रहे एक मजदूर ने कहा, "जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं उससे यह साफ होता है कि लॉकडाउन लगाया जाएगा। इसी वजह से मैं घर जा रहा हूं।" वहीं महाराष्ट्र से अपने घर लौट रहे एक मजदूर ने कहा, लोगों के लिए मेडिकल सुविधाएं कम हैं और टीकाकरण भी धीमा चल रहा है। उन्होंने लॉकडाउन की स्थिति की आशंका जताई है इसलिए कुछ समय के लिए घर वापस आने का फैसला किया।”

बहरहाल, रेल प्रशासन ने गर्मी के मौसम को भीड़ का कारण बताया जिस दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने गृह स्थानों की यात्रा करते हैं। सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस महीने की शुरुआत में कोविड-19 को लेकर नई पाबंदियां लगाने के बाद से ही बिहार जाने वाली रेलगाड़ियों में भीड़ बढ़ गई है, लेकिन सप्ताहांत में भीड़ ज्यादा देखी गई।

कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार द्वारा संपूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार करने के कयास लगाए जा रहे हैं। लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर तैनात मध्य रेलवे के एक कर्मचारी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मुंबई में स्टेशन पर यात्रियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा,‘पिछले कुछ दिनों से रेलगाड़ियों में काफी भीड़ है।’

हर रोज रिकॉर्ड संख्या में आ रहे केस

राजधानी दिल्ली में सोमवार को कोरोना के 11491 नए संक्रमित मामले सामने आए। दिल्ली में यह एक दिन में अभी तक सर्वाधिक मरीज मिलने का रिकॉर्ड है। सोमवार को दिल्ली में 7665 मरीजों को छुट्टी दी गई। 72 मरीजों ने कोरोना के कारण दम तोड़ दिया। इस हिसाब से दिल्ली में हर घंटे करीब औसतन 479 कोरोना संक्रमित मिले हैं और हर घंटे में तीन मरीजों ने दम तोड़ दिया।

महाराष्ट्र में सोमवार को 51,651 केस सामने आए हैं। राजधानी मुंबई में भी कोरोना केस 7 हजार से कम हैं। एक दिन पहले महाराष्ट्र में जहां 63 हजार से अधिक केस मिले थे तो मुंबई में भी करीब 10 हजार मरीज मिले थे।

नई दिल्ली । कुरान की 26 आयतों को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला बताने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। रिज़वी ने अपनी दलील में कहा था कि कुरान की ये 26 आयतों में गैर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और उनकी हत्या को प्रेरित करने वाली बातें लिखी हैं। जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह याचिका विचार करने लायक नहीं है। पीठ में जस्टिस बीआर गवई और ऋषिकेष रॉय भी शामिल थे। रिज़वी ने अपनी याचिका में कहा था कि कुरान की ये 26 आयतें आतंक को बढ़ावा देने वाली हैं और उन्हें हटाया जाना चाहिए ताकि आतंकी गतिविधियों से मुस्लिम समुदाय का नाम न जुड़ सके। रिज़वी ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि इन आयतों से देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा है। पिछले महीने रिज़वी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करने के बाद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया था। आयोग ने अपने भेजे नोटिस में भी वसीम रिज़वी द्वारा कुरान को लेकर डाली गई पीआईएल पर नाराजगी जाहिर की थी। आयोग ने वसीम रिज़वी की विवादित टिप्पणियों और धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर उन्हें नोटिस जारी किया था। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने वसीम रिज़वी को बिना शर्त माफी मांगने और अपना बयान वापस लेने की बात कही थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने कहा था कि अगर वसीम ऐसा नहीं करते तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। आयोग ने यह भी कहा था कि वसीम रिज़वी ने सोची-समझी साजिश के तहत ऐसा बयान दिया है और देश में आपसी सौहार्द्र बिगाड़ने वाला बयान है।

जलगांव । देश में बेकाबू हुई कोरोना वायरस की दूसरी लहर अपना कहर बरपा रही है। इस बीच, महाराष्ट्र के जलगांव जिले से लोगों की हैरान कर देने वाली करतूत सामने आई है। सूचना मिलने पर प्रशासन भी हैरत में आ गया। दरअसल, जलगांव में गद्दों में रुई की जगह इस्तेमाल किए हुए मास्क भरे जा रहे थे। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जब लोग तमाम सावधानियां बरत रहे हैं, ऐसे में गद्दों के अंदर इस्तेमाल किए हुए मास्कों का भरना कितना घातक हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। जलगांव के लोगों की इस बेवकूफी की खबर एमआईडीसी पुलिस थाने को लगी कि महाराष्ट्र गादी सेंटर में मास्कों का इस्तेमाल रुई की जगह गद्दों में भरने के लिए किया जा रहा है। खबर सुनकर पुलिस प्रशासन भी हैरत में आ गया। तत्काल प्रभाव से पुलिस दलबल के साथ गद्दा बनाने वाले कारखाने पहुंची, तो वहां देखा कि गद्दों में मास्क भरने का काम किया जा रहा है।
कारखाने के मालिक पर मामला दर्ज
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने महाराष्ट्र गादी सेंटर के मालिक अमजद मंसूरी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इस कारनामे में गादी सेंटर के अलावा और कौन-कौन लोग शामिल हैं, इसकी जांच की जा रही है। पुलिस को मौके से इस्तेमाल किए हुए मॉस्क का भंडार भी मिला है, जिसे जला दिया गया है।

नई दिल्ली । कोरोनावायरस इन्फेक्शन की दूसरी लहर तेज हो चली है। इस बीच सोमवार को एक्सपर्ट कमेटी ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दे दी है। अब डीजीसीआई इस पर फैसला लेगा। मंजूरी मिलने पर यह भारतीय कोरोना टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीन बन जाएगी। भारत में 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ था और इसके लिए इसी साल की शुरुआत में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को मंजूर किया गया था। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसका प्रोडक्शन कर रहा है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ढ्ढष्टरूक्र) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी के साथ मिलकर बनाया है। पिछले हफ्ते रिपोर्ट आई थी कि ज्यादातर बड़े राज्यों में वैक्सीन डोज खत्म हो गए हैं। जिस रफ्तार से टीके लगाए जा रहे हैं, उस रफ्तार से बन नहीं रहे। इस वजह से तीसरी वैक्सीन को मंजूरी देना बेहद जरूरी हो गया था। मॉर्डना और फाइजर की वैक्सीन ही 90 फीसदी अधिक इफेक्टिव साबित हुई हैं। इसके बाद स्पुतनिक-वी ही सबसे अधिक 91.6त्न इफेक्टिव रही है। इसे रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड की फंडिंग से बनाया है। यह दो एडेनोवायरस वेक्टर से बनी है यानी कोवीशील्ड जैसी है। कोवीशील्ड में चिम्पांजी में मिलने वाले एडेनोवायरस का इस्तेमाल किया है। वहीं, रूसी वैक्सीन में दो अलग-अलग वेक्टरों को मिलाकर इस्तेमाल किया है। एस्ट्राजेनेका और रूसी वैक्सीन के कम्बाइंड ट्रायल्स की बात भी चल रही है।

मुंबई । अगर देश में कठोर लॉकडाउन लगता है तो नौकरियों में एक बार फिर भारी छंटनी हो सकती है। देश में 11 अप्रैल को समाप्त हफ्ते में बेरोजगारी दर भी बढ़ कर 8.6 फीसदी पर पहुंच गई है। दो हफ्ते पहले यह दर 6.7 फीसदी पर थी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा तैयार रोजगार के नए आंकड़ों के अनुसार, वायरस संक्रमण में रिकॉर्डतोड़ वृद्धि को रोकने के लिए राज्यों द्वारा लगाए जा रहे एक-एक कर लॉकडाउन आने वाले दिनों में नौकरियों में छंटनी का एक बड़ा कारण बनने जा रहे हैं। नौकरियों की छंटनी शहरी क्षेत्रों में अधिक गंभीर समस्या है, जहां यह 10 फीसदी के करीब है। कोरोना के संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए पिछले साल की तरह इस साल भी सख्त लॉकडाउन लगाने की बात हर राज्य कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में लग सकता है पूरा लॉकडाउन
आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र जो वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है, अब वीकेंड लॉकडाउन के बाद और सख्त लॉक डाउन लगाने पर विचार कर रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रात का कफ्र्यू चल रहा है। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर इसकी मेडिकल सुविधाओं पर बोझ बढ़ता है तो और सख्त लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
पिछले साल घरों में कैद हो गए थे लोग
गौरतलब है कि पिछले साल जब लॉकडाउन लगाया गया था तो लोग अपने-अपने घर में बंद हो गए थे और इससे करोड़ों लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा था। इसमें प्रवासी मजदूर भी शामिल थे। वह ट्रेन से या पैदल चलकर घर लौट गए थे। हालांकि जब लॉकडाउन के प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील देनी शुरू हुई तो अर्थव्यवस्था पटरी पर आती दिखी। जनवरी-फरवरी तक ऐसा लग रहा था कि कोरोना का सफाया हो चुका है। पर जिस तरह से पिछले 2 महीने से मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है लोगों को अब डर सता रहा है कि कहीं फिर से वही माजरा ना दोहराया जाए।

नई दिल्ली । भारत ने सबसे पहले अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन देने के साथ वैक्सीन मैत्री पहल की शुरुआत की। अब तक हमने 72 देशों को मेड इन इंडिया वैक्सीनों की सप्लाई की है। कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक चुनौती के दौर में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी मित्रता को लेकर जो कदम उठाए, उससे भारत का कद विश्व में ऊंचा हुआ है। 17 मार्च 2021 को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राज्यसभा में यह बात कही थी। वे सदन में वैक्सीन मैत्री शुरू करने के पीछे की सोच बता रहे थे। इस पहल के तहत भारत अब तक 45 देशों को 1 करोड़ से ज्यादा डोज मदद के तौर पर दे चुका है। इसके लिए वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के चीफ टेड्रोस ग्रेब्रेयेसस से लेकर कई देशों के प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर चुके हैं।
देश में सिर्फ 5 दिन का स्टॉक
सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी देश में एक समस्या खड़ी हो गई। हमारे ही कई राज्यों से अचानक वैक्सीन की कमी की खबरें आने लगीं। महाराष्ट्र में तो कई जगह वैक्सीनेशन रोकना पड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कई राज्यों के पास औसतन 5.5 दिन का स्टॉक बचा हुआ है। आंध्र प्रदेश में 1.2 दिन तो बिहार में 1.6 दिन का ही स्टॉक है। हालांकि, सरकार कह रही है कि देश में वैक्सीन की कमी नहीं होगी। ऐसे में विपक्ष ने दूसरे देशों को वैक्सीन सप्लाई करने पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बढ़ते कोरोना संकट में वैक्सीन की कमी बड़ी समस्या है। अपने देशवासियों को खतरे में डालकर वैक्सीन एक्सपोर्ट करना क्या सही है?

बेंगलुरु । कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये सूक्ष्म निरुद्ध क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी है। मुख्यमंत्री ने रविवार को प्रधानमंत्री से फोन पर बात करने के बाद उक्त जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार के प्रयासों की भी सराहना की।
येदियुरप्पा ने ट्वीट किया कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से बात की और उन्हें राज्य में महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिये उठाए जा रहे कदमों से अवगत कराया। प्रधानमंत्री ने सरकार के प्रयासों की सराहना की और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये सूक्ष्म निरुद्ध क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने का सुझाव दिया।
इससे पहले, बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंस के बाद येदियुरप्पा ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिये मनिपाल समेत राज्य के सात जिला केन्द्रों में 10 से 20 अप्रैल के बीच रात 10 बजे से सुबह पांच बजे तक कर्फ्यू लागू करने की घोषणा की थी।

नई दिल्ली | कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने बीते हफ्ते सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। लगातार जारी कोरोना विस्फोट को देखते हुए बीते हफ्ते पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों संग बैठक की थी। इसके बाद पीएम मोदी के निर्देश पर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब में स्थिति का जायजा लेने के लिए एक्सपर्ट्स की टीम भेजी गई थी। अब एक्सपर्ट्स की इन टीमों ने बताया है कि आखिर वह कौन सी वजहें हैं जिनकी वजह से कोरोना संक्रमण बेलगाम हो गया है। एक्सपर्ट्स की टीम ने बताया है कि महाराष्ट्र के तीन जिलों में अस्पताल पूरे भरे पड़े हैं तो वहीं तीन अन्य जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई में समस्या आ रही है। पंजाब में एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है जो सिर्फ कोरोना मरीजों के लिए हो और साथ ही राज्य में स्वास्थ्यकर्मियों की भी कमी है। वहीं, छत्तीसगढ़ में आरटीपीसीआर टेस्ट की कमी है। जानें कहां-कैसा हाल:

महाराष्ट्र में सबसे बुरा हाल!
एक्सपर्ट्स की टीम के मुताबिक, महाराष्ट्र के तीन जिलों में अस्पताल लगभग फुल हैं। वहीं, तीन अन्य जिलों में आक्सीजन की आपूर्ति को लेकर समस्याएं हैं, कुछ अन्य जिलों में वेंटिलेटर सही से काम नहीं कर रहे हैं। राज्य के सतारा, भंडारा, पालघर, अमरावती, जालना और लातुर जैसे जिलों में क्षमता से ज्यादा कोरोना जांच हो रही है, जिसकी वजह से टेस्ट रिपोर्ट आने में भी देरी हो रही है। महाराष्ट्र के सर्वाधिक प्रभावित जिलों में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग भी सही से न हो पा रही है।

पंजाब में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी
रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के SAS नगर और रूपनगर जिलों में सिर्फ कोरोना मरीजों के लिए कोई भी अस्पताल नहीं है, जिसकी वजह से मरीजों को पड़ोसी जिलों या चंडीगढ़ भेजा जा रहा है। रूपनगर में डॉक्टरों और नर्सों की कमी के कारण वेंटिलेटरों का सही से इस्तेमाल तक नहीं हो पा रहा है। पटियाला और लुधियाना में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की सख्त जरूरत है तो वहीं पटियाला में जांच की रफ्तार भी धीमी बताई गई है।

छत्तीसगढ़ इन जिलों में है कोरोना का कहर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के बालोड, रायपुर, महासमंद और दुर्ग जैसे जिलों में कोरोना मरीजों के कारण अस्पताल भर गए हैं। इसके अलावा कुछ जिलों में रेमेडिसविर दवा की भी कमी है। वहीं रायपुर में ऑक्सीजन की बर्बादी भी सामने आई है। वहीं दुर्ग जिले के मरीजों को किसी और अस्पताल भेजने में सबसे बड़ी अड़चन ऐंबुलेंस की कमी को बताया गया है। बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश के पांच राज्यों में कोरोना के 70.82 प्रतिशत ऐक्टिव केस हैं। ये पांच राज्य महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और केरल हैं। अकेले महाराष्ट्र में ही कोरोना के 48.57 फीसदी ऐक्टिव केस हैं।

Ads

फेसबुक