मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश (8540)

भोपाल. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रायसेन और शिवपुरी के करैरा में खाद लेने आए किसानों पर लाठियां चलाने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने डीजीपी को इस मामले की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। असल में, किसान यूरिया लेने के लिए कतार में खड़े थे, वहां पर भीड़ बढ़ने से अव्यवस्था की स्थिति बन रही थी, तभी पुलिस ने उन पर लाठियां भांजनी शुरू कर दीं। इससे कुछ किसानों को गंभीर चोंटे भी आई थीं, जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। रायसेन और करैरा में पुलिस की लाठीचार्ज की खबरें मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंचीं। इस पर कमलनाथ ने नाराज़गी जताई और डीजीपी को निर्देश दिया है कि वो तत्काल इस मामले की जांच कराएं। उन्होंने डीजीपी कहा है कि जांच करें कि किसानों पर बलप्रयोग की स्थिति क्यों बनी।क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बलप्रयोग किया गया या अनावश्यक कारण से लाठियां चलाई गईं। अगर अनावश्यक बलप्रयोग किया गया है तो दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही कह चुके हैं कि ये किसान हितैषी सरकार है। प्रशासन से उन्होंने कहा है कि सरकार किसानों का दमन किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये बीजेपी सरकार नहीं है, जिसमें किसानो के सीने पर गोलियां दाग़ी गयी थीं।
केंद्र सरकार ने बढ़ाया मध्य प्रदेश का कोटा
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ के प्रयासों के बाद से केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश के यूरिया कोटा का आवंटन बढ़ा दिया है। प्रदेश को जनवरी महीने में अब 2.52 लाख मीट्रिक यूरिया मिलेगा।
करेरा में किसान का आरोप : पुलिस ने हमें पीटा
जिला अस्पताल में भर्ती किसान मुकेश (30) पुत्र धनीराम कुशवाह निवासी चिलौद ने दैनिक भास्कर को बताया कि वह सुबह 8 बजे से लाइन में लगा था। दोपहर 12 बजे जैसे ही ट्रक आया तो सभी लोगों ने खाद की मांग की। वहां पुलिस खड़ी थी। पुलिस ने हमें ही डंडों से पीटा जिससे मेरी अंगुली और पैरों के पास चोट आई है।
थाना प्रभारी की सफाई : भीड़ में दबने से आई किसान को चोट थाना प्रभारी राकेश शर्मा का कहना है कि वे मौके पर पहुंचे तो भीड़ बहुत थी। वहां लाइन तोड़कर किसान आगे पीछे हो रहे थे। हम जब वहां पहुंचे, तब एक किसान भीड़ में दबा था। इसी कारण उसे चोट आई। पुलिस ने कोई लाठीचार्ज नहीं किया। घायल किसान को इलाज के लिए हमने अस्पताल भिजवाया गया है।

इंदौर. मंगलवार को टीम कमलनाथ में 28 विधायकों के मंत्री पद की शपथ ग्रहण लेने के बाद कुछ विधायकों में नाराजगी देखी जा रही है। बुधवार को जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन) प्रमुख और मनावर से कांग्रेस के विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर वादा-खिलाफी का आरोप लगाया है। अलावा ने कहा- भाजपा सरकार को सत्ता से दूर करने के लिए हमने कड़ी मेहनत की है। हमें सरकार में भागीदारी दी जाना चाहिए।
इसके बारे में राहुल गांधी से बात करूंगा, इसके बाद आगे क्या करना है इस पर फैसला लिया जाएगा। अलावा ने कहा - चुनाव से पहले कमलनाथ ने उनसे सरकार बनने पर मंत्रिमंडल में शामिल करने का वादा किया था। उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए की प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में आदिवासियों ने कितना योगदान दिया है।
चुनाव से पहले राहुल गांधी से बात हुई थी, जिसके बाद जयस ने कांग्रेस का साथ दिया और मैं कांग्रेस की ओर से मैदान में उतरा। हम तो 80 विधानसभा सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में थे, लेकिन कांग्रेस के आश्वासन के बाद हमने ऐसा नहीं किया। अलावा ने कहा - शिवराज सरकार को चौथी बार सत्ता में आने देने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि हमने शिवराजजी के समक्ष अपनी कुछ मांगें रखी थीं, जिसे उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया था। जो सरकार आदिवासियों के हित के लिए काम नहीं कर रही थी, उसे तो हमें खारिज करना ही था। कांग्रेस ने हमारी बात मानी और हमें सरकार में शामिल करने का आश्वासन भी दिया था।
मंत्री को हराया था : धार जिले की मनावर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हीरालाल अलावा ने पहले जयस के टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिलों में प्रत्याशी उतारने की बात कही थी। हीरालाल की इस घोषणा के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने उनसे मुलाकात कर उन्हें मनावर से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया था। हीरालाल ने भाजपा की बड़ी नेता और प्रदेश सरकार में मंत्री रंजना बघेल को शिकस्त दी है।
अलावा ने ट्वीट के जरिए भी जताई थी नाराजगी : जयस प्रमुख और मनावर से कांग्रेस के विधायक डॉ. हीरा अलावा ने मंत्रिमंडल गठन से पहले एक ट्वीट कर सरकार में शामिल नहीं करने को लेकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने लिखा था- जयस ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। वादे के मुताबिक जयस की भागीदारी सरकार में होनी चाहिए, जयस को अनदेखा करना कांग्रेस की बड़ी भूल होगी।

भोपाल. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की पहली ही बैठक में साफ कर दिया है कि वचन पत्र के सभी बिंदुओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होगी। उन्होंने मंत्रियों को साफ कर दिया है कि वह अधिकारियों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर काम करेंगे। सरकार में लापरवाही और सुस्ती के प्रति जीरो टॉलरेंस रहेगा। जनसेवा सरकार का प्राथमिक दायित्व है।
वल्लभ भवन मंत्रालय में मंत्री परिषद और अधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा- सभी विभाग समयबद्ध कार्ययोजना बना लें। मुझे किसी तरह की शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। अगर शिकायत मिली तो अफसर को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। नए नजरिए के साथ व्यवस्था को देखें, जहां भी परिवर्तन और नवाचार जरूरी हैं, उन पर अमल करें। इसके साथ ही हर कैबिनेट में एक विभाग को प्रेजेंटेशन देना होगा। गुरुवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में कृषि विभाग का प्रेजेंटेशन देखा जाएगा।
विभाग के संचालन की जिम्मेदारी विभाग के मंत्री की : मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि जनहित के कार्य बिना किसी हीला-हवाली के त्वरित हों। नियमानुसार होने वाले कार्य नियमित कार्यप्रणाली से ही हों, ये सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री के समक्ष केवल ऐसे विषय लाए जाएं, जो नियमित व्यवस्था में नहीं हो सकते। विभाग के संचालन का दायित्व विभागीय मंत्री का होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा- जनसेवा सरकार का प्राथमिक दायित्व है। हालांकि ये बैठक अनौपचारिक थी। इसका कोई एजेंडा नहीं रखा गया था। गुरुवार को फिर से कैबिनेट की मीटिंग रखी गई है, जिसमें एजेंडे के साथ ही विभागवार प्रेजेंटेशन भी दिए जाएंगे। बैठक से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ और मंत्री मिंटो हॉल गए, जहां पर वह महात्मा गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई।

भोपाल/ग्वालियर. पहाड़ों में बर्फबारी होने से मैदानी इलाकों में गलन वाली सर्दी का असर बढ़ गया है। एक सप्ताह से प्रदेश के लगभग 42 जिलों में न्यूनतम पारा 10 डिग्री के नीचे चल रहा है। लिहाजा, लोग दिन और दिन ठंड में ठिठुर रहे हैं। सर्दी का सबसे ज्यादा असर ग्वालियर-चंबल संभाग समेत बुंदेलखंड के कुछ जिलों में देखा जा रहा है।
ग्वालियर में उत्तर से बर्फीली हवा आने के कारण दिन में भी सर्दी सता रही है। सोमवार को भी ग्वालियर-चंबल संभाग शीतलहर की चपेट में हैं। पर्यटन स्थल पचमढ़ी और खजुराहों में बीते एक सप्ताह से न्यूनतम पारा 2 डिग्री चल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले तीन दिन इसी तरह का मौसम बना रहेगा।
इंदौर में थोड़ी राहत : यहां मौसम का मिजाज एकदम से बदल गया है। दो दिन पहले तक जहां दिन-रात का तापमान सामान्य से कम चल रहा था। सुबह-शाम कंपकंपी का एहसास हो रहा था, वह मौसम अब बदल गया है। तापमान सामान्य से 2 डिग्री ज्यादा हो गया है। रविवार को अधिकतम तापमान 28.6 डिग्री दर्ज हुआ, वहीं शनिवार रात को 11.8 डिग्री न्यूनतम तापमान रहा। हालांकि मौसम विभाग का अनुमान है कि दो दिन बाद फिर ठंड लौटेगी। तापमान 7 से 8 डिग्री के बीच रहेगा। 31 दिसंबर तक मौसम कंपकंपाने वाला ही रहेगा।
सागर में तापमान 10 डिग्री से नीचे : शहर में लगातार 8 दिन से रात का तापमान 6 से 10 डिग्री के बीच बना हुआ है। इससे पहले 1996 में 9 से 14 दिसंबर तक छह दिन तक रात का तापमान 5.8 से 7.8 डिग्री के बीच रहा था। यहां 10 दिन पहले 13 दिसंबर से रात के तापमान के लुढ़कने का सिलसिला शुरू हुआ था। 14 दिसंबर को यह 10 डिग्री से नीचे 9.2 डिग्री, 15 को भी 9.2 डिग्री और फिर 16 दिसंबर को यह 9.2 डिग्री से गिरकर 6.5 डिग्री पर पहुंच गया। तब से यह शनिवार तक 10 डिग्री और इससे नीचे ही रहा। रविवार को भी रात का तापमान 10 डिग्री ही रहा।
खजुराहो में तापमान 2 डिग्री पर पहुंचा : एक सप्ताह से लगातार ही न्यूनतम तापमान 2 डिग्री के आसपास है। रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 24.6 डिग्री और न्यूनतम 2.0 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि शनिवार को अधिकतम 24.4 और 2.0 डिग्री रिकाॅर्ड किया गया था। अधिकतम तापमान में 0.2 की गिरावट हुई है।
भोपाल : पिछले सीजन में 25 जनवरी को रात का तापमान 6.6 डिग्री दर्ज किया गया था। यानी यह रात सबसे सर्द थी। लेकिन इस बार दिसंबर में ही दो बार रात का तापमान 19 और 20 दिसंबर को इससे कम 6.0 और 6.2 डिग्री तक पहुंच चुका है। यानी इस बार दिसंबर पिछले सीजन के जनवरी से भी ज्यादा ठंडा है। दरअसल, अभी सुबह 6.30 बजे के बाद सूर्योदय हो रहा है। सूरज उगने के बाद भी पारा 8 डिग्री पर रहता है। तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री कम किया जा रहा है। ऐसा मौसम जनवरी में ही होता है, लेकिन इस बार दिसंबर में ऐसे हालात बने। लगातार दस दिन से रात का तापमान सामान्य से कम है।
दिन के तापमान में तीन दिन से इजाफा : दिन के तापमान में तो तीन दिन से इजाफा हो रहा है, लेकिन रात का तापमान 7-8 डिग्री के आसपास ही बना हुआ है। शाम 5 बजे के बाद मौसम में ठंडक हो जाती है। सुबह 7 बजे तक पारा तेजी से लुढ़क रहा है। इस वजह से सुबह सात बजे तक ठंडक बनी रहती है। रविवार को भी रात का तापमान 8.1 डिग्री दर्ज किया गया। इसमें सिर्फ 0.1 डिग्री की बढ़ोतरी हुई। ठंडक के कारण पिछले 72 घंटे में भी इसमें सिर्फ 1.1 डिग्री का इजाफा हो सका।

पहली बार के विधायक नहीं बनेंगे मंत्री
विजयलक्ष्मी साधौ बन सकती हैं विस अध्यक्ष
भोपाल. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रीमंडिल पर मोहर लगा दी है। इधर, भोपाल में मंगलवार को होने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। चार दिन से दिल्ली गए कमलनाथ आज रात भोपाल वापस आ जाएंगे। इसके बाद ही मंत्रिमंडल के नामों का खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
मंत्रिमंडल गठन को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ 4 दिन से दिल्ली में हैं। वे गुरुवार को दिल्ली पहुंच गए थे। उन्होंने राहुल गांधी के अलावा प्रदेश के दिग्गज नेताओं दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी चर्चा की। इन चार दिनों में कमलनाथ चार बार राहुल गांधी और तीन बार ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिले हैं। सूत्रों का कहना है कि इन मुलाकातों के बीच एक बार राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी लगभग एक घंटे चर्चा हुई है। विधानसभा अध्यक्ष का नाम आज तय होने की संभावना है। इस पद के लिए वरिष्ठ सदस्यों में डॉ. गोविंद सिंह, केपी सिंह और डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ के नाम की चर्चा है। यह माना जा रहा है कि साधौ को अध्यक्ष बनाए जाने पर सहमति बन सकती है।
पहली बार के विधायक मंत्रिमंडल में नहीं: मंत्रिमंडल के गठन को लेकर शनिवार को भी दिल्ली में मुख्यमंत्री कमलनाथ की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की। कमलनाथ, एके अंटोनी, भंवर जितेंद्र सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दीपक बावरिया के बीच देर रात तक चर्चा जारी रही। सूत्रों के मुताबिक पहली बार के किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया जाने पर नेताओं के बीच सहमति बन चुकी है। दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के बीच विभागों के बंटवारे को लेकर भी चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार प्रमुख विभागों के बंटवारे में भी गुटीय संतुलन का ध्यान रखा जा रहा है।
सात जनवरी को पहला सत्र: विधानसभा का नया सत्र 7 जनवरी से शुरू होने वाला है जो 11 जनवरी तक होगा चलेगा। इस सत्र में सभी नए विधायक शपथ लेंगे। 90 विधायक पहली बार सत्र में शामिल होंगे।
कल दोपहर से राजभवन रोड पर वाहन प्रतिबंधित : प्रदेश के नए मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह मंगलवार दोपहर एक बजे से पांच बजे तक राजभवन में होगा। इसके लिए पुलिस ने ट्रैफिक व्यवस्था में कुछ बदलाव किए हैं। मालवीय नगर तिराहा, मछलीघर तिराहा, कंट्रोल रूम तिराहा से राजभवन की ओर केवल कार्यक्रम में आने वाले वाहनों को ही प्रवेश दिया जाएगा। इस बीच अन्य सभी तरह के वाहनों के लिए राजभवन जाने वाला मार्ग प्रतिबंधित रहेगा।

इंदौर। बजरंग बली की जाति-धर्म को लेकर भाजपा नेताओं द्वारा की जा रही बयानबाजी पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को निशाना साधा। उन्होंने कहा कि "हिन्दू देवता पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य भाजपा नेताओं के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अखाड़ा परिषद जैसे संगठनों को कोई भी संबंध नहीं रखना चाहिये और इन नेताओं का सार्वजनिक रूप से तिरस्कार किया जाना चाहिये।" उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "हनुमानजी को लेकर अनर्गल बहस की शुरूआत उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजरंग बली को दलित कहकर की थी। इसके बाद अन्य भाजपा नेताओं ने बजरंग बली को मुसलमान और जाट भी बता दिया।" 

 

 71 वर्षीय राज्यसभा सांसद ने कहा, "हम हनुमानजी को भगवान शंकर का अवतार मानते हैं। लेकिन भाजपा नेता हनुमानजी को भी जाति-धर्म के मामले में घसीट रहे हैं। आखिर ये नेता किस धर्म का पालन कर रहे हैं?" उन्होंने मांग की योगी और अन्य भाजपा नेताओं को भगवान हनुमान पर अपने आपत्तिजनक बयानों के लिये माफी मांगनी चाहिये। इसके साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और अखाड़ा परिषद जैसे संगठनों को इन नेताओं का सार्वजनिक रूप से बहिष्कार व तिरस्कार करना चाहिये।  दिग्विजय ने मध्यप्रदेश के हालिया विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बहुचर्चित बयान "टाइगर जिंदा है" पर तंज कसा।  उन्होंने कहा, "टाइगर (शिवराज) के नाखून और दांत तो निकल चुके हैं। वैसे भी संकटग्रस्त प्रजाति के टाइगर के संरक्षण की जवाबदारी अब हमारी (नवगठित कांग्रेस सरकार) है।" 
 
प्रदेश की नवगठित कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी योजना के दायरे में कथित रूप से नहीं आने के कारण खंडवा जिले में आदिवासी तबके के 45 वर्षीय किसान ने हाल ही में आत्महत्या कर ली है। इस बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "मुझे इस मामले की हालांकि जानकारी नहीं है। लेकिन हमने सूबे में किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा जून 2018 में की थी। उस अवधि (जून 2018 तक) में जितने भी किसान कर्जदार थे, उनके कर्ज माफ होंगे।" दिग्विजय ने एक सवाल पर आरोप लगाया कि व्यापमं घोटाले की जांच कर रही सीबीआई इस मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, "इन हालात में व्यापमं मामले को लेकर उठाये जाने वाले कदमों पर हम अध्ययन कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि "आगामी लोकसभा चुनाव तय करेंगे कि देश महात्मा गांधी के दिखाये रास्ते पर चलेगा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक (प्रमुख) माधव सदाशिव गोलवलकर के प्रदर्शित पथ पर आगे बढ़ेगा।" 

 

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश विधानसभा चुनाव में मंगलवार को कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी उभरकर आने की संभावना के मद्देनजर और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर मिलने का वक्त मांगा। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखे पत्र में उनसे मिलने का वक्त मांगा है और प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरकर आने की संभावना और विजयी हुए निर्दलीय के समर्थन की बात करते हुए प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश किया है।

पत्र में नाथ ने लिखा है, ‘कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरकर आ रही है। इसके अलावा कांग्रेस को सभी निर्दलियों का भी समर्थन हासिल है।’ इसके साथ ही कमलनाथ ने परिणामों की अधिकृत घोषणा के साथ ही वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगते हुए प्रदेश में सरकार बनाने की अनुमति चाही है।

 

चुनाव आयोग के मुताबिक प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में से अब तक घोषित परिणामों के अनुसार 72 सीटों पर भाजपा, 73 सीटों पर कांग्रेस तथा तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी घोषित हुए है। इसके अलावा रुझान के मुताबिक भाजपा 37, कांग्रेस 41, बसपा दो, सपा एक और निर्दलीय एक सीट पर आगे चल रहे हैं।

शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश सीएम पद से इस्तीफा देने के लिए राज्यपाल के पास जा रहे हैं। शिवराज सिंह ने कहा कि हम सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे और हम संख्या बल के आगे सिर झुकाते हैं। 

शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार सुबह मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है इसलिए हम सरकार बनाने का दावा पेश करने नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपना इस्तीफा गवर्नर को देने जा रहा हूं। और शिवराज सिंह यह कहते ही गवर्नर को इस्तीफा देने राजभवन गए और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया है। शिवराज सिंह के इस्तीफे के बाद से यह साफ हो चुका है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। आज कांग्रेस नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

एक ओर जहां जनमत आते ही अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी हार स्वीकरा करते हुए कल ही इस्तीफा सौंप दिया था लेकिन शिवराज सिंह मंगलवार रात सरकार बनाने की जुगत में लगे रहे। और जब उन्हें कहीं से भी कोई आस दिखाई नहीं दी तब उन्होंने बुधवार सुबह अपनी हार स्वीकारी और राज्यपाल को इस्तीफा देने सौंपे। शिवराज सिंह ने कांग्रेस पार्टी और कमलनाथ को शुभकामनाएं दीं और कहा कि हार की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है।  

बता दें कि 11 दिसंबर को आए परिणामों में शिवराज सरकार को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया है। भाजपा को 109 सीट आई है जबकि कांग्रेस बहुमत 116 से महज दो कदम दूर 114 सीटों पर ही ठिठक गई है। शिवराज पिछले 13 सालों से मुख्यमंत्री पद पर थे। 

बता दें कि एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश में सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले का अनुमान जताए गए थे जिसके बाद भाजपा ने इसे सच्चाई से दूर बताया था। भाजपा ने इस बार बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को पार्टी के हक में बताया था। पार्टी ने कहा कि जो ढाई प्रतिशत मतदान बढ़ा है वह भाजपा सरकारों की नीतियों और योजनाओं को स्पष्ट समर्थन है और भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव (165) से भी अधिक सीटें जीतने जा रही है। लेकिन वह 109 सीट पर ही ठिठक गई है। 

भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की कवायद अब तेज हो गई है। एक तरफ 3 बार से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैठकें कर रहे हैं। तो वहीं, दूसरी तरफ अब खबर आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बहुमत जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बता दें कि पार्टी सूत्रों से पता चला है कि दिग्विजय सिंह को आलाकमान ने सरकार बनाने की जिम्मेदारी दी है। 

इससे पहले बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने कहा था कि वह किसी भी हालत में बीजेपी को समर्थन नहीं देगी। इसी के साथ ही उन्होंने उन उम्मीदवारों को दिल्ली बुलाया है जो अपनी-अपनी सीटों से आगे चल रहे है ताकि खरीद-फरोख्त की राजनीति न हो पाए।

वहीं, खबर ये भी है कि मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के जो नेता आगे चल रहे हैं उनमें से कुछ नेता कांग्रेस छोड़ कर बसपा में शामिल हुए थे। इसी बात को ध्यान में रखकर पार्टी ने यह जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह को सौंपी है। 

मंगलवार 11 दिसंबर को मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही जीत का दावा कर रहे हैं। इसी बीच मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से पूछा गया कि यदि राज्य में कांग्रेस जीतती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हम 140 से ज्यादा सीटे जीतेंगे। कल तक का इंतजार कीजिए उसके बाद सबकुछ साफ हो जाएगा। 

 

7 दिसंबर को मतदान खत्म होने के बाद सभी राज्यों के एग्जिट पोल आए थे। आठ में से चार एग्जिट पोल में राज्य की सत्ता की चाबी कांग्रेस के हाथ में जाती हुई बताई गई थी। वहीं चार में भाजपा के ही सर्वेसर्वा बने रहने की भविष्यवाणी की गई थी। कल नतीजे आने से तस्वीर साफ हो जाएगी। लेकिन राज्य में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। 

एग्जिट पोल उम्मीद के मुताबिक नहीं दिखने पर कुछ नेता इसे गलत तो वहीं कुछ पोल में मिली सीटों से भी अधिक सीटें जीतने का अनुमान लगाते हुए दिखे थे। चुनावी पंडितों की मानें तो प्रदेश की 54 सीटें ऐसी हैं जहां कब्जा करने वाला ही प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो सकता है। वहीं कई एग्जिट पोल भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान लगा रहे हैं। 

यदि यह एग्जिट पोल सही साबित हुए तो दोनों ही पार्टियां कहीं न कहीं टिकट बंटवारे की प्रकिया को दोष देंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि टिकट ना मिलने से नाराज दोनों ही पार्टी के बागी नेताओं ने 30 सीटों पर आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ दूसरी पार्टी के टिकट पर या निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकी।

दोनों ही पार्टियों ने बागियों को मनाने का प्रयास किया। कांग्रेस की ओर से जहां दिग्विजय सिंह तो भाजपा की ओर से खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन नेताओं को मानने और उम्मीदवारी वापस कराने के लिए मोर्चा संभाला था।

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