मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश (8540)

दिग्विजय सिंह के ट्विटर पर गलत फोटो डालने के बाद अब बीजेपी पर अपने विज्ञापन में प्रदेश की सड़कों का गलत विज्ञापन डालने का आरोप लगा है. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ने 'समृद्धि सड़कों की' के नाम से दिए गए विज्ञापन में जिस सड़क का फोटो दिया है, वो मध्य प्रदेश की है ही नहीं.

'समृद्धि सड़कों की' के नाम से मध्यप्रदेश के अखबारों में दिया गया बीजेपी का विज्ञापन अब विवादों में आ गया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस विज्ञापन में सीएम शिवराज सिंह चौहान और पीएम मोदी के फोटो के साथ बैकग्राउंड में जिस तरह का एक्सप्रेस-वे बनाने का दावा किया गया है, वो तस्वीर एमपी की नहीं बल्कि विदेश की है. विज्ञापन में दी गई तस्वीर में गाड़ियां लेफ्ट हैंड ड्राइव पर चल रही हैं जबकि भारत में राइट हैंड ड्राइव होती है.

कांग्रेस का आरोप है कि विज्ञापन में जो फोटो इस्तेमाल की गई है, वो विदेशी हाईवे या फिर एक्सप्रेस-वे की है. कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी पर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाया है. इस विज्ञापन में इस्तेमाल किए गए फोटो को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग में जाकर शिकायत की है.

 

मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया कन्वेनर नरेंद्र सलूजा ने बताया कि अखबार में जिस सड़क की फोटो दी गई है, उसे देखने से लगता है कि ये भारत या मध्य प्रदेश की नहीं है. इसमें उलटी दिशा में गाड़ियां चल रही हैं. सलूजा ने आरोप लगाया कि यह विदेशी सड़क की फोटो है क्योंकि जिन गाड़ियों का फोटो इसमें है, वो भी विदेशी हैं और बीजेपी भ्रामक प्रचार के जरिए जनता को गुमराह कर रही है.

बीजेपी के इस विज्ञापन में अगली सरकार में सड़क निर्माण को लेकर पांच साल का रोडमैप जारी किया है. वहीं बीजेपी को इस विज्ञापन में कुछ भी गलत नजर नहीं आ रहा है. बीजेपी के भोपाल से सांसद आलोक संजर का कहना है कि कांग्रेस ने अगर चुनाव आयोग से शिकायत की है, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. संजर ने कहा, 'हम जो कुछ भी अच्छा दिखा रहे हैं वो कांग्रेस को लगता है कि विदेश का है. कांग्रेस ने तो पाकिस्तान के पुल को भारत का बता दिया था, बांग्लादेश की सड़क को एमपी का बता दिया था. कांग्रेस पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखे, उसके बाद बीजेपी पर इस तरह के आरोप लगाए.'

देश इस समय चुनावी जंग का मैदान बन गया है क्योंकि 5 राज्यों में लोकसभा चुनाव होने जा रहे है और सभी पार्टियां एक-दूसरे पर जुबानी जंग से वार कर रहे है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र (संकल्प पत्र) जारी कर दिया हैं। इस मौके पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, धर्मेंद्र प्रधान, नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह, प्रभात झा समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र पहले ही जारी कर दिया था और कहा था कि अगर उनकी सरकार बनता है तो वो किसानों का कर्ज मांफ करेंगे। अब बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र जारी करते हुए कहा है कि किसानों के साथ न्याय होगा। बीजेपी पिछले 15 सालों से सत्तारूढ़ है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई दिग्गज लगातार रैलियां कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर 28 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के लिए चुनाव अभियान तेज हो गया है। इसी कड़ी में आज का दिन बहुत अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी राज्य में चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी 16 से 25 नवंबर के बीच पांच दिन मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। प्रदेश में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं। 

 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद राकेश सिंह ने प्रधानमंत्री के दौरे की जानकारी देते हुए बृहस्पतिवार को बताया कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री 16 नवंबर को दोपहर 2 बजे शहडोल एवं शाम 05.05 बजे ग्वालियर में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। 

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी 18 नवंबर को छिंदवाड़ा और इंदौर में, 20 नवंबर को झाबुआ और रीवा में, 24 नवंबर को मंदसौर और छतरपुर में और 25 नवंबर को विदिशा और जबलपुर जिलों में जनसभाओं को संबोधित करेंगे। 

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी आज देवरी, बरघाट, मंडला, शहडोल में जनसभाओं को संबोधित करेंगे और रात में शहडोल में करेंगे। इनके अलावा बीजेपी अध्यक्ष शाह गुरुवार को राज्य में रहे, शुक्रवार को फिर विमान द्वारा खजुराहो पहुंचेंगे। उसके बाद टीकमगढ़, सागर और दमोह में जनसभा को संबोधित करने के बाद खजुराहो होते हुए दिल्ली रवाना हो जाएंगे। 

मोदी की छवि का फायदा उठाकर भाजपा चौथी बार प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिये पुरजोर प्रयास कर रही है। प्रदेश के दोनों मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस की नजर मोदी के प्रदेश के चुनावी दौरों पर है। 

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने दावा किया कि प्रदेश में मोदी के चुनावी दौरों से कोई असर नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पिछले 15 सालों के शासन के कारण जनता में प्रबल सत्ता विरोधी लहर चल रही है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस इस चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली है। 

वहीं भाजपा प्रवक्ता अनिल सौमित्र ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी करिश्माई नेता हैं और उनके प्रदेश में चुनावी दौरों के बाद भाजपा को बहुत फायदा होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस बार "अबकी बार 200 पार" का लक्ष्य रखा है। मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं।

जस्टिस एसके सेठ ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की शपथ ले ली है। भोपाल के राजभवन में एसके सेठ ने शपथ ग्रहण की। बता दें कि केंद्र सरकार ने 9 नवंबर को नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी थी। एक नवंबर 2018 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के पद की शपथ ली थी।

 

जस्टिस हेमंत की जगह एसके सेठ को चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वरिष्ठता के आधार पर उन्हें हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने की सिफारिश की थी। इसके बाद 9 नवंबर को कानून मंत्रालय ने नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी। जस्टिस एसके सेठ का जन्म 10 जून 1957 को हुआ। 

बीए-एलएलबी करने के पश्चात् उन्होंने वर्ष 1981 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में वकालत का व्यवसाय शुरू किया। 21 मार्च 2003 को उन्हें मप्र हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 19 जनवरी 2004 को जस्टिस सेठ को स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वर्तमान में वे एक्टिंग चीफ जस्टिस के पद पर कार्यरत थे।

  • जातिवाद, एंटीइंकम्बेंसी की वजह से बागियों को क्षेत्रों में मजबूती मिल रही
  • दिग्विजय सिंह का कहना है कि भाजपा के मुकाबले उनकी पार्टी में बागी कम, कहा- हमें चिंता नहीं

भोपाल .  मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में नाम वापसी की आखिरी तारीख 14 नवंबर को सिर्फ एक दिन बचा है और अभी तक अपनी पार्टियों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले कई बागी पटरी पर नहीं लौट पाए हैं। इस कारण भाजपा-कांग्रेस दोनों का ही टेंशन बढ़ गया है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा परेशानी मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हो रही है। राज्य में 28 नवंबर को मतदान होगा और परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे।

 

 

यहां करीब दो दर्जन बागी ऐसे हैं, जो पार्टी प्रत्याशियों को सीधी चुनौती दे रहे हैं। हालांकि पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि भाजपा के मुकाबले उनकी पार्टी में बागी कम हैं और जो हैं उन्हें भी एक-दो दिन में मना लेंगे। वहीं बागियों और दमदार निर्दलीय प्रत्याशियों के कारण भाजपा के 14 मंत्रियों की राह मुश्किल हो रही है। जातिवाद, एंटीइंकम्बेंसी के कारण यहां बागियों को ताकत मिली है। ज्यादातर मंत्री ऐसे हैं, जो कई चुनाव से जीतते आ रहे हैं। इसलिए इनकी सीटों पर पार्टी पीएम मोदी, अमित शाह के दौरे रखने की तैयारियों में जुटी है।

 

      एंटी इंकम्बेंसी के कारण सीट बचाने की जुगत में गली-गली प्रचार

 

      कांग्रेस का सिरदर्द

 खरगोन : भगवानपुरा सीट से विजय सिंह सोलंकी के सामने केदार डाबर बागी बनकर चुनौती दे रहे हैं। डाबर के पिता चिड़ाभाई चार बार विधायक रहे हैं, इसलिए उनकी क्षेत्र में अच्छी खासी पैठ है।

  • बड़वानी : रमेश पटेल के सामने बागी राजेंद्र मंडलोई निर्दलीय खड़े हैं। भाजपा ने प्रेम सिंह पटेल को उतारा है जो रमेश के चाचा हैं।
  • पंधाना : यहां छाया मोरे के सामने बागी रूपाली बारे निर्दलीय लड़ रही हैं। मोरे पंधाना की नहीं हैं, इसलिए यहां उनका विरोध है। वहीं बारे के पिता यहां से दो बार चुनाव लड़े, इसलिए उनका जनसंपर्क अच्छा है।
  • बुरहानपुर : बागी सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा मैदान में हैं। वे रवींद्र महाराज को चुनौती दे रहे हैं। शेरा के दो भाई शिवकुमार और महेंद्र सिंह सांसद रह चुके हैं, इसलिए महाजन के खिलाफ असंतोष है।
  • इंदौर-5 : सत्यनारायण पटेल के सामने पार्टी के मजबूत नेता छोटे यादव निर्दलीय उतरे हैं। वे पटेल को बाहरी कहकर विरोध कर रहे हैं।
  • भोपाल मध्य : कांग्रेस से बागी रईस बबलू सपा से उतरे हैं। उनकी दावेदारी ने आरिफ मसूद का गणित बिगाड़ा है। 
  • जावरा : जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे किसान नेता डीपी धाकड़ निर्दलीय उतरे हैं। पार्टी ने केके सिंह को टिकट दिया है। जो कि महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के भाई हैं।
  • उज्जैन दक्षिण : प्रत्याशी राजेंद्र वशिष्ठ के सामने पार्टी के लिए जय सिंह दरबार निर्दलीय मैदान में हैं। 
  • जावद : समंदर पटेल निर्दलीय हैं, वे कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार अहीर को चुनौती दे रहे हैं। पटेल का नाम अंतिम समय में कटा, इसलिए वे विरोध में उतरे। 
  • ग्वालियर ग्रामीण : साहिब सिंह गुर्जर जो जिला पंचायत के सदस्य हैं, गुर्जर बाहुल्य इस सीट से वे कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। 
  • चंदेरी : भाजपा से पूर्व विधायक रहे राजकुमार सिंह यादव के बसपा से चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों का चुनावी गणित बिगड़ गया है। कांग्रस के वर्तमान विधायक गोपाल सिंह चौहान को टिकट मिला है, जो पार्टी में अंतर्विरोध को झेल रहे हैं। 
  • सेवढ़ा : कांग्रेस से बागी हुए दामोदर सिंह यादव केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाह के दल से चुनाव लड़ रहे हैं। 
  • महाराजपुर : राजेश मेहतो कांग्रेस के पुराने नेता हैं। टिकट न मिलने से वे बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने नए चेहरे नीरज दीक्षित को चुनौती दे रहे हैं। 
  • राजनगर : कांग्रेस के बागी नितिन चतुर्वेदी मैदान में हैं। यहां से उनके पिता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पुत्र की फील्डिंग में लगे हैं जबकि वे दिग्विजय की समन्वय समिति के सदस्य थे।
  • पथरिया :  युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अनुरागवर्धन हजारी टिकट न मिलने से सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से कांग्रेस गौरव परटले को टिकट दिया है। यहां से भाजपा से बागी हुए पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया मैदान में है।

      भाजपा की मुश्किल

 गौरीशंकर बिसेन : पांच बार विधायक बिसेन के सामने कांग्रेस ने पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत हैं। दोनों पंवार जाति के प्रभावशाली व्यक्ति हैं। पिछले चुनाव में 44 फीसदी वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहीं अनुभा मुंजारे फिर मैदान में हैं। इनके पति व पूर्व विधायक कंकर मुंजारे सटी हुई सीट परसवाड़ा से मैदान में हैं। वर्ष 2013 के चुनाव में अनुभा के कारण बिसेन बमुश्किल 2500 वोटों से जीत पाए थे।

  • जयंत मलैया : कुर्मी वर्ग के बड़े नेता व पांच बार के भाजपा सांसद रहे डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया बागी होकर चुनौती दे रहे हैं। 2013 में मलैया 4 हजार 953 वोटों से जीते थे। इस बार कांग्रेस ने दमोह में युवा चेहरा राहुल लोधी दिया है। उनके चचेरे भाई को पड़ोस की सीट बड़ा मलहरा सीट से टिकट मिला।
  • ललिता यादव : छतरपुर से विधायक रहीं, लेकिन इस बार सीट बदल कर बड़ा मलहरा से चुनाव लड़ रही हैं। यहां भाजपा ने लगातार दो बार की विधायक रेखा यादव का टिकट काटा है जो उमा भारती खेमे से थीं। रेखा यादव विरोध भी कर रही हैं। 
  • दीपक जोशी : हाटपिपल्या से कांग्रेस ने खाती समाज को बल देते हुए मनोज चौधरी को टिकट दिया। जोशी इसी वर्ग के कारण सीट बदलना चाहते थे। जो नहीं हुआ।
  • अर्चना चिटनीस : ऐन वक्त पर कांग्रेस ने हामिद काजी का टिकट बदलकर रविंद्र महाजन को उतारा है। महाराष्ट्रीय वैश्य के सामने आने के बाद हिंदू वोट बंटेगा, जिसका फायदा कांग्रेस उठा सकती है। काजी महाजन के पक्ष में खड़े हैं।
  • गोपाल भार्गव : कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश साहू आरएसएस के स्वयंसेवक के साथ रेहली में भाजपा सांसद प्रहलाद पटेल के सांसद प्रतिनिधि रहे। अप्रैल में भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की। हार्दिक पटेल के कार्यक्रम में गए। क्षेत्र में पटेल समुदाय के बड़े नेता जीवन पटेल ने समर्थन दिया। इसलिए भार्गव की टेंशन बढ़ी है। 
  • राजेंद्र शुक्ला : समदड़िया ग्रुप को जमीन देने के मामले में पहले से ही सुर्खियों में हैं। अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए अभय मिश्रा शुक्ला के सामने उम्मीदवार हैं। सूत्रों की मानें तो जातिगत के हिसाब से पहले ब्राह्मण वोट एकतरफ शुक्ला को मिलता था। इस बार बंट सकता है।
  • रुस्तम सिंह : मुरैना सीट त्रिकोणीय संघर्ष में आ गई है। कांग्रेस ने रघुराज सिंह कंसाना को टिकट दिया और दिमनी से बसपा के विधायक चुने गए बलबीर सिंह दंडोतिया मुरैना से फिर बसपा प्रत्याशी बने हैं। 2013 के चुनाव में रुस्तम सिंह सिर्फ 1704 वोटों से जीत पाए थे। इस बार उनके एक बयान चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा था कि गुर्जर एक हो जाओ नहीं तो ब्राह्मण के हाथ में सीट चली जाएगी।
  • संजय पाठक : कांग्रेस उम्मीदवार पद्मा शुक्ला से 2013 में महज 929 वोटों से जीते पाठक फिर इस बार आमने-सामने हैं। पिछले चुनाव में पद्मा भाजपा से थीं, इस बार कांग्रेस से हैं। पाठक कांग्रेस से भाजपा में चले गए। इस बार क्षेत्र में उनका विरोध भी प्रभाव डाल रहा है।
  • शरद जैन : भाजपा के बागी पूर्व युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रहे धीरज पटेरिया मैदान में कूद गए हैं। कांग्रेस ने विनय सक्सेना को और सपाक्स ने आशीष जैन को टिकट दिया है। जैन वोट बंटते हैं तो शरद जैन मुश्किल में रहेंगे।
  • सुरेंद्र पटवा : क्षेत्र में विरोध है। कांग्रेस से सुरेश पचौरी सामने हैं। टिकट बांटने के दौरान ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक रोड-शो करना पड़ा।
  • रामपाल सिंह : रघुवंशी समाज नाराज है। वे सीट बदलकर उदयपुरा जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी तैयार नहीं हुई। सपाक्स ने माधुरी रघुवंशी को टिकट दिया है।
  • उमाशंकर गुप्ता : कांग्रेस से नाराज संजीव सक्सेना के मानने के बाद अब गुप्ता की क्षेत्र में चुनौती बढ़ी है। कर्मचारी बहुल इस दक्षिण -पश्चिम सीट में एंटी इनकंबेंसी भी है।
  • बालकृष्ण पाटीदार : किसान और पाटीदार समाज का विरोध तेज होने पर मुश्किल होगी।
  • नारायण सिंह कुशवाहा : ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेस प्रवीण पाठक के सामने  उतरे हैं। यहां उन्हें पूर्व महापौर और बागी समीक्षा गुप्ता निर्दलीय होकर चुनौती दे रही हैं। 

कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। इसे वचनपत्र का नाम दिया गया है। घोषणापत्र में किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता और महिला सुरक्षा को लेकर बड़े वादे किए गए हैं। 112 पन्ने के वचनपत्र में 973 घोषणाएं शामिल की गई हैं। लेकिन पार्टी का मुख्य फोकस 75 घोषणाओं पर है। 

ये हैं कुछ बड़े वादे:

1. किसानों के 75 हजार 800 करोड़ का कर्ज माफी का वादा

 

2. डीजल-पेट्रोल पर छूट मिलेगी
3. किसानों का बिजली बिल आधा करेंगे
4. रसोई गैस पर छूट की घोषणा
5. जन आयोग का गठन कर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ेंगे
6. सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 300 से बढ़ाकर 1000 करने का वादा
7. महिलाओं के स्व सहायता समूह के कर्ज माफ होंगे
8. लड़कियों के विवाह के लिये ₹51000 का अनुदान
9. विधान परिषद का गठन
10. ₹10000 प्रतिमाह हर परिवार के एक बेरोजगार युवा को दिया जाएगा
11. वकीलों, पत्रकारों के लिए सुरक्षा अधिनियम
12. पुलिस फोर्स में महिलाओं को प्राथमिकता
13. सभी टॉपर्स को फ्री लैपटॉप

इस मौके पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और चुनाव अभियान समिति के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद हैं। कमलनाथ ने कहा, "भाजपा ने घोषणापत्र के नाम पर अब तक जुमलापत्र पेश किये हैं। कांग्रेस विकास का एक नया नक्शा बनाएगी। ये वचनपत्र पीसीसी में नहीं सड़क और खेतों में जाकर बना है।" 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमारी सोच सकारात्मक, प्रगतिशील और एक नये सवेरे की सोच है, पहली बार घोषणापत्र नही वचनपत्र और संकल्प पत्र रखा जा रहा है।

मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होना है। 

इंदौर। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरमाने के बीच कांग्रेस ने शुक्रवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल अपनी चुनावी हार का अंदेशा होते ही पाकिस्तान और भगवान राम का नाम लेने लगता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब भी भाजपा को लगता है कि चुनावों में उसकी स्थिति खराब है, तो वह पाकिस्तान का नाम लेने लगती है। इसके साथ ही, वह भगवान राम के नाम पर राजनीति करने लगती है।’’ 
 
राम मंदिर मामले में कांग्रेस का रुख पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "यह मामला अभी शीर्ष न्यायालय में विचाराधीन है। अगर अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई बयान आयेगा, तो हम इस पर जरूर प्रतिक्रिया देंगे।" पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "अगर केंद्र की भाजपा सरकार अयोध्या में वाकई राम मंदिर बनाना चाहती है, तो वह अध्यादेश क्यों नहीं ले आती? लेकिन यह सरकार भगवान राम के नाम पर लोगों को छलने की कोशिश कर रही है।" उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा अपने भ्रष्टाचार और नाकामी को छिपाने के लिये देश के शहरों के नाम बदल रही है, ताकि उसकी स्याह हकीकत जनता के सामने न आ सके। 
 
नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर मोदी सरकार के खिलाफ हमला करते हुए अहमद ने विमुद्रीकरण को "तुगलकी फरमान" करार दिया। उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी के कारण पिछले दो साल के दौरान देश के असंगठित क्षेत्र में करीब दो करोड़ लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा, जबकि इसी अवधि में बड़े पूंजीपतियों के तीन लाख 17 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिये गये।
 
अहमद ने आरोप लगाया कि राफेल घोटाला भ्रष्टाचार के साथ "देशद्रोह" से भी जुड़ा है क्योंकि लड़ाकू जहाजों के इस विवादास्पद सौदे में भारत की अहम रक्षा जरूरतों को नजरअंदाज किया गया। 

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नामांकन के दौरान दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक उनकी संपत्ति में करीब सवा चार करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। शिवराज द्वारा नाम निर्देशन पत्र में दिए गए आय-व्यय के ब्यौरा के अनुसार उनके पास 10 करोड़ 45 लाख 82 हजार 140 रुपए हैं। 

 

नामांकन पत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक उनकी पत्नी साधना सिंह की संपत्ति शिवराज से दोगुनी है। साल 2013 में दिए गए चुनावी शपथपत्र के मुताबिक शिवराज के पास छह करोड़ 27 लाख 54 हजार 114 रुपए की संपत्ति थी। जिसमें इस बार सवा चार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। 

शिवराज की संपत्ति का ब्यौरा 

नगद राशि

शिवराज सिंह चौहान : 45 हजार

साधना सिंह : 40 हजार


बैंक एकाउंट का ब्यौरा

शिवराज सिंह चौहान

एसबीआई बैंक विदिशा- आठ लाख 36 हजार 819

एसबीआई बैंक भोपाल- पांच लाख 79 हजार 423

जिला सहकारी बैंक भोपाल- छ: लाख 10 हजार 532

साधना सिंह

एसबीआई विदिशा- नौ लाख 47 हजार 374

पीएनबी भोपाल- एक लाख 72 हजार 392


आवासीय

शिवराज सिंह चौहान : विदिशा में मकान है।

साधना सिंह : अरोरा कॉलोनी में फ्लैट है।


जमीन का ब्यौरा

शिवराज सिंह चौहान : 77 लाख रुपए

उनके पास जैत में 20 एकड़, बैस में साढ़े तीन लाख और डोलखेड़ी में ढाई एकड़ भूमि है।

साधना सिंह : तीन करोड़ 32 लाख रुपए

साधना सिंह के नाम से विदिशा में 32 एकड़ जमीन है।


वाहन

शिवराज सिंह चौहान के पास वाहन नहीं है।

साधना सिंह के नाम से डेढ़ लाख की एक एंबेसडर है।

 
अन्य

शिवराज सिंह चौहान

एक रिवाल्वर- 5500 रुपए
घरेलू सामान- दो लाख 50 हजार
 

कुल संपत्ति का ब्यौरा

शिवराज सिंह चौहान : तीन करोड़ 15 लाख 70 हजार 274 रुपए।

साधना सिंह : सात करोड़ 30 लाख 11 हजार 866 रुपए।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा के अंदर मचा संग्राम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम बाबूलाल गौर हर हाल में चुनाव लड़ने पर अड़े नजर आ रहे हैं। भाजपा ने अभी तक उनकी दावेदारी का एलान नहीं किया है, लेकिन आज उन्होंने नामांकन फॉर्म खरीद लिया। 

 बाबूलाल गौर और उनकी बहू कृष्णा गौर ने आज भोपाल में नामांकन फॉर्म खरीदा। बाबूलाल गौर गोविंदपुरा सीट से कृष्णा को टिकट दिलाना चाहते हैं। पिछले दिनों भाजपा ने 176 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया था लेकिन उसमें गोविंदपुरा सीट का नाम नहीं था। इस सीट को होल्ड पर रखा गया है। 


दरअसर, भाजपा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। वह अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद चुनाव लड़ना चाहते हैं। वह अपनी बहू कृष्णा गौर को गोविंदपुरा सीट पर लड़ाना चाहते हैं। गोविंदपुरा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां से 88 साल के बाबूलाल गौर दशकों तक चुने जाते रहे हैं। 

इस सीट पर कई दावेदार हैं। हालांकि भाजपा ने अभी इसके लिए किसी का नाम फाइनल नहीं किया है। गौर ने अपना पहला चुनाव निर्दलीय के तौर पर लड़ा था और वह इसी सीट से 10 बार विधायक बन चुके हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था, अगर हमें टिकट नहीं मिला तो मैं और कृष्णा जी अलग-अलग सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। 

 
  • भाजपा ने अब तक 193 प्रत्याशियों के नाम तय किए, पहली लिस्ट में 176 नाम थे
  •  37 सीटों पर नामों का ऐलान बाकी, पांच मौजूदा विधायकों के नाम काटे

इंदौर. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने सोमवार को 17 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की। इसमें भी इंदौर की सभी नौ और भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है। भाजपा ने पहली सूची में 176 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया था। इस तरह भाजपा अब तक 193 प्रत्याशियों के नाम तय कर चुकी है। राज्य में 28 नवंबर को मतदान होगा। जबकि 11 दिसंबर को परिणाम आएंगे।

 

 

इन्हें मिला टिकट

 

  सीट प्रत्याशी
1  शुजालपुर इंदरसिंह परमार
2 पेटलावद (एससी) निर्मला भूरिया
3 उज्जैन दक्षिण मोहन यादव
4 बड़नगर जितेन्द्र पंड्या
5  भितरवार अनूप मिश्रा
6  कोलारस वीरेंद्र रघुवंशी
7 बिजावर पुष्पेन्द्र पाठक
8 जबेरा धमेन्द्र लोधी
9 अनूपपुर (एसटी) रामलाल रौतेले
10 जबलपुर उत्तर शरद जैन
11 जबलपुर पश्चिम हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू
12 बिछिया (एसटी) शिवराज शाह
13 निवास (एसटी) रामप्यारे कुलस्ते
14 मुलताई राजा पंवार
15 ब्यावरा नारायण पंवार
16 बासौदा लीना संजय जैन
17 कुरवाई

हरी सप्रे 

 

इन 5 विधायकोंं के टिकट कटे : दूसरी सूची में पांच मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए गए। इनमें चंद्रशेखर देशमुख (मुलताई), जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर), मुकेश पंड्या (बड़नगर), पंडित सिंह धुर्वे (बिछिया) और वीर सिंह पंवार (कुरवाई) के नाम शामिल हैं।

 

37 सीटों पर नाम तय होना बाकी: पार्टी को अभी 37 सीटों पर नामों का ऐलान करना है। इनमें इंदौर की क्षेत्र क्रमांक एक से पांच, महू, राऊ, देपालपुर और सांवेर की सीट शामिल है। भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर भी पार्टी अभी तक उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर 10 बार से विधायक हैं। गौर ने बताया, "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का शनिवार को उनके पास फोन आया था। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि वे पार्टी में बात करेंगे। मैंने उनसे कह दिया है कि अब सब आपके हाथ में हैं।" उन्होंने कहा कि सोमवार या मंगलवार को कृष्णा गौर पहले पर्चा भरेंगी। इसके एक-दो दिनों बाद वे हुजूर से पर्चा दाखिल करेंगे।

 

सुमित्रा-कैलाश की वजह से इंदौर की सीटें अटकीं: ऐसा कहा जा रहा है कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अपने बेटों के टिकट के लिए अड़ गए हैं। दोनों इंदौर की एक सीट चाहते हैं। फैसला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर छोड़ दिया गया है।

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