मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश (8627)

रवींद्र झारखरिया

ग्वालियर. ग्वालियर-चंबल की धरती पर सियासी जंग में पुरुषों को चुनौती देने आैर अपनी कामयाबी का परचम फहराने में महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। उन्हें जब भी किसी बड़ी पार्टी ने मौका दिया चुनावी शतरंज की बिसात पर उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को शह भी दी आैर मात भी। इनमें से एक ही सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतने आैर सीट या पार्टी बदलने पर पराजय का रिकॉर्ड भी बना।

 

1957 से लेकर 2013 तक के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो एक ही सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतने वालों में भाजपा से यशोधरा राजे सिंधिया ही एकमात्र ऐसा चेहरा हैं, जबकि कांग्रेस से चंद्रकला सहाय के बाद दूसरा नाम इमरती देवी का है। कांग्रेस के टिकट पर चंद्रकला सहाय 1957 में मुरार से चुनाव लड़ीं थीं, उन्होंने हिंदू महासभा (हिमस) के पुरुषोत्तम को पराजित किया। 1962 में उन्हें फिर मुरार से ही टिकट दिया गया। इस बार भी उन्होंने हिमस के बाबूराम को पराजित किया। डबरा सीट से कांग्रेस की इमरती देवी ने 2008 में भाजपा के कमलापत आर्य को आैर 2013 में बसपा की सत्यप्रकाशी परसेडिया को पराजित कर चुनाव जीता था। यशोधरा राजे सिंधिया ने भाजपा के टिकट पर शिवपुरी से 1998 में कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला को आैर 2003 में कांग्रेस के ही गणेश गौतम को पराजित किया। 

सीट बदलकर लगातार दो चुनाव जीते : विजयाराजे सिंधिया (भारतीय जनसंघ) ने 1967 में करैरा सीट पर कांग्रेस के गौतम शर्मा को हराया और 1972 में गिर्द सीट से कांग्रेस के सरनाम सिंह घुरैया को हराकर चुनाव जीता था। वहीं कांग्रेस की प्रेमकुमारी ने लहार सीट से 1957 में चुनाव जीतीं थीं। 1962 में उन्होंने सीट बदली आैर रौन से चुनाव लड़ीं तो हार गईं। सिंधिया परिवार से ताल्लुक रखने वालीं सुषमा सिंह करैरा सीट से 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतीं, लेकिन 1980 में इसी सीट पर भाजपा के टिकट से चुनाव हार गईं। 

 निर्दलीय जीतीं, लेकिन कांग्रेस के टिकट पर हारीं : वैजयंती वर्मा 1993 में पोहरी सीट से चुनाव जीती थीं। वे कांग्रेस प्रत्याशी थीं, लेकिन तकनीकी कारणों से निर्दलीय घोषित हो गईं। 1998 में कांग्रेस ने उन्हें फिर मौका दिया, लेकिन इस बार वे चुनाव हार गईं। 

अधिकतर मुकाबले पुरुष प्रत्याशियों से 

1980 : करैरा से भाजपा की सुषमा सिंह, कांग्रेस के दाऊ हनुमंत सिंह से हार गईं। लश्कर पूर्व से कांग्रेस की रश्मि परिहार, भाजपा के गंगाराम बांदिल से हारीं।

1998 : करैरा से सपा की ऊषा यादव भाजपा के रणवीर से हारीं तो पोहरी से कांग्रेस की वैजयंती वर्मा भाजपा के नरेंद्र बिरथरे से।

2003 : मेहगांव से कांग्रेस की रजनी निर्दलीय मुन्नासिंह से हारीं। दिमनी में भाजपा की संध्या राय ने कांग्रेस के हरीसिंह को हराया।

2008 : लहार से भाजपा की मुन्नीदेवी त्रिपाठी कांग्रेस के डॉ. गोविंद सिंह से तो ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस की रश्मि पंवार, भाजपा के नारायण सिंह कुशवाह से हारीं। गुना में कांग्रेस की संगीता रजक को निर्देलीय राजेंद्र सलूजा ने हराया तो चाचाेड़ा में कांग्रेस के शिवनारायण मीना ने भाजपा की ममता मीना को हराया।

2013 : ग्वालियर पूर्व से भाजपा की माया सिंह ने कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल को हराया। चाचौडा में भाजपा की ममता मीना ने कांग्रेस के शिवनारायण मीना को पराजित किया। करैरा में कांग्रेस की शकुंतला खटीक ने भाजपा के आेमप्रकाश खटीक को पराजित किया।

(कुछ प्रमुख सीटों के बारे में)

भोपाल. भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक आज दिल्ली में होगी, बैठक में दिल्ली के भाजपा मुख्‍यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह, सीईसी के सभी सदस्‍य और राज्‍यों के मंत्री मौजूद रहेंगे। मध्य प्रदेश से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह समेत कई नेता शामिल होंगे। बुधवार को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद अब भाजपा ने ये बैठक बुलाई है। 

 

जानकारी के अनुसार, दिल्ली में होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज समेत मध्य प्रदेश के बड़े नेता प्रत्याशियों की पहली सूची पर चर्चा करेंगे। इसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति इनके नाम तय करेगी। भाजपा जल्‍द से जल्‍द प्रत्‍याशियों की घोषणा करना चाहती है। असल में, कांग्रेस ने बैठक करके मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों की 73 सीटों पर नाम तय किए थे। 

 

इस बीच चुनाव मध्य प्रदेश में कांग्रेस की फर्जी सूची जारी होने से हंगामा मचा हुआ था। इसके साथ ही सोशल मीडिया में भी फर्जी सूचियों के जारी होने का दौर जारी है। लिस्ट कौन जारी कर रहा है, यह किसी को नहीं पता? चौंकाने वाली बात यह है कि लिस्ट को लेकर अभी तक कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने सायबर सेल या पुलिस से शिकायत नहीं की है। न ही पार्टियों ने इसकी पुष्टि की। 

जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने जिला न्यायालय कटनी के आदेश को निरस्त करते हुए कटनी में 20 साल पहले 9 साल की मासूम बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के आरोपी को 7 साल की सजा सुनाई है।
कटनी की जिला अदालत ने करीब 19 साल पहले आरोपित को बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने अपील की थी। कोर्ट ने आरोपी को 7 साल के सश्रम कारावास तथा पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। कटनी निवासी 9 साल की बच्ची 1998 में पानी भरने गई थी, तभी आरोपी राजेश सिंह उसे 10 रुपए का लालच देकर एक सूने मकान में ले गया और दुष्कर्म करने का प्रयास किया।
इसी बीच बच्ची को आवाज देते हुए उसका पिता उस ओर आने लगा। आरोपित बच्ची का गला दबाते हुए जान से मारने की धमकी देकर भाग गया। कटनी थाना पुलिस ने आरोपित राजेश के खिलाफ धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया था।
1999 में जिला कोर्ट ने आरोपी कर दिया था दोषमुक्त : कोर्ट ने नवम्बर 1999 में आरोपी को दोषमुक्त करार दिया था। जिसके खिलाफ सरकार ने यह अपील दायर की थी। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता नम्रता केशरवानी ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार बच्ची के नाजुक अंग में सूजन आ गई थी। ऐसा कृत्य भी दुष्कर्म की श्रेणी में आता है। अंतिम सुनवाई के बाद बेंच ने पाया कि जिला अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट का उचित निरीक्षण नहीं किया। इसी आदेश को निरस्त कर कोर्ट ने आरोपित को दोषी ठहराया।

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