टेक्नोलॉजी

टेक्नोलॉजी (89)

नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): भारतीय वैज्ञानिकों ने रोगों एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखने वाली अरहर की कई जंगली प्रजातियों का पता लगाया है। इन प्रजातियों के अनुवांशिक गुणों का उपयोग कीट तथा रोगों से लड़ने में सक्षम और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल अरहर की नयी प्रजातियां विकसित करने में किया जा सकता है। दलहन उत्पादन में बढ़ोत्तरी और पोषण सुरक्षा में सुधार के लिए ये प्रजातियां उपयोगी हो सकती हैं।
 
अरहर की इन प्रजातियों में दस संकरण योग्य प्रजातियों के अलावा कुछ ऐसी प्रजातियां भी शामिल हैं, जिनका संकरण नहीं किया जा सकता। हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर द सेमी एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रीसैट) के वैज्ञानिक कैजनस वंश के पौधों के गुणों का अनुवांशिक अध्ययन करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। पौधों का कैजनस वंश फैबेसीए पादप परिवार का सदस्य है। इसकी प्रजातियों में अरहर (कैजनस कैजन) भी शामिल है। कैजनस कैजन एकमात्र अरहर की प्रजाति है जिसकी खेती दुनिया भर में की जाती है।
 
इक्रीसेट की प्रमुख शोधकर्ता डॉ. शिवाली शर्मा के अनुसार, “किसानों द्वारा आमतौर पर उगायी जाने वाली अरहर की किस्मों में बार-बार होने वाले रोगों, नयी बीमारियों तथा कीटों के लिए बहुत लचीलापन होता है। अरहर की जो जंगली प्रजातियां अब मिली हैं, वे विभिन्न बीमारियों और कीटों से लड़ने की क्षमता रखती हैं। इन प्रजातियों के गुणों का उपयोग करके नयी नस्लों का विकास किया जा सकता है। इस तरह किसानों के जीवन यापन में सुधार, पोषण सुरक्षा और उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।”
 
अरहर अनुसंधान से जुड़ी यह पहल भारत-म्यांमार अरहर कार्यक्रम का हिस्सा है। ग्लोबल क्रॉप डाइवर्सिटी ट्रस्ट (जीसीडीटी) के सहयोग से संचालित इस परियोजना के अंतर्गत भारत और म्यांमार के विभिन्न कृषि क्षेत्रों और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में पौधों की प्री-ब्रीडिंग गतिविधियों का मूल्यांकन किया गया है। अगले दो वर्षों में भारत और म्यांमार के विभिन्न स्थानों पर इन प्रजातियों के अनुकूलन का परीक्षण किया जाएगा।
 
किसी जंगली पौधे के गुणों और उसकी अनुवांशिक विशेषताओं की पहचान के लिए अपनायी जाने वाली गतिविधियों को प्री-ब्रीडिंग कहा जाता है। प्लांट ब्रीडर जंगली पौधों में मिले वांछित गुणों अथवा अनुवांशिक विशेषताओं को प्रचलित पौधों की प्रजातियों में स्थानांतरित करके पौधों की नयी किस्मों का विकास करते हैं।
 
डॉ. शर्मा के मुताबिक, “वैज्ञानिक पौधों के विशिष्ट जर्म प्लाज्म के संग्रह का उपयोग पौधों की नयी नस्लों के विकास के लिए करते हैं। नयी नस्लों के विकास के लिए इनका उपयोग बार-बार होने से विकसित फसल की नस्लों का अनुवांशिक आधार सीमित हो जाता है। इस तरह फसलों के सीमित अनुवांशिक आधार के कारण वे आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। अरहर के साथ भी इसी तरह की समस्या रही है। फसलों की अनुवांशिक विविधता और उसके आधार पर नयी किस्मों का विकास इस तरह की चुनौतियों से लड़ने में मददगार हो सकता है।”
 
इस अध्ययन में इक्रीसैट के वैज्ञानिकों के अलावा तेलंगाना स्टेट यूनिवर्सिटी, आचार्य एनजी रंगा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और म्यांमार के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के शोधकर्ता शामिल हैं।

 

 
लिलॉंगवे। उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को मालावी के राष्ट्रपति आर्थर पीटर मुथरिका से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। इस मौके पर भारत और मालावी ने प्रत्यर्पण, परमाणु ऊर्जा में सहयोग और राजनयिकों एवं अधिकारियों के लिए वीजा में छूट संबंधी तीन समझौतों पर दस्तखत किए। इसके अलावा, भारत ने मालावी में 18 जल परियोजनाओं के लिए 21 करोड़ डॉलर से अधिक (215.16 मिलियन) का कर्ज देने की घोषणा की। विदेश मंत्रालय में सचिव टी एस तिरुमूर्ति ने बताया कि दोनों नेताओं की वार्ता के दौरान भारत ने मालावी के रक्षा बलों के लिए विशेषीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश की।
 
उन्होंने कहा कि ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप और मालावी के प्राकृतिक संसाधन, ऊर्जा एवं खनन मंत्रालय के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए परमाणु ऊर्जा में सहयोग संबंधी एक समझौते पर दस्तखत हुए। दोनों पक्षों ने प्रत्यर्पण संधि के लिए भी एक समझौते पर दस्तखत किए। इसके अलावा, राजनयिकों एवं आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा छूट संबंधी भी एक समझौता हुआ। इस बीच, नायडू ने यहां ‘जयपुर फुट’ के एक शिविर का उद्घाटन किया और कई लाभार्थियों को भारत में बने ‘प्रोस्थेटिक लिंब’ (कृत्रिम पैर) बांटे। ‘इंडिया फॉर ह्यूमैनिटी’ कार्यक्रम के तहत इस शिविर का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महात्मा गांधी की ओर से की गई मानवता की सेवा का सम्मान करता है।

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक फोटो वायरल हो रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि आजादी के पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों ने ब्रिटेन की महारानी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया था। ये पोस्ट समय-समय पर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है और अब एक बार फिर से इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

 

हालांकि, हमारी पड़ताल में ये फोटो फेक साबित हुई। कुछ लोगों ने आरएसएस के खिलाफ माहौल बनाने के लिए फोटो का इस्तेमाल किया। इनमें कांग्रेस नेता संजय निरुपम भी शामिल हैं।

क्या है वायरल फोटो में?

  • इस पोस्ट को 28 अक्टूबर को @SohailBobby नाम के यूजर ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर शेयर किया है। इस पोस्ट को अभी तक 126 बार रीट्वीट और 139 बार लाइक किया जा चुका है। इसे शेयर करते हुए  लिखा

देश की आजादी में आरएसएस का उतना ही योगदान था जितना शोले पिक्चर में हरिराम नाई का था...!!

#सचVSझूठ #ModiSeCBIBachao

#BJP_भगाओ_देश_बचाओ सहमत हो तो RT करें...

नई दिल्ली. देश का पहला सबसे बड़ा डोमेस्टिक क्रूज शनिवार से मुंबई से गोवा के बीच सफर शुरू करेगा। 131 मीटर लंबे शिप का नाम अंग्रीया है। शिप में 104 कमरे हैं। एक बार में इसमें 350 लोग सफर कर सकेंगे। इसमें सभी लोगों के लिए सोने की व्यवस्था है। शिप में किराए की छह श्रेणियां हैं, जो छह से 11 हजार के बीच हैं।

 किराए की श्रेणियों में प्रीमियम सूइट, प्रीमियम सूइट कपल, प्रीमियम रूम चार और दो लोगों के लिए, ग्रुप के लिए डोरमेटरी और कपल पॉड शामिल हैं। किराए में हाई टी, डिनर और ब्रंच भी शामिल हैं। इसमें दो रेस्तरां के अलावा तीन ओपेन डेक और 24 घंटे खुला रहने वाला काफी शॉप भी है। यह विश्व का पहला क्रूज है, जिसमें कपल पॉड (सुविधाओं से लैस बड़ा कैप्सूल जैसा) का सेगमेंट दिया गया है।

 क्रूज जापान से ओगासाआरा आइसलैंड के बीच चलता था : अंग्रीया के निदेशक सिद्धार्थ नेवलकर ने बताया, यह क्रूज जापान से ओगासाआरा आइसलैंड के बीच चलता था। डेढ़ साल पहले खरीदकर मुंबई पोर्ट में इसे मॉडीफाई कराया है। यह क्रूज गहरे समुद्र में न जाकर तटवर्ती इलाकों से गुजरेगा। इससे लोग सफर के दौरान समुद्र तटों की खूबसूरती देख सकेंगे।

 आपात स्थिति में 20 से 30 मिनट में खाली हो सकता है : इसमें एक इनफिनिटी स्वीमिंग पूल है, जो समुद्र के पानी में नहाने जैसा अहसास दिलाता है। इसमें अल्ट्रा मॉडर्न इवेल्यूएशन सिस्टम लगाया गया। इससे आपात स्थिति में इसे 20 से 30 मिनट में खाली किया जा सकता है।


गैजेट. चुनावों में फेसबुक के जरिए फैलने वाली फेक न्यूज पर लगाम कसने के लिए कंपनी ने 'वॉर रूम' बनाया है। फेसबुक का ये वॉर रूम कंपनी के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर मेनलो पार्क में स्थित है, जहां 2 दर्जन से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। फेसबुक ने गुरुवार को अपने वॉर रूम की एक झलक पेश की, जिसमें यहां के काम करने का तरीका बताया गया है।
फेसबुक के वॉर रूम को अमेरिका में होने वाले मध्यावधि चुनाव (6 नवंबर 2018) और ब्राजील में होने वाले आम चुनाव (7 अक्टूबर) को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यहां पर चुनावों के दौरान फैलने वाली फेक न्यूज और अफवाहों को रोकने का काम किया जाएगा। इसके साथ ही चुनावों के दौरान होने वाली विदेशी दखलअंदाजी पर नजर रखना भी वॉर रूम के कर्मचारियों का काम है। फेसबुक के साइबर सिक्योरिटी के हेड नैथानियल ग्लिचर ने बताया कि 'चुनावों के दौरान होने बहस में किसी तरह की हेरफेर का पता लगाना ही हमारा काम है।'  फेसबुक के सिविक इंगेजमेंट के हेड समिध चक्रवर्ती ने बताया कि 'चुनावों के दौरान अक्सर ऐसी झूठी खबरें फैलती हैं कि यहां विरोध की वजह से वोटिंग रोक दी गई। हमारा काम इस तरह की झूठी खबरों को फैलने से रोकना है। हम इस तरह की कोई भी पोस्ट, जो चुनावों को प्रभावित करती हों, उन्हें वायरल होने के एक घंटे के भीतर ही हटा देंगे।'
फेसबुक के मुताबिक, ये वॉर रूम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी पर काम करता है, जो फेसबुक पर आने वाले पोस्ट की सच्चाई और यूजर्स के व्यवहार को पहचाने में मदद करती है। उन्होंने बताया कि हमारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से फेक अकाउंट को ब्लॉक या डिसेबल करने में सक्षम है।
  समिध चक्रवर्ती ने बताया कि 'इस वॉर रूम में कंपनी के दो दर्जन से ज्यादा एक्सपर्ट काम करते हैं, जो थ्रेट इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, रिसर्च और लीगल टीम को पहचानने का काम करेगी।'  उन्होंने बताया कि 'जब सभी लोग एक साथ एक ही जगह पर होते हैं, तो हमारी टीम किसी भी खतरे को पहचानकर ज्यादा जल्दी उसका समाधान कर सकती है।' फेसबुक के मुताबिक, यहां रियल टाइम में चुनावी मुद्दों की निगरानी की जाती है, ताकि स्पैम कंटेंट को फैलने से रोका जा सके। समिध चक्रवर्ती ने बताया कि 'हमारी टीम ने एक मैसेज की पहचान की, जिसमें कहा था कि ब्राजील में हो रहे विरोध की वजह से चुनाव की तारीख को 7 अक्टूबर से बढ़ाकर 8 अक्टूबर कर दिया गया है, लेकिन ये मैसेज गलत था जिसके बाद हमने इस मैसेज को 1 घंटे के अंदर हटा दिया।'   उन्होंने बताया कि जैसे ही किसी पोस्ट या कंटेंट पर संदेह होता है, टीम उसकी पुष्टि के लिए न्यूज रिपोर्टर्स, फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट और एक्सपर्ट से करती है। फेक निकलने पर उस कंटेंट को फेसबुक से हटा दिया जाता है।
फेसबुक वॉर रूम में काम कर रहे कर्मचारियों को सिर्फ जरूरी होने पर ही अपनी सीट से उठने की इजाजत है। फेसबुक ने बताया कि वॉर रूम के कर्मचारी सिर्फ वाशरूम जाने के लिए और अपनी डेस्क पर खाना लाने के लिए ही उठ सकते हैं।  हालांकि कंपनी ने सुरक्षा कारणों की वजह से ज्यादा जानकारी तो नहीं दी, लेकिन यहां हर कर्मचारी के पास एक लैपटॉप और दो डेस्कटॉप है, जिसमें ऑनलाइन एक्टिविटी पर ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा इस रूम में बड़ी-बड़ी स्क्रीन भी लगी हैं, जिनपर फोक्स, सीएनएन जैसे न्यूज चैनल 24X7 चलते रहते हैं।

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